दिवाली भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे हर साल अक्टूबर या नवम्बर के महीने में हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है। मगर इस दिन लोग काफी पटाखे फोड़ते है, जिससे हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है।
हम यहां पर ईको-फ्रेंडली दिवाली पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में ईको-फ्रेंडली दिवाली से सम्बंधित सभी जानकारी का वर्णन किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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ईको-फ्रेंडली दिवाली पर निबंध 250 शब्द (Eco Friendly Diwali Essay in Hindi)
दिवाली रोशनी का त्योहार है, तो हर जगह रोशनी फैलाने का प्रयास किया जाता है। दीवाली की रोशनी में पटाखों भी अहम भूमिका निभाते है। पटाखों में से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की रोशनी और अलग-अलग तरीके से निकलने वाली चिंगारी और आवाज लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दिवाली के दिन एक मनोरंजन का केंद्र बनती है।
लोग इस दिवाली को खास बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के पटाखों का इस्तेमाल करते हैं। मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि पटाखों में विभिन्न प्रकार के रसायन और बारूद भरे होते हैं, जिससे हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
पटाखे फोड़ने की वजह से इसमें से विभिन्न प्रकार के धुआं निकलते हैं, जो ना केवल हमारे शरीर के लिए बल्कि हमारे पर्यावरण और सभी पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होते हैं। अगर हमने पटाखों पर रोक नहीं लगाया तो बहुत जल्द मानव सभ्यता विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी।
हम मानते हैं कि केवल 1 दिन पटाखा फोड़ने से पर्यावरण समाप्त नहीं हो जाएगा। मगर मानव सभ्यता ने तरक्की के नाम पर इतने विभिन्न प्रकार के यंत्र बना रखे हैं, जिससे रोजाना विभिन्न प्रकार का प्रदूषण होता है और वह प्रदूषण के साथ साथ आकर हम दिवाली के दिन पटाखे फोड़ते हैं तो पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा इस कदर बढ़ जाती है कि बीमारियों की संभावना बहुत अधिक हो जाती है।
हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए और इको फ्रेंडली दिवाली मनाने का प्रयास करना चाहिए। इको फ्रेंडली दिवाली के दिन हमें अपने घर को सजाने विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने और सभी के साथ खुशियां बांट कर खूबसूरत दिवाली मनाने का प्रयास करना चाहिए। किसी भी प्रकार का ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे।
हम जिस पर्यावरण में रहते हैं, उसके प्रति हमें आभार व्यक्त करना चाहिए और इसका सबसे अच्छा तरीका दिवाली के दिन एक इको फ्रेंडली दिवाली मनाकर प्रस्तुत किया जा सकता है।
ईको-फ्रेंडली दिवाली पर निबंध (850 शब्द)
प्रस्तावना
हर साल जब अधिक ठंडी पड़ती है, उस वक्त अक्टूबर के महीने में एक त्यौहार मनाया जाता है, जिसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है। दिवाली के नाम से इस त्यौहार को पूरे विश्वभर में प्रचलिता मिली है। दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म के लिए पुरानी कथाओं से जुड़ा हुआ है।
माना जाता है कि इस दीवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम अपने पूरे परिवार के साथ 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या लौटे थे। भारत में हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों की जनसंख्या अधिक है। साथ ही इस तरह के लोग पूरे विश्व में भरे हुए हैं। इस वजह से दिवाली का त्यौहार पूरे विश्व में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दिवाली के लिए सब लोग भाईचारा के साथ अपने घर को साफ करते हैं और उसे सुंदर से सजाते हैं। विभिन्न प्रकार की रोशनी के लिए दिया और मोमबत्ती के साथ-साथ कुछ लाइट लगाई जाती है ताकि घर की शोभा को बढ़ाई जा सके।
इसके साथ ही सभी लोग एक साथ मिलकर पटाखे फोड़ने की रस्म निभाते हैं। जब सभी दोस्त और रिश्तेदार एक साथ एक जगह पर जुटते हैं तो विभिन्न प्रकार के पटाखे फोड़े जाते है। दिवाली के दिन पटाखे मनोरंजन का केंद्र होती हैं।
इको फ्रेंडली दिवाली क्यों माननी चाहिए?
पटाखे में से विभिन्न तरह के आवाज निकलते हैं और साथ ही इसमें से विभिन्न प्रकार के चिंगारी और रोशनी निकलती है, जो आकर्षण का मुख्य केंद्र बनती है। बच्चों को यह काफी लुभाता है। हम मानते हैं कि इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया कोई गलत बात नहीं है।
मगर इस तरह के पटाखों में बारूद के साथ विभिन्न प्रकार के रसायन मिलाए गए होते हैं, जिनमें से निकला धुँआ हमारे शरीर के लिए काफी हानिकारक होता है। साथ ही इस तरह के धुए से पर्यावरण को भी काफी नुकसान होता है।
आज के जमाने में हम इतनी ज्यादा तरक्की कर चुके हैं कि मनोरंजन के नाम विभिन्न प्रकार के पटाखे बनाए हैं, जिनसे पर्यावरण को काफी अधिक नुकसान पहुंचता है। इस वजह से यह अनुरोध किया जाता है कि पटाखों के बिना दिवाली को मनाने का प्रयास करना चाहिए।
दीवाली के दिन छोड़े गए पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदुषण भयावह स्तर पर पहुंच जाता है, जिसे अपनी सही स्थिति में आने में लंबा समय लग जाता है। दिवाली हंसी खुशी का त्यौहार है। उस दिन घर को सजाने और विभिन्न प्रकार के पकवान को खाकर के आनंद लेना चाहिए।
इस दिन पूजा पाठ करना चाहिए। पर्यावरण हमें जीवन देता है। कोई भी ऐसा त्यौहार नहीं मनाना चाहिए, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे।
इको फ्रेंडली दिवाली कैसे मनाएं?
हालांकि दिवाली मनाने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है और पटाखे उनके लिए मनोरंजन का एक मुख्य केंद्र बनते हैं। इस वजह से विभिन्न कंपनियों ने परेशानी का समाधान निकालते हुए इको फ्रेंडली पटाखे बनाए हैं अर्थात आपको बाजार में कुछ ऐसे पटाखे मिल जाएंगे, जिनमें किसी भी प्रकार का रसायन नहीं मिला है और वह किसी भी व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं होता।
यह बात भी सच है कि इको फ्रेंडली पटाखे काफी महंगे आते हैं। इस वजह से हर कोई उन्हें नहीं खरीद सकता। सरकार इस बात के लिए हर किसी से अनुरोध करती है कि दीवाली के त्यौहार को इको फ्रेंडली मनाने का प्रयास करें।
इसे आप अपने दोस्तों और मित्रों के साथ हंस खेलकर मना सकते हैं, इसके लिए पटाखों को इतनी अहमियत नहीं देनी चाहिए।
दिवाली में सजावट पर रखें ध्यान
जैसा कि हर किसी को पता है कि दिवाली रोशनी का त्योहार है। इस दिन अपने घर को रोशनी से सजाने की परंपरा बनाई गई है। आपको विभिन्न प्रकार के लाइट और दीयों का इस्तेमाल करके अपने घर को सजाना चाहिए ताकि आप अपने घर को काफी खूबसूरत बना सकें और दिवाली के त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मना सके।
केमिकल रंगोली का ना करें इस्तेमाल और इसकी जगह नैचुरल कलर्स खरीदकर उससे रंगोली बनाएं। इको-फ्रेंडली मोमबत्तियां का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। ज़रूरत मंद और मजबूर लोगो को कपड़े और मिठाईयाँ उपहार में देना चाहिए।
दिवाली एक काफी अच्छा त्यौहार है, जिससे हमारा वातावरण शुद्ध होना चाहिए। इसके लिए इको फ्रेंडली दिवाली का सहारा ले और अपने त्योहार को हर्षोल्लास से मनाये। आप थोड़ी सूझ बूझ और समझदारी से प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने की कोशिश कर, दिवाली की खुशियों को दोगुनी कर सकते है।
निष्कर्ष
दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है और हमें अंधेरे पर विजय पाना सिखाता है। लेकिन हमें हमारे पर्यावरण के बारे में भी सोचना चाहिए और एक अच्छे नागरिक होने के नाते हमारा यह फ़र्ज़ है की हम अपने पर्यावरण को शुद्ध रखें।
इस लिए हो सके इतनी दिवाली इको फ्रेंडली माननी चाहिए। समाज और इस दीपोत्सव की खुशियों को देखते हुए हमें न सिर्फ बाहर की रौशनी लेकिन अपने भीतर की रौशनी को भी प्रज्वलित करना होगा।
अंतिम शब्द
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