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दुश्मनी पर शायरी

Dushman ki Shayari

दुश्मनी पर शायरी | Dushman ki Shayari

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ये कह कर मुझे मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए,
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए.

हम अपने से ज्यादा दुश्मनो पर नज़र रखते हे।
इसलिए तो, कब अपने दुश्मन बन जाते हे पता ही नहीं चलता।।

दुश्मनी भी आवश्यक है
जब बातें, अधिकार, चरित्र एवं सम्मान की हो।

रिश्ते में प्यार की ताक़त कुछ वक़्त बीत जाने के बाद पता चलती हे,
वरना पहली मुलाकात में तो दुश्मन भी प्यार से बाते करता हे।

जीस्म पर खरोच दे दोगे तो चलेगा
मगर आत्मसम्मान पर खरोच और
दुश्मनी बिल्कुल भी बर्दाश्त नही करूंगा

दुश्मन और सिगरेट को जलाने के बाद,
उन्हे कुचलने का मज़ा ही कुछ और होता है.

कुछ न करने से उलझन होती हे खुद को,
और कुछ कर जाने से उलझन होती हे दुसरो को।

समय कितना भी खराब हो
मैं उधार दुश्मनी एहसान नही लेता….

तुझसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,
जो हर बात पर कहते हैं.. ‘तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.

दुश्मन प्यारा नहीं होता,
वो एक ही इंसान ऐसा होता हे,
जो हमारी कमजोरी और
हमारी ताक़त की परख रखता हे।

दुश्मनी लौट कर जरूर आएंगे
आपकी सफलता देख कर

कभी ख़ुद को मेरे प्यार में भुला कर देख,
दुश्मनी अच्छी नहीं मुझे दोस्त बना करे देख.

मेरी नाराज़गी पर हक़ मेरे अहबाब का है बस,
भला दुश्मन से भी कोई कभी नाराज़ होता है.

अब न यकीन किसी पर करीब से करेंगे,
दुःख सुख अपने किसी करीब से करेंगे,
दोस्त ही आखिर बन गए दुश्मन मेरे,
जब कभी की दोस्ती तो सीधे रक़ीब से करेंगे।

अभी तो बदला लेना बाकी है
हाँ अकेले है और अकेले ही दुश्मनी काफी है

Dushman ki Shayari

दुश्मनी लाख सही ख़तम न कीजिये रिश्ता,
दिल मिलें या न मिलें हाथ मिलाते रहिये.

जो दिल के करीब थे वो जबसे दुश्मन हो गए
जमाने में हुए चर्चे हम मशहूर हो गए.

हिफाज़त गेरो से तो कर लेते,
लेकिन कोई अपना ही दुश्मनी पर उतर गया था,
जिसको हमसफ़र चुना था हमने,
वो अपने वादों से मुकर गया।

मेरी खोपड़ी
की झोपड़ी हिलाया न…. दुश्मन
तो तेरी हस्ती की बस्ती जला दूंगा….

मुझसे दोस्ती ना सही तो दुश्मनी भी ना करना
क्यूंकि में हर रिश्ता पूरी शिददत से निभाता हूँ .

तुमसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,
हर बात पर कहते हे की,
तुझे नहीं छोड़ेंगे।

खुद नवाजे तुझे मुझसे बेहतर,
मगर तू मेरे लिए तरसे

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की हैं,
दोस्तों ने भी क्या कमी की हैं.

जगह ही नही दिल में अब दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है .

खाये हे फरेब कुछ यूँ,
अब न दोस्ती की वफ़ा समझ होगी,
न दुश्मनो की रहगुजर समझ होगी,
भले तन्हाई होगी या रुसवाई होगी।

गलतियां माफ कीजिये
दुश्मनी नही..

वो जो बन के दुश्मन हमे जीतने को निकले थे,
कर लेते अगर मोहब्बत तो हम ख़ुद ही हार जाते.

मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी.

कभी कभी जीत भी अब हार जैसी लगती हे,
जब अपनों का साथ नहीं मिलता,
और हार भी कभी कभी जीत जैसी लगती हे,
जब दुश्मन भी आपके होसलो की तारीफ करता हे।

हर शख्स है खुदा बनने में मशरूफ
ये तमाशा भी खुदा देख रहा है..

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Dushman ki Shayari

हम दुश्मन को भी बड़ी शानदार सजा देते हैं,
हाथ नहीं उठाते बस नजरों से गिरा देते हैं.

पूछा है ग़ैर से मिरे हाल-ए-तबाह को,
इज़हार-ए-दोस्ती भी किया दुश्मनी के साथ.

ना दोस्ती हे कोई न कोई दुश्मन,
आखिर इस दुनिया में कर क्या रहे हे हम।

उन बदुवाओ से डरो
जो दुश्मन बोल कर नही दी जाती…

उसका ये अंदाज़ भी दिल को भा गया हैं,
कल तक जो दोस्त था आज दुश्मनी पर आ गया हैं.

वैसे दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है,
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते.

गज़ब की गाली दी हे तजुर्बे ने,
आज कल अपनों से ज्यादा दुश्मन काम आते हे।

आज कल नए ट्रेंड आने लगे है
और बच्चे बाप को दुश्मनी सिखाने लगे है

लोग कहते हैं कि इतनी दोस्ती मत करो कि
दोस्त दिल पर सवार हो जाए,
मैं कहता हूँ दोस्ती इतनी करो कि
दुश्मन को भी तुम से प्यार हो जाए.

कुछ न उखाड़ सकोंगे तुम हमसे दुश्मनी करके,
हमें बर्बाद करना चाहते हो तो हमसे मोहब्बत कर लो.

फ़िक्र करने वाले काम मिलते हे दुनिया में,
दुश्मन तो सारा जहा हे।

दुश्मनी हो जाती है मुफ़्त में सैकड़ों से ‘साहब’..,
इंसान का बेहतरीन होना भी एक गुनाह है..।।

दुश्मनी जम के करो पर इतनी गुंजाईश रहे,
कल जो हम दोस्त बन जाए तो शर्मिंदा न हो.

देखा तो वो शख्स भी मेरे दुश्मनो में था,
नाम जिसका शामिल मेरी धड़कनों में था.

कमाने को तो इज़्ज़त भी हे ज़माने में,
सिर्फ दौलत नहीं कमाता हु,
गुजरता हु जब भी,
दुश्मनो की गलियों से,
ढेरो सलाम पाटा हु।

Dushman ki Shayari

प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उसके बिना जिया नहीं जा सकता!!

चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी हैं, तीर की तरह,
मगर खामोश रहता हूँ, अपनी तकदीर की तरह.

जिस खत पे ये लगाई उसी का मिला जवाब,
इक मोहर मेरे पास है दुश्मन के नाम की.

अपनी मोत का मेने अनोखा जाल बन लिया,
एक दुश्मन को मेने मेहबूब चुन लिया।

मास्क लगा कर 2 महीने में थक गया वो दुसमन…
जो कहता था औरत को हमेशा पर्दे में रहना चाहिए…

ख़ाक मजा है जीने में,
जब तक आग ना लगे दुश्मन के सीने में.

दुश्मनों से क्या ग़रज़ दुश्मन हैं वो
दोस्तों को आज़मा कर देखिए.

खुदा करे,,,
जो भी करे मुझसे दोस्ती,
उसकी सारी हसरत दुआ बन जाये,
और जो भी करे मुझसे दुश्मनी,
उसकी क्रश उसके बच्चो की बुआ बन जाये।

पता था वो दुश्मन दबाना चाहते थे…
फिर भी हम उन्हें आजमाना चाहते थे..

उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा,
वो मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा.

दुश्मन को कैसे खराब कह दूं ,
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है.

दोस्ती जब किसी से की जाये,
दुश्मनो की भी राये ली जाये।

सलूक चाहे जो कर लेना दुश्मन बस याद रहे….
मैं सब याद रखता हूँ…

दुश्मनों की महफ़िल में चल रही थी,
मेरे कत्ल की तैयारी,
मैं पहुंचा तो बोले यार
बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी.

मुझे मेरे दोस्तों से बचाइये राही
दुश्मनों से मैं ख़ुद निपट लूँगा.

Dushman ki Shayari

जिन्हे अच्छे से जनता भी नहीं,
वो मुझसे दोस्ती करना चाहते हे,
और कुछ लोग ऐसे भी हे,
जो मेरे साथ मुझ से दोस्ती करना चाहते हे।

परिणाम की चिंता हम नही करते
घाव एक ही दुश्मन पर करेंगे पर सटीक करेंगे

तड़पते है नींद के लिए तो यही दुआ निकलती है,
बहुत बुरी है मोहबत, किसी दुश्मन को भी ना हो.

हमको शायद प्यार और दोस्ती
नहीं करना आता होगा,
लेकिन दुश्मनी हम बखूबी निभा सकते हे।

ताकत का परिचय तब देंगे जब दुश्मनी सम्मान की होगी

रफ़्तार ज़िन्दगी की कुछ यूँ बनाये रखिये,
दुश्मनों से भी बात अदब से कीजिये.

जाती हुई मय्यत देख के भी वल्लाह तुम उठ कर आ न सके,
दो चार क़दम तो दुश्मन भी तकलीफ़ गवारा करते हैं.

जब खुल्लेआम दुश्मनी बयां नहीं कर पते हे लोग,
तोह अक्सर मोहब्बत कर लेते हे।

हाँ बदनाम तो है हम
तूने क्या नया सुना है दुश्मन वो बता

दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर
रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते हैं.

एक भी मौका न दो जो दोस्त हैं दुश्मन बनें,
दुश्मनों को लाख मौके दो तुम्हारे हो सकें.

हम उनकी मोहब्बत के लिए खुद के ही,
दुश्मन बन गए,
और वो मोहब्बत ही दुश्मनो से कर गए।

मैं कैसा हु वो सब छोड़ो
ये बताओ दुश्मन तुम्हारा क्या बिगाड़ रहा हूं

दोस्ती भी अब लोग अधूरा करते हैं,
दुश्मनों की कमी अब तो दोस्त पूरा करते हैं,

हर किसी को प्यार से देखते हो इससे,
इससे बड़ी दुश्मनी क्या होगी।

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Dushman ki Shayari

बात बस नजरिये की है
काफी अकेला हु….या दुश्मन के लिए अकेला काफी हु..

आँखों से आँसुओं के दो कतरे क्या निकल पड़े,
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़.

एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही.

दुश्मनी दोस्ती सी आसान नहीं,
दुश्मनी को निभाना पड़ता हे,

दिल से नही दिमाग से खेलेंगे
दुश्मन को सरे आम पेलेगे

रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर नाम कभी टिकते नहीं,
लोग कहते है कि हम पत्थर दिल हैं,
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं।

मुझसे दोस्ती ना सही पर दुश्मनी भी ना करना क्योंकि,
नैन हर रिश्ता पुरी शिद्दत से निभाता हूँ.

दुश्मनी जम कर करो,
लेकिन ये गुंजाईश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो शर्मिंदा न हो।

हम भी नजर चील जैसी रखते है
हमारे दुश्मन जो गीदड़ है

‎लाख‬ दिये ‪‎जलाले‬ अपनी ‪‎गली‬ मे..?
मगर ‪रोशनी‬ तो ‪हमारे‬ आने से ही ‪‎होगी‬.

दोस्ती या दुश्मनी, नहीं निभाता है आईना,
जो उसके सामने है, वही दिखाता है आईना.

पहले तुम अब यादें तुम्हारी,,,
आखिर दुश्मनी क्या हे मुझसे तुम्हारी।

हम तो दुश्मन की शकल देख कर
उसकी औकात बता देते हैं

जब से मुझे पता चला है कि मेरा आत्मविश्वास मेरे साथ है !
तबसे मैने ये सोचना बंद कर दिया कि कौन मेरे खिलाफ है !!

इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप
शहर वालों से हमारी दुश्मनी बढ़ जाएगी.

Dushman ki Shayari

बहुत काम खुशिया गम बेपनाह मिले हे,
मुझे दोस्त के रूप में दुश्मन हजार मिले हे,
में रिश्तो को दिल से निभाता था,
वो तो मुझे सिर्फ उपहार में मिले हे

दुश्मन होता तो मौका देते
क्योंकि उसके पास वजह होती
तू तो दोस्त था साले

औकात नही थी इस दुनिया में किसी की जो हमारी
कीमत लगा सके…लेकिन दोस्ती में
आखिर मुफ़्त में खुद बिक गया

चार दिन की बात है क्या दोस्ती क्या दुश्मनी,
काट दो इनको खुशी से यार हँसते-हँस

दोस्त से अच्छे तो दुश्मन है लाला
नफरत जरूर करते है दिखावे का प्यार नहीं

Hamare ठिकाने मे सिर्फ
दो ही log कदम रखते है…
जिनका फौलादी जीगर हो या
जिनका zErO फिगर हो…

प्यार, एहसान, नफरत, दुश्मनी जो चाहो वो मुझसे करलो,
आप की कसम वही दुगुना मिलेगा.

दोस्त बनो दुश्मन बनो
पर किसी का चमचा मत बनो

अरे Pagli ! तेरी 1 #Smile के लिए
हम “Duniya” भुला देंगे,
तो सोच तेरे 1 #आँसू के लिए कितनों को सुलादेंगे…

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों.

हद में रहो वरना असली औकात दिखा देंगे
पहले ही कोन सा दुश्मन कम है दो चार और बना लेंगे

जब स्टेटस कॉपी होने लग जाए तो
समझ लो तरक्की कर रहे हो .

ऐ नसीब जरा एक बात तो बता,
तु सबको आजमाता हैँ या मुझसे ही दुश्मनी हैँ .

दुश्मन हमारे सामने आने से भी डरते है
और वो पगली दिल से खेल कर चली गई

मंडी लड़किया मुझसे दूर ही रहे क्यूंकि,
मनाना मुझे आता नहीं और भाव में किसी को देता नही.

Dushman ki Shayari

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे.

दुश्मन तो बहुत है पर वो कहते है ना
की शेर का शिकार कुत्तों से नहीं होता

ये मत समझ की तेरे काबिल नहीं हम,
तड़प रहे है वो आज भी जिन्हें हासिल नहीं हम…!!

मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना, क्युंकी,
मेरी दुश्मनी का नुकसान सह नही पाओगे.

मेरी ख़ामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता,
और शिकायत में दो लफ्ज़ कह दूँ तो वो चुभ जातें हैं।

सुधरी हे तो बस मेरी आदते…
वरना मेरे शौक..
वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं…!!!

सिर्फ कपड़े ही नहीं सोच भी ब्रांडेड होनी चाहिए!

धोखा देने की बात मत कर पगली,
यहाँ ‪Wish‬ पूरी ना होने पे लोग ‪‎भगवान‬ बदल देते है….
तो तू क्या चीज है.

शोर- गुल मचाने से नाम नहीं बनता,
काम ऐसा करो की ख़ामोशी भी अख़बारों में छप जाए

इधर आ रक़ीब मेरे, मैं तुझे गले लगा लूँ
मेरा इश्क़ बे-मज़ा था, तेरी दुश्मनी से पहले.

मेरी बराबरी ना कर दोस्त,
मेरे Status का इन्तजार तो तेरी वाली भी करती है!

और कुछ नहीं बस_एक बेनाम सा बंधन होता,
काश तू मेरे हसीन गोरे हाथ का कंगन होता…!!

नाम इसलिए उँचा हैं..हमारा…
क्योंकि……हम ‘बदला लेने की नही ,’
बदलाव लाने, की सोच रखते हैं..

Valentine‬ तो बच्चै मनातै है,
आपनी वाली तो ‎Direct‬ करवा चौथ मनेयैगी.

जलते है मेरे दुश्मन मुझसे,
क्यूंकि मेरे दोस्त मुझे दोस्त नहीं भाई मानते है !

वाक़िफ़ कहा दुश्मन हमारी उड़ान से वो
कोई ओर थे जो हार गये तूफ़ान से…!

मेरा कोई दुश्मन नही था बस भगवा रंग सर चढ़ गया
और लाखों विधर्मी मेरे दुश्मन बन गए ।

जब दुशमन पत्थर मारे तो उसका जवाब फूल से दो
लेकिन वो फूल उसकी कबर पर होना चाहिये …….!

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक
मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.

जब दुश्मनी में मज़ा आने लगता है तो …..
साले दुश्मन माफी मांगने लग जाते है…

भाई बोलने का हक़ मैंने सिर्फ दोस्तों को दिया है ,.,
वरना दुश्मन तो आज भी हमें बाप के नाम से पहचानते हैं ,.,!!

..है जीने में जब तक महाकाल न बसें सीने में जो महाकाल
बस गए सीने में तो आग लग ही जायेगी दुश्मन के सीने में.
.जय महादेव —

शख्सियत दमदार हो तभी दुश्मन बनते है …
वरना कमजोर को पूछता कौन है…

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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