चांद यह एक ऐसा शब्द है, जिसे हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। बचपन में बड़े बुजुर्गों द्वारा हमें चंद्रमा से संबंधित कहानियां सुनाई जाती थी। चंदा मामा की लोरी सुनाते थे लेकिन विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, कि इंसान चांद पर जा पहुंचा है और उन्होंने चांद पर अनेक सारी रिसर्च भी किये है। इसीलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि चांद पर कदम रखने वाला पहला व्यक्ति कौन है? या फिर चांद पर सबसे पहले कौन गया था? तो आइए जानते हैं।

विज्ञान की बदौलत ही आज हम इतना सुखी जीवन यापन कर रहे हैं क्योंकि विज्ञान ने अनेक सारे नए-नए आविष्कार और खोज की है, जिससे मनुष्य जीवन को आसान बनाने के लिए अनेक सारी प्रौद्योगिकी, टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, विकास, मशीनरी, उद्योग, इत्यादि स्थापित किए गए हैं। चांद पर पहुंचने के बाद मनुष्य ने और भी दूसरे ग्रह पर पहुंचने की योजना बनानी शुरू कर दी, जिसमें से अनेक सारे ग्रह पर सफलता भी हासिल करती है।
चाँद पर सबसे पहले कौन गया था?
चांद पर कदम रखने वाला पहला व्यक्ति
संपूर्ण दुनिया के लिए वह समय अत्यंत रोमांचक था, जब चांद पर पहली बार इंसान ने अपना पहला कदम रखा था। चंद्रमा की सतह पर पहला कदम रखने वाला व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग थें जिन्होंने चांद पर अपना पहला कदम रखा था। बता दे कि नील आर्मस्ट्रांग ने 21 जुलाई 1969 को पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा था। तब किसी मनुष्य प्राणी ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर अपने पैर रखे थें। उस समय संपूर्ण दुनिया के लिए गौरव का पल था।
अमेरिका की अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी “नासा” ने अपने कई वर्षों की मेहनत से इस सफलता को हासिल किया था। आज से इतने वर्षों पूर्व नासा ने वह कर दिखाया, जिसको लेकर दुनिया में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उसी समय नासा ने चांद पर भेजे गए रॉकेट में कुछ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा था जिनमें नील आर्मस्ट्रांग भी शामिल थे, जिन्होंने पहली बार चांद की सतह पर अपना पहला कदम रखा था।
चांद पर मनुष्य को पहुंचाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक मिशन बनाया जिसे अपोलो 11 नाम दिया गया। इस मिशन के जरिए नासा ने अपने अनेक वर्षो की कड़ी मेहनत से चांद पर पहुंचने के लिए अपोलो11 रॉकेट को 16 जुलाई 1969 को उड़ान भरने के लिए रवाना किया था, जो 24 जुलाई 1975 को चांद की सतह पर पहुंच गया। जिसके बाद नील आर्मस्ट्रांग ने पहली बार चांद की सतह पर अपने कदम रखे थे। यह व्यक्ति चांद की सतह पर कदम रखने वाले प्रथम मनुष्य प्राणी थे।
अमेरिकी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी “नासा”
अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा चांद पर पहुंचने की सफलता के पीछे उनके अनेक वर्षो की कड़ी मेहनत थी, जो आखिरकार रंग लाई थी। बता दे कि यहां पर तीन अंतरिक्ष यात्री गए थे, जिन्होंने अपना नाम लिखकर अमेरिकी राष्ट्रपति के सिग्नेचर वाली प्लेट को चंद्रमा की सतह पर ही छोड़ दिया, जिसमें यह लिखा गया था कि यह तीनों अंतरिक्ष यात्री 24 जुलाई 1969 को चंद्रमा की सतह पर आए थे और यह पहली बार मनुष्य द्वारा चंद्रमा पर कदम रखे गए थे।
चांद की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग थे, जबकि चांद की सतह पर कदम रखने वाले दूसरे व्यक्ति एल्ड्रिन एवं माइकल कॉलिंस थे। इन तीनों ही यात्रियों ने एक-एक करके चंद्रमा की सतह पर कदम रखे तथा खूब सारी मौज मस्ती की। कुछ रिसर्च भी कि, इनका वीडियो भी जारी किया गया है, जिन्हें आप यूट्यूब पर सर्च करके देख सकते हैं।
नील आर्मस्ट्रांग चांद की सतह पर जाने वाले अपोलो इलेवन मिशन के कमांडर थे, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर पहुंचते ही अपने पहले कदम रखे थे। उस अपोलो अभियान में इनके अलावा दो और अधिक साथी भी थे। कुल तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने आज से कई वर्ष पूर्व इस सफलता को हासिल किया था। इसके पीछे अनेक सारी वैज्ञानिक और कई वर्षों की अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा का संघर्ष है। तो आइए चंद्रमा की सतह पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं।
नील आर्मस्ट्रांग
नील आर्मस्ट्रांग का जन्म अमेरिका के ओहियो राज्य की काउंटी में 5 अगस्त 1930 को हुआ था। नील आर्मस्ट्रांग बचपन से ही आसमान में उड़ने का सपना देखते थे। उन्हें आसमान में उड़ना काफी अच्छा लगता था। धीरे-धीरे उनका यह सपना हकीकत में बदलने लगा, जब वे अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी के साथ जुड़ गए और चांद की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बनें।
बचपन में नील आर्मस्ट्रांग काफी ज्यादा हवाई यात्रा करते थे। उन्हें प्लेन में उड़ने का काफी शौक था। उनके पास विमान उड़ाने के लिए पायलट का भी लाइसेंस था। यह लाइसेंस उन्होंने अंतरिक्ष में उड़ने के लिए अपने शौक को पूरा करने हेतु लिया था। यदि हम नील आर्मस्ट्रांग के शिक्षा की बात करें, तो इन्होंने ब्लूम हाई स्कूल से 1947 में पढ़ाई पूरी की उस समय भारत को आजादी मिली थी।
नील आर्मस्ट्रांग के परिवार वाले कहते हैं कि वे बचपन से ही काफी बुद्धिमान और स्कूल में सबसे होशियार लड़के थे। उन्होंने कभी भी असफल होना नहीं सीखा था। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। लेकिन कुछ ही समय बाद युद्ध में हिस्सा लिया। जिससे उनका यह करियर कुछ समय के लिए ठप हो गया। बता दें कि युद्ध में एयर पायलट के तौर पर इन्होंने दो गोल्ड स्टार पदक हासिल किए हैं।
नील आर्मस्ट्रांग को बचपन से ही अंतरिक्ष में उड़ने का शौक था। इसीलिए उन्होंने अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग बनकर अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा में काम करना शुरू कर दिया।
नील आर्मस्ट्रांग ने यहां पर अनेक सारी रिसर्च की पायलट के तौर पर काम किया, रॉकेट तथा हेलीकॉप्टर के सेक्टर में काम किया। इस दौरान उन्होंने 4000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला एयरक्राफ्ट भी तैयार किया। नील आर्मस्ट्रांग अमेरिकी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा के प्रमुख वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हो गए।
चांद पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बने नील आर्म स्ट्रांग
नासा में कार्य करने के दौरान अनेक सारी परेशानियों और तकलीफों को नील आर्मस्ट्रांग ने अपनी बुद्धिमता और कुशलता से दूर किया था, जिसे देखते हुए चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाले अपोलो 11 मिशन की जिम्मेदारी उनके हाथों में दी गई थी, जो उन्होंने बखूबी पूरी की और सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बन गए।
आज से इतने वर्षों पूर्व जब नील आर्मस्ट्रांग ने अपने दो अंतरिक्ष साथियों के साथ पृथ्वी से चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के लिए उड़ान भरी थी। तब संपूर्ण दुनिया में यह संदेश पहुंच चुका था। लोग टेलीविजन और रेडियो से चिपक कर बैठ गए थे। आखिरकार पृथ्वी से उड़ान भरने के 109 घंटे और 25 मिनट बाद नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की सतह पर अपना पहला कदम रखा तब।
इस ऐतिहासिक पल का साक्क्षी बनने के लिए संपूर्ण दुनिया के एक चौथाई व्यक्ति रेडियो और टीवी पर लाइव सूचना हेतु चिपक कर बैठ गए थे। नील आर्मस्ट्रांग ने चांद की सतह पर अपना पहला कदम रखते हुए एक शब्द कहा था कि, “मेरा यह छोटा सा कदम और संपूर्ण मनुष्य जाति की प्रगति की एक बड़ी छलांग है” इस वाक्य को टेलीविजन और रेडियो पर बार-बार दोहराया गया।
चांद पर दूसरा कदम
चंद्रमा की सतह पर दूसरा कदम रखने वाले व्यक्ति बज़ एल्ड्रिन थें। जिन्होंने आर्मस्ट्रांग के चंद्रमा की सतह पर कदम रखने के 19 मिनट बाद ही चांद पर कदम रखने वाले दुनिया के दूसरे इंसान बन गए थे। इन्होंने भी यह खास उपलब्धि हासिल की थी। एल्ड्रिन को दुनिया का दूसरा चांद पर कदम रखने वाला व्यक्ति कहा जाता है।
माइकल कोलिन्स
माइकल चांद पर तो पहुंच गए, लेकिन इन्होंने चांद पर लैंड नहीं किया। इन्होंने चांद पर अपना कदम नहीं रखा् क्योंकि इन्हें एक दूसरा और महत्वपूर्ण काम सौंपा गया था, जो उन्होंने बखूबी किया था। बता दें कि जब 2 घंटे तक चांद पर घूमने के बाद नील आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन थक सो गए थे? उस दौरान माइकल चंद्रमा के अंतरिक्ष में ऊंचाई पर यान को परिक्रमा करवाते रहे तथा अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर पृथ्वी पर वापस सुरक्षित लौटे।
वर्तमान समय में इन तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर मनुष्य द्वारा पहुंचने और इस सफलता को हासिल करने में विशेष रूप से याद किया जाता है। विज्ञान ने वर्तमान समय में अनेक सारे नए-नए आविष्कार किए हैं, जिससे वे सूर्य की सतह पर भी पहुंचने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। विज्ञान ने अपने आविष्कार से मनुष्य जीवन का कल्याण किया है तथा मनुष्य का जीवन अत्यधिक आसान कर दिया है।
FAQ
चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति नील आर्म स्ट्रांग थे, जिन्होंने चांद की सतह पर सबसे पहले कदम रखे थे। यह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें चांद की सतह पर कदम रखने वाला प्रथम व्यक्ति का जाता है।
चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाला दूसरा व्यक्ति “बज़ एल्ड्रिन” था। जिन्होंने चांद की सतह पर सबसे पहले कदम रखने वाले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग के 19 मिनट बाद ही चंद्रमा की सतह पर दूसरे व्यक्ति के रूप में कदम रखा था। इन्हें दुनिया भर में चांद की सतह पर दूसरा कदम रखने वाला व्यक्ति का जाता है।
चांद पर सबसे पहले पहुंचने वाला देश अमेरिका है। अमेरिका की अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा द्वारा इस सफलता को हासिल किया गया था।
जब मनुष्य द्वारा चांद पर पहली बार पहुंचा गया था, तब इस कार्य को अमेरिका की अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा ने संपन्न किया था। नासा के अंतर्गत “अपोलो 11” मिशन को चांद पर पहुंचाने का अभियान जारी किया गया था, जिसे 24 जुलाई 1969 को पूरा किया गया।
जब पहली बार चांद की सतह पर मनुष्य ने अपने कदम रखे थे, उस अभियान के अंतर्गत नासा ने अपोलो 11 मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पहली बार चांद की सतह पर भेजा था, जिनमें से दो ने चांद की सतह पर कदम रखा। जबकि तीसरा विमान को नियंत्रण करने का कार्य करता रहा और तीनों सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लौटे।
निष्कर्ष
पृथ्वी से लाखों किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंद्रमा ग्रह पर पहुंचना मनुष्य जाति के लिए एक गौरव का पल है। आज से इतने वर्षों पूर्व अमेरिका ने इस कार्य को करके दिखाया था। इस ऐतिहासिक पल के लिए अमेरिका की अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा को इस असफलता का कारक माना जाता है।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि चांद पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति कौन था? चांद पर पहुंचने वाला दूसरा व्यक्ति कौन था? किस देश द्वारा सबसे पहले चांद पर कदम रखे गए? इत्यादि संपूर्ण जानकारी आज के इस आर्टिकल में हमने आपको विस्तार से बता दिए हैं।
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