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बिजली कैसे बनती है और बिजली बनाने के तरीके क्या है?

आज के समय में बिजली हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है, क्योंकि बिजली की मदद से ही हमारे घर में लाइट, मोबाइल, ए.सी. कूलर, पंखे, मिक्सर इत्यादि सभी तरह के उपकरण बिजली पर ही चलते हैं। अगर एक दिन भी बिजली कट कर दी जाए, तो लोगों का जीवन मुश्किल हो जाता है।

क्योंकि बड़े-बड़े शहरों में बिजली के बिना लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। वर्तमान समय में लगभग सभी कार्य बिजली पर ही चलते हैं। आज के समय में देश और दुनिया में मौजूद लाखों और करोड़ों की संख्या में कंपनियां, फैक्ट्रियां, कल-कारखाने, उद्योग इत्यादि सब कुछ विद्युत पर निर्भर है।

bijali kaise banti hai

अगर बिजली समाप्त हो जाए, तो देश और दुनिया में अंधेरा छा जाएगा। सभी तरह के व्यापार और व्यवसाय ठप हो जाएंगे और भुखमरी भी फैल सकती है। इसीलिए बिजली के महत्व को जानते हुए हम आपको “बिजली कैसे बनती है” इस बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। बिजली बनाने के अनेक तरीके हैं, जिनमें प्राकृतिक स्वरूप भी शामिल है। जैसे हवा, पानी एवं सूर्य। लेकिन इनसे बिजली का भारी मात्रा में उत्पादन नहीं होता है।

इसलिए मानव निर्मित तरीकों से बिजली बनाई जाती है। देश और दुनिया में हर रोज नई-नई तकनीकी जारी होती है। लेकिन यह सभी प्रकार की तकनीकी और अविष्कार विद्युत से संबंधित ही होते हैं। किसी भी तरह का कोई उपकरण या वस्तु विद्युत पर ही चलती है। तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताते हैं कि “बिजली कैसे बनती है?”

बिजली कैसे बनती है और बिजली बनाने के तरीके क्या है?, पूरी जानकारी

बिजली कैसे बनती है?

बिजली बनाने के लिए एक जनरेटर की आवश्यकता होती है, उसे इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर कहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर कई तरह के होते हैं लेकिन आमतौर पर Michael Faraday द्वारा बनाए गए इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इससे ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करके उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है।

क्योंकि उत्पादन के दौरान हाई वोल्टेज की विद्युत उत्पन्न होती है, जो हमारे लिए उपयोगी नहीं है। क्योंकि हमारे घरों में केवल 240 वोल्टेज की ही बिजली का उपयोग होता है। इसीलिए हाई वोल्टेज को ट्रांसफार्मर की मदद से उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए उपयुक्त बिजली का वोल्टेज निर्धारित किया जाता है।

बड़े-बड़े प्लांट पर बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसी उत्पादन से ऊर्जा को बिजली के रूप में परिवर्तित किया जाता है। यह कार्य इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर करता है। यह जनरेटर magnetism एवं electricity के बीच का संबंध बनाए रखता है। इससे चुंबक और वायर की Coil के आधार पर विद्युत का उत्पादन किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर में electromagnet होता है, इसमें उपस्थित चुंबक electromagnetic shaft के चारों तरफ stator बनाती है।‌ इस तरह से बड़ी मात्रा में विद्युत उत्पन्न की जाती है। इस विद्युत को जनरेटर के द्वारा पावर लाइंस द्वारा जोड़कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाई जाती है।

बिजली बनाने के तरीके कौन-कौन से हैं?

प्राइमरी स्त्रोत

इस श्रेणी में बिजली बनाने के प्राथमिक तरीके शामिल है, जो प्रकृति पर निर्भर है। आसान भाषा में कहें, तो बिजली बनाने का प्रथम तरीका हमारे वातावरण पर निर्भर करता है। वातावरण से बिजली उत्पन्न करना। जैसे सूर्य की रोशनी से बिजली बनाना यानी सौर ऊर्जा। हवा से बिजली बनाना यानी पवन ऊर्जा एवं पानी से बिजली बनाना यानी टरबाइन से विद्युत उत्पन्न करना।

सेकंडरी स्त्रोत

बिजली बनाने के दूसरे तरीके यानी प्राकृतिक संसाधनों और मानव निर्मित तरीकों से बिजली का उत्पादन करना। जैसे जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पन्न करना। पानी से बिजली उत्पन्न करना इत्यादि शामिल है। पानी एवं प्राकृतिक गैस, तेल, कोयला इत्यादि।

प्राकृतिक संसाधनों से मानव निर्मित कार्यों के आधार पर बिजली का उत्पादन करना बिजली उत्पादन के दूसरे श्रेणी में आता है। बिजली उत्पादन करने के लिए हमारे देश में प्राकृतिक संसाधन एवं मानव निर्मित तरीके दोनों का ही उपयोग किया जाता है।

प्राकृतिक संसाधनों का कम मात्रा में उपयोग हो पाता है। जबकि मानव निर्मित तरीकों से प्राकृतिक संसाधनों की मदद से भारी मात्रा में बिजली का उत्पादन होता है। तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी के साथ ‘बिजली बनाने के सभी तरीकों’ के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।

सूर्य से बिजली उत्पन्न करना

सुर्य से बिजली उत्पन्न करने की प्रक्रिया को “सोलर पॉवर” कहते हैं। सूर्य से बिजली उत्पन्न करना काफी आसान है। सूर्य से उत्पन्न बिजली काफी सस्ती दर पर उपलब्ध हो जाती है, क्योंकि सूर्य की किरणों से विद्युत का निर्माण करने के लिए किसी भी जगह पर सोलर प्लांट लगा सकते हैं।

आप अपने खेत में या अपनी जमीन पर भी सोलर प्लांट लगा सकते हैं। अगर आपके पास कोई खेत या जमीन नहीं है, तो आप अपने घर की छत पर भी सोलर प्लांट लगा सकते हैं। यहां से भी आप अपने घर के लिए उपयुक्त बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।

सूर्य से विद्युत उत्पन्न करने का खर्च काफी कम आता है। सरकार द्वारा सूर्य से विद्युत उत्पन्न करने पर काफी ज्यादा जोर दिया जा रहा है। सरकार संपूर्ण भारत में बड़े-बड़े प्लांट लगाकर सूर्य से बिजली का उत्पादन कर रही है। सोलर प्लांट सूर्य की रोशनी को ऊर्जा में बदल देता है।‌

सोलर प्लांट द्वारा सूर्य से ग्रहण की गई उर्जा को जनरेटर के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन कर दिया जाता है। अब उस विद्युत ऊर्जा को उपभोक्ताओं के उपयोग के लिए वितरण कर दिया जाता है।

हवा से बिजली उत्पन्न करना

हवा से बिजली उत्पन्न करने की प्रक्रिया को Wind Power कहा जाता है। अत्यधिक तेजी से बहने वाली हवाओं को ऊर्जा में परिवर्तित करके विद्युत का रूप दे दिया जाता है। इसके लिए बड़े-बड़े विद्युत प्लांट लगाए जाते हैं। उन प्लांट के माध्यम से विद्युत उत्पन्न की जाती है।

हवा से बिजली बनाने में काफी कम खर्च आता है और इस विद्युत को कम दर पर वितरण किया जाता है। इस तरह से बिजली उत्पन्न करने के संयंत्र को पवन चक्की कहते हैं। आमतौर पर यह आपको राजस्थान में और विशेष रूप से जैसलमेर में देखने को मिल जाएंगे।

क्योंकि जैसलमेर में अत्यंत विशाल रेतीले धोरे हैं, वहां पर तेजी से हवाएं बहती है। इन हवाओं को विद्युत में परिवर्तन करने के लिए पवन चक्की लगाई जाती हैं। उन पवन चक्की को Wind turbine से जोड़ा जाता है। हवा से पवन चक्की घूमती है, उससे टरबाइन में ऊर्जा प्राप्त होती है। उस ऊर्जा को जनरेटर की मदद से विद्युत में परिवर्तित कर दिया जाता है।

पानी से बिजली बनाना

आमतौर पर हमारे भारत में पानी से ही बड़ी मात्रा में बिजली बनाई जाती हैं। पानी से बिजली बनाने के लिए अनेक तरह के बड़े-बड़े संयंत्र लगाए गए हैं। विशेष रुप से पानी से बिजली बनाने के लिए नदियों पर बांध का निर्माण किया जाता है। नदियों पर बांध का निर्माण करने से बड़ी मात्रा में पानी इकट्ठा हो जाता है।

उस पानी को ऊंचाई से गिराया जाता है। पानी को अत्यधिक ऊंचाई से गिरने पर टरबाइन घुमाया जाता है। इस टरबाइन से उर्जा का उत्पादन होता है। उस उर्जा को संयंत्र के माध्यम से बिजली में परिवर्तित कर दिया जाता है। पानी से बिजली बनाने का यह सबसे सरल और सुगम तरीका है।

इसीलिए हमें भारत में अनेक तरह की बड़ी-बड़ी नदियों पर बांध बने हुए दिखाई देते हैं। आमतौर पर बड़े-बड़े बांध विद्युत उत्पन्न करने के लिए ही बनाए जाते हैं। किसी भी नदी पर बांध बनाने के बाद बड़ी मात्रा में पानी एकत्रित कर दिया जाता है। अब उस पानी को पाइप की मदद से अत्यधिक ऊंचाई से गिराया जाता है।

आमतौर पर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर बर्फ या बरसात के पानी को भी इकट्ठा किया जाता है ताकि उस से विद्युत बनाई जा सके। बड़ी-बड़ी नदियों पर विद्युत बनाने के लिए अनेक तरह के संयंत्र और विद्युत प्लांट लगाए जाते हैं।

कोयले से बिजली बनाना

प्राकृतिक कोयले से भारत में बड़ी मात्रा में विद्युत का उत्पादन किया जाता है। क्योंकि हर समय नदियों से बड़ी मात्रा में पानी एकत्रित नहीं किया जाता है। इसीलिए नदियों के किनारे पर कोयले के संयंत्र लगा दी जाते हैं। उन संयंत्र पर कोयले की मदद से पानी को गर्म करके उसके तापमान से बिजली का निर्माण किया जाता है।

नदियों के पानी को प्राकृतिक कोयले की मदद से संयंत्र में अत्यधिक गर्म करके उसकी भाप को टरबाइन में घुमाया जाता है, जिससे विद्युत उत्पन्न होती हैं। प्राकृतिक कोयले से गर्म किए गए पानी का तापमान 500 से 1000 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है।

पानी को प्राकृतिक कोयले से गर्म करके भाप बनाया जाता है। उस भाग को फिर से ठंडे पानी से पानी बना दिया जाता है। उस पानी को फिर से गर्म करके भाप बनाया जाता है या फिर नहरों के माध्यम से सिंचाई हेतु खेतों में छोड़ दिया जाता है।

इस तरह से एक ही पानी को कई बार उपयोग में लिया जाता है। इस विधि से बड़ी मात्रा में विद्युत का उत्पादन होता है। इस तरह से विद्युत उत्पादन करने में कोयले का बहुत बड़ा रोल है।

नेचुरल गैस से बिजली बनाना

नेचुरल गैस से बिजली बनाने के लिए प्राकृतिक कोयला पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि जिस तरह से कोयला को संयंत्र में डालकर पानी को गर्म करके उसे बिजली बनाई जाती है।

ठीक उसी प्रकार नेचुरल गैस की मदद से संयंत्र को गर्म करके पानी को गर्म करके पानी से उत्पन्न भाप को अत्यंत तेजी से टरबाइन में घुमाया जाता है, जिससे विद्युत उत्पन्न होती है। फिर से भाप को ठंडे पानी से पानी बना दिया जाता है। फिर से कहीं बार इस पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

बायोगैस से बिजली बनाना

बायोगैस को एक प्लांट में एकत्रित किया जाता है। उसके बाद नदी किनारे या फिर बांध पर बने हुए विद्युत संयंत्र को गर्म करके उसे पानी को अत्यंत तेजी से गर्म किया जाता है, जिससे पावर बनती है। उस भाप को टरबाइन में घुमाया जाता है।

टरबाइन में बाप को घुमाने से ऊर्जा बनती है। उस ऊर्जा को संयंत्र के माध्यम से विद्युत में परिवर्तित कर दिया जाता है। बायोगैस को गोबर एवं पेड़-पौधों की पत्तियां इत्यादि खराब चीजों से बनाया जाता है।

डीजल से बिजली बनाना

डीजल से बिजली का उत्पादन करने के लिए एक विशेष रूप से जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इस जनरेटर को आपने अपने आसपास किसी शादी पार्टी में देखा होगा। डीजल की मदद से इस जनरेटर को चलाया जाता है। इससे बिजली का उत्पादन होता है।

इस जनरेटर के अंदर एक विशेष तरह की मोटर लगी हुई होती है। वह मोटर डीजल के अनुसार चलती है और विद्युत का उत्पादन करती हैं। डीजल से चलने वाले जनरेटर कई प्रकार के होते हैं। ज्यादा हॉर्स पावर वाले जनरेटर अधिक बिजली का उत्पादन करते हैं, जबकि कमहॉर्स पावर वाले जनरेटर कम ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।

भूतापीय ऊर्जा से बिजली बनाना

भूतापीय ऊर्जा से बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसे थर्मल पावर प्लांट के नाम से जाना जाता है। ज्वालामुखी का नाम तो आपने सुना ही होगा। इसी ज्वालामुखी से बिजली का उत्पादन किया जाता है। वैज्ञानिक पहले पता लगाते हैं कि कहां पर और कब ज्वालामुखी फटने वाला है।

उससे पहले ही वहां पर गड्ढा खोदकर संयंत्र लगा दिया जाता है। जब ज्वालामुखी धरती से बाहर निकलता है, तो उसकी गर्म ऊर्जा से बिजली बनाई जाती है। थर्मल प्लांट के जरिए भारत में बिजली बनाने का उत्पादन ना के बराबर है क्योंकि यहां पर ज्वालामुखी देखने को नहीं मिलती है।

जबकि इटली जापान जैसे देशों में हर रोज ज्वालामुखी विस्फोट होता है। वहां पर इस तरह से बिजली का उत्पादन किया जाता है। ज्वालामुखी अत्यंत खतरनाक ज्वलनशील पदार्थ होता है।

इसलिए इससे 1000 डिग्री सेल्सियस से लेकर 15 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान अंकित किया जाता है। इससे भारी मात्रा में विद्युत उत्पन्न होता है।

निष्कर्ष

आज के समय में देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के देश विद्युत पर ही चलते हैं। संपूर्ण दुनिया आज के समय में बिजली पर आधार हो चुकी है। लगभग सभी कार्य बिजली से ही होते हैं। इसीलिए बिजली की महत्वता को देखते हुए आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि बिजली कैसे बनती है?

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूर ही उपयोगी साबित हुई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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