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बिहार दिवस पर निबंध

Bihar Diwas Essay in Hindi: हम यहां पर बिहार दिवस पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में बिहार दिवस के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Bihar Diwas Essay in Hindi

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बिहार दिवस पर निबंध | Bihar Diwas Essay in Hindi

बिहार दिवस पर निबंध (250 शब्द)

जैसा की आप लोग जानते है की बिहार भारत का एक अभिन्न अंग है, जो की भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक राज्य है। जहाँ पर अधिकांश भोजपुरी भाषा बोली जाती है। यह बंगाल से 22 मार्च 1912 से अलग हुआ था। इसलिए 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है।  प्राचीन काल में बिहार आज के बिहार के, क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से काफी बड़ा हुआ करता था तथा इसमें झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल व ओडिशा राज्य भी शामिल थे।

बाद में यह राज्य इनसे अलग होकर अलग राज्य बना दिए गये। बिहार का नाम हमारे इतिहासों एवं पुराणों में मिलता है। यह शुरू से इतिहास से जुड़ा रहा है। इस राज्य से बहुत से विद्वान लोग निकले है, जिन्होंने संसार में ज्ञान की स्थापना की है।

यहाँ पर भगवान बुद्ध का जन्म “जिसका नाम लुम्बनी” हुआ था। भगवान बुद्ध ने अपनी शिक्षा इसी राज्य से ली। और यही पर बौद्ध सभा आयोजित की गयी” राजगृह में” फिर बाद में बौद्ध धर्म प्रचार प्रसार किया गया। इस राज्य में जैन धर्म के 24 तीर्थंकर का जन्म हुआ, जिसके संस्थापक “भगवान ऋषभदेव” थे।जिन्होंने जैन धर्म की स्थापना की तथा अंतिम तीर्थंकर “महावीर स्वामी “थे। इस राज्य में कई माने जाने सेलेबिरिटी का जन्म हुआ है, जो आज ऊंचाइयों के शिखर पर है जैसे शत्रुघन सिन्हा, प्रियंका चोपड़ा, पंकज त्रिपाठी आदि। बिहार राज्य में स्थित नालंदा और विक्रमशीला विश्वविद्यालय को सबसे प्राचीन और सबसे बड़े विश्वविद्यालय के तौर पर जाना जाता है। नालंदा विश्वविद्यालय में चाणक्य (विष्णुगुप्त) ने शिक्षा ली थी, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु थे।  

बिहार दिवस पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

पटना बिहार की आधुनिक युग में राजधानी और इसकी सीमा भारत के अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल व नेपाल देश से लगती है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी है। इसको सांस्कतिक, शिक्षा एवं शक्ति का केंद्र बिंदु भी कहा जाता है। यंहा पर भोजपुरी, मैथिली, हिंदी व उर्दू बोली जाती हैं। जिसकी आधिकारिक भाषा हिंदी व दूसरी राजभाषा उर्दू है। प्राचीन काल में इसे मगध व मिथिला के रूप में जाना जाता था। यह राज्य शुरू से ही इतिहास से जुड़ा हुआ हुआ है। यह परिश्रम एवं ज्ञान के बल बूते भारत देश को ऊंचाई के शिखर पर ले गया है। यंहा से कई विद्वान् लोग निकले है जिन्होंने पूरी दुनिया में अपना नाम कमाया है।

बिहार दिवस का इतिहास

बिहार दिवस जो की 22 मार्च 1912 को अंग्रेजो द्वारा बंगाल से अलग करके एक अलग राज्य बनाया गया। तब इसमें ओडिशा एवं  झारखण्ड सम्मिलित थे। सन 1936 में ओडिशा राज्य को तथा भारत की स्वतंत्रता के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखण्ड को अलग कर दो राज्य बना दिया गया। मुख्यमंत्री ‘नितीश कुमार ‘के राज्य में ‘बिहार दिवस’ को मानाने में बहुत अधिक जोर दिया गया। बिहार में कई सारे प्राचीन राजाओ का जन्म हुआ है जैसे सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्य व राजा विक्रमादित्य। इसलिए भारत के इतिहास में इसका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

इस राज्य से हिमालय से निकलकर कई सारी नादिया अरब सागर में गिरती है। गंगा नदी और इसकी कुछ सहायक नदी सोन, पुनपुन, फाल्गुन, घागरा व गंडक इस राज्य से मिलकर पश्चिम बंगाल के रस्ते से अरब सागर में गिर जाती है। गंगा नदी बिहार ठीक बीचो बीच से निकलती है। कोसी नदी को, बिहार की शोक नदी कहा जाता है। ये बिहार के ज़्यदातर हिस्से में बहुत ज्यादा नुक्सान करती है। इसलिए इसे ‘Sorrow of Bihar’ कहा जाता है। जिसके कारण वहां पर आर्थिक व जन हानि होता है। जिससे वंहा के लोगो को काफी ज्यादा नुकसान सहना पड़ता है।

बिहार दिवस का महत्त्व

जैसा की 22 मार्च ,1912 को ब्रिटिश सरकार ने बंगाल से अलग करके बिहार को एक राज्य का दर्जा दे दिया। जो की पहले बंगाल का हिस्सा हुआ करता था। जिसे कई जगह ‘बिहार दिवस’ या ‘स्थापना दिवस ‘ के रूप में मानते है। इसे मानते हुए 109 साल हो चुके है। इस दिन का लोगो को बड़ी उत्सुकता से इन्तजार रहता है। सन 2005 से नितीश कुमार के समय से और भी बड़े पैमाने पर धूम धाम से मनाया जाने लगा।

बिहार का सम्बन्ध तीनो प्रकार के कालो से है। प्राचीन काल, मध्यकाल और आधुनिक काल। हर एक काल में बिहार की भूमिका आपको देखने को मिलेगी। प्राचीन काल के सम्राट अशोक जिनकी वीरता की गाथा सारे संसार में गायी जाती है और जिनका ‘अशोक स्तम्भ’ हमारे देश का राष्ट्रीय चिन्ह है वह भी बिहार से ही थे। जिनके पिता का नाम बिन्दुसार था। इनके समय में कई सारे विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी जैसे नालंदा व विक्रमशीला, जहाँ पर दूसरे देशो से लोग पढ़ने आते थे।  

बिहार दिवस कैसे मानते है

लोगो को 22 मार्च के दिन का बेसब्री से  इंतज़ार रहता है। इस दिन सरकार ने ऑफिसियल छुट्टी निर्धारित कर रखी है। सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थान, बैंक, कार्यालय और जितने भी गैर सरकारी संस्थान है वह सब बंद रहते है। तथा कई जगह प्रतियोगिता व ख़ुशी का माहौल  होता है। नितीश कुमार के राज्य बिहार दिवस बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा।

यह भारत में ही नहीं बल्कि संसार के अन्य देशो में भी मनाया जाता है। जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, स्कॉटलैंड, ऑस्ट्रेलिआ, मॉरीशस व गल्फ देशो क़तर, संयुक्त राज्य अमीरात और बहरीन देशो में भी बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। जंहा हर तरफ ख़ुशी का माहौल होता है। वही बिहार दिवस के मौके पर बिहार की राजधानी “पटना ” को कई प्रकार की लाइट से व फूलो से सजाया जाता है। तथा राज्य व देश बड़े बड़े कलाकार देखते व बधाइयाँ देते है। लेकिन इस बार covid 19 के चलते फिज़िकली कुछ नहीं बल्कि ऑनलाइन के माध्यम से मनाया गया था।   

निष्कर्ष

22 मार्च जो बिहार के गठन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग में ख़ुशी माहौल रहता है। तथा सरकार द्वारा सार्वजानिक अवकाश रहता है। कई घूमने वाली जगह (पर्यटन स्थल) है जैसे बोधगया मंदिर(गया), नालंदा विश्वविद्यालय, महात्मा गाँधी सेतु, सिमरिया, चौमुखी  महादेव का मंदिर, पादरी की हवेली व सीता जी का जन्म स्थान है।

बिहार का आधुनिक युग से भी घनिष्ट सम्बन्ध है क्यूंकि देश की आज़ादी के गाँधी जी “चम्पारण आंदोलन” की शुरुआत बिहार के चम्पारण जिले से की। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए पहला आंदोलन था। जंहा ब्रिटिश सरकार यंहा के किसानो को जबरदस्ती नील की खेती करने पर मज़बूर कर रही थी, जिससे वहां के खेत सब ख़राब हो जाते और यह आंदोलन सफल रहा। बिहार की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है। यंहा पर मुख्य रूप से गेंहू, चावल, दाल व मक्का की पैदावार अधिक होती है।  

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने  बिहार दिवस पर निबंध (Bihar Diwas Essay in Hindi)  के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है। तो वह हमें कमेंट में पूछ सकता है।

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