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भ्रष्टाचार पर निबंध

Bhrashtachar Par Nibandh : आज हर जगह देश और दुनिया में भ्रष्टाचार फैला हुआ हैं। भ्रष्टाचार देश के विकास का एक मुख्य रोड़ा हैं।  हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar par nibandh) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

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भ्रष्टाचार पर निबंध | Bhrashtachar Par Nibandh

भ्रष्टाचार पर निबंध ( 250 शब्द ) 

आज देश और दुनिया के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैला हुआ हैं। भ्रष्टाचार के बारे में किसी को कोई परिभाषा के बारे में समझाने की आवश्यकता नही हैं। भ्रष्टाचार की सामान्य परिभाषा के बारे में समझे तो अपने किसी काम को निकलवाने के लिए कुछ आर्थिक रूप से गिफ्ट देना या काम के बदले में बेवजह पैसे देना, यही सामान्य भाषा में भ्रष्टाचार हैं। 

हमारे देश में भी भ्रष्टाचार काफी फैला हुआ हैं। जहां देखो वहां भ्रष्टचार से अधिकारी और नेता व्याप्त हैं। देश को अगर बचाना हैं, तो हमें भ्रष्टाचार को रोकना जरुरी हैं। हालाँकि यह सब कहने की बाते होती हैं की भ्रष्टाचार को रोका जा सकता हैं परन्तु इस बात की कोई पुष्टि नही की जा सकती हैं की देश में भ्रष्टाचार कब कम होगा। 

देश में भ्रष्टाचार हर विभाग और हर जगह भरा हुआ हैं। बुरा यानी भ्रष्ट और बिगड़ा हुआ व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता हैं। कोई भी व्यक्ति नियमों के अनुसार आगे जाकर अपने स्वयं की पूर्ति के लिए गलत तरीके से काम करता हैं, तो वो भ्रष्ट कहलाता हैं। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस देश में आज भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा भरा हुआ हैं। 

देश में आज कई व्यक्ति, नेता और अधिकारी और न्याय के पुजारी हैं जो भ्रष्ट हैं और खुद के स्वार्थ के लिए कुछ भी अनुचित करने के लिए तेयार रहते हैं। भारत में भ्रष्टाचार के मामले में आज 94 वे स्थान पर हैं। इसमें भी कई मामले सामने नही आते हैं और कुछ न्यायिक प्रक्रिया से बच जाते हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध ( 800 शब्द ) 

प्रस्तावना

भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ हैं भ्रष्ट आचार या भ्रष्ट आचरण वाला व्यक्तित्व। ऐसा कोई व्यक्तिव जो कानून और न्याय को पैरो तले रोंद कर अपने स्वार्थ के लिए कोई काम करता हैं, वो भी इसी श्रेणी में आता हैं। देश में हम हर रोज कोई न कोई मामला इससे जुड़ा हुआ देखते ही हैं। किसी नेता ने रिश्वत ली, किसी अधिकारी ने रिश्वत ली और किसी कर्मचारी में रिश्वत ली। इस प्रकार के मामलों पर कठोर कार्यवाही होना और देश में इस प्रकार की समस्या का निदान आसान नही हैं। 

अनैतिक व्यवहार और अनैतिक आचरण भी भ्रष्ट की श्रेणी में ही आते हैं। इस श्रेणी में कई प्रकार के और भी कार्य आते हैं, जो मुख्य रूप से नीति से जुड़े होते हैं। कई सरकारी कार्यालयों में तो भ्रष्टाचार काफी ज्यादा देखने को मिलता हैं। बिना पैसा लिए अगर कोई व्यक्ति काम कोई कर दे तो वो भ्रष्टाचारी कैसे कहलायेगा। 

भ्रष्टाचार की परिभाषा

भ्रष्टाचार की सामान्य परिभाषा के बारे में समझे तो किसी काम को करने के लिए न्याय के विपरीत और अनुचित काम करना भ्रष्टाचार ही हैं। अगर आप किसी कार्यालय में जाते हैं और वहां आपसे काम निकलवाने के लिए आपसे पैसे लिए जाते हैं, तो आप किस उस प्रकार किस प्रकार से रियेक्ट करेंगे। हम इस प्रकार के प्रभावों को भ्रष्टाचार कहते हैं। 

वास्तव में देखे तो भ्रष्टाचार की कोई सीधी परिभाषा नही हैं। किसी अनैतिक काम को करने और किसी काम को न्याय के विपरीत करने को ही हम सीढ़ी भाषा में भ्रष्टाचार कहते हैं। 

 भ्रष्टाचार क्यों होता हैं ?

भ्रष्टाचार का मतलब एक ऐसे आचरण से हैं हो अनैतिक हो और अपने स्वयं के स्वार्थ के लिए काम करते हो। हमारा देश आज विश्व में 90 नंबर पर हैं, जो देश में भ्रष्ट देशो की श्रेणी में आते हैं। हमारे देश में इतना भ्रष्टाचार क्यों बढ़ रहा हैं, उसके निम्न कारण हैं। 

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है। देश में भ्रष्ट लोगो में वृदि काफी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में कानून तो हैं परन्तु भ्रष्टाचारियों पर असरदार नही हैं।
  • व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है, जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है। इस श्रेणी में नेता और वे सरकारी कार्मिक भी आते हैं जो बिना पैसा लिए काम नही करते।
  • आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
  • मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है। लोगो की इच्छा में वृदि भी निरंतर देखने को मिलती हैं जो की लोगों को पैसा लेने के लिए मजबूर करती हैं। 

हम भ्रष्टाचार से कैसे बचे 

अगर हमें देश में फैले इस नासूर से बचना हैं, तो हमें पहले खुद को सुधारना होगा। अगर हम रिश्वत देंगे नही तो वो लोग जो अनैतिक काम करते हैं या रिश्वत लेते हैं वो रिश्वत लेंगे नही। हमे पहले खुद को सुधारना होगा उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं की आप रिश्वत ना दे। कई बार हम भी इसके चंगुल में फस जाते हैं और फिर सोचते हैं की यह देश सुधरेगा। 

देश में इस तरह की समस्या से निपटने के लिए पहले हमे खुद को बदलना होगा। उसके बाद हम दूसरों को बदलने की सलाह दे सकते हैं। 

निष्कर्ष

भ्रष्टाचार देश में एक नासूर की तरह फ़ैल गया हैं। हम अक्सर इस बारे में खबर सुनते हैं की आज देश में लाखो रूपये की रिश्वत लेते इस ऑफिस में पकड़ा गया। इस ऑफिस में काम करने के लिए रिश्वत ली, यह खबरें सुनने के बाद तो ऐसा लगता हैं की समस्या का समाधान निकलना मुश्किल हैं।

अंतिम शब्द  

हमने यहां पर “भ्रष्टाचार पर निबंध (bhrashtachar par nibandh)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Ripal
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