Bharat ki Pramukh Samasya essay in Hindi: हम यहां पर भारत की प्रमुख समस्याएं पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में भारत की प्रमुख समस्याएं के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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भारत की प्रमुख समस्याएं पर निबंध | Bharat ki Pramukh Samasya Essay in Hindi
भारत की प्रमुख समस्याएं (250 शब्द)
हमारा भारत देश एक समस्या प्रधान देश है। देश में कई समस्या आज़ादी के समय से चली आ रही है,जो लगातार बढ़ती ही जा रही है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहाँ लोग अलग-अलग भाषा बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जाति, संप्रदाय और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। उनकी यही एकता आज खोखली होती जा रही है। लोग महजब, भाषा और समुदाय के नाम पर दंगे कर रहे है। भाषा वाद, संप्रदायवाद और प्रांतवाद भारत की प्रमुख समस्या में से एक है।
गरीबी और बेकारी का देश के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इन दो समस्या बढ़ने के पीछे का मुलभूत कारण देश की जनसंख्या है। आज हमारे देश की जन संख्या लगभग 140 करोड़ के पार हो गई है। जन संख्या बढ़ने का सीधा प्रभाव देश के साक्षरता दर पर पढ़ रहा है। विकासशील देश के लिए इतनी ज्यादा जनसंख्या को अनिवार्य संसाधन देना किसी भी सरकार के लिए शक्यनहीं है।
निरक्षरता की वजह से अंधविश्वास, भ्रष्टाचार, बाल विवाह, बाल श्रम, दहेज़ प्रथा, नशा खोरी, महिलाओं की सुरक्षा, आतंकवाद जैसी समस्या को बढ़वा मिल रहा है। भ्रष्टाचार और महंगाई ने देश की रीढ़ को ही तोड़ दिया है। भ्रष्टाचार को बड़े-बड़े राजकीय नेता, मंत्री, अधिकारी, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी जैसे शिक्षित लोग बढ़वा दे रहे है। महंगाई की वजह से आम आदमी अपनी प्राथमिक जरूरतों को भी पूरा नही कर पा रहे है।
बढ़ती हुई समस्या का सीधा प्रभाव देश के अर्थ तंत्र पर पड़ रहा है। देश की जनता के बीच एकता कमजोर पड़ती नजर आ रही है। सभी समस्याएं को नाबूद करना संभव नहीं है। अगर हम एकजुट होकर छोटी छोटी समस्याएं पर हम काबू पा लेते है तो भारत किसी भी विकसित राष्ट्र से आगे निकल जायेगा
भारत की प्रमुख समस्याएं (800 शब्द)
प्रस्तावना
भारत देश एक विशाल देश है। भारत देश उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक विभिन्नता से भरा हुआ है। विशाल और विभिन्न देश होने के नाते भारत की प्रजा को किसी न किसी प्रकार की समस्या जकड़ी हुई है। ऐसा कहना बिलकुल गलत नही होगा की हमारा देश समस्या प्रधान देश है।
वैसे तो भारत देश में अनगिनत समस्याएं है, लेकिन उनमें से भाषा वाद, संप्रदायवाद और प्रांतवाद, गरीबी और बेरोज़गारी, बढ़ती हुई जन संख्या, निरक्षरता, भ्रष्टाचार और महँगाई जैसी प्रमुख समस्याएं है। इसके अलावा अंधविश्वास, दहेज़ प्रथा, नशा खोरी, महिलाओं की सुरक्षा, आतंकवाद जैसी सामाजिक समस्याएं भी भारत को घेरे हुए है।
भाषा वाद, संप्रदायवाद और प्रांतवाद
भाषा वाद, संप्रदायवाद और प्रांतवाद के कारण आज भारत दर्जनों समस्याओं से जूझ रहा है। यह तीन एक ऐसा जहर है जो देश की लोकतंत्र के नशों में बहकर उन्हें कमजोर बना रहा है, जिससे हमारी एकता खतरे में पड़ गई है। हमारे राजनीति दल व नेता इस समस्या को बढ़ावा दे रहे है और सत्ता पाने के लिए इन्हें हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे है।
धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा मिल रहा है और लोग अपनी अपनी भाषा और जातियों का ही विकास चाहते है। इस समस्या की वजह से देश आज अंदर से खोखला होता जा रहा है। भाषा वाद, संप्रदायवाद और प्रांतवाद राष्ट्र की प्रगति में बाधक बन रहा है।
गरीबी और बेरोज़गारी
गरीबी और बेरोज़गारी हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है और यह समस्या आजादी के समय से चली आ रही है। इस समस्या का एक मात्र मुल है हमारे देश की जन संख्या। देश का विकास होने पर भी भारत में 40% लोग गरीबी की रेखा के नीचे अपना जीवन बसर कर रहे है। बेरोज़गारी की समस्या चुनौती के रूप में सामने उभरकर आई है।
देश के शिक्षित युवा वर्ग नौकरियों के तलाश में इधर उधर भटकते नजर आते है। काम नहीं मिलने के कारण ज्यातरतर लोग रोटी, कपड़ा और मकान जैसी जीवन की मुख्य जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे है और वो गरीबी को जन्म देती है।
बढ़ती हुई जन संख्या
देश की सभी प्रमुख समस्याओं की जड़ भारत की बढ़ती हुई आबादी है। आज हमारे देश की जन संख्या लगभग 140 करोड़ हो गई है। जो हमारे लिए एक चिंताजनक बात है क्योंकि हमारा देश विकाशील देश है और सरकार इतने लोगों को जरूरी आवश्यकता और संसाधनों प्रदान करने के समक्ष नहीं है। देश के ज्यादातर लोग शिक्षा से भी वंचित है। जनसँख्या की वृद्धि देश में रोजगारी और प्रदुषण जैसी समस्या पर सीधा प्रभाव डाल रही है। संक्षेप में बढ़ती हुई जन संख्या देश के विकास में बाधक बन रही है।
निरक्षरता
देश के लिए निरक्षरता एक अभिशाप है। देश के विकास के स्तर को देश के साक्षरता दर से ही आंका जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में साक्षरता दर 74.7 फीसदी है। अशिक्षा की वजह से लोगों का सही तरीके से विकास नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से भारत में अंधविश्वास, भ्रष्टाचार, बाल विवाह, बाल श्रम, दहेज़ प्रथा, नशा खोरी, महिलाओं की सुरक्षा, आतंकवाद जैसी समस्या का देश के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
निरक्षरता ही अमीर और गरीब के बीच की खाई है। देश में ऐसे कई बच्चे है, जो प्राथमिक शिक्षण से वंचित है। सभ्य, सक्षम व सुदृढ़ समाज की स्थापना सिर्फ और सिर्फ शिक्षा से ही होती है।
भ्रष्टाचार और महंगाई
भ्रष्टाचार इस देशवासियों के रग रग में फ़ैल चूका है। जिसे नाबूद करना नामुनकिन है। बड़े-बड़े राजकीय नेता, मंत्री, अधिकारी, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी सभी भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे हुए है। रिश्वत और काला बाजार ने ना सिर्फ भ्रष्टाचार बल्कि महँगाई को भी जन्म दिया है। पूरी दुनिया में हमारा देश भ्रष्टाचार के मामले में 14वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
देश में बढ़ती महंगाई का मुख्य कारण भ्रष्टाचार ही है। पिछले कुछ वर्षों में महंगाईने विकराल समस्या के रूप में सामने आई है। महंगाई की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता नहीं है। समाज में चोरी, छीना झपटी, डकैती आदि अपराध दिन ब दिन बढ़ रहे है और देश में सामाजिक अशांति छाई हुई है।
निष्कर्ष
देश के सभी समस्या को हल करना हमारे बस में नहीं है। लेकिन हम सब मिलकर छोटा प्रयास कर सकते है, जो आगे भविष्य में एक बड़ा परिणाम दे सकता है। भारत की सबसे बड़ी समस्या सत्ता-पक्ष और राजनीतिज्ञों की गलत इरादे है। जिसकी वजह से भारत में समस्याएं बढ़ती ही जा रही है। लोगों के माइंड सेट और सोच को बदले बिना इन में से एक भी समस्या दूर करना बहुत मुश्किल काम है।
सबसे पहले हमें जनसंख्या नियंत्रण में लाने की नीतियां और कानून बनाने होंगे। देश में जगह जगह पर साक्षरता अभियान चलाना चाहिए। देश साक्षर होगा तभी तो लोगों की सोच बदलेगी और जिसके चलते हम सामाजिक समस्या का निकल कर सकेंगे।
अंतिम शब्द
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