Home > Hindi Quotes > भगवान महावीर के अनमोल वचन

भगवान महावीर के अनमोल वचन

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi
image: Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

भगवान महावीर के अनमोल वचन | Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

हर एक जीवित जीवधारी (जीव) के प्रति दयाभाव रखो,
क्योंकि नफरत और घृणा करने से विनाश होता है।

आत्मा अकेले आती हैं, अकेले चली जाती हैं,
न कोई उसका साथ देता हैं,
न कोई उसका मित्र बनता हैं।

एक चोर न तो दया और ना ही शर्म महसूस करता है,
ना ही उसमे कोई अनुशासन और विश्वास होता है।
ऐसी कोई बुराई नहीं है जो वो धन के लिए नहीं कर सकता है।

सभी मेरे मित्र हैं.
मेरा कोई शत्रु नहीं है.

आपकी आत्मा से अलग कोई भी आपका दुश्मन नही है,
असली दुश्मन आपके अंदर रहते है
और दुश्मन है आपका लालच, क्रोध,
नफरत, आसक्ति और आपका अहंकार।

भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है,
हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास
कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है..

एक कामुक व्यक्ति, अपने वांछित वस्तुओं को प्राप्त करने में
नाकाम रहने पर पागल हो जाता है
और किसी भी तरह से आत्महत्या करने के लिए तैयार भी हो जाता है।

आत्मा आध्यात्मिक
अनुशासन का केंद्रीय बिंदु है.

जिस तरह से आग को ईंधन से नही बुझाया जा सकता है
उसी तरह कोई भी जीवित प्राणी तीनों लोको
की सारी धन दौलत से संतुष्ट नही हो सकता है।

खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों
शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।

सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं,
और वे खुद अपनी गलती सुधार कर सुखी हो सकते हैं..

जितना अधिक आप पाते हैं, उतना अधिक आप चाहते हैं।
लाभ के साथ-साथ लालच बढ़ता जाता है।
जो 2 ग्राम सोने से पूर्ण किया जा सकता है
वो दस लाख से नहीं किया जा सकता।

किसी को उसकी आजीविका से वंचित मत करो.
यह एक पापी प्रवृत्ति है.

खुद से लडो, बहार के शत्रुओं से क्या लड़ना,
वह व्यक्ति जो खुद पर विजय प्राप्त कर लेता है
उसे ही आंनद की प्राप्ति होती है।

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ.
शांतिपूर्वक जियो और दूसरों को भी जीने दो..

जिस प्रकार आग इंधन से नहीं बुझाई जाती,
उसी प्रकार कोई जीवित प्राणी तीनो
दुनिया की सारी दौलत से संतुष्ट नहीं होता।

विधि और प्रणाली अनंत हैं.

“अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।”

Read Also : गुरु पूर्णिमा पर कोट्स

शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है..

कीमती वस्तुओं की बात दूर है,
एक तिनके के लिए भी लालच करना पाप को जन्म देता है.
एक ऐसा व्यक्ति जो लालचरहित है ,
अगर वो मुकुट भी पहने हुए है तो पाप नहीं कर सकता।

प्रत्येक आत्मा स्वतंत्र है.
कोई किसी पर आश्रित नहीं होता है.

एक आदमी जलते हुए जंगल के बीच में एक ऊंचे पेड़ पर बैठा है,
वह सभी जीवों को मरते हुए देखता है और खुश होता है,
लेकिन वह यह नही जानता कि जल्द ही
उसका भी यही हाल होने वाला है, वह व्यक्ति अत्यंत मूर्ख है।

“शांति और खुद पर
नियंत्रण ही अहिंसा है।”

यदि आत्मा आंतरिक बंधनों से
जकड़ी रहती है तो बाहरी त्याग अर्थहीन है।

भोजन आत्म-नियंत्रण के लिए सबसे बड़ी
बाधा उत्पन्न करता है; यह आलस को जन्म देता है.

अगर हमने कभी किसी के लिए अच्छा काम किया है
तो उसे भूल जाना चाहिए और अगर कभी किसी
ने हमारा बुरा किया है तो हमे उसे भी भूल जाना चाहिए।

सुखी जीवन जीने के लिए दो बातें हमेशा याद रखें :-
(1) अपनी मृत्यु
(2) भगवान

भाग्य का दुर्भाग्य द्वारा जन्म का मृत्यु द्वारा ओर
नौजवानी का बुढापे द्वारा स्वागत किया जाता है.
इस प्रकार इस दुनिया में सब कुछ क्षणिक है।

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

पर्यावरण का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है
कि सिर्फ आप ही इसके एकमात्र तत्व नहीं हो.

ईश्वर का अलग से कोई भी आस्तित्व नही है,
हर कोई व्यक्ति देवदत्त प्राप्त कर सकता है
अगर वह सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करें तो।

हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो।
घृणा से विनाश होता है।

भिक्षुक को उस पर नाराज़ नहीं होना चाहिए
जो उसके साथ दुर्व्यवहार करता है।
अन्यथा वह एक अज्ञानी व्यक्ति की तरह होगा।
इसलिए उसे क्रोधित नहीं होना चाहिए।

चीजों की प्रकृति धर्म है.

हर एक प्राणियों का सम्मान
करना ही अहिंसा कहलाती है।

Read Also: श्री कृष्ण के अनमोल वचन और सुविचार

“हर एक जिव स्वतंत्र होती है।
वे एक दुसरे पर निर्भर नही रहती।”

खुद पर विजय प्राप्त करना,
लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.

एक साधक हमेशा ऐसे शब्द बोलता है
जो सीमित हों और नपे-तुले हों और सभी
जीवित व्यक्तियों और प्राणियों के लिए लाभकारी हों।

स्वयं पर विजय प्राप्त करना लाखों
शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.

सभी जीवों की आत्मा केवल अकेले ही आती है
और अकेले ही चली जाती है, उसका न कोई साथ देता है
और न ही उसका कोई दोस्त बनता है।

“एक व्यक्ति जलते हुए जंगल में एक ऊँचे पेड़ पर बैठा था।
वह सभी जीवीत प्राणियों को मरते हुए देख रहा था,
लेकिन वह यह नही समझ पाया की जल्द ही
उसकी भी वही दशा होने वाली है। मुर्ख है ऐसे आदमी!!!”

दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो,
सब कुछ दो पर प्रभु किसी को,
जग में ऐसा हृदय न दो..

वाणी के अनुशासन में असत्य बोलने से
बचना और मौन का पालन करना शामिल है।

शांति और आत्मनियंत्रण अहिंसा है..

किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व को
मिटाने की अपेक्षा उसे शांति से जीने दो,
और खुद भी शांति से जीने की कोशिश करो,
तभी आपका कल्याण होगा।

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

“आत्मा की सबसे बड़ी गलती
अपने वास्तविक रूप को ना पहचानना है,
और यह केवल खुद को
जानकार ही ठीक की जा सकती है।”

किसी को चुगली नहीं करनी चाहिए
और ना ही छल-कपट में लिप्त होना चाहिए।

क्रोध और अधिक क्रोध को जन्म देता है,
और क्षमा और प्रेम और अधिक
क्षमा और प्रेम को जन्म देते हैं.

अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म होता है,
जो सभी जीवो के कल्याण की कामना करता है।

“भगवान का कोई अलग अस्तित्व नही है।
हम सभी सही दिशा में अच्छी कोशिशे कर के
भगवानो जैसी शक्तिया प्राप्त कर सकते है।”

हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है.
घृणा से मनुष्य का विनाश होता है.
सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है…

किसी को तब तक नहीं बोलना चाहिए जब तक
उसे ऐसे करने के लिए कहा न जाय.
उसे दूसरों की बातचीत में व्यवधान नहीं डालना चाहिए।

इंसान खुद अपने दोष के कारण ही दुःखी रहते है,
अगर वो चाहे तो अपनी गलती
सुधारकर खुश रह सकते है।

“हर एक आत्मा अपने आप में ही
सर्वज्ञ (परिपूर्ण) और आनंदित है।
आनंद कभी बाहर से नहीं आता।”

वह व्यक्ति जो नग्न रहता हो या फटे-चिथड़े कपड़े
पहनता हो जिस के बाल उलझे हुए या गुच्छेदार हों
या उसका सिर मुंडा हुआ हो,
तो ये सब व्यर्थ और निष्फल है
अगर वह झूठ बोलता है तो।

आत्मा से परे कोई भी आपका दुश्मन नहीं है.
असली शत्रु तो आपके भीतर विद्यमान हैं.
वे हैं – क्रोध, अहंकार, लोभ और घृणा.

इस दुनिया में हर एक प्राणी स्वतंत्र है,
कोई भी किसी ओर पर निर्भर नही करता है।

एक सच्चा इंसान उतना ही विश्वसनीय है जितनी माँ,
उतना ही आदरणीय है जितना गुरु और उतना ही
परमप्रिय है जितना ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।

सभी जीवों के प्रति
सम्मान अहिंसा है.

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

त्याग की बात तो हर कोई करता है,
सत्य का नारा तो हर कोई लगाता है,
उतारे कथनी को करनी बनाकर जीवन में,
ऐसा वर्धमान महावीर तो एक ही हुआ करता है।

“सभी इंसान अपनी ही
गलतियों की वजह से दुखी होते है,
और वे खुद अपनी गलतिया सुधारकर खुश हो जाते है।”

किसी आत्मा की सबसे बड़ी
गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है ,
और यह केवल आत्म ज्ञान
प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है..

केवल सत्य ही
इस दुनिया का सार है।

ईश्वर का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है.
हर कोई सही दिशा में सर्वश्रेष्ट प्रयास कर
के देवत्त्व को प्राप्त कर सकता है.

एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है,
वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है.
लेकिन वह यह नहीं समझता की
जल्द ही उसका भी यही हश्र होने वाला है,
वह आदमी मूर्ख है..

बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु से ऊपर उठ जाता है
जो सत्य के प्रकाश से प्रबुद्ध हो..।

ईमानदारी से, एक व्यक्ति शारीरिक, मानसिक
और भाषाई स्पष्टवादिता और सामंजस्यपूर्ण
प्रवृत्ति प्राप्त कर सकता है,
यानी कथनी और करनी में अनुरूपता.

Read Also: महाकवि बिहारी लाल के प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित

किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ,
शांतिपूर्वक जिओ और दुसरो को भी जीने दो.

जिस प्रकार आप दुःख पसंद नहीं करते उसी तरह
और लोग भी इसे पसंद नहीं करते. ये जानकर,
आपको उनके साथ वो नहीं करना चाहिए
जो आप उन्हें आपके साथ नहीं करने देना चाहते।

प्रत्येक जीव स्वतंत्र है,
कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता..

किसी जीवित प्राणी को मारे नहीं.
उन पर शाशन करने का प्रयास नहीं करें।

आपात स्थिति में मन को
डगमगाना नहीं चाहिये..

जो लोग जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य से अनजान हैं
वे व्रत रखने और धार्मिक आचरण के नियम मानने
और ब्रह्मचर्य और ताप का पालन करने
के बावजूद निर्वाण (मुक्ति) प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे।

Bhagwan Mahavir Quotes in Hindi

अज्ञानी कर्म का प्रभाव ख़त्म करने के
लिए लाखों जन्म लेता है जबकि आध्यात्मिक
ज्ञान रखने और अनुशासन में रहने
वाला व्यक्ति एक क्षण में उसे ख़त्म कर देता है।

केवल वही विज्ञान महान और सभी विज्ञानों में श्रेष्ठ है,
जिसका अध्यन मनुष्य को सभी
प्रकार के दुखों से मुक्त कर देता है।

एक जीवित शरीर केवल अंगों और मांस का एकीकरण नहीं है,
बल्कि यह आत्मा का निवास है जो संभावित
रूप से परिपूर्ण धारणा, संपूर्ण ज्ञान,
परिपूर्ण शक्ति और परिपूर्ण आनंद है ।

प्रत्येक जीव स्वतंत्र है.
कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता।

प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और
आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता।

एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है.
वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है.
लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही
उसका भी यही हस्र होने वाला है. वह आदमी मूर्ख है।

शुद्ध चेतना की अवस्था में रहने वाला,जो सुख
और दुःख के बीच में समनिहित
रहता है वह एक श्रमण है।

केवल वह व्यक्ति जो भय
को पार कर चुका है,
समता को अनुभव कर सकता है।

जीतने पर गर्व ना करें.
ना ही हारने पर दुःख।

Read Also

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment