Bahula Chauth Kyu Manaya Jata Hai: भारतीय संस्कृति में त्योहारों को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया जाता हैं। भारतीय संस्कृति में ही नहीं बल्कि पुरे भारतवर्ष में कई त्यौहार मनाये जाते हैं। यह त्योंहार हमें हमारी धार्मिक आस्था से जोड़े रखते हैं। इन त्योंहार की सूची में एक त्यौहार ऐसा भी हैं, जिसका अपना अलग ही महत्त्व हैं। इस त्यौहार को हमारी संस्कृति में बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है।
बहुला चौथ क्यों मनाई जाती है? महत्व और इतिहास | Bahula Chauth Kyu Manaya Jata Hai
बहुला चौथ क्या है?
इस त्यौहार को गुजरात राज्य में मुख्य रूप में मनाया जाता हैं। गुजरात के अलावा भी इस त्यौहार को देश के कई अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को किसानों द्वारा मनाया जाता हैं, जिसमें गाय और उसके बछड़े की पूजा करते हैं। यह त्यौहार गाय और उसक बछड़े की पूजा से सम्बंधित हैं, जो माँ और बेटे के बीच के रिश्तों को समझाता हैं।
बहुला चौथ का इतिहास
प्राचीन काल से ही इस चतुर्थी को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता आ रहा हैं। यह एक संकटनाशक चतुर्थी के रूप में भी मनाई जाती हैं। इस चतुर्थी की कई पौराणिक कथाएँ और महत्त्व हैं, जिसमें यह बताया जाता हैं कि माताएं कुम्हारों द्वारा मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय-श्रीगणेश तथा गाय की प्रतिमा बनवा कर मंत्रोच्चारण तथा विधि-विधान के साथ इसे स्थापित करके पूजा-अर्चना करने की मान्यता है।
बहुला चौथ का महत्त्व
इस त्यौहार को गुजरात के किसानों द्वारा सबसे ज्यादा मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को भगवान कृष्ण के अनुयायियों के रूप में माना जाता हैं। भगवान कृष्ण के जीवन में गायों का काफी महत्त्व था। भगवान कृष्ण गायो को बहुत मान देते थे, यही कारण हैं कि अपने पिछले जन्म के पाप की माफ़ी मांगने के लिए इस त्यौहार को मनाया जाता हैं।
बहुला चौथ कब मनाई जाती हैं | Bahula Chauth kab manai jaati hai ?
इस त्यौहार को हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को भगवन श्री कृष्ण को खुश करने के लिए किया जाता हैं। गायों की सुरक्षा और रक्षा से सम्बंधित भी यह त्यौहार सम्बंधित हैं।
हमारे हिन्दू धर्म में इस त्यौहार को काफी महत्त्व दिया जाता हैं। इस त्यौहार को हर साल बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं।
बहुला चौथ पूजा की तैयारी कैसे करें?
हमारे भारतीय त्यौहार में हर त्यौहार की भांति इस त्यौहार को भी सबसे पवित्र माना जाता हैं। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठ कर घर के काम कर, घर की साफ़-सफाई करती हैं। सुबह जल्दी उठ कर महिलाएं साफ़ कपड़े पहनती हैं। महिलाएं इस दिन पुरे दिन व्रत रखती हैं।
पूजा वाले दिन महिलाओं को सुबह और शाम को दोनों समय गाय और बछड़े की पूजा करनी होती हैं। धार्मिक ग्रंथो में इन दिन होने वाले व्रत को पवित्र और अच्छा माना जाता हैं। इस व्रत का समापन गाय और उसके बछड़े की पूजा करने से होता है। इस पूजा के अपने कई अलग-अलग मायने हैं। बहुला चौथ को धार्मिक ग्रंथों में काफी मान्यताएं दी जाती हैं।
निष्कर्ष
हमारे देश में धार्मिक मान्यताओं के साथ कई त्यौहार मनाये जाते हैं। उन सभी त्योहारों में यह त्यौहार भी शामिल हैं। हमारे देश में बहुला चौथ का भी काफी ज्यादा महत्त्व हैं। इस त्यौहार को भी हमारे देश काफी धूम धाम से मनाया जाता हैं।
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