Home > General > Ramapir Bij Date 2026 | रामापीर बीज 2026 | 12 Bij Ramapir 2026

Ramapir Bij Date 2026 | रामापीर बीज 2026 | 12 Bij Ramapir 2026

Ramapir Bij Date: राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता बाबा रामदेव जी जिन्हें रामसा पीर के नाम से भी जाना जाता है। उनकी बीज (दूज) की मान्यता काफी अधिक है। बाबा की दूज का व्रत करने से सभी दुःख, पीड़ा आदि दूर हो जाती है।

यहां पर बाबा रामदेव जी की बीज कब है 2026 (ramapir bij 2026) के बारे में जानेंगे। साथ ही भादवी बीज कब है (bhadvi beej) के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

बाबा रामदेव जी कौन है?

नामबाबा रामदेव जी
अन्य नामरामसा पीर, रूणीचा रा धणी, बाबा रामदेव
जन्मचैत्र सुदी पंचमी, विक्रम संवत 1409
जन्मस्थानरूणीचा (रामदेवरा), राजस्थान
जीवनकाल33 वर्ष
पिताअजमल जी तंवर
मातामैनादे
भाईबीरमदेव
बहनसगुना और लांछा (चचेरी बहनें)
पत्नीनैतलदे (विक्रम संवत 1426)
संतानसादोजी और देवोजी (दो पुत्र), फूल कँवर (पुत्री)
मुख्य-मंदिररामदेवरा, जैसलमेर (राजस्थान)
प्रसिद्धिलोकदेवता, समाज सुधारक
वंशतंवर
सम्प्रदाय/पंथकामड़िया
धर्महिन्दू
घोड़े का नामलीलो
गुरूबालीनाथ
निधन (जीवित समाधी)भादवा सुदी एकादशी, विक्रम संवत 1442
समाधी-स्थलरामदेवरा (रुणिचा नाम से विख्यात)

बाबा रामदेव जी का अवतार चैत्र सुदी पंचमी, विक्रम संवत 1409 को राजस्थान के जैसलमेर जिले के रामदेवरा में हुआ था। इनके पिता का नाम राजा अजमाल जी और माता का नाम रानी मैनादे था।

रामदेवजी के एक बड़े भाई थे, जिनका नाम बीरमदेव था तथा दो बहनें भी थी, जिनका नाम सगुना और लांछा था। सगुना बाई का विवाह पुंगलगढ़ के पडिहार राव विजयसिंह के साथ हुआ था।

बाबा रामदेव जी का विवाह अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ संवत् 1426 में हुआ था। रामदेवजी के दो पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्रों का नाम सादोजी व देवोजी और पुत्री का नाम चाँद कँवर था।

यह भी पढ़े: बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास

बाबा की बीज कब है 2025 (Ramapir Bij Date 2025)

क्र.सं.दिनांकवारमहिना
122 नवम्बर 2025शनिवारमार्गशीर्ष
222 दिसम्बर 2025सोमवारपौष

बाबा की बीज कब है 2026 (Ramapir Bij Date 2026)

क्र.सं.दिनांकवारमहिना
120 जनवरी 2026मंगलवारमाघ
219 फरवरी 2026गुरुवारफाल्गुन
320 मार्च 2026शुक्रवारचैत्र
419 अप्रैल 2026रविवारबैशाख
518 मई 2026सोमवारज्येष्ठ
616 जून 2026मंगलवारज्येष्ठ
716 जुलाई 2026गुरुवारआषाढ़
814 अगस्त 2026शुक्रवारश्रावण
913 सितम्बर 2026रविवारभाद्रपद
1012 अक्टूबर 2026सोमवारआश्विन
1111 नवम्बर 2026बुधवारकार्तिक
1211 दिसम्बर 2026शुक्रवारमार्गशीर्ष
ramapir bij 2026 list
baba ki beej 12 bij ramapir 2026

Bhadarvi Bij 2026 Date

साल 2026 में भादवी बीज रविवार 13 सितम्बर को है।

बाबा की बीज कब है 2027 (Ramapir Bij Date 2027)

क्र.सं.दिनांकवारमहिना
19 जनवरी 2027शनिवारपौष
28 फरवरी 2027सोमवारमाघ
310 मार्च 2027बुधवारफाल्गुन
48 अप्रैल 2027गुरुवारचैत्र

बाबा रामदेव जी की आरती का समय

यहाँ पर बाबा रामदेव जी के मंदिर में होने वाली सभी आरतियों का विवरण दिया है। मुख्य रूप से यही समय रहता है लेकिन मौसम के अनुसार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इसमें परिवर्तन किया जाता है।

क्र.सं.आरती का नामआरती का समय
01मंगला आरतीसुबह 04:30 बजे
02भोग आरतीसुबह 08:00 बजे
03श्रृंगार आरतीअपराह्न 04:00 बजे
04संध्या आरतीसायं 07:30 बजे
05शयन आरतीरात्रि 09:00 बजे

यह भी पढ़े: बाबा रामदेवजी का भादवा मेला कब है?

बाबा रामदेव जी का बीज मंत्र

नम्रो भगवते नेतल नाथाय, सकल रोग हराय सर्व सम्पति कराय,
मम मनोभिलाषितं देहि देहि कार्यम्‌ साधय, ॐ नमो रामदेवाय स्वाहा।।

बाबा की बीज का व्रत रखने की विधि

व्रत या उपवास धार्मिक आस्था में तो वृद्धि करते ही हैं, स्वास्थ्य में भी लाभकारी सिद्धहोते हैं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए महान संत बाबा रामदेव जी ने अपने अनुयायियों को दो व्रत रखने का आदेश उपदेश दिया।

प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की दूज व एकादशी बाबा की दृष्टि में उपवास के लिए अति उत्तम थी और बाबा के अनुयायी आज भी इन दो तिथियों को बड़ी श्रद्धा से उपवास रखते हैं। दूज (बीज) के दिन से चन्द्रमा में बढ़ोतरी होने लगती है।

यही कारण है कि दूज को बीज की संज्ञा दी नई है। बीज यानि विकास की अपार संभावनाएं वट वृक्ष के छोटे से बीज में उसकी विशाल शाखाएं, जटाएं, जड़ें, पत्ते व फल समाये रहते हैं। इसी कारण बीज भी आशावादी प्रवृति का घोतक है और दूज को बीज कारूप देते हुए बाबा ने बीज व्रत का विधान रचा ताकि उत्तरोतर बढ़ते चंद्रमा की तरह ही ब्रत करने वाले के जीवन में आशावादी प्रवृति का संचार हो सके।

प्रात:काल नित्कयर्म से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें। (इससे पूर्व रात्रि व दूज की रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करें) फिर घर में बाबा के पूजा स्थल पर पगलिये या प्रतिमा जो भी आपने प्रतिष्ठित कर रखी हो, उसका कच्चे दूध व जल से अभिषेक करें और गूगल धूप खेवें।

तत्पश्चात पूरे दिन अपने नित्य कर्म बाबा को हर पल याद करते हुए करें, पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीँ करें। चाय, दूध, कॉफी व फलाहार लिया जा सकता है।

वैसे तो बीज ब्रत में व अन्य व्रतों में कोई फर्क नहीं है, मगर baba ki beej का व्रत सूर्वास्त के बाद चन्द्रदर्शन के बाद ही छोड़ा जाता है। यदि बादलों के कारण चन्द्रदर्शन नहीं हो सके तो बाबा की ज्योति का दर्शन करके भी व्रत छोड़ा जा सकता है। व्रत छोड़ने से पहले साफ लोटे में शुद्ध जल भर लेवें और देशी घी की बाबा की ज्योति उपलों के अंगारों की करें।

इस ज्योति में चूरमे का बाबा को भोग लगावें। जल वाले लोटे में ज्योति की थोड़ी भभूति मिलाकर पूरे घर में छिड़क देवें। तत्पश्चात शेष चरणामृत का स्वयं भी आचमन करें व वहां उपस्थित अन्य लोगों को भी चरणामृत दें। चूरमे का प्रसाद लोगों को बांट देवें।

इसके बाद पांच बार बाबा के बीज मंत्र का मन में उच्चारण करके व्रत छोड़ें। इस तरह पूरे मनोयोग से किये गये व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। किसी भी विपति से रक्षा होती है व रोग-शोक से भी बचाव होता है।

निष्कर्ष

यहाँ पर baba ri beej 2026 (बाबा की बीज कब है) के बारे में विस्तार से जानकारी शेयर की है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

यह भी पढ़े

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Comments (12)

    • हमने 2022 में आने वाली सभी बीज की दिनांक, वार और महिने के नाम के साथ अपडेट कर दी है। आपकी सुविधा के लिए आने वाले वर्ष 2023 की भी आधी सूची लिखी है।

      प्रतिक्रिया

Leave a Comment