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बाबा आमटे का जीवन परिचय

Baba Amte Biography in Hindi: आज हम आपको ऐसी शख्सियत से परिचय करवाने जा रहे हैं, जिनका जीवन हमारे लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। इन्होनें अपना सम्पूर्ण जीवन जरूरतमंदों और कुष्ठरोगियों की मदद में लगा दिया। इसके अलावा उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भी अहम भूमिका अदा की थी।

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Baba Amte Biography in Hindi

जी हां, हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र में जन्मे बाबा आमटे की। इनके समाज में अहम योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रीय भूषण, पद्म विभूषण और मैग्‍सेसे सहित कई पुरष्कार मिल चुके हैं।

बाबा आमटे का जीवन परिचय | Baba Amte Biography in Hindi

बाबा आमटे जीवनी एक नजर में (Baba Amte in Hindi)

पूरा नामडॉ. मुरलीधर देवीदास आमटे
जन्म26 दिसम्बर 1914, हिंगनघाट, वर्धा (महाराष्ट्र)
निधन9 फरवरी 2008, वड़ोरा, चंद्रपुर (94 वर्ष में)
माता-पितालक्ष्मीबाई आमटे, देविदास आमटे
पत्नीसाधना आमटे
शिक्षाM.A., L.L.B.
Biography of Baba Amte in Hindi

बाबा आमटे कौन थे?

बाबा आमटे भारत के इतिहास के एक ऐसे समाज सुधारक व्यक्ति थे, जिन्होंने जाति के आधार पर भेदभाव को स्वीकार ना करते हुए इसके विरुद्ध बहुत से आंदोलन किए और बाबा आमटे स्कूली पढ़ाई के समय से ही अनेकों प्रकार के समाज सुधार कार्य किये हैं। बाबा आमटे महात्मा गांधी तथा विनोबा भावे के विचारों से बेहद प्रभावित थे। इसलिए उन्होंने सम्पूर्ण भारत का दौरा कर गावों में बेहद सिमित संसाधनों में जीवन यापन करने वाले लोगों की समस्याओं को समझने की कोशिश की।

भारतीय इतिहास के समाजसेवी के लिए बाबा आमटे ने बहुत ही महान कार्य किया है। भारत छोड़ो आंदोलन के समय महात्मा गांधी के साथ मिलकर बाबा आमटे ने अपनी फौज के साथ समाजसेवियों को कारावास में डाले जाने से रोक लगाया था और बाबा आमटे के वजह से ही भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को मुक्त कराया।

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बाबा आमटे ने महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर खुद के सभी विचारों को भी महात्मा गांधी का विचार ही कहा और खुद के वाणी को महत्व गांधीवाद नाम दिया और इतना ही नहीं बाबा आमटे ने अपने पूरे के पूरे जीवन को महात्मा गांधी के आश्रम में ही समर्पित कर दिया।

उनका देश की आज़ादी में भी अहम योगदान रहा। वे कुछ समय के लिए शहीद राजगुरु के साथी रहे। बाद उन्होंने गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर अहिंसा के रास्ते को अपनाया।

यह भी पढ़े: बाबा आमटे के अनमोल विचार

बाबा आमटे का अन्य नाम

बाबा आमटे के बचपन का नाम उनके माता-पिता के द्वारा बड़ी ही प्यार से मुरलीधर देवीदास आमटे रखा गया था। बाबा आमटे ने पीएचडी की पढ़ाई में महारत हासिल की और अतः इस प्रकार से इन्होंने डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। इस प्रकार से बाबा आमटे का पूरा नाम डॉक्टर मुरलीधर देवीदास आमटे उर्फ बाबा आमटे पड़ा।

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बाबा आमटे ने देश सुधार के लिए अनेकों समाज सुधार कार्य किए और इन सभी कार्यों को ध्यान में रखते हुए बाबा आमटे लोगों को इतने प्यारे हो गए कि उन्होंने उनके असली नाम के जगह इन्हें बाबा आमटे कहना शुरू कर दिया।

बाबा आमटे का जन्म

डॉ. मुरलीधर देवीदास आमटे उर्फ़ बाबा आमटे का जन्म 26 दिसम्बर 1914 को हिंगनघाट शहर में हुआ, जो महाराष्ट्र के वर्धा जिले में स्थित हैं। बाबा आमटे बेहद धनी परिवार में पैदा हुए थे, वे बचपन में सोने के पालने में सोते थे और चांदी के चम्मच से खाना खाते थे।

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इनका रेशमी कुर्ता, जरी की टोपी और शाही जूतियां इनकी वेशभूषा इनको बाकि बच्चों से अलग बनाती थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि इनका बचपन किसी राजकुमार से कम नहीं था।

बाबा आमटे का पारिवारिक संबंध

बाबा आमटे के पिता का नाम देविदास व माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था। इनके पिता अंग्रेजी सरकार में डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर और रेवेन्यु कलेक्शन में अफसर थे।

युवा अवस्था में इनको तेज गति में गाड़ी चलाना और हॉलीवुड की फ़िल्में देखना पसंद था। वे अंग्रेजी फिल्मों पर इतनी दमदार समीक्षाएं लिखते थे कि अमेरिकन अदाकारा नोर्मा शियरर ने पत्र लिखकर उनकी समीक्षाओं की प्रशंसा की।

बाबा आमटे का प्रारंभिक जीवन

बाबा आमटे ने प्रारंभिक जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं किया। क्योंकि बाबा आमटे एक धनी परिवार में पैदा हुए थे। धनी परिवार में पैदा होने के कारण में इन्होंने कभी भी अपने पैसों का दुरुपयोग नहीं किया और उन्होंने अपने सभी धन को देश के लोगों के हित में समर्पित कर दिया और खुद को महात्मा गांधी के आश्रम में रखा।

बाबा आमटे रोगियों के मसीहा के रूप में उभर कर सामने आए थे, जिस प्रकार मदर टेरेसा विनोदा भावे और महात्मा गांधी ने लोगों में भेदभाव ना करते हुए लोगों की सेवा करना चाहते थे। ठीक उसी प्रकार बाबा आमटे ने भी सभी इंसानों को एक समान समझकर उन्हें रोग मुक्त करने के लिए समाज सुधार कार्य करते थे।

हमने आपको बताया कि बाबा आमटे धनी थे, परंतु उन्होंने जिंदगी सारी सुविधाएँ छोड़कर गरीबों दुखियों और रोगियों में लगा दी और अपने पूरे के पूरे जीवन को ऐसे ही लोगों के जीवन को सुधारने में समर्पित कर दिया।

बाबा आमटे को प्राप्त शिक्षा

बाबा आमटे शुरू से जाति के आधार पर भेदभाव को स्वीकार नहीं करते थे। उनके लिए सभी एक समान थे और सभी से एक जैसा ही व्यवहार करते थे। बाबा आमटे की स्कूली पढाई नागपुर के क्रिस्चियन मिशन स्कूल में हुई तथा कॉलेज की पढ़ाई में उन्होंने एल.एल.बी (LLB) कानूनी पढाई नागपुर विश्वविद्यालय से पूरी की।

बाबा आमटे ने अपनी कानूनी पढ़ाई का उपयोग करते हुए देश के उन सभी नियमों को बेहद बारीकी से समझा और लोगों को नियमों के अनुसार चलने का पाठ पढ़ाया और इसके बाद उन्होंने अपने इसी पढ़ाई का उपयोग करते हुए देश के स्वतंत्रता सेनानियों को भारत छोड़ो आंदोलन के समय कारावास में डालने से भी बचाया था।

किससे हुए थे बाबा आमटे प्रेरित

बाबा आमटे अपनी प्रेरणा किसी और को नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और विनोद भावे को बताते हैं। बाबा आमटे महात्मा गांधी तथा विनोबा भावे के विचारों से बेहद प्रभावित थे। इसलिए उन्होंने सम्पूर्ण भारत का दौरा कर गावों में बेहद सिमित संसाधनों में जीवन यापन करने वाले लोगों की समस्याओं को समझने की कोशिश की।

उनका देश की आज़ादी में भी अहम योगदान रहा, वे कुछ समय के लिए शहीद राजगुरु के साथी रहे। बाद उन्होंने गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर अहिंसा के रास्ते को अपनाया। बाबा आमटे के लिए अहिंसा का मार्ग बहुत ही ज्यादा कठिन था, इसलिए इन्होंने कानून की पढ़ाई की और अहिंसा का समर्थन करते हुए कानून का पालन करते हुए देश के लिए अपने जीवन को समर्पित किया।

बाबा आमटे के द्वारा किए गए समाज सुधार कार्य

जैसा कि हम सब ने अब तक यह जाना कि बाबा आमटे ने वकालत की पढ़ाई पूरी की थी और इन्होंने भारत की आजादी के लिए भी अपना योगदान दिया था। परंतु इतना ही नहीं इसके साथ-साथ बाबा आमटे ने स्वतंत्रता सेनानियों को कानून सिखाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी बनने की सोची।

भारत के अंग्रेजी साम्राज्य से आजादी दिलाने के लिए भारतीय नेताओं के बचाव के लिए उनके वकील के रूप में कार्य करने लगे। इस प्रकार बाबा आमटे ने खुद को समाज सुधारक के साथ-साथ एक कुशल स्वतंत्रता सेनानी भी साबित हुए। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार द्वारा कारावास में डाले गये सभी भारतीय नेताओं का बाबा आमटे ने ही बचाव किया था।

बाबा आमटे गांधीवाद से अच्छे-खासे प्रभावित थे, इसलिए कुछ समय उन्होंने गांधीजी के सेवाग्राम आश्रम में बिताया। महात्मा गांधी खुद बाबा आमटे के समाज सुधार कार्य से इतनी ज्यादा प्रभावित हुए थे कि इन्होंने बाबा आमटे को स्वयं “अभय साधक” नाम दिया था, क्योंकि उनके द्वारा अंग्रेजी सैनिकों द्वारा एक लड़की की जान बचाई गयी थी। बाबा आमटे ने अपने जीवनकाल में कुष्ठरोगियों और गरीबों की बहुत सेवा की।

उन्होंने इनकी सेवा और इलाज के साथ-साथ एक सम्मानजनक जीवन देने के लिए विभिन्न आश्रमों की स्थापना की। बाबा आमटे ने इसकी पहला आश्रम वरोडा (जिला चंद्रपूर, महाराष्ट्र) पास अपने दो पुत्रों और पत्नी साधनाताई के साथ आनंद वन शुरू किया था। धीरे-धीरे लोगों में आनंद वन का प्रचार होने लगा निरंतर नए-नए रोगी आने लगे।

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बाबा आमटे द्वारा स्थापित आनंदवन का मूल मन्त्र ‘श्रम ही है श्रीराम हमारा’ की गूंज पूरे देश में होने लगी। वर्तमान में यह आनंद वन एक स्वस्थ, आनंदमयी और कर्मयोगियों की एक बस्ती के रूप में स्थापित हो चुका है। कभी भीख मांगकर और समाज में अपमानित जीवन जीने वाले लोग आज आनंद वन में अपनी आवश्यकता की वस्तुएं स्वयं पैदा कर रहे है।

बाबा आमटे ने आनंद वन आश्रम के साथ ही कुष्ठ रोगियों के लिए कई अन्य आश्रमों की स्थापना भी की जिसमें सोमनाथ, अशोकवन आदि आश्रम प्रमुख है। इन आश्रमों में हजारों रोगियों का इलाज किया जाता है। बाबा आमटे द्वारा स्थापित सभी आश्रम आज हजारों हताश और निराश कुष्ठ रोगियों के लिए आशा और सम्मान पूर्वक जीवन जीने के केंद्र बने हुए हैं।

बाबा आमटे ने अपना सारा जीवन समाज और सामाजिक कार्यों में समर्पित कर दिया। उन्हें लोगों में सामाजिक एकता की भावना को जाग्रत करने, जंगली जानवरों का शिकार रोकने और नर्मदा बचाव आन्दोलन जैसे सामाजिक कार्यों को देखते हुए 1971 में पदम श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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इन सभी समाज सुधार कार्यों के बाद बाबा आमटे ने 1990 में मेधा पाटकर के साथ नर्मदा बचाओ आन्दोलन के लिए आनंद वन छोड़ दिया और नदी पर सरदार सरोवर बांध बनाने के लिए संघर्ष करना शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने स्थानीय लोगों द्वारा नर्मदा में की जाने वाली गंदगी को रोकने की भी कोशिश की और बाबा आमटे इसमें सफल भी रहे। बाबा आमटे ने अपनी सभी कोशिशों को सच कर दिया और भारत के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया।

बाबा आमटे का मार्मिक निधन

समाजसेवी डॉक्टर मुरलीधर देवीदास आमटे उर्फ बाबा आमटे का 94 वर्ष की उम्र में 9 फरवरी 2008 को वड़ोरा, चंद्रपुर जिले में उनके ही निवास स्थान पर देहावसान हो गया।

बाबा आमटे की पत्नी साधना आमटे भी समाज सेवा में कदम से कदम मिलकर इनका साथ देती थी। बाबा आमटे के दो बेटे और उनकी पत्नी सभी डॉक्टर है। उनका पूरा परिवार सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा अग्रणी रहता है।

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बाबा आमटे का व्यक्तिगत जीवन

बाबा आमटे की पत्नी का नाम साधना आमटे था, जो बाबा आमटे के साथ मिलकर ही समाज सेवा का कार्य किया करती थी। इतना ही नहीं बाबा आमटे ने अपने प्रभाव अपने परिवार के सभी सदस्यों पर डाला और बाबा आमटे के दोनों बेटे और उनकी पत्नी भी डॉक्टर बनी और लोगों के हित में समाज सुधार कार्य करती हैं। आज भी उनके बेटे समाज सुधार कार्य के लिए जाने जाते हैं।

बाबा आमटे कि साहित्य क्षेत्र में उपलब्धि

बाबा आमटे समाजसेवी होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध एवं कुशाग्र बुद्धि वाले लेखक थे, जिन्होंने ज्यादा तो नहीं बल्कि दो कृतियों का संपादन किया। बाबा आमटे की यह दोनों ही कृतियां बहुत ही ज्यादा पसंद की जाती हैं, जो निम्नलिखित प्रकार से हैं:

  1. “ज्वाला आणि फुले” नामक काव्यसंग्रह
  2. “उज्ज्वल उद्यासाठी” नामक काव्य

बाबा आमटे के सम्मान व पुरष्कार

बाबा आमटे को इनकी महान कार्य के लिए भारत सरकार के द्वारा भारत के सबसे बड़े पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और इतना ही नहीं बाबा आमटे को इनकी जन्म स्थली महाराष्ट्र के सर्वोच्च पुरस्कार महाराष्ट्र भूषण से भी सम्मानित किया गया।

इन सभी के अलावा बाबा आमटे को अन्य लगभग 40 से 50 पुरस्कार प्राप्त है, जिनकी सूची नीचे निम्नलिखित रुप से दर्शाई गई है और इन सभी पुरस्कारों के सामने उनके कार्य को भी दर्शाया गया है:

  1. कुष्ठ रोग के क्षेत्र में कार्य करने के लिए बाबा आमटे को 1983 में डेमियन डट्टन पुरस्कार दिया गया।
  2. 1983 में रामशास्त्री अवार्ड, राम्शात्री प्रभुने संस्था, महाराष्ट्र, भारत।
  3. 1978 में राष्ट्रिय भुषण, FIE फाउंडेशन इचलकरंजी (भारत)।
  4. 1985 को रेमन मैगसेसे अवार्ड से बाबा आमटे को सम्मानित किया गया, जिसे एशिया का नोबेल पुरष्कार कहा जाता है।
  5. 1985 में इंदिरा गांधी मेमोरियल अवार्ड, मध्य प्रदेश सरकार।
  6. 1987 में फ्रांसिस मश्चियो प्लैटिनम जुबिली अवार्ड, मुंबई।
  7. 1987 में जी.डी. बिरला इंटरनेशनल अवार्ड।
  8. 1988 में फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री अवार्ड।
  9. मानवता के लिए अहम योगदान के लिए बाबा आमटे को 1988 में घनश्यामदास बिड़ला अन्तराष्ट्रीय अवार्ड दिया गया।
  10. 1988 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मान।
  11. 1990 में धर्म के क्षेत्र में नोबेल पुरष्कार के नाम जाना जाने वाला टेम्पलटन पुरष्कार जिसमें 8,84,000 डॉलर की धन राशि दी जाती है।
  12. 1991 में ग्लोबल 500 संयुक्त राष्ट्र सम्मान।
  13. 1991 में कुसुमाग्रज पुरस्कार।
  14. 1991 में महादेव बलवंत नातू पुरस्कार, पुणे (महाराष्ट्र)।
  15. 1991 में आदिवासी सेवक पुरस्कार।
  16. 1992 में डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर दलित मित्र अवार्ड, भारत सरकार।
  17. स्वीडन द्वारा 1992 में राइट लाइवलीहुड सम्मान।
  18. 1994 में श्री नेमीचंद श्रीश्रिमल अवार्ड।
  19. 1995 में कुष्ट मित्र पुरस्कार, विदर्भ महारोगी सेवा मंडल, अमरावती, महाराष्ट्र।
  20. 1995 में फ्रांसिस टोंग मेमोरियल अवार्ड (वोलूंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया)।
  21. भारत सरकार द्वारा 1971 में पद्मश्री।
  22. 1985-86 में पूना विश्वविद्यालय द्वारा दी-लिट की उपाधि।
  23. 1986 में राजा राममोहन राय पुरस्कार।
  24. 1986 में पद्म विभूषण।
  25. 1980 में नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी-लिट उपाधि।
  26. 1980 में एन.डी. दीवान अवार्ड, NASEOH, मुंबई।
  27. 1979 में जमनालाल बजाज सम्मान।
  28. 1997 में सारथी अवार्ड नागपुर, महाराष्ट्र।
  29. 1997 में गृहिणी सखी सचिव पुरस्कार, गदिमा प्रतिष्ठान, महाराष्ट्र।
  30. 1997 में मानव सेवा अवार्ड, (यंग मैन गांधियन एसोसिएशन, राजकोट, गुजरात)।
  31. 1997 में भाई कन्हैया अवार्ड, श्री गुरु हरिकृष्ण शिक्षण संस्था, भटिंडा, पंजाब।
  32. 1997 में महात्मा गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट अवार्ड, नागपुर (महाराष्ट्र)।
  33. 1998 में दिवालिबेन मोहनलाल मेहता अवार्ड, मुंबई।
  34. 1998 में कुमार गन्धर्व पुरस्कार।
  35. 1998 में सावित्रीबाई फुले अवार्ड, भारत सरकार।
  36. 1998 में भगवान महावीर मेहता अवार्ड, मुंबई।
  37. 1998 में सतपुल मित्तल अवार्ड, नेहरु सिद्धांत केंद्र ट्रस्ट, लुधियाना (पंजाब)।
  38. 1998 में बया कर्वे अवार्ड, पुणे (महाराष्ट्र)।
  39. 1998 में अपंग मित्र पुरस्कार।
  40. 1998 में जस्टिस के.एस. हेगड़े फाउंडेशन अवार्ड, कर्नाटक।
  41. 1999 में डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल अवार्ड फॉर सोशल चेंज।
  42. 1999 में गान्धी शांति पुरस्कार।
  43. 2004 में महाराष्ट्र भूषण सम्मान, महाराष्ट्र सरकार।
  44. 2008 में भारथवासा अवार्ड।
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FAQ

बाबा आमटे का जन्म कब हुआ था?

26 दिसम्बर 1914, हिंगनघाट, वर्धा (महाराष्ट्र)

आनंद वन की स्थापना कब हुई?

1949

बाबा आमटे के गुरु कौन कौन थे?

बाबा आमटे महात्मा गांधी तथा विनोबा भावे के विचारों से बेहद प्रभावित थे।

बाबा आमटे किस आंदोलन के नेता थे?

सन 1985 में बाबा आमटे ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोड़ो आंदोलन भी चलाया था।

बाबा आमटे की पत्नी का क्या नाम है?

साधना आमटे।

निष्कर्ष

हमने यहाँ पर बाबा आमटे की जीवनी (Baba Amte ki Jivni) और बाबा आमटे के द्वारा किये गये सामाजिक कार्य के बारे में बताया है। उम्मीद करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आपको इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यह जानकारी आगे शेयर जरूर करें।

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Sawai Singh
Sawai Singh
मेरा नाम सवाई सिंह हैं, मैंने दर्शनशास्त्र में एम.ए किया हैं। 2 वर्षों तक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी में काम करने के बाद अब फुल टाइम फ्रीलांसिंग कर रहा हूँ। मुझे घुमने फिरने के अलावा हिंदी कंटेंट लिखने का शौक है।

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