सिस्टर शिवानी के प्रेरणादायक वचन (B.K. Shivani Quotes in Hindi) – ब्रम्हा कुमारी शिवानी (Bramha Kumari Shivani) को आज सिस्टर शिवानी (Sister Shivani) या बी.के. शिवानी (B.K. Shivani) के नाम से भी जाना जाता है। इनका पूरा नाम शिवानी वर्मा (Shivani Varma) है। इन्हें शिवानी दीदी (Shivani Didi) के नाम से भी पुकारा जाता है। इनका जन्म 19 मार्च 1972 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ। सिस्टर शिवानी आज भारत की एक सफल अध्यात्मिक शिक्षिका (Spiritual Teacher) और प्रेरक वक्ता (Motivational Speaker) भी है।
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सिस्टर शिवानी के प्रेरणादायक वचन (B.K. Shivani Quotes in Hindi) (B.K Shivani Thoughts):
जब I को We में बदल देंगे तो Illness भी Wellness में बदल जायेगा।
सकारात्मक सोच से सदा व्यक्ति तनाव से मुक्त होकर प्रसन्नचित रहता है।
हम नेगेटिव बातों से जितना दूर रहेंगे, उतना ही खुशी के नजदीक रहेंगे।
पाप करना नहीं पड़ता है, हो जाता है और पुण्य होता नहीं, करना पड़ता है।
एक अच्छे इन्सान की यही पहचान है कि वह किसी में बुराई की तुलना में अच्छाई को ज्यादा देखता है।
आप इतने खुश रहें कि जब आपको कोई देखें तो वह भी खुश जाएं।
आपकी मुस्कान आपके चेहरे पर भगवान के हस्ताक्षर है। इसे आंसुओं से धुलने या क्रोध से नष्ट ना होने दें।
बुराई कितनी भी बड़ी क्यू न हो जाए, अच्छाई के सामने हमेशा छोटी ही रहती है।
क्रोध और गुस्सा इन्सान को तभी आता है, जब वह अपने को कमजोर और हारा हुआ मान लेता है।
छोटी सी लड़ाई से हम अपना प्यार खत्म कर लेते है। इससे अच्छा है कि प्यार से हम अपनी लड़ाई ही खत्म कर लें।
आपके अलावा आपकी खुशियों का कोई इंचार्ज नहीं है।
आज के समय में ज्यादातर लोग सिर्फ इसलिए दुखी और असफल है कि वे अपनी अकल के उपयोग की बजाय दूसरों की नकल ज्यादा करते हैं।
अमीर बनने के सिर्फ दो ही तरीके है। आप जो भी चाहते है, उसे पाने की कोशिश मिल गया है, उसमें खुश रहने का प्रयास करें।
अगर आप किसी की खुशियां लिखने वाले पेंसिल नहीं बन सकते है, तो कम से कम एक अच्छा सा इरेजर तो बन ही सकते है। जो उनके दुखों को मिटा सके।
किसी भी चीज का उदाहरण देना बहुत सरल है लेकिन किसी के लिए खुद उदाहरण बनना बहुत ही मुश्किल है।
जब तक आप खुद दुखी नहीं होना चाहते है तब तक कोई आपको दुखी नहीं कर सकता है।
सिर्फ सपने देखने से कुछ नहीं होता सफलता हमेशा प्रयासों से ही हासिल होती है।
बदला लेकर नहीं खुद बदलकर तो देखिए।
दूसरों की नजरों में अच्छा बनने से अच्छा है कि आप खुद की नजरों में अच्छा बनें।
किसी को अपनी वाणी से कष्ट मत पहुचाहिये। आप में भी गलतियां है। दूसरों के पास भी जुबान है, तो सावधान रहिये।
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B.K. Shivani Quotes in Hindi
हर सुनी-सुनाई बात पर यकीन न करिए। एक कहानी के हमेशा तीन पहलू होते हैं। आपका, उनका और सच।
दुखी करने वाले इन चार चीजो से दूर रहिये। आलोचना करना, शिकायत करना, निंदा करना और तुलना करना।
अगर किसी बच्चे को उपहार न दिया जाए तो वो कुछ देर रोयेगा मगर संस्कार ना दिए जाएं तो वो जीवन भर रोयेगा।
जन्म और मृत्यु के बीच में एक छोटा सा अंतराल है। इसलिए इस अंतराल में खुश रहिये और दूसरों को खुश करिए। जीवन के हर पल का आनंद लीजिये।
हम सब के अन्दर एक मैजिक है जो हमारी उर्जा बदल देता है और हमारे प्रति दूसरों की धारणा बदल देता है। उसे ईमानदारी कहते है।
सभी यही कहते है गलती सफलता का पहला कदम है। लेकिन मेरा मानना है कि गलती को सुधारना सफलता का पहला कदम है।
लोग आपको हर्ट करते है, लेकिन भगवान आपको हील करेंगे।
ये दुनिया आपको जज करती हैं, लेकिन भगवान आपको जस्टिफाई करेंगे।
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Brahmakumari Shivani Thoughts
कुछ समय रोज अपने साथ बिताइए, खुद को समझने से औरों को समझना बहुत आसान हो जायेगा।

सत्य की नाव हिलती है, डोलती है, लेकिन कभी डूबती नहीं।

यह बात हर सुबह अपने को याद दिलाएं, सारा दिन अच्छा बीतेगा।

हर एक की सोच, हर एक का नजरिया, हर एक का निर्णय अलग-अलग होता है।

दर्द उनके शब्दों से नहीं, अपने मन के शब्दों से होता है कोई कुछ भी बोले या करें, हम अपने से प्यार से बात करें।

बचपन से अनुभव किया – जिनती बड़ी गलती, उतनी बड़ी सजा।

शक्ति बढ़ाकर, गलती सुधारने के लिए जितनी बड़ी गलती, उतना ज्यादा प्यार।

कोई गलती करता हैं उस वक्त वह अपने कमजोर संस्कारों के वश है। उसे डांटना, मजाक उड़ाना या रूठना, उसकी शक्ति को घटाता है।

हमारे साथ कोई गलत करता है,
हमें बुरा लगना, उनके लिए गलत सोचना,
उनके साथ गलत करना, सही लगता है।
हम जो सोचेंगे और करेंगे वह हमारा कर्म है। हमारा कर्म उनका भाग्य नहीं बनाता, हमारा कर्म हमारा भाग्य बनाता है।
उनके कर्म को देखकर नहीं, उनके भाग्य को देखकर अपना कर्म चुनें।

हम रोज कई लोगों से मिलते हैं, उनके साथ काफी समय निकालते है। ध्यान रखते हैं कि व्यवहार और बोल सही हो, ध्यान रखने से रिश्ता अच्छा होता है। अपने आप के साथ हमेशा रहते हैं, खुद से ध्यान से बात करते हैं?

हम औरों को दुःख देते नहीं हैं, लेकिन उनके व्यवहार से उनसे दुःख ले लेते हैं और फिर कई घंटे, दिन या साल, अपने को दुःख देते रहते है।

किसी को दुःख देना नहीं और किसी से दुःख लेना नहीं।

कोई झूठ बोले, धोखा दे, गलत व्यवहार करे, क्या हम उसके लिए अच्छा सोच सकते हैं?

उनके व्यवहार का और हमारी सोच का कोई मिलान नहीं, वह अपने संस्कार के वश हैं। हमारी सोच तो हमारी पसंद है।

वह हमारे साथ गलत कर रहे हैं, हम तो अपने साथ सही कर लें।

अपनी अन्दर की दुनिया को स्वच्छ रखें, अंदर की दुनिया से बाहर की दुनिया बनती है।

पुरानी बातें पकड़ कर रखने से रिश्तों में गांठे पड़ जाती हैं।

हम उनके साथ बातों को सुलझाना चाहते हैं लेकिन पुरानी बातें इतनी निकल आती हैं, गांठे खुलने के बजाय और बढ़ जाती है जब गांठे खोल ना सकें, उन्हें तोड़ दें।

पुरानी बातों को चित से मिटाकर, प्यार से एक नई शुरुआतकरें।

परिवार को गुड मोर्निंग करने से पहले, सोशल मीडिया पर Goog Morning करने से पहले, सबसे पहले परमात्मा को नमन करें।

सुबह किसी का चेहरा देखना मतलब सुबह मन ने सब से पहले किसको याद किया।

रिश्तों को बाहर से सवारने की मेहनत नहीं, अंदर से नींव मजबूत बनाने का ध्यान रखें।

अंदर पुरानी बातें और नाराजगी पकड़ी है गलतफहमी का एक झोंका, रिश्तों को बिखेरने के लिए काफी है।

मन में कोई उलझन हो…
निर्णय लेना मुश्किल लग रहा हो
रोज सुबह मौन में बैठे, परमात्मा को अपनी उलझन बताएं, जैसे औरों से राय मांगते हैं, परमात्मा से कहें- ”मुझे बताइए मेरे लिए क्या सही है”

लोगों की 5 विशेषताएं और 5 कमजोरियां सुनानी हो तो हमें याद हैं। अपनी विशेषताएं और कमजोरियां सुनानी हो तो हमें मुश्किल लगता है, ऐसा क्यों? क्योंकि हम खुद से ज्यादा दूसरों का चिन्तन करते हैं। ध्यान औरों से हटाकर खुद पर केन्द्रित करें, विशेषताएं बढ़ेगी, कमजोरियों घटेगी।

स्वचिन्तन ही स्व परिवर्तन की सीढी है।

‘’उन्होंने मेरा अपमान किया’’ कितनी बार मैंने ऐसा महसूस किया और आज तक वह दर्द पकड़ा है। उन्होंने अपने संस्कारों अनुसार व्यवहार किया और मैंने उसे अपना अपमान समझ लिया। मुझे मान और महिमा की जरूरत नहीं, कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता।

लोग हमारे अनुसार होंगे, तो हम खुश होंगे.. हम उनके अनुसार होंगे तो वह खुश होंगे.. एक दूसरे की अपेक्षाओं को पूरा करना जब जीवन जीने का तरीका बन जाए तो खुश रहना मुश्किल हो जाता है। वह अपने अनुसार होंगे और हम अपने, एक दूसरे की भिन्नता को स्वीकार कर लें तो खुश रहना सहज और स्वभाविक हो जायेगा।

सात्विक सोचना, बोलना और सुनना रिश्तों को शुद्ध बनाता है।

दुःख उनके व्यवहार से नहीं, अपनी सोच से है, सोच बदलिए, दुःख खत्म हो जायेगा।

मन वही सोचे जो मुझे सुख दे, मुख वही बोले जो दूसरों को सम्मान दें, हाथ वही कर्म करें जो सृष्टि को सुंदर बनाए।

पुरानी बात को मन पर रखना, बात बीत गयी, घाव नहीं भरा,, बात को सोचने से, बोलने से, सुनने से, दर्द बढ़ता है, भूलना मुश्किल होता है.. बोलना और सुनना आज से बंद करते हैं सोच को खत्म करने के लिए, रोज संकल्प -”कर्मों का हिसाब किताब था, पूरा हुआ, उनके लिए सिर्फ प्यार और दुआएं।”
”सोच समझकर बोलो” हम पहले बोल देते हैं..
फिर समझते हैं गलती हो गयी..
फिर सोचते रहते हैं – क्यूं बोला?
”सोच समझकर सोचो” बोल कभी गलत नहीं निकलेगा।
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हम सब के पास लोगों की दुआएं हैं, अपने हर कर्म में लोगों को सुख दें, दुआएं कमाएं दुआओं से जीवन के सारे विघ्न समाप्त हो जायेंगे।

जो धन कमाते हैं, वह जरूरी नहीं दुआएं कमाते हैं। लेकिन जो दुआएं कमाते हैं, वह क्षमता से ज्यादा धन कमाएंगे। धन आराम देता है, दुआएं ख़ुशी, सेहत और प्यारे रिश्ते देती है।
अगर परमात्मा सबका भाग्य लिखते तो दुनिया कैसी होती? परमात्मा भाग्यविधाता है, भाग्य लिखने का विधान सिखाते हैं। परमात्मा हमें सही कर्म करने का ज्ञान और शक्ति देते हैं। हमारा कर्म हमारा भाग्य लिखता है।
हमारे मन के घाव और उनका मरहम दूसरों के व्यवहार पर निर्भर है। यह हमारा भ्रम है, सत्य यह है कि It Depends ONLY and ONLY on ME.

जैसा संग वैसा रंग.. रंग सिर्फ मिलने या बातों से नहीं, जिन्हें हम याद करते हैं, उनके Vibrations का रंग लगता है… सत संग – सत्य परमात्मा का संग.. परमात्मा की याद से उनकी शांति, शक्ति, पवित्रता और प्यार का।
कभी मन कहता है – ”इनसे बात नहीं करनी, यह बात कभी नहीं भूलेगी” कभी मन कहता है -” कोई बात नहीं, छोड़ दो, हम तो सही करें” मन कभी सही सोचता है, कभी गलत। क्योंकि आत्मा में प्यार का संस्कार है और नफरत का भी। जिस संस्कार को ज्यादा Use करेंगे, स्वभाव बनता जायेगा।
कम सोचने और बोलने से हमारी शक्ति बचती है.. कम बोलें, धीरे बोलें, मीठा बोलें Speak Less, Speak Softly, Speak Sweetly. SAVE ENERGY.
बच्चों की गलतियां देखकर हम कह देते हैं -”यह हमेशा ऐसे ही करते हैं, यह इनकी आदत है, कितना समझाओ, इनकी आदत नहीं बदलती..” अपनी सोच और बोल को आशीर्वाद बनाएं -”आप जो चाहोगे.. वह कर सकते हो.. यह आदत बदलना तो बहुत आसान है..” Children BECOME What YOU BELIEVE OF THEM.
Misunderstanding – दूसरे को ना समझना हम दोनों के संस्कार अलग हैं, नजरिया अलग, सोच अलग है। उनके संस्कार समझ ना लेकिन सम्मान कम ना होने देना। यह Understanding.. Misunderstanding खत्म कर देगी।
Image Source: B.K Shivani Official Facebook Page
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