एक राज्य के विकास में मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राजस्थान राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने राजनीतिक जीवन में राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
हालांकि इनका बचपन भी एक सामान्य बच्चे की तरह ही बिता। पिता के साथ देश भर में घूम-घूम कर जादू दिखाने का काम किया करते थे, जिसके कारण इन्हें काफी ज्यादा जानकारी प्राप्त हुई।
इन्होंने अपने सरकार में राजस्थान के लोगों के विकास के लिए कई काम करवाए हैं, जिनमें इनका फ्री दवा वितरण योजना काफी ज्यादा चर्चा में रहा था, जिसे साल 2008 में शुरू किया गया था।
इसके अलावा भी राजस्थान के युवाओं के लिए इन्होंने बहुत सारी भर्तियां जारी करवाई। यही कारण है कि तीन बार राजस्थान सरकार बनाने में सक्षम रहे।
एक राजनीतिक परिवार से ना होने के बावजूद भी इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में बहुत सफलता प्राप्त की।
इस लेख के माध्यम से अशोक गहलोत का प्रारंभिक जीवन (Ashok Gehlot Biography in Hindi), इनका राजनीतिक सफर, परिवार, शिक्षा एवं इनसे संबंधित अन्य जानकारी प्राप्त करते हैं।
अशोक गहलोत का जीवन परिचय (Ashok Gehlot Biography in Hindi)
नाम | अशोक गहलोत |
उप नाम | जादूगर |
जन्म और जन्मस्थान | 3 मई 1951, महामंदिर, जोधपुर (राजस्थान) |
पिता का नाम | स्व. श्री बाबू लक्ष्मण सिंह गहलोत |
माता का नाम | सेवा देवी |
भाई-बहन | अग्रसेन गहलोत (भाई), विमला देवी (बहन) |
पत्नी का नाम | सुनीता गहलोत |
संतान | सोनिया (बेटी), वैभव गहलोत (बेटा) |
पेशा | राजनेता |
शिक्षा | बीएससी, एमए (अर्थशास्त्र), एल.एल.बी |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
कास्ट | माली |
गौत्र | गहलोत |
धर्म | हिन्दू |
संपत्ति | 6.54 करोड़ |
अशोक गहलोत का जन्म और परिवार
अशोक गहलोत का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले में एक सामान्य परिवार में 3 मई 1951 को हुआ था।
इनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री लक्ष्मण सिंह गहलोत था, जो पेशे से एक जादूगर थे। पिता इनके जादू के करतब दिखाने के लिए देश भर की यात्रा करते थे, उनके साथ अशोक गहलोत भी जाया करते थे।
अशोक गहलोत की माता का नाम सेवा देवी है। अशोक गहलोत के एक भाई और एक बहन है। भाई का नाम अग्रसेन गहलोत है। बहन का नाम विमला देवी है।
अशोक गहलोत की पत्नी का नाम सुनीता गहलोत है, जिनसे इनका विवाह 27 नवंबर 1977 को हुआ था।
इनके दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी। इनकी बेटी का नाम सोनिया गहलोत है, जिसकी शादी मुंबई के बिजनेसमैन गौतम अंखाड़ के साथ हुई है।
इनके बेटे का नाम वैभव गहलोत है। इनका बेटा पेशे से वकील है। वर्तमान में राजस्थान कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद पर भी नियुक्त है। इसके अतिरिक्त राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी है।
अशोक गहलोत के बेटे ने राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी किस्मत आजमाई है। वह जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़े थे लेकिन हार हुई।
इनके बेटे की शादी साल 2005 में हिमांशी से हुई है, जो “इन्वेंटिव हेल्पिंग एंड सोसाइटी” नामक एनजीओ का संचालन करती है। अशोक गहलोत की पोती का नाम काश्विनी गहलोत है।
अशोक गहलोत का शैक्षणिक जीवन
अशोक गहलोत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान राज्य के जोधपुर के एक निजी स्कूल से की।
उसके बाद जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जो जोधपुर में स्थित है, वहां से इन्होंने विज्ञान और कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद अर्थशास्त्र विषय से इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।
अशोक गहलोत का शुरुआती करियर
अशोक गहलोत के करियर की शुरुआत उनके ग्रेजुएशन के पढ़ाई के दौरान ही शुरू हो गई थी।
12वीं कक्षा पास करने के बाद जब उन्होंने नारायण व्यास विश्वविद्यालय में दाखिला लिया तो पढ़ाई के दौरान गांधीजी के विचार धारा से काफी ज्यादा संपर्क में आए, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस से जुड़ने का फैसला किया, लेकिन केवल सेवा भाव से ना की राजनीति के तौर पर।
साल 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान काफी शरणार्थी भारत आ रहे थे, जिस दौरान अशोक गहलोत शरणार्थियों की सेवा में करने के लिए पहुंचे। वे पूरे मन से सेवा के काम में लग गए।
यहां पर अशोक गहलोत ने बनगांव और 24 परगना जिले और वेस्ट बंगाल समेत कई जगहों पर शरणार्थियों को कैंपस में रहने की व्यवस्था कराई।
इतना ही नहीं सेवाग्राम, वर्धा और इंदौर में आयोजित शिविरों में भी उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया।
इस दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दौरा किया और उनकी नजर अशोक गहलोत पर पड़ी। अशोक गहलोत को शरणार्थियों के सेवा करते देख उन्हें अशोक गहलोत बहुत मेहनती लगे और उन्हें सलाह दी कि तुम कांग्रेस को ज्वाइन कर लो, लेकिन अभी तुम्हारी उम्र मात्र 20 वर्ष है। 5 वर्ष के बाद तुम चुनाव लड़ पाओगे।
उसके बाद कुछ समय के लिए अशोक गहलोत वर्धा चले गए, जहां पर वह गांधी आश्रम में रहते हुए गांधी जी के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित हो चुके थे। यहां तक कि गांधीजी की तरह ही उनका रहन-सहन हो गया था।
1972 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार न मिलने के कारण अपने गांव जोधपुर में पीपाड़ नाम के शहर में खाद और बीज की दुकान खोल दी।
लेकिन धंधा कुछ खास नहीं चला, जिसके बाद वे घर वापस लौट आए। उसके बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए कॉलेज में दाखिला लिया।
वहां पर वे कांग्रेस के छात्र संगठन से भी जुड़े और सचिव के पद के लिए उन्होंने चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए। बाद में उन्हें NSUI का राज्य अध्यक्ष बनाया गया।
इस तरह अशोक गहलोत बहुत कम उम्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़ चुके थे और इसी उम्र में महात्मा गांधी के विचारों एवं शिक्षा से काफी ज्यादा प्रभावित हो गए थे कि उनके सिद्धांतों पर उन्होंने चलना शुरू कर दिया था।
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अशोक गहलोत की राजनीतिक जीवन
अशोक गहलोत का राजनीतिक सफर 1977 के राजस्थान राज्य के विधानसभा चुनाव से हुआ था।
देश में आपातकाल खत्म होते ही लोकसभा चुनाव आयोजित हुआ, जिसमें कांग्रेस हार गई थी। जिसके बाद राजस्थान के विधानसभा चुनाव में संजय गांधी ने उन्हें जोधपुर के सरदारपुरा से चुनाव लड़ने का टिकट दिया।
उस समय अशोक गहलोत मात्र 26 साल की उम्र में विधानसभा चुनाव के लिए खड़े हुए, जिसके लिए उन्होंने अपनी एकमात्र पूंजी मोटरसाइकिल को ₹4000 में बेच दिया। हालांकि चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार से वे 4329 वोट से हार गए थे।
3 साल के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद 1980 में लोकसभा चुनाव आयोजित हुआ। इसमें संजय गांधी ने अशोक गहलोत को जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिकट प्रदान किया।
यहां पर वे चुनाव के प्रचार प्रसार में जोर-शोर से लग गए। पोस्टर छपवाए, अपने एक दोस्त रघुवीर सेन की सैलून की दुकान में अपने पार्टी का कार्यालय खोला और उन्हीं के बाइक से चुनाव का प्रसार प्रचार प्रसार किया। इस चुनाव में अशोक गहलोत 52519 वोटो से जीत गए थे।
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दिल्ली में अशोक गहलोत की दोबारा मुलाकात इंदिरा गांधी से हुई।
यहां से धीरे-धीरे इंदिरा गांधी के साथ उनका संपर्क और भी ज्यादा गहरा हो गया, जिसके बाद सितंबर 1982 में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें अशोक गहलोत को केंद्रीय मंत्रिमंडल में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का उप मंत्री बनाया गया।
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हो गई, जिसके बाद उनके बेटे राजीव गांधी के हाथ में पूरी सत्ता चली गई। हालांकि इस दौरान भी अशोक गहलोत राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में थे।
1985 में अशोक गहलोत को राजीव गांधी ने प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर राजस्थान भेजा। 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री भी बने।
लेकिन साल 2003 में विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत भारतीय जनता पार्टी से भारी अंतर से हार गए, जिसके बाद सोनिया गांधी ने उन्हें कांग्रेस पार्टी का महासचिव बना दिया।
2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद अशोक गहलोत ने दोबारा राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद के लिए शपथ ली।
अपने सत्ता के उन पांच सालों में अशोक गहलोत ने राज्य के लोगों के लिए बहुत सारे ऐसे काम किये, जिसके कारण उनकी चर्चा देश-विदेश तक हुई।
उन्होंने राज्य में फ्री दवा वितरण योजना को लागू किया और भी कई भर्तियां निकाली। हालांकि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के सामने वे टिक नहीं सके और इस चुनाव में हार गए।
कांग्रेस इस चुनाव में 200 में से मात्र 21 सीटों पर ही जीत प्राप्त कर सकी थी।
दूबारा साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता अपने हाथ कर ली, जिसमें कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत हासिल की। मुख्यमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत को नियुक्त किया गया।
इस चुनाव में कांग्रेस के जीत का कारण बताया जाता है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने सत्ता के 4 साल में राजस्थान में कोई खास विकास नहीं किया, जिसके कारण जनता उन्हें कुछ खास पसंद नहीं करती थी।
अशोक गहलोत अब तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान है।
अशोक गहलोत की निजी संपत्ति
साल 2018 में लोकसभा चुनाव के समय दायर हलफनामे के अनुसार इनके पास 6.5 करोड़ से भी ज्यादा की कुल संपत्ति है।
इसके अतिरिक्त एक मुख्य मंत्री के तौर पर हर महीने इन्हे ₹75000 की सैलरी मिलती है। इसके साथ ही कई अन्य भत्ते भी मिलते हैं।
अशोक गहलोत द्वारा राजनीतिक जीवन में प्राप्त की गई उपलब्धियां
वर्ष | उपलब्धियां |
---|---|
1974 | प्रेसिडेंट, राजस्थान एनएसयूआई |
1979 | प्रेसिडेंट, नगर जिला कांग्रेस कमेटी, जोधपुर |
1980 | लोक लेखा समिति के सदस्य |
1982 | महासचिव, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी |
1982 | केंद्रीय उप मंत्री, पर्यटन विभाग |
1983 | केंद्रीय मंत्री, पर्यटन और नागरिक उड्डयन विभाग |
1984 | केंद्रीय उप मंत्री, खेल विभाग |
1984 | केंद्रीय राज्य मंत्री, पर्यटन और नागरिक उड्डयन विभाग |
1985, 1994, 1997 | प्रेसिडेंट, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी |
1989 | गृह विभाग और पीएचईडी मंत्री |
1991 | केंद्रीय राज्य मंत्री, कपड़ा विभाग |
1991 | लोकसभा में सलाहकार समिति |
1991 | रेलवे की स्थायी समिति |
1996 | विदेश मामलों की सलाहकार समिति |
2008, 2013 | मुख्यमंत्री, राजस्थान |
2017 | महासचिव, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी |
2018 | मुख्यमंत्री, राजस्थान |
FAQ
अशोक गहलोत के परिवार में इनकी माता, इनका एक बेटा, एक बेटी, एक बहू और एक पोती है। पत्नी का नाम सेवा देवी है, बेटे का नाम वैभव गहलोत है, बहू का नाम सुनीता गहलोत है और बेटी का नाम सोनिया गहलोत है।
अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्नातक डिग्री प्राप्त की है और अर्थशास्त्र विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की है।
अशोक गहलोत राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके है। पहली बार 1998 में राजस्थान के जोधपुर विधानसभा से चुनाव लड़ कर मुख्यमंत्री बने थे। दूसरी बार साल 2008 में मुख्यमंत्री बने थे और तीसरी बार साल 2018 में मुख्यमंत्री बने, जो अब तक इस पद पर विराजमान है।
अशोक गहलोत राजस्थान के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। साल 1999 में यह सरदपूरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए थे।
निष्कर्ष
इस लेख में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जीवन परिचय (Ashok Gehlot Biography in Hindi) के बारे में जाना।
इस लेख में हमने अशोक गहलोत की प्रारंभिक जीवन, उनका परिवार, उनका राजनीतिक सफर, कुल संपत्ति के बारे में जाना।
हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख के माध्यम से अशोक गहलोत से जुड़े सभी प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया होगा।
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