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वृत्त (परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि, त्रिज्या, व्यास, जीवा, परिमाप)

Vrit Kise Kahate Hain: हम अपने रोजमर्रा के जीवन में बहुत सारे आकृति को देखते और समझते हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण आकृति वृत्त की भी है। अपने रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग सभी प्रकार की चीजों में आपको वृत्ताकार देखने को मिलेगा जैसे सिक्का, पहिया, सूरज, धरती आदि।

जब हमारे समक्ष मौजूद इतनी सारी चीजें वृत्ताकार की है तो यह आवश्यक है कि आप समझे कि वृत्त किसे कहते है, परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि, त्रिज्या, व्यास, जीवा, परिमाप और भी बहुत कुछ है, जो एक वृत्त से जुड़ा हुआ होता है।

Vrit Kise Kahate Hain
Image Source: Vrit Kise Kahate Hain

गणित में हमें आकार के बारे में पढ़ना होता है ताकि हम अपने आसपास मौजूद चीजों से जुड़े हिसाब कर पाए हमारे आसपास मौजूद बहुत सारी चीजों में वृत्ताकार काफी अधिक मात्रा में मौजूद है।

इस वजह से यह आवश्यक है कि आप वृत्त किसे कहते है? (Vrit Kise Kahate Hain), परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि, त्रिज्या, व्यास, जीवा, परिमाप जैसी जानकारियों को अच्छे से याद करें और इसके लिए इस लेख के साथ अंत तक जुड़े रहे।

वृत्त (परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि, त्रिज्या, व्यास, जीवा, परिमाप) | Vrit Kise Kahate Hain

वृत्त किसे कहते है? (vrat ki paribhasha)

सरल शब्दों में कहें तो जितने भी गोलाकार जीजे आपके समक्ष मौजूद है, उन सब को वृत्त कहते है। सटीक परिभाषा की बात करें तो किसी समतल पृष्ठ पर एक बिंदु से समान दूरी पर बिंदुओं के समूह से बनी एक ऐसी आकृति जिसकी प्रत्येक बिंदु की दूरी मध्य बिंदु से समान हो उसे वृत कहते है।

वृत्त के मध्य में एक बिंदु होती है, जहां से हम बाकी बिंदुओं की दूरी को नापने है, उस मध्य बिंदु को वृत्त का केंद्र बिंदु कहते है। उस केंद्र बिंदु से दूरी मापी जाती है और चारों दिशाओं में उसे समान दूरी के आधार पर एक गोल रेखा खींची जाती है, जो हमें वृत्ताकार देता है।

यह भी पढे – गणित किसे कहते है?, गणित का अर्थ, उद्देश्य, और महत्व

वृत्त का गुणधर्म

चाहे कोई भी आकार हो उसके गुण धर्म के संबंध में हमें जानकारी होनी चाहिए। इस वजह से आपको विस्तार पूर्वक जानकारी नीचे दी जा रही है ताकि आपको समझ सके कि किन गुणों की वजह से एक आकार वृत बन पाता है।

  • एक वृत्त के परिधि पर मौजूद कोई भी बिंदु उस वृत्त के केंद्र बिंदु से समान दूरी पर होती है।
  • वृत्त के केंद्र बिंदु से जब परिधि के किसी एक बिंदु को हम मिल आते हैं तो इसे त्रिज्या कहते हैं।
  • परिधि पर मौजूद विपरीत दिशा के बिंदुओं को मिलाने से वृत का व्यास बनता है और वृत्त का व्यास एक वृत्त को दो बराबर हिस्सों में विभाजित करता है।
  • वृत्त का व्यास त्रिज्या का दुगना होता है और एक वृत्त के अंदर असंख्य त्रिजाएं हो सकती हैं।
  • वृत्त के परिधि पर दो विपरीत दिशा में मौजूद बिंदुओं को इस तरह मिलाते हैं कि वह केंद्र बिंदु को नाप हुए तो उस रेखा को हम जीवा कहते हैं और जब कोई त्रिज्या जीवा पर गिरती है, वह लंबवत होती है।
  • समान त्रिज्या वाले वृत्त एक दूसरे पर सर्वांगसम होते हैं।

वृत की परिधि

जैसा कि हमने आपको बताया कि एक बिंदु से समान दूरी पर बिंदुओं का समूह इस प्रकार लगाया जाता है कि ऐसी आकृति बनती है, उस आकृति की कोई भी बिंदु मध्य बिंदु से समान दूरी पर होती है, जिसे हम वृत्त कहते हैं। ऐसे वृत्त को बनाने के लिए जिस रेखा को मध्य बिंदु से समान दूरी पर खींचा गया है, उस रेखा को परिधि कहते है।

परिधि हमें यह बताती है कि वृत्त कितनी दूरी घेर कर रखा है। एक वृद्ध अपने बाहरी इलाके से ही किसी जगह को गिरता है तो उसके बाहरी इलाके की लंबाई या हम यूं कह सकते हैं कि वृत्त के बॉर्डर की लंबाई कितनी है, उसकी परिधि से पता चलता है। 

  • वृत की परिधि = 2πr

वृत्त का चाप

वृत की परिधि से बनता है, उस परिधि पर मौजूद दो बिंदुओं के बीच की रेखा को वृत्त का चाप कहते हैं। हम यूं भी कह सकते हैं कि किसी वृत्त की परिधि पर 2 बिंदु के बीच के भाग को क्या कहते है, वह दोनों बिंदु जो वृत्त के परिधि पर स्थित है, उनकी दूरी केंद्र बिंदु से समान होती है।

वृत्त का क्षेत्रफल

अब से किसी वृत्त का क्षेत्रफल पूछा जाता है तो इसका तात्पर्य है कि वह अमृत किसी समतल पृष्ठ पर कितनी जगह छेक रही है, उसका माप पूछा जा रहा है।

वृत्त का क्षेत्रफल = π r^2 = π X r X r  (यहां r = वृत्त का त्रिज्या है)

वृत्त की त्रिज्या

किसी वृत्त के मध्य बिंदु से अगर हम एक रेखा खींचकर परिधि के किसी बिंदु को छू देते हैं तो यह एक त्रिज्या कहलाती है।

वृत की त्रिज्या = व्यास / 2

वृत्त का व्यास

व्यास एक लंबी रेखा होती है, जो वृत्त के परिधि पर मौजूद दो विपरीत दिशा के बिंदुओं को एक रेखा से मिलाने का कार्य करती है। व्यास की लंबाई त्रिज्या के दुगना होती है।

वृत्त का व्यास = 2 X त्रिज्या

वृत्त के उपवास के बारे में पता होना काफी आवश्यक है ताकि आप वृत्त की त्रिज्या के बारे में जानकारी पा सके वृत्त का व्यास अमित लंबाई के बारे में बताता है। अगर हम तृषा को दुगना कर दे दो वृत्त का व्यास होता है।

वृत्त की जीवा

वृत्त की जीवा एक ऐसी रेखा होती है, जो वृत्त के मध्य बिंदु को छुए बिना परिधि के दो विपरीत दिशाओं के बिंदुओं को मिलाती है। सरल भाषा में कहें तो एक वृत्त के परिधि पर दो विपरीत दिशा के बिंदुओं को अगर हम इस तरह मिलाएं कि वह वृत के मध्य बिंदु को ना छुए तो हम इसे जीवा कहेंगे।

यह भी पढे – आरोही क्रम और अवरोही क्रम (परिभाषा एवं अंतर)

वृत्त का परिमाप

वृत्त का परिमाप का अर्थ होता है वृत्त के बाहरी हिस्से की लंबाई कितनी है। अर्थात जब वृत्त के परिधि को हम ना पाएंगे तो उसका मान कितना आएगा।

वृत्त का परिमाप = 2 X π X r

आपको बता दें कि त्रिशा का परिमाप उसकी परिधि के माने के बराबर होता है तो अगर किसी वृत्त के त्रिज्या की लंबाई r है तो उसका परिमाप 2πr होता है।

वृत्तखंड

जब किसी वृत्त को हम्मा भाग में विभाजित करेंगे तो उसे हम वृत्तखंड कहेंगे आपको बता दें कि वृद्ध को अच्छे से समझने और उसके सवालों को हल करने के लिए हम किसी वृद्ध को दो हिस्सों में बांट दें हैं। इस वजह से हमारे समक्ष दो प्रकार के वृत्तखंड आते हैं।

  • दीर्घ वृत्त खंड
  • लघु वृत्त खंड

व्यास के अलावा किसी और रेखा से जब हम मृत को भाग में विभाजित करते हैं तो छोटे वाले भाग को लघु वृत्तखंड और बड़े वाले भाग को दीर्घ वृत्त खंड कहते हैं।

  • लघु वृत्तखंड का क्षेत्रफल = θ / 360 × πR2 – 1/2 sin2θ
  • दीर्घ वृत्तखंड का क्षेत्रफल = πR2 – (θ / 360 × πR2 – 1/2 sin2θ)

त्रिज्या खंड

वृत्त के चांद के दो अंतिम बिंदुओं को अगर हम वृत्त के मध्य बिंदु से मिला दे तो त्रिज्यखंड का निर्माण होता है। चाँद के दोनों ओर के मध्य बिंदु को जब केंद्र बिंदु से मिलाते हैं तो नीचे वाला हिस्सा छोटा और ऊपर वाला हिस्सा बड़ा होता है। छोटे वाले हिस्से को हम लघु त्रिज्यखंड और ऊपर बड़े वाले हिस्से को दृग त्रिज्या खंड कहते हैं।

लघु त्रिज्यखंड के कुछ सूत्र

  • वृत्त की त्रिज्यखंड की चाप की लम्बाई = θ / 360 × 2πr
  • लघु त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = θ / 360 × πr2
  • वृतीय त्रिज्यखंड का परिमाप = θ / 360 × 2πr

दीर्घ त्रिज्या खंड के कुछ सूत्र

  • दीर्घ त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = πr2 – θ / 360 × πr2

जरूर पढिए – कोण क्या है? कोण के प्रकार और परिभाषा, उदाहरण

वृत रेखा

वृत को जो रेखा छूती है, उसे हम अमृत रेखा कहते हैं। मगर इस तरह की रेखाओं को दो भागों में विभाजित किया गया है। ऐसी कोई रेखावृत्त को किसी एक बिंदु पर छू कर जाती है। अर्थात वृत के बाहर से कोई एक रेखा आती है और वृत्त के परिधि को किसी एक बिंदु से छू कर चली जाती है तो इसे हम वृत्त की स्पर्श रेखा कहते हैं।

दूसरी और ऐसी भी परिस्थिति आती है जब परिधि के बाहर से कोई रेखा वृत्त को बीच से काटती है, वह इस प्रकार होती है कि वृत्त के परिधि को दो बिंदुओं पर छूती है ऐसी रेखा को वृत्त की छेदक रेखा कहते हैं।

FAQ

वृत्त के परिमाप का सूत्र?

वृत्त का परिमाप 2πr होता है, जहाँ r वृत का त्रिज्या होता है।

किसी वृत्त में स्पर्श रेखा किसे कहते हैं

जब किसी वृत्त के बाहर से आई हुई कोई बिंदु वृत्त के परिधि को किसी एक बिंदु पर छू कर जाती है या किसी बिंदु को किसी एक बिंदु पर छूने वाली रेखा को हम स्पर्श रेखा कहते हैं।

वृत्त के क्षेत्रफल का सूत्र क्या होता है?

वृत्त का क्षेत्रफल = π r^2

वृत्त के क्षेत्रफल से त्रिज्या कैसे निकाले?

किसी वृत्त के क्षेत्रफल से त्रिज्या निकालने का सूत्र = √(वृत्त का क्षेत्रफल/ π 2)

निष्कर्ष

हमने अपने आज के इस मैथमेटिकल लेख में आप सभी लोगों को वृत किसे कहते हैं? एवं वृत्त का सूत्र क्या है? से संबंधित विस्तारपूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद भी आई होगी और आपको आज का यह विषय आसानी से समझ में भी आ गया होगा।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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