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स्थानीयमान और जातीयमान (परिभाषा, ट्रिक्स और उदाहरण)

Sthaniyaman Aur Jateeyaman: गणित में अंक को व्यक्त करने के कुछ तरीके बताए गए हैं। हम उनको को जिस प्रकार से व्यक्त करते हैं, उन्हें समझने के लिए अंक के स्थानीय मान एवं जातीय मान के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

गणित एक जटिल विषय है, जिसमें जसवंत से हम किसी संख्या को दर्शाते हैं, उसके भी अनेक प्रकार किए गए हैं। आज हम उन्हीं सब के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे और किसी अंक को दर्शाते हुए उसके स्थानीय मान एवं जातीय मान के बारे में जानकारी एकत्रित करेंगे।

Sthaniyaman Aur Jateeyaman
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आपको बता दें कि कोई किसी संख्या को संकेत करते वक्त स्थानीयमान और जातीयमान (Sthaniyaman Aur Jateeyaman) को दर्शाता है। इस चीज को अच्छे से समझने के लिए आपको अंक और उसके प्रकार के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। इस वजह से स्थानीय मान और जातीय मान के बारे में बताने से पहले हम आपको अंक और उसके प्रकार के बारे में बताने का प्रयास करें।

स्थानीयमान और जातीयमान (परिभाषा, ट्रिक्स और उदाहरण) | Sthaniyaman Aur Jateeyaman

अंक किसे कहते हैं?

गणित में किसी का मान दर्शाने के लिए जिस संकेत का इस्तेमाल किया जाता है, उसे अंक कहा जाता है। अंक गणित का शब्द होता है गणित में किसी भी चीज को दर्शाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है। किसी चीज की गिनती अंकों के द्वारा संभव हो पाती है। गणित में कुल 9 अंक दिए गए हैं।

उदाहरण – 1, 2, 4, 5, 7, 9 आदि।

संख्या किसे कहते है?

गणित में अंकों के समूह को संख्या कहते है। गणित में संख्या दो या दो से अधिक अंकों को मिलाने से बनती है, इस वजह से गणित की पहली संख्या 10 से शुरू होती है।

उदाहरण – 10, 11, 14, 15 आदि।

स्थानीय मान एवं जातीय मान

किसी और के समूह में मौजूद वह अंक जो स्थान के अनुसार अपना मान बदलता रहता है, उसे हम स्थानीय मान कहते हैं। अगर आपको यह नहीं पता कि उनका किस प्रकार अपने स्थान के अनुसार अपना मान बदलता है तो आपको अंकों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी इस लेख में दी जाएगी।

किसी संख्या में कोई आन का अपने मान को किस प्रकार दर्शा रहा है, यह उसके जातीय मान से पता चलता है। सरल शब्दों में यह कह सकते हैं कि किसी संख्या में जो अंक मौजूद होते हैं, वह सब अपने आप के जातीय मान होते हैं।

हिंदी में संख्या की गिनती किस प्रकार की जाती है?

अगर आप स्थानीय मान और जातीय मान को समझना चाहते हैं तो इस प्रक्रिया में आपको हिंदी संख्या की गिनती किस प्रकार की जाती है, इस संबंध में भी जानकारी होनी चाहिए। जो गिनती आगे बढ़ती है, उसमें स्थानीय मान का काफी अहम योगदान होता है। ऐसा क्यों है इसे समझने के लिए नीचे बताई गई प्रक्रिया को ध्यान से पढ़ें।

जब भी कोई संख्या गणित में लिखी जाती है और अगर उस संख्या का मान हमें हिंदी में पता करना है तो इसके लिए उस संख्या को दाहिने से बाय की ओर बढ़ते है। किसी भी अंक के समूह को अगर गणित भाषा में लिखा गया है तो उसे दाहिने से बाय की ओर पढ़ते वक्त जो पहला अंक होता है, उसे इकाई कहते हैं, इसी प्रकार दूसरे शब्द को दहाई और तीसरे शब्द को सैकड़ा कहते हैं।

अगर सरल शब्दों में कहें तो हिंदी भाषा में जब कोई एक संख्या लिखी हुई होती है तो उसे इकाई संख्या कहते हैं। क्योंकि वह संख्या 1 से गुना होता है। जब किसी संख्या में 2 अंक होते है तो दाहिने से बाय की ओर पढ़ते वक्त दूसरे अंग को दहाई कहते हैं क्योंकि वह अंक 10 का गुणन होता है।

उदाहरण के तौर पर – अगर 234 एक संख्या है।

ऊपर दिए गए इस संख्या को हिंदी में पढ़ने के लिए हम दाहिने सेवाएं की ओर शुरू करेंगे और पहले शब्द को इकाई कहेंगे, दूसरे शब्द को दहाई और तीसरे शब्द को सैकड़ा कहेंगे।

इस तरीके में 4 इकाई हुआ, जिसे 1 गुणन माना जाता है इस वजह से इसे 4 X 1 भी कह सकते है।

  • 3 दहाई हुआ, जिसे 10 का गुणन माना जाता है, इस वजह से इसे 3 X 10 भी कह सकते है।
  • 2 सैकड़ा हुआ, जिसे 100 का गुणन माना जाता है, इस वजह से इसे 2 X 100 कहते है।

तो उस अंक के संधि विच्छेद करने पर

2 X 100 + 3 X 10 + 4 X 1 = 234 कहा जाता है।

इस तरह किसी संख्या को पढ़ने के लिए दाएं से बाएं की ओर बढ़ते वक्त संख्या का नाम – इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार, दस हजार,  लाख, दस लाख होता है।

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किसी संख्या का स्थानीय मान कैसे निकाले?

आपको बता दें कि हर संख्या में प्रत्येक अंक का कुछ स्थानीय मान होता है। हर संख्या अंको के समूह से बनती है और अगर हम अंक के स्थान में बदलाव करें तो उसके मन में भी बदलाव आता है तो जिस स्थान पर वह अंक इस वक्त है, उस स्थान पर उसका क्या नाम है, इसे स्थानीय मान कहा जाता है।

उदाहरण के तौर पर 119 एक संख्या है, इस संख्या में अंक का मानस्थान अनुसार बदलता रहता है जैसे 9 इकाई के स्थान पर है। इस वजह से एक का गुणन होगा और इस का स्थानीय मान 1 होगा।

ऊपर दिए गए उदाहरण 119 में प्रत्येक अंक के स्थानीय मान

  • 9 = 9X1 = ऊपर दिए गए अंक के अनुसार इस का स्थानीय मान 1 है।
  • 1 = 1 X 10 = ऊपर दिए अंक के अनुसार दूसरे स्थान पर लिखे 1 का स्थानीय मान 10 है।
  • 1 = 1 X 100 = ऊपर दिए अंक के अनुसार तीसरे स्थान पर लिखें 1 का स्थानीय मान 100 है।

किसी संख्या का जातीय मान कैसे निकाले?

किसी भी संख्या में जितने अंक का इस्तेमाल किया गया है, उन अंकों का उस संख्या में कितना मान है, उसे हम जातीय मान कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो किसी भी संख्या में किसी भी अंक का जातीय मान वह स्वयं ही होता है।

उदाहरण के तौर पर – 119 एक संख्या है, संत ने भी अंको का इस्तेमाल किया गया है, उन सब का मान ही जातीय मान है।

  • 9 का जातीय मान = 9 होगा।
  • 1 का जातीय मान = 1 होगा।
  • 1 का जातीय मान = 1 होगा।

ऊपर बताए गए सभी निर्देश और जानकारी को पढ़ने के बाद अब यह समझ गए होंगे कि किसी भी संख्या का स्थानीय मान और जातीय मान क्या होता है। साथ ही उसे कैसे निकालते हैं।

FAQ

जातीय मान किसे कहते हैं?

किसी संख्या में जितने भी अंक हैं, उन सभी अंक का स्वयं मान जातीय मान कहलाता है। जैसे 91 में 1 का जातीय मान 1 और 9 का जातीय मान 9 होगा।

स्थानीय मान किसे कहते हैं?

किसी भी संख्या का वह हमारा जो अस्थान के अनुसार बदलता रहता है, उसे स्थानीय मान कहते है। जैसे 91 में 1 का स्थानीय मान 1 क्योंकि वह इकाई के स्थान पर है और 9 का स्थानीय मान 10 क्योंकि वह दहाई के स्थान पर है।

अंक किसे कहते हैं?

गणित में किसी मान को दर्शाने के लिए जिस संकेत का इस्तेमाल किया जाता है, उसे अंक कहते हैं।

संख्या किसे कहते हैं?

अंको के समूह को संख्या कहा जाता है।

निष्कर्ष

हमने अपने आज के इस मैथमेटिकल के महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को स्थानीय मान एवं जातीय मान क्या होता है? से संबंधित विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई आज के इस विषय पर यह जानकारी आपको आसानी से समझ में आई होगी और आपके लिए काफी उपयोगी भी सिद्ध होगी।

अगर आपको हमारी यह महत्वपूर्ण जानकारी पसंद आई हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले ताकि आप जैसे ही अन्य लोगों को भी इस महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में आप के जरिए पता चल सके एवं उन्हें ऐसा ही महत्वपूर्ण मैथमेटिकल से संबंधित लेख को कहीं और जाकर बार-बार ढूंढ के पढ़ने की बिल्कुल भी आवश्यकता ना हो।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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