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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi: शिक्षकों द्वारा स्कूल में विद्यार्थियों को अनुशासन सिखाया जाता है। विद्यार्थी और अनुशासन के बीच एक गहरा रिश्ता है। आज का हमारा आर्टिकल विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध के बारे में है। यदि आप भी विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (250 शब्द)

अनुशासन एक ऐसी चीज है, जो प्रत्येक व्यक्ति को नियंत्रण में रखती है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। आमतौर पर स्कूल से ही बच्चों को अनुशासन सिखाया जाता है। अनुशासन बच्चों के व्यवहार का मार्गदर्शन कर सकता है या उन्हें अपनी, अन्य लोगों और अपने आसपास की दुनिया की बेहतर देखभाल करने में सीखने में मदद करने के लिए सीमा निर्धारित कर सकता है।

प्रत्येक स्कूल अपने नियमों के अधीन होती है और यदि छात्र इन नियमों को तोड़ते हैं तो वे अनुशासन के अधीन होते हैं। उदाहरण के लिए स्कूल एक निश्चित समय पर शुरू होता है, और विद्यार्थियों को उस समय स्कूल में उपस्थित होना चाहिए। यदि छात्र नियमो का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें दंडित किया जाएगा। शिष्य एक सीढ़ी है जिसके द्वारा व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही, यह उसे लक्ष्य से विचलित नहीं होने देता।

शब्द “अनुशासन” उस सजा पर लागू होता है, जो नियमों को तोड़ने का परिणाम है। अनुशासन का उद्देश्य कुछ ऐसे व्यवहारों या दृष्टिकोणों को प्रतिबंधित करना है जो हानिकारक या स्कूल की नीतियों, शैक्षिक मानदंडों, स्कूल परंपराओं आदि के खिलाफ देखे जाते हैं। स्कूलों के शुरुआती दिनों में, लोगों को दंडित करना आम बात थी, अगर वे स्कूल द्वारा निर्धारित नियम का पालन नहीं करते थे। । हाल के दिनों में अन्य तरीकों को भी आजमाया गया है जैसे अच्छे व्यवहार को पुरस्कृत करना। 

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (1000 शब्द)

प्रस्तावना

स्कूल में अनुशासन से विद्यार्थियों को रहना सिखाया जाता है। अनुशासन के माध्यम से विद्यार्थियों को सफल बनाने में बहुत मदद मिलती है। सफलता के लिए हर कोई इंसान को अनुशासन के साथ कार्य करना होता है। अनुशासन का सीधा मतलब यह है, कि किसी भी कार्य को सही ढंग से करना होता है। दूसरे शब्दों में अनुशासन को यदि परिभाषित करें, तो अनुशासन का मतलब होता है कि कोई भी कार्य जिसे सिस्टमैटिक ढंग से किया जाए।

अनुशासन क्या हैं

सामाजिक प्राणी हैं किसी भी समाज के निर्माण के लिए अनुशासन अत्यावश्यक हैं। अनुशासन मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है और उसे समाज में ऊंचा स्थान दिलाने मे सहायता करता हैं। अनुशासन हर क्षेत्र में अत्यावश्यक है। दफ्तर, स्कूल, कार्यक्षेत्र, घर ,युद्ध क्षेत्र चाहे कहीं भी अनुशासन के बिना कोई कार्य नहीं चलता है। अनुशासन के कारण ही नेपोलियन विश्व की बड़े- बड़े शत्रुओं को हराने में कामयाब हुआ। मानव स्कूल, घर ,कार्यक्षेत्र आदि में अनुशासन का पालन करेंगा तभी वह अपने कर्तव्य को सही प्रकार से समझ पाएंगा।

नियम तोड़ने से ही समाज में अनुशासनहीनता पैदा होती हैं। इसलिए अनुशासन बहुत आवश्यक हैं। विद्यार्थी जीवन में इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। क्योंकि समय होता है। जब उसके व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है।
विद्यार्थी जीवन मनुष्य की जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं। इसी समय में मनुष्य जो गुण व अवगुण सीखता हैं या प्राप्त करता हैं। वही उसके चरित्र का निर्माण करते हैं। जितनी शिक्षा मनुष्य के लिए आवश्यक है, उतना ही अनुशासन भी। अनुशासन का प्रारंभ घर से होता है माता- पिता को बच्चे को बचपन से ही अनुशासन का महत्व समझाना चाहिए और उसे अनुशासन मे मैं रहना सिखाना चाहिए।

श्रेष्ठ समाज निर्माण

जिस तरह जब बालक पैंसिल पकड़ता हैं। तो हम उसे अक्षरों को सही लिखना सिखाते हैं ताकि वह गलती न करे उसी प्रकार अनुशासित होने पर इंसान अपना लक्ष्य अच्छे से प्राप्त कर पाता हैं। हर चीज सही समय पर सही तरीके से करना ही अनुशासन हैं। शिक्षा को उच्च स्तर पर ले जाना होगा और अनुशासन सिखाना होगा तभी एक उन्नत व श्रेष्ठ समाज देश का निर्माण होगा। विद्यालय में ही जाकर विद्यार्थी या बालक अनुशासन सीखता हैं अच्छी और सही शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती हैं। अनुशासन विद्यार्थी का परम कर्तव्य हैं। यह ना केवल उसे सफल बनाता हैं बल्कि उसको बेहतर इंसान बनाता हैं। अनुशासन की भावना प्रत्येक मनुष्य के मन में होनी चाहिए।

वर्तमान की स्थिति

वर्तमान में अधिकांश मां-बाप अपने कार्य की व्यस्तता कारण अपने बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते और उसे अच्छी सीख अनुशासन में रहना नहीं सीखा पाते और ध्यान ना देने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन ,आक्रोश, गुस्सा आदि उत्पन्न होता हैं। वह अपना ज्यादातर समय फोन ,टी.वी इत्यादि देखने में लगाते हैं। उनकी इन पर निर्भरता बढ़ जाती है। फोन, टी.वी तथा इंटरनेट कनेक्शन ने अनुशासनहीनता को अत्यधिक बढ़ावा दिया।

बच्चे अपने आप को समय से पहले बड़ा समझने लगते हैं और यहां स्थिति विद्यार्थी वह बच्चों के लिए अत्यधिक घातक साबित हो सकती हैं। वह बुरी संगत में पढ़ सकते हैं। अनुशासन तथा बड़ों के नेतृत्व और मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे सही- गलत में फर्क नहीं समझ पाते हैं और वह अपनी इच्छा अनुसार बहुत सी चीजों का विरोध करने लगते हैं। अच्छे व जिम्मेदार शिक्षक बच्चों को अनुशासन मे रहना सिखाते हैं। समय पर विद्यालय जाना अपना कार्य पूरा रखना इत्यादि छोटी-छोटी चीजें अनुशासन सिखाती हैं। अनुशासन के बिना जीवन व्यर्थ हैं। समय का सदुपयोग करना और सही मार्गदर्शन करना अच्छे शिक्षक का ही दायित्व हैं।

अनुशासन का महत्व

अनुशासन हर व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं। यह व्यक्ति को सही मार्ग दिखाता है तथा उसे श्रेष्ठ बनाता हैं। विद्यार्थी के जीवन में तो अनुशासन बहुत ज्यादा जरूरी हैं। और विद्यार्थियों को अनुशासन शिक्षक द्वारा ही सिखाया जाता हैं। वही छोटी-छोटी बातें सिखाता है जैसे सही समय पर स्कूल आना, अपने कार्य पूरे रखना, बड़ों का आदर करना तथा दोस्तों अपने सहपाठियों के साथ सहयोग की भावना रखना।

आदि यह अच्छे शिक्षक द्वारा विद्यार्थी को सिखाया जाता है। शिक्षक द्वारा यह बताया जाना चाहिए कि सभी प्रकार की गतिविधियों में भाग लेने से विद्यार्थी का संपूर्ण विकास होगा तथा माता-पिता को भी अपने बच्चों को संपूर्ण समय देना चाहिए। एक अच्छे स्कूल में दाखिला करवाने से अनुशासन नहीं आता बल्कि यह शिक्षक और माता-पिता दोनों को मिलकर बच्चों को अनुशासन सिखाना चाहिए उन्हें अपने बच्चों को निर्धारित समय के लिए मोबाइल व टी.वी देखने देना चाहिए।

विद्यार्थी कई बार बहुत बड़े-बड़े सपने देखते हैं। परंतु सही मार्गदर्शन व अनुशासन के अभाव में वह अपने रास्ते से भटक जाते हैं। कूसंगति में पड़ते हैं और चोरी- चकारी तथा अन्य गैरकानूनी कार्यों में शामिल हो जाता हैं। नुशासनहीनता के अभाव में वह किसी की भी बात नहीं सुनता इसलिए माता पिता को अपने बच्चों को समय देना चाहिए तथा उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ाने चाहिए ।

निष्कर्ष

विद्यार्थियों को अनुशासन स्कूल में सिखाया जाता है। लेकिन वर्तमान समय में स्कूल में अनुशासन को लेकर काफी ढील दी जा रही है। इसकी मुख्य वजह यह है, कि विद्यार्थियों के परिजन विद्यार्थियों को अनुशासन के लिए प्रेरित नहीं करते हैं। इसके अलावा कई परिजन तो ऐसे भी हैं, जो अपने मालिक को अनुशासन से संबंधित टीचर की मारपीट से भी बचाना चाहते हैं। ऐसे में विद्यार्थी अनुशासन नहीं सीख पाता है।

अनुशासित विद्यार्थी व व्यक्ति अपना कार्य समय पर करते हैं। टालमटोल नहीं करते हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए अग्रसर रहते हैं। दूसरो का आदर व सहयोग करते हैं। अनुशासन हर क्षेत्र में आवशयक हैं। अनुशासन के अभाव में मानव और जानवर एक समान होता हैं। बच्चे के जन्म के बाद से ही माता -पिता और अन्य लोगों द्वारा उसे अनुशासन में रहना सिखाना चाहिये। अनुशासन मनुष्य के जीवन के लिए अत्यावश्यक हैं।

अंतिम शब्द

आज का हमारा आर्टिकल जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi) के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से जुड़ा कोई सवाल है तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

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