हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे, तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर।
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।
मैंने तन्हाई में हमेशा तुम्हे पुकारा है, सुन लो गौर से ऐ सनम, तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी सी लगती है।
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे, मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ ! इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है !!
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोडो, तुम बताओ कैसी हो ?
चलते-चलते अकेले अब थक गए हम, जो मंज़िल को जाये वो डगर चाहिए, तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं, अब हमको भी एक हमसफ़र चाहिए।
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
यादों में आपके तनहा बैठे हैं,आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं, आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो, इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे, तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की।
इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान है साहब न देती ये साथ अपना तो जाने हम किधर जाते.
कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है, अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है, तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती, तन्हाई में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है।
शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात, रुक सी गयी है उम्र-ए-गुरेजां तेरे बगैर।
सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का, मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता।
अब तो हसरत ही नहीं रही किसी से वफ़ा पाने की दिल इस क़दर टूटा है की अब सिर्फ तन्हाई अच्छी लगती है।
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा, वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा, मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है, खामोशियो की आदत हो गयी है, न शिकवा रहा न शिकायत किसी से, अगर है… तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।
जो रूह की तन्हाई होती हैं ना, उसको कोई ख़त्म नही कर सकता
तुम नहीं अब जहाँ में तनहा से हैं हम यहाँ बुला लो मुझे अपने जहाँ में दे न पाव तन्हाई का इम्तेहान।
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक, इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गलियों में हम, महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयो में हम, दीवानगी नहीं तो और किया कहे इसे, इंसान ढूंढते रहे परछाइयों में हम…
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात… खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई, कोई आ कर हमको जरा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
रिश्ते छूट रहे हैं लोगों को परवाह नहीं है मोबाइलों के अलावा कहीं निगाहें नहीं है सामने बैठकर घंटों मोन रहते है यूँ तो रिप्लाई आये ना तो चेहरे पे लाह नहीं है।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना, बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
Tanhai Shayari in Hindi
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी, हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी, दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में, जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़ ! की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है
कुछ देर बैठी रही पास, और फिर उठ कर चली गई गुरुर तो देखो तन्हाई का ये भी बेवफ़ा हो कर चली गई.
वक़्त बहुत कुछ चीन लेता है खैर मेरी तोह सिर्फ मुस्कराहट खुशियां और रातों की नींद थी।
बदनामी के दर से मैं रो भी नहीं पा रहा , तेरी याद के साये में मैं सो भी नहीं पा रहा। सोचा के तुझे भूल कर और किसी को याद करू , पर लाख कोशिशों के बावजूद मैं किसी और के ख्यालो में खो भी नहीं पा रहा।.
खुदा की रहमत में अर्जियां नहीं चलती, दिलो के खेल में खुद-गर्जियाँ नही चलती, चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिये हुजुर, इश्क की राह में मन-मर्जियां नहीं चलती।
लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है,,,, की कहाँ है वो,,,, मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ…!!
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।