Home > Biography > शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जीवन परिचय

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जीवन परिचय

Swaroopanand Saraswati Biography in Hindi: स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जो द्वारका शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के पद पर विराजमान थे। ये भारत के उन श्रेष्ठ संन्यासो में से एक थे, जिन्हें सनातन धर्म ध्वजवाहक करपात्री जी महाराज का सानिध्य मिला था। इन्हें हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्म गुरु माना जाता था।

आज 11 सितंबर 2022 को उनके निधन की दुखद खबर आई। कुछ दिन पहले स्वामी जी ने अपना 99वां जन्मदिन बहुत धूमधाम के साथ मनाया था। लेकिन आज दोपहर 3:00 बजे के करीब मध्य प्रदेश में स्थित नरसिंहपुर में अपने आश्रम में अंतिम सांस ली।

Swaroopanand Saraswati Biography in Hindi
Image: Swaroopanand Saraswati Biography in Hindi

स्वामी जी ने भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठो में से दो पीठ को सुशोभित किया था। आज के इस लेख में हम स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी की अतीत से लेकर वर्तमान तक की जीवनी जानेंगे।

हालांकि ऐसे दिव्य विभूति का परिचय दे पाना बहुत ही कठिन का काम है। स्वामी जी करोड़ों सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा के पुंज और उनकी आस्था के ज्योति स्तंभ थे। ये उदार मानवतावादी संत थे जो निः स्पृह और राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत थे। दलितों के लिए इनके मन में असीम करुणा थी।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जीवन परिचय | Swaroopanand Saraswati Biography in Hindi

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की जीवनी एक नजर में

नामस्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
जन्म और जन्मस्थान2 सितम्बर 1924, दिघोरी गांव, सिवनी जिला (मध्य प्रदेश)
पिता का नामश्री धनपति उपाध्याय
माता का नामगिरजा देवी
निधन11 सितंबर 2022

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का प्रारंभिक जीवन

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में संवत 1980 के भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (2 सितम्बर 1924) को सनातन हिंदू परम्परा के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री धनपति उपाध्याय एवं माता का नाम गिरजा देवी था। बचपन में इनका नाम पोथीराम था, जो इनके माता पिता ने एक विद्वानों के आग्रह पर रखा था।

स्वामी जी जब 7 वर्ष के थे तभी इनके पिता का देहांत हो गया था। मात्र 9 वर्ष की उम्र में यह घर छोड़कर धर्म यात्रा के लिए निकल पड़े। इस दौरान स्वामी जी भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान और संतों के दर्शन करते हुए काशी पहुंच गए और वहां पर स्वामी करपात्री महाराज के संपर्क में गए। यहीं पर स्वामी करपात्री से इन्होंने शास्त्र और वेद वेदांग की शिक्षा हासिल की।

इस दौरान भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम चल रहे थे। लगभग 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया, जिसमें स्वामी जी ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उस समय स्वामी जी मात्र 19 साल के थे तब से ही क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे।

इस दौरान स्वामी जी पर 1942 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सत्याग्रही छात्रों के साथ रक्षार्थ योजना बनाकर तार काटने के अभियोग में वाराणसी में 9 महीने की जेल की सजा भी सुनाई गई थी। वहीं मध्यप्रदेश में भी 6 महीने जेल में सजा काटी थी।

1950 में स्वामी जी ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती इन्होंने दंड संन्यास की दीक्षा ली, उसके बाद यह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से पहचाने जाने लगे। सन 1981 महीने शंकराचार्य की उपाधि मिल गई। आध्यात्मिक उत्थान की भावना से स्वामी जी ने 14 मई 1964 को आध्यात्मिक उत्थान मंडल के स्थापना की।

FAQ

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कौन थे?

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित द्वारका शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे। शंकराचार्य को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण पद माना जाता है, जिसमें हिंदुओं को मार्गदर्शन करने और भगवत प्राप्ति के साधन जैसे विषयों में आदेश देने के विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं। ये सनातन धर्म ध्‍वजवाहक करपात्रीजी महाराज के सानिध्‍य प्राप्त करने वाले संन्यासी थे।

आदि शंकराचार्य जी का जन्म कहां पर हुआ था?

आदि शंकराचार्य जी का जन्म 788 ईसवी में केरल के मालाबार क्षेत्र के कालडी नामक स्थान पर हुआ था। आदि शंकराचार्य जी ने चार धामों में चार मठों की स्थापना की थी।

स्वामी शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ के क्या नाम है?

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ निम्नलिखित हैं: पहला शारदा मठ है, जो गुजरात के द्वारका धाम में स्थित है। द्वारका मठ को ही शारदा मठ कहते हैं। श्रृंगेरी मठ, यह मठ भारत के दक्षिण में स्थित रामेश्वरम में स्थापित है। दूसरा गोवर्धन मठ है, जो उड़ीसा के पुरी में स्थित है। तीसरा ज्योतिर्मफ है, जो उत्तराखंड के बद्रीकाश्रम में स्थित है।

शंकराचार्य क्या है?

शंकराचार्य भारत में हिंदू धर्म में सर्वोच्च धर्मगुरु का पद माना जाता है। देश में चार मठों के चार शंकराचार्य है। इस पद की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने ही की थी।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने द्वारका शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का संक्षिप्त जीवन परिचय बताया है। हालांकि निः स्पृह और राष्ट्रीय भावना के कारण श्रेष्ठ सन्यासीयो में से एक गिने जाते हैं।

हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख को पढ़ कर आपको स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के बारे में आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक इत्यादि के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें।

यह भी पढ़े

साइरस मिस्त्री का जीवन परिचय

छात्रसंघ अध्यक्ष अरविंद सिंह भाटी का जीवन परिचय

भूपेंद्र पटेल का जीवन परिचय

सोनाली फोगाट का जीवन परिचय

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts