Swami Mukundananda Biography in Hindi: भारत में ऐसे कई सद्गुरु हुए, जिन्होंने अपने ज्ञान के जरिए भारत भर में लोगों को पथ प्रदर्शित किया है। अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हुए, उन्हें ज्ञान की रोशनी दिखाई है।
स्वामी मुकुंदानंद एक विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु हैं। यह एक अनोखे सन्यासी है, जिन्होंने जगद्गुरु कृपालु योग नाम से योग प्रणाली की स्थापना की। इस संगठन को संक्षिप्त में JKYog के रूप में जाना जाता है। स्वामी को भारतीय अभिलेखों से विशिष्ट तकनीकी और प्रबंधन में सर्वोच्च सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है।
आज के इस लेख में हम स्वामी मुकुंदानंद की शिक्षा और आध्यात्मिक जीवन के सफर के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
स्वामी मुकुंदानंद का जीवन परिचय (Swami Mukundananda Biography in Hindi)
नाम | स्वामी मुकुंदानंद |
जन्म | 19 दिसंबर 1960, कटक, उड़ीसा (भारत) |
शिक्षा | बीटेक, एमबीए |
पेशा | सन्यासी, आध्यात्मिक गुरु |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
आध्यात्मिक गुरु | जगद्गुरु कृपालु महाराज |
स्वामी मुकुंदानंद का प्रारंभिक जीवन
स्वामी मुकुंदानंद का जन्म उड़ीसा राज्य के कटक जिले में 19 दिसंबर 1960 को हुआ था। स्वामी ने अपना प्रारंभिक जीवन अपने माता-पिता के साथ ही भारत के कई हिस्सों में बिताया।
स्वामी मुकुंदानंद की शिक्षा
स्वामी मुकुंदानंद महाराज एक कॉरपोरेट घराने से आते हैं। इन्होंने आईआईटी दिल्ली से बीटेक की, उसके बाद आगे प्रसिद्ध भारतीय प्रबंधन संस्थान आईआईएम कोलकाता से एमबीए की शिक्षा प्राप्त की।
हालांकि स्वामी को धार्मिक चीजों में बचपन से ही रूचि थी। वह संतो और शास्त्रों की पुस्तकों को अक्सर पढ़ा करते थे और ज्यादातर समय भगवान के बारे में ही सोचा करते थे। जिस कारण इन्होंने सम्मानित कॉरपोरेटर करियर को छोड़ आध्यात्मिक राह पर जाने का निर्णय लिया।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
स्वामी मुकुंदानंद का आध्यात्मिक सफर
जब तक वे स्नातक कर रहे थे तब तक स्वामी मुकुंदानंद की आध्यात्मिक जागृति की भूख और भी ज्यादा प्रबल होते जा रही थी। अपनी पहली नौकरी के कुछ महीनों के भीतर ही त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने सन्यास की आज्ञा लेकर आध्यात्मिक यात्रा के पथ पर निकल पड़े और एक सन्यासी के रूप में पूरे भारत की यात्रा की।
भारत की यात्रा के दौरान यह ब्रज की पवित्र भूमि और भारत के अन्य कई पवित्र स्थानों के दर्शन किए और इस यात्रा में उन्होंने काफी ज्ञान प्राप्त किया। अपने इच्छाशक्ति को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए वे विद्वान संतो के साथ अपना समय गुजारते थे।
आध्यात्मिकता को प्राप्त करने के लिए इन्होंने काफी प्रयास किया। कई वर्षों तक ईश्वर की प्राप्ति की ओर अपनी यात्रा जारी रखने के पश्चात वे कई पवित्र संतो से मिलते रहे और इसी दौरान वह भारत के कई महान संतों के साथ जुड़े। इन्होंने अतीत के कई महान आचार्यों के लेखन को पढ़ा और भक्ति का अभ्यास किया।
कई वर्षों की यात्रा के पश्चात अंत: स्वामी मुकुंदानंद को जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज के चरणों में उन्हें शरण मिली और वे उनके शास्त्रीय ज्ञान और दिव्य प्रेम के सागर से इतने आकर्षित हुए कि स्वामी ने जगत गुरु को अपने आध्यात्मिक गुरु के रूप में देखा।
उसके बाद स्वामी मुकुंदानंद ने यही पर आश्रम में रहते हुए गहन साधना की। इन्होंने इसी स्थान पर वैदिक शास्त्र, भारतीय और पश्चिमी दर्शन प्रणालियों का भी अध्ययन किया। उसके बाद महाराज के गुरु ने इन्हें दुनिया भर में शाश्वत सत्य के ज्ञान को फैलाने के लिए और उसका प्रचार करने का उन पर प्रमुख कार्य भार सौंपा।
स्वामी मुकुंदानंद पहली बार बचपन में योगासन और हठयोग के ध्यान तकनीकों से परिचित हुए थे। बड़े होने के दौरान भी उन्होंने इसका अभ्यास किया। जब वे भक्ति योग में परिवर्तित हुए तो उन्होंने अपने जीवन में कई बदलाव किए। लेकिन योगासन को अपने दैनिक अभ्यास के साथ जारी रखा।
स्वामी मुकुंदानंद की योगा में रुचि देख इनके गुरु कृपालु महाराज ने उन्हें पश्चिमी दुनिया में जो लोग योगा को केवल भौतिक विज्ञान के रूप में समझते हैं और बच्चों को भी एक भौतिक विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाता है, उन्हें योगा की एक समग्र प्रणाली सिखाने के लिए कहा। जिसके बाद स्वामी अपने गुरु के निर्देश पर पूरे भारत में प्रतिष्ठित योग विश्वविद्यालयों का दौरा किया, जहां पर इन्होंने योग तकनीकों का अध्ययन किया।
स्वामी मुकुंदानंद पिछले 25 वर्षों से लाखों साधकों को आध्यात्मिकता के मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। इन्होंने लोगों को योगा के महत्व को समझाया है और योगा को दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित किया है। शास्त्रों के इनके गहरे ज्ञान के कारण ही यह एक महान विद्वान कहलाते हैं।
स्वामी मुकुंदानंद कहते हैं कि हमारी आदतें हमारे परिचय का एक हिस्सा बन जाती है। क्योंकि हमारी आदतें ही हमारे पहचान को गढती है, हमारे व्यक्तित्व को बनाती है। हम अपनी आदतों की मानसिकता के अधीन ही व्यवहार करते हैं। दैनिक व्यवहार हमारी आदतन मानसिकता के कारण ही आते हैं। ऐसे में यदि हर व्यक्ति अपने मन को सकारात्मक पक्ष से देखने का प्रयास करें तो वह कठिन परिस्थितियों में भी आशावादी बना रह सकता है।
FAQ
स्वामी मुकुंदानंद ने विश्व प्रसिद्ध इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी दिल्ली से बीटेक की डिग्री हासिल की है। वहीं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट कोलकाता से इन्होंने एमबीए की डिग्री प्राप्त की है।
नहीं, स्वामी मुकुंदानंद ने विवाह नहीं किया है।
स्वामी मुकुंदानंद को बचपन से ही धार्मिक चीजों में रूचि आने लगी थी और वह बचपन से ही कई पवित्र और धार्मिक पुस्तकों को पढ़ चुके थे।
जगद्गुरु कृपालु महाराज, स्वामी मुकुंदानंद के आध्यात्मिक गुरु हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और सन्यासी स्वामी मुकुंदानंद के जीवन परिचय (Swami Mukundananda Biography in Hindi) के बारे में जाना। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए जानकारीपूर्ण रहा होगा।
इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि स्वामी मुकुंदानंद के आध्यात्मिक जीवन के सफ़र से हर कोई परिचित हो सके।
यह भी पढ़े
संत कृपाराम महाराज का जीवन परिचय
प्रतापपुरी महाराज का जीवन परिचय
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जीवन परिचय
स्वामी सत्यप्रकाश महाराज का जीवन परिचय