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स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

स्टीव जॉब्स को पूरी दुनिया के लोग जानते हैं क्योंकि उनके द्वारा बनाई गई एप्पल कंपनी देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में प्रचलित है।

बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और अरबपति लोग भी एप्पल कंपनी के मोबाइल, लैपटॉप और दूसरे उपकरण का इस्तेमाल करते हैं।

एप्पल के प्रोडक्ट काफी ज्यादा महंगे होते हैं, लेकिन एक बार उनका इस्तेमाल करने के बाद कोई भी व्यक्ति दूसरी किसी भी कंपनी का प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं कर पाता है।

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यही वजह है कि स्टीव जॉब्स की एप्पल कंपनी ने दुनिया के कोने कोने में अपने पांव पसारे।

Steve Jobs Biography In Hindi

आज के समय में स्टीव जॉब्स दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्रेरणादायक स्रोत हैं क्योंकि उन्होंने अपने 56 वर्ष के छोटे से जीवन काल में अनेक सारे ऐसे ऐसे कार्य किए हैं, जो दुनिया के लिए प्रेरणादायक है।

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (Steve Jobs Biography In Hindi)

नामस्टीव जॉब्स
पूरा नामस्टीव पॉल जॉब्स
जन्म और जन्म स्थान24 फरवरी 1955, सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया
असली माता-पिताजोअन्नी सिम्पसन (माता), अब्दुलफत्त जन्दालई (पिता)
गोद लिए गए माता-पिताक्लारा (माता), पॉल (पिता)
धार्मिक मान्यताबौद्ध धर्म
पत्नीलोरेन पॉवेल
बच्चेलीसा ब्रेनन-जॉब्स, रीड, एरिन, ईव
राष्ट्रीयताअमेरिकी
उपलब्धिएप्पल के फाउंडर
निधन5 अक्टूबर 2011, पालो आल्टो, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका
निधन का कारणन्यूरोएंडोक्राइन कैंसर

स्टीव जॉब्स का जन्म और परिवार

स्टीव जॉब्स का जन्म कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में 24 फरवरी 1955 को हुआ था। स्टीव जॉब्स के माता का नाम जोअन्नी सिम्पसन और पिता का नाम अब्दुलफत्त जन्दालई था।

उनके पिता मुस्लिम थे, जो सीरिया के रहने वाले थे जबकि उनकी मां कैथोलिक ईसाई थी।

स्टीव जॉब्स के नाना को इन दोनों का रिश्ता पसंद नहीं था। इसलिए स्टीव जॉब्स को किसी को गोद देने का मन बना लिया। कुछ समय पश्चात स्टीव जॉब्स को पॉल और क्लारा को गोद दे दिया गया।

स्टीव जॉब्स को गोद लेने के बाद पॉल स्टीव जॉब्स के पिता बन गए, जबकि क्लारा स्टील जॉब्स की मां बन गई।

अब स्टीव जॉब्स के गोद लिए गए माता-पिता स्टीव जॉब को लेकर सन 1961 में कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में रहने के लिए आ गए। जहां पर स्टीव जॉब्स को प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल में भर्ती करवाया।

स्टीव जॉब्स बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में काफी रूचि रखते थे। वह खराब हुए उपकरणों को खोल कर चेक करते थे और उन्हें ठीक कर देते थे।

स्टीव जॉब्स का प्रारंभिक जीवन

स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए स्टीव जॉब्स ने ऑरेगोन के रीड कॉलेज में दाखिला लिया।

यह एक अत्यंत महंगा कॉलेज था, जिसकी फीस उनके माता-पिता नहीं भर सकते थे। फिर भी उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए अपने जीवन भर की पूंजी फिस में लगा दी।

स्टीव जॉब्स बचपन से ही अकेले रहते थे। उन्हें बच्चों के साथ खेलना और दोस्ती करना पसंद नहीं था।

फिर भी प्राथमिक स्कूल में उन्होंने एक दोस्त बनाया था और एक लड़की उन्हें कॉलेज में दोस्त के रूप में मिल गयी, जिसका नाम क्रिस्टन ब्रेनन था।

इस समय दोनों को समझ में आया कि इस कॉलेज से उन्हें जीवन में आगे कुछ नहीं मिलने वाला है। यहां पर वह केवल अपना समय और पैसे बर्बाद कर रहे हैं और उन्होंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिया।

शुरुआती जीवन में स्टीव जॉब्स ने अनेक सारी परेशानियों का सामना किया था। कॉलेज छोड़ने के बाद वे दर-दर भटकते रहे। हमेशा वे जमीन पर ही सोया करते थे।

इसके अलावा बोतलें और कचरा बेचकर वे कुछ पैसे कमा लेते थे, जिससे अपना खर्चा निकल सके।

इसके अलावा मुफ्त में खाना खाने के लिए वे “हरे कृष्णा मंदिर” जाते थे, जहां पर उन्हें मुफ्त में भरपेट खाना मिल जाता था।

कुछ दिनों तक ऐसा चलता रहा, उसके बाद स्टीव जॉब्स ने जीवन में कुछ करने का विचार किया।

जीवन में आगे बढ़ने का निर्णय लिया और इलेक्ट्रॉनिक एवं टेक्नोलॉजी के जगत में उन्होंने अपनी रुचि को प्रस्तुत किया।

जीवन यापन करने के लिए वे नौकरी की तलाश में भटकते रहे। सन 1972 में एक वीडियो गेम डेवलपमेंट कंपनी में नौकरी मिल गई।

लेकिन कुछ समय बाद यहां से भी वह निकल गए, जिसके बाद सन 1974 को स्टीव जॉब्स भारत घूमने के लिए आए।

यहां पर उन्होंने 7 महीने भारत में भ्रमण करने के दौरान गुजारे। भारत में उन्होंने तरह-तरह की जगह का दौरा किया।

विशेष रूप से हिमाचल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली घूमें। यहां पर बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त की और 7 महीने बाद वापस अमेरिका लौटने का निर्णय किया।

एप्पल कंपनी की स्थापना

वापस लौटने के बाद स्टीव जॉब्स उसी गेम डेवलपमेंट कंपनी में काम करने के लिए लग गए और अपने दोस्त के साथ यहां पर नौकरी कर रहे थे। इस दौरान दोनों की रूचि कंप्यूटर में बनाने लगी और दोनों ने कंप्यूटर के क्षेत्र में आगे बढ़ने का विचार किया।

दोनों ने अपनी खुद की कंप्यूटर बनाने की कंपनी खोलने का निर्णय किया और कंप्यूटर बनाने के लिए एक गैरेज शुरू किया। उस कंपनी का नाम एप्पल रखा।

उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए पहले कंप्यूटर का नाम एप्पल रखा था। मात्र 21 वर्ष की आयु में उन्होंने पहला कंप्यूटर बनाकर तैयार कर दिया था।

स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एप्पल 2 कंप्यूटर पर काम करना शुरू कर दिया। एप्पल टू कंप्यूटर को लोग काफी ज्यादा पसंद करने लगे एवं देखते ही देखते सन 1980 में एप्पल एक जानी-मानी कंपनी बन गई।

केवल 10 सालों में कंपनी ने 2 मिलियन डॉलर कमा लिए थे और उस समय लगभग 4000 लोग कंपनी में काम करते थे।

अब कंपनी की ग्रोथ बढ़ने लगी और देश को दुनिया में लोकप्रियता भी बढ़ने लगाई थी। हर समय में अपने कंप्यूटर में कुछ अलग कार्य करने के बारे में सोचते रहते थे। यही वजह है कि उन्हें कम समय में बढ़ी लोकप्रियता मिली।

स्टीव जॉब्स का इस्तीफा

स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एप्पल 3 कंप्यूटर लॉन्च किया, लेकिन यह कंप्यूटर पूरी तरह से फैल रहा।‌ पूरी दुनिया में इसे कोई नहीं ले रहा था।

इससे उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर गया। उन्होंने इस कंप्यूटर को बनाने में काफी ज्यादा मेहनत की थी। अब स्टीव जॉब्स को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।

एप्पल कंपनी को हुए बहुत बड़े घाटे का जिम्मेदार सभी लोग स्टीव जॉब्स को ठहरा रहे थे। इसलिए स्टीव जॉब्स ने 17 सितम्बर 1985 एप्पल कंपनी से अपना इस्तीफा दे दिया और एप्पल कंपनी छोड़कर कुछ नया करने की सोच रहे थे।

नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी

एप्पल कंपनी से इस्तीफा देने के बाद स्टीव जॉब्स ने “नेक्स्ट कंप्यूटर” नाम की कंपनी खोली। यहां पर उन्हें बड़े-बड़े इन्वेस्टर मिल गए, जिससे उनका कार्य आसान हो गया।

12 अक्टूबर 1988 को नेक्स्ट कंप्यूटर के अंतर्गत एक बहुत बड़े इवेंट का आयोजन किया गया, जिसमें नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी के अंतर्गत कंप्यूटर लांच किया गया।

यह कंप्यूटर काफी ज्यादा महंगा था, इसीलिए लोग इसे नहीं खरीद रहे थे।

हालांकि यह कंप्यूटर एडवांस तकनीकी पर आधारित था। लेकिन ज्यादा महंगा होने की वजह से लोग इसे नहीं खरीद पा रहे थे।

यही वजह थी कि एक बार फिर नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी के अंतर्गत स्टीव जॉब्स को नुकसान का सामना करना पड़ा था। उसके बाद इस कंपनी को स्टीव जॉब्स ने सॉफ्टवेयर कंपनी में तब्दील कर दिया।

पिक्चर मूवी कंपनी

दो बार बहुत बड़ा घाटा जेलने के बाद स्टीव जॉब्स ने 3D ग्रैफिक्स का कार्य शुरू करने के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर में एक ग्राफिक कंपनी खरीदी। इसका नाम उन्होंने “पिक्चर मूवी” रखा।

इस कंपनी के अंतर्गत उन्होंने 3D ग्रैफिक्स सॉफ्टवेयर बनाकर बेचने शुरू किए। 3D ग्रैफिक्स की सफलता को देखते हुए वर्ष 1991 में डिज्नी ने पिक्चर मूवी कंपनी को एक बड़ी फिल्म बनाने का ऑफर दिया।

उस ऑफर को स्वीकार करते हुए डिज्नी के साथ मिलकर पिक्चर मूवी कंपनी ने अपनी पहली फिल्म “टॉय स्टोरी” बनाई, जिसे काफी अच्छी सफलता मिली। इसके बाद उन्होंने अनेक तरह की फिल्में बनाई और ढेर सारा पैसा कमाया।

एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स

स्टीव जॉब्स की नेक्स्ट कंप्यूटर कंपनी को सन 1997 में एप्पल कंपनी ने 427 मिलियन डॉलर में खरीदने का ऑफर पेश किया।

उस ऑफर को स्वीकार करते हुए स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी फिर से जॉइन कर ली और एप्पल कंपनी के सीईओ बन गए। अब स्टीव जॉब्स के सामने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का जिम्मा था।

स्टीव जॉब्स के अंतर्गत एप्पल कंपनी ने “आईपॉड” नाम के म्यूजिक प्लेयर और “आईटोन” नाम के म्यूजिक सॉफ्टवेयर को लॉन्च किया।

इन दोनों ही प्रोडक्ट को काफी ज्यादा सफलता देखने को मिली। अब दुनिया के सामने एप्पल कंपनी एक नए रूप में खड़े हो चुकी थी।

एप्पल कंपनी ने वर्ष 2007 में अपना पहला एप्पल का मोबाइल फोन लांच किया। इस मोबाइल फोन ने लॉन्च होते ही पूरी दुनिया में क्रांति ला दी।

क्योंकि यह एक ऐसा मोबाइल था, जिसे बड़े-बड़े वीआईपी और अरबपति लोग पसंद करते थे।

यह मोबाइल महंगा जरूर था, लेकिन दुनियाभर के लोग इसे काफी ज्यादा पसंद कर रहे थे। यहां तक कि लोग अपनी संपत्ति को बेच कर मोबाइल को खरीद रहे थे।

इसी क्रांति को देखते हुए स्टीव जॉब्स और अधिक मेहनत करने लगे एवं बेहतर ढंग के नए-नए मॉडल एप्पल कंपनी के मोबाइल के रूप में लांच करने लगे।

स्टीव जॉब्स का आखिरी समय

एप्पल मोबाइल की सफलता के बाद दुनिया भर के लोग स्टीव जॉब्स के बारे में जानने लगे और एक आविष्कार के रूप में स्टीव जॉब को पहचान मिल गई।

लेकिन वर्ष 2003 में स्टीव जॉब्स को कैंसर की बीमारी हो गई, जिसके चलते उन्हें वर्ष 2004 में सर्जरी करवानी पड़ी।

इस सर्जरी में स्टीव जॉब्स का ट्यूमर तो सफलतापूर्वक निकाल दिया गया, लेकिन अब उनका स्वास्थ्य पहले की तरह नहीं रहा। फिर भी स्टीव जॉब्स अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए काम करते रहे।

एक बार फिर वर्ष 2009 में स्टीव जॉब्स की तबीयत खराब हो गई। जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि लीवर ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा।

डॉक्टरों ने उनके परमिशन के आधार पर लिवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन भी कर दिया और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई‌।

जिसके बाद उन्होंने कुछ वर्ष आराम किया और वर्ष 2011 में फिर से एप्पल कंपनी में आकर काम करना शुरू कर दिया था।

अभी भी उनका स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक नहीं था, फिर भी उन्होंने अपने काम को महत्वता दी। क्योंकि वह अपने काम को काफी ज्यादा पसंद कर रहे थे। इसलिए अपने स्वास्थ्य की बजाय उन्होंने काम को प्राथमिकता दी।

अपना स्वास्थ्य बिगड़ता देख स्टीव जॉब्स ने आखिरकार 24 अगस्त 2011 को एप्पल के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया।

स्टीव जॉब्स के इस्तीफा देने के बाद कुछ समय वह घर पर ही आराम कर रहे थे कि आखिरकार 5 अक्टूबर 2011 को कैलिफोर्निया में स्टीव जॉब्स का निधन हो गया।

स्टीव जॉब्स के मौत की सूचना पूरी दुनिया भर में फैल गई। लोगों को उनकी मौत से काफी दुख हुआ क्योंकि वे 56 साल की आयु में इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थे, जिन्होंने मोबाइल जगत में क्रांति लाई थी।

FAQ

स्टीव जॉब्स का जन्म कब और कहां हुआ था?

24 फरवरी 1955 को कैलिफोर्निया में हुआ था।

स्टीव जॉब्स के असली माता पिता का क्या नाम था?

स्टीव जॉब्स की असली मां का नाम जोअन्नी सिम्पसन था, जबकि उनके पिता का नाम अब्दुलफत्त जन्दालई था।

स्टीव जॉब्स कौन-कौन सी कंपनी बनाई थी?

एप्पल, नेक्स्ट कंप्यूटर, पिक्चर मूवी, यह तीन कंपनियां स्टीव जॉब्स ने बनाई थी।

स्टीव जॉब्स की मृत्यु कैसे हुई?

स्टीव जॉब्स की मृत्यु कैंसर और लिवर की खराबी के चलते हुई।

निष्कर्ष

स्टीव जॉब्स एक क्रांतिकारी पुरुष माने जाते हैं, उन्हें आविष्कारक भी कहा जाता है। क्योंकि उनके द्वारा लांच किया गया स्मार्टफोन संपूर्ण दुनिया में मोबाइल के मार्केट में क्रांति ला दी थी।

इस आर्टिकल में स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय (Steve Jobs Biography In Hindi) विस्तार से बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा इसे आगे शेयर जरुर करें।

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