Home > Essay > सत्संगति पर निबंध

सत्संगति पर निबंध

Satsangati Essay in Hindi: हम यहां पर सत्संगति पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में सत्संगति के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Satsangati Essay in Hindi
Image: Satsangati Essay in Hindi

Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

सत्संगति पर निबंध | Satsangati Essay in Hindi

सत्संगति पर निबंध (200 शब्द)

मानव जीवन में संगति का बहुत महत्त्व है क्योंकि मानव एक सामाजिक प्राणी है। ‘सत्’ और ‘संगति’ इन दो शब्द को मिलाकर ‘सत्संगति’ शब्द बनता है। ‘सत्संगति’ का अर्थ होता है अच्छी संगती के साथ रहना। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए हमें अच्छी संगती का साथ बेहद जरुरी है, फिर वो चाहे कोई इंसान हो या कोई किताब। सुसंगति से हमारा आत्म विश्वास बढ़ता है साथ साथ हमारी वाणी और मन भी निर्मल बनता है।

अगर कोई भी सुचरित्र वाले व्यक्ति कुसंगति के चक्कर में पड़ जाये तो उनकी पूरी ज़िंदगी तहसनहस हो सकती है। महाभारत में कर्ण को कौन नहीं जानता?  कर्ण एक दानवीर और सर्वश्रेष्ठ योद्धा था। लेकिन उसने  मलिन विचारवाले दुर्योधन से दोस्ती कर ली। अंत में वो अधर्म के रास्ते पर चला गया और उनका सर्वनाश हो गया।

सत्संगति की वजह से आत्मा पवित्र हो जाती है। जीवन में स्वाभिमान, सदभावना और सकारात्मक सोच जैसे गुणों का उदय होता है। सत्संगति का साथ हमें तूफ़ानों से लड़कर भी हमारे लक्ष्य तक पहुँचता है। हम जैसे लोगों के साथ समय बिताते है धीरे धीरे वही लगों के गुण हमारे अन्दर आ जाते है। इसलिए हमें सदा यही कोशिश करनी चाहिए की हम सत्संगी के साथ अपना समय व्यतीत करे क्योंकि अगर हवा का झोंका बगीचे से आता है, तो वो अपने साथ हमेशा खुशबू ही लाता है।

सत्संगति पर निबंध (600 शब्द)

प्रस्तावना

सुचरित्र के निर्माण लिए अच्छी ‘सत्संगति’ और ‘सुसंस्कार’ होना जरुरी है। सुसंस्कार हमारे पूर्वजन्म की देन है लेकिन सत्संगति वर्तमान जीवन की दुर्लभ विभूति है। ‘सत्संगति’ शब्द दो शब्दों का मिलन है, ‘सत्’ और ‘संगति’। जिसका मतलब होता है अच्छी संगती, सज्जनों की संगति। सत्संगति का हमारे व्यक्तित्व पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

सत्संगति की वजह से ही व्यक्ति में धर्मनिष्ठा, कर्त्तव्यनिष्ठा और सदभावना जैसे गुणों का उदय होता है। जीवन को परम सत्य के मार्ग पर ले जाने के लिए सत्संगति का साथ हमारी जिंदगी में होना बेहद जरुरी है।

सत्संगति का प्रभाव

मानवी एक सामाजिक प्राणी  होने के कारण कई आपसी रिश्तों से जुड़ा हुआ है। अगर एक बुद्धिमान और सर्तक व्यक्ति भी कुसंगति के संपर्क में आता है, तो उस पर उसका बुरा प्रभाव जरूर पड़ता है। हमारे जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्संगति का बड़ा योगदान रहता है। इसका प्रभाव एक सामान्य इंसान को भी महान बना देता है।

सत्संगति से हमें आदर और सत्कार मिलते है और हमारी कीर्ति विस्थापित होती है। जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है, वैसे ही सत्संगति के प्रभाव से  व्यक्ति सत्मार्ग की ओर चलने लगता है। भारत में प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा लिये गुरुकुल भेजा जाता था क्योंकि वे बचपन से ही सत्संगति के प्रभाव में रहे और भविष्य में वे सदा सही मार्ग का चुनाव करे।

सत्संगति के उदाहरण

मनुष्य के दिमाग पर सत्संगति का प्रभाव जरूर पड़ता है। सत्संगति का असर ना सिर्फ मनुष्य पर बल्कि प्राणी और वनस्पति पर भी होता है।अगर आम की टोकरी में एक आम बिगड़ा हुआ होता है, तो वो सारे आम को बिगाड़ देता है। सत्संगति की वजह से ही हनुमान और सुग्रीव जैसे सामान्य वानर भी आज अविस्मरणीय बन गए है। एक कुसंगति हमारे सारे जीवन को नष्ट कर देती है और एक सत्संगति हमारे जीवन को उन्नति की राह दिखाती है।

इसके कई उदाहरण आपको पुराणिक कथा वार्ता में और हमारी आसपास भी नजर आएंगे। महाकाव्य रामायण के सर्जक वाल्मीकि पहले एक डाकू थे। नारद जी के सत्संगति की वजह से आज उनका नाम भारत के अग्रीम ऋषि मुनिओं में शामिल है। गौतम बुद्ध की सत्संगति ने खूंखार डाकू अंगुलिमाल का जीवन ही बदल गया और उन्होंने बौद्ध धर्म की राह पकड़ ली। 

सत्संगति का लाभ

वैसे तो सत्संगति के अनगिनत लाभ है। सत्संगति से ही हमारे विचारों को सही दिशा मिलती है। सत्संगति हमारे जीवन की नाव को कभी तूफान में डूबने नहीं देती। सत्संगति में रहकर हम चरित्रवान बन सकेंगे और ज़िंदगी में कभी गलत रास्ता नही चुनेंगे। कुसंगति एक विष का काम करती है जबकि सत्संगति एक औषध का काम करती है।  सत्संगति के कारण ही व्यक्ति में एक आत्मविश्वास पैदा होता है।

इस से जीवन की बड़ी बड़ी कठिनाइयों का सामना  हम दृढ़तापूर्वक कर सकते है। सत्संगति व्यक्ति को स्वाभिमान प्रदान करती है। व्यक्ति के वाणी और आचरण में सत्य का प्रभाव दिखता है। कुसंगति हमें अँधेरे की खाई की ओर ले जाएगी और सत्संगति का साथ हमें प्रकाश के शिखर पर पहुंचाएगी। सत्संगति  के कारन हम सकारात्मक सोच सकते है और यही सोच धीरे धीरे अच्छे कार्य में परावर्तित होती है। जो हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचाती है।

निष्कर्ष

सत्संगति हमारे संपूर्ण जीवन की आधार शिला है। कुसंगति हमारे जीवन को तहसनहस कर सकती है। सत्संगति  की छाया में मन शांत, स्वच्छ और निर्मल बनता है। हमारे जीवन की उन्नति और एक बेहतर व्यक्त्वि के लिए हमें सदैव बुद्धिमान एवं सज्जन व्यक्तियों की छत्रछाया में रहना चाहिए।

आखिर यह हम पर है की हमें किस प्रकार संगती का चुनाव करना चाहिए। सोचिये अगर रानी कैकई अपनी दासी मंथरा की कुसंगति  आकर भगवान राम को वनवास दिला सकती है, तो आखिर तो हम एक सामान्य इंसान है।

अंतिम शब्द

हमने यहां पर “सत्संगति पर निबंध (Satsangati Essay in Hindi)” शेयर किया है उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं

Read Also

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।