Home > Festivals > सफला एकादशी कब है और क्यों मनाई जाती है?

सफला एकादशी कब है और क्यों मनाई जाती है?

Saphala Ekadashi

सनातन धर्म की माने तो सनातन धर्म में हर एक अनुष्ठान का अपना ही महत्व होता है, जिसके तहत उसे मनाया जाता है। आज हम सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) से संबंधित आपको जानकारी देंगे।

आखिरकार सफला एकादशी क्यों मनाई जाती है? सफला एकादशी को मनाने की पूर्ण विधि की व्याख्या अपने इस आर्टिकल में हम विस्तार पूर्वक करेंगे।

सफला एकादशी क्यों मनाई जाती है?

Saphala Ekadashi को भगवान विष्णु के लिए समर्पण किया गया है। ऐसा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जो भी पुरुष या महिला सफला एकादशी के व्रत का सच्चे मन से अनुष्ठान करते है और इसके व्रत को धारण करते है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

इसी के साथ ऐसा काम, जो बहुत ही लंबे समय से लंबित पड़ा हुआ है, वह भी जल्द से जल्द सफल हो जाता है।

इसीलिए सफला एकादशी को भारत और सनातन हिंदू धर्म में बड़े ही धूमधाम से भगवान विष्णु की आराधना करते हुए उन्हें समर्पण करते हैं और उनको खुश करके मनचाहा फल प्राप्त करते हैं।

यह भी पढ़े: एकादशी कब है 2024 (एकादशी 2024 लिस्ट)

सफला एकादशी कब है? 2024

सफला एकादशी को मनाने की बात करें तो साल 2024 में 7 जनवरी 2024 से लेकर 8 जनवरी 2024 तक सफला एकादशी के व्रत को धारण कर सकते हैं।

आपकी सहुलियत के लिए बता दें कि 7 जनवरी 2024 को मध्य रात्रि के बाद 12:41 पर सफला एकादशी के लिए शुभ मुहूर्त की शुरूवात होंगी, जो कि 8 जनवरी 2024 को रात्रि के 10:41 पर समापन होगा।

इस तरह देखा जाए तो आप सफला एकादशी के व्रत को 8 जनवरी 2024 में सुबह 7:15 पर शुरू कर सकते हैं, जो कि रात्रि के 9:20 तक चलता रहेगा।

सफला एकादशी व्रत की पूजन विधि

सफला एकादशी के व्रत की पूजन विधि निम्नलिखित इस प्रकार है:

  • ऐसे लोग, जो सफला एकादशी का व्रत धारण करना चाहते हैं, वह इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पीले वस्त्र को धारण करें।
  • अब एक पूजा की थाली लें, उसमें चंदन, कुमकुम, पीले वस्त्र और गेंदे के फूल इत्यादि प्रकार को रख ले साथ ही एक लोटा जल भी रख लें।
  • अब भगवान विष्णु की स्तुति करें और उनको पीले वस्त्र और पीले फूल धारण करवाए। इसी के साथ चंदन कुमकुम लगाकर उन्हें जल अर्पण करें।
  • अब विष्णु चालीसा या विष्णु मंत्र का जाप करें। उनको बार-बार प्रणाम करें, फिर सफला एकादशी की कथा करें।
  • इसी के साथ ही आपको पूरा दिन निराहार मतलब बिना खाए इस व्रत को धारण करना है और अगली सुबह द्वादशी के दिन तक इस व्रत को ऐसे ही चलते रहने देना है। फिर द्वादशी के दिन आप इस व्रत का विधिपूर्वक ढंग से समापन कर सकते हैं।

यह भी पढ़े

एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए?

जया एकादशी का महत्व और व्रत कथा

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment