समाजशास्त्र वह विषय हैं, जो समाज के लोगों को संरचना प्रदान करता है तथा एक दूसरे को साथ में मिलकर जीवन यापन करने का ज्ञान देता है। पृथ्वी पर कोई भी मनुष्य अकेला अपना जीवन यापन नहीं कर सकता है। उसे जीवन में कभी ना कभी और किसी ना किसी व्यक्ति विशेष से जरूरत होती ही है।
बिना किसी जरूरत के वह अकेला जीवित नहीं रह पाता है। उसकी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती है। इसीलिए समाज का निर्माण होता है। पूरी पृथ्वी पर मनुष्य का एक समाज बना होता है, जो आपस में एक दूसरे की सहायता प्रदान करता है। एक दूसरे को नया रूप प्रदान करता है। इसी से संबंधित समाजशास्त्र का निर्माण होता है।
समाजशास्त्र के जनक कौन है?
समाजशास्त्र के जनक का “ऑगस्त कॉम्त” थे। इनका जन्म 19 जनवरी 1798 को हुआ था। ऑगस्त कॉम्त एक फ्रांसीसी समाज सुधारक एवं विचारक थे। जिन्होंने समाजशास्त्र की नींव रखी, क्योंकि उनका मानना था कि मनुष्य जीवन के लिए समाज अत्यंत जरूरी है। इसीलिए उन्होंने समाज से संबंधित महत्वपूर्ण एवं जरूरी विषयों पर आधारित समाजशास्त्र विषय का निर्माण किया। इसलिए उन्हें समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है।
ऑगस्त कॉम्त का पूरा नाम “इज़िदोर मारी ऑगस्त फ़्रांस्वा हाविए कॉम्त” था। दुनिया में इन्हें समाज शास्त्र का पिता भी कहा जाता है, क्योंकि यह समाज से जुड़े तथ्यवादी विचार दुनिया के सामने रखते थे और इन्हीं विचारों के आधार पर उन्होंने समाजशास्त्र का निर्माण किया। ऑगस्त कॉम्त के विचार मनुष्य समाज को काफी ज्यादा प्रभावित करते थे, इसीलिए कम समय में उनकी लोकप्रियता काफी ज्यादा बढ़ गई।
ऑगस्त कॉम्त का जन्म फ्रांस के मौन्टपीलियर नामक स्थान पर हुआ था। उनके माता-पिता कैथोलिक धर्म के समर्थक थे। इसीलिए कॉम्त एवं उनके माता पिता के विचार आपस में मेल नहीं खाते थे। दोनों के अलग-अलग विचार से दोनों की अलग-अलग सोच थी।
कॉम्त बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे और वे कम उम्र में ही समाज को एक नई दिशा प्रदान करना चाहते। वे समाज के हित में हर समय सोचते थे और अनेक तरह की रचनाएं लिखते थे। आगे चलकर उनकी रचनाएं प्रकाशित हुई और दुनिया में अंधेरे में प्रकाश का काम कर गई।
कॉम्त ने वर्ष 1825 में कोरोलिन मेसिन से विवाह किया लेकिन विवाह के मात्र 17 वर्ष बाद ही उनके साथ ही समाप्त हो गई। उनके घर की स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी थी, जिसके चलते उन्होंने कई बार आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी।
लेकिन उन्होंने हिम्मत रखी और अपने द्वारा रचित पुस्तक को सन 1830 में प्रकाशित करवाया। इस पुस्तक में प्रकाशित होते ही पूरे फ्रांस में उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। तरह तरह से उन्हें फंड मिलने लगा और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने लगाई थी। यह उनकी रचना का प्रथम खंड था।
उनके द्वारा रचित की गई रचनाएं और लिखित पुस्तकें प्रकाशित होते ही दुनिया भर में अंधेरे में प्रकाश की तरह काम करने लगी। समाजशास्त्र में उनकी रचनाएं काफी कारगर साबित होने लगी। उन्होंने सर्वप्रथम दुनिया में समाजशास्त्र की रचना की थी। उनकी लोकप्रियता हर क्षेत्र में बढ़ने लगी।
लेकिन उन्होंने अपनी पुस्तकों का मूल्य नहीं लिया। उनका कहना था कि विचार एवं ज्ञान अनमोल है। उसका कोई मोल नहीं है। इसीलिए उन्होंने पूरा जीवन गरीबी में गुजारा और आखिरकार वर्ष 1857 में मात्र 59 साल की कम आयु में ही इस दुनिया को छोड़ दिया। उनकी मृत्यु का कारण कैंसर था। उन्हें कैंसर गंभीर रूप से हो गया था, इसीलिए उनकी मृत्यु हो गई।
निष्कर्ष
समाजशास्त्र के जनक ऑगस्त कॉम्त को कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने ही सर्वप्रथम दुनिया में समाज से संबंधित रचनाएं लेख एवं पुस्तकों का प्रकाशन किया था। इसीलिए इन्हें समाज शास्त्र का पिता भी कहा जाता है। इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गरीबी में गुजरा था और आखिरकार कैंसर की गंभीर बीमारी से उनकी मौत हो गई।
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