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कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है?

कुतुबमीनार भारत के सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक जगहों में से एक माना जाता है। यूनेस्को की संस्था के द्वारा इसे वर्ल्ड हेरिटेज की उपाधि दी गई है। कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है (Qutub Minar ki Lambai Kitni Hai) इतना समझ लेने से कुतुबमीनार के बारे में आप नहीं समझेंगे।

कुतुबमीनार कहां से आया?, कुतुबमीनार किसने बनवाया, कुतुबमीनार क्यों बनाया गया (Qutub Minar Kyu Banaya Gaya Tha) और कुतुबमीनार का इतिहास क्या है?, क्यों एक इतनी बड़ी मीनार बनाई गई? और इस मीनार को किस लिए बनाया गया था?, जैसे कुछ आवश्यक सवालों के उत्तर आज के इस लेख में सरल शब्दों में आपके समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं।

Qutub Minar Ki Lambai Kitni Hai
Kutub Minar ki Lambai Kitni Hai

कुतुब मीनार एक बहुत लंबी सी मीनार है, जो 11वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने गुरु के सम्मान में बनवाना शुरू किया था, जिसे इल्तुतमिश की देखरेख में पूरा किया गया। यह किस लिए बनाया गया था? और वास्तव में कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है? के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे सरल शब्दों में दी गई है।

कुतुब मीनार क्या है?

जैसा कि हमने आपको बताया कुतुब मीनार एक लंबी सी मिनार है, जिसे मंजिल दर मंजिल बनाया गया है। इस मीनार में एक लंबी सी सीढ़ी आपको पांच अलग-अलग मंजिल पर लेकर जाती है। यह एक ऐसी मीनार थी, जिसमें आपको पूरे नगर को प्रत्येक मंजिल से जाकर देख सकते थे। जिसमें सबसे खूबसूरत नजारा पांचवीं मंजिल से दिखता था।

इस मीनार को सबसे पहले 1193 में अफगान शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनाया गया था। सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक अपने गुरु की याद में और उनको सम्मान में यह मीनार भेंट करना चाहता था। मगर उसके जीते जी मीनार का केवल पहला मंजिल पूरा हो पाया था। इस पर अभी बहुत काम बाकी था, परंतु उसकी मृत्यु हो गई।

इसकी मृत्यु के बाद इसके गुलाम सुल्तान इल्तुतमिश का शासनकाल शुरू हुआ, जिसमें उसने कुतुबमीनार की कुल चार मीनार बनवाई और उसे छोड़ दिया। उसके बाद दिल्ली सल्तनत पर राज करने वाले अलग-अलग सुल्तानों ने इस मीनार में अलग अलग तरह का फेरबदल किया। जिसके कई सालों बाद पांचवी मंजिल का निर्माण तुगलक वंश के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के द्वारा बनाया गया।

इस तरह कुतुबमीनार को अलग-अलग तरह के राजा के द्वारा बनाया गया है। मगर सबसे पहले कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे बनाने की नींव रखी थी और इल्तुतमिश ने इसे पूरा किया था और आखरी ढांचा इसे फिरोजशाह तुगलक के द्वारा दिया गया था।

कुतुब मीनार का इतिहास क्या है?

दिल्ली अगर कोई घूमने जाता है तो वह कुतुब मीनार देखने अवश्य जाता है। यह एक खूबसूरत संरचना है, जो भारत में दिल्ली सल्तनत की शुरुआत के समय दिल्ली सल्तनत के पहले राजा कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनाया गया था।

हालांकि यह भी बहुत ही विवादित बात है क्योंकि कुतुबुद्दीन ऐबक ने केवल इस मीनार की नींव रखी थी। उसके बाद अन्य सुल्तानों ने इस पर अपने-अपने काम किए हैं। कुतुब मीनार पर आखरी काम तुगलक वंश के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के द्वारा किया गया।

1193 एक दौर था, जब भारत में सुल्तान का राज हुआ करता था। उस वक्त सुल्तान के बेटे में काबिलियत ना होने पर उनके गुलाम को राजा बनाया जाता था। दिल्ली सल्तनत में जितने भी राजा ने राज गद्दी संभाली, वह किसी ना किसी सुल्तान का गुलाम होता था, जिस वजह से दिल्ली सल्तनत पर राज करने वाले सुल्तान को गुलाम वंश का नाम भी दिया गया है।

इस गुलाम वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में अपने गुरु को सम्मान देने के लिए एक मीनार की संरचना की। हालांकि ऐसा उसने क्यों किया? और उस मीनार को बनाने के पीछे क्या कारण था? यह अलग-अलग इतिहासकारों के द्वारा अलग-अलग तरीके से बताया जाता है।

सीधे तौर पर बात की जाएँ तो 1193 में गुलाम वंश के एक सुल्तान में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा एक खूबसूरत मीनार बनाने की नींव रखी गई। जब तक उस मीनार की पहली मंजिल का कार्य पूरा हुआ, तब तक इस सुल्तान की मृत्यु हो गई। जिसके बाद इनके गुलाम इल्तुतमिश ने राजगद्दी संभाली।

इल्तुतमिश ने अपने मालिक के द्वारा शुरू की गई कारीगरी को खत्म करने का कार्य किया। उन्होंने मीनार में 4 मंजिले बनवाई प्रत्येक को सीडी से जोड़ दिया और 1236 तक यह कार्य पूरा हो गया, जिसके बाद इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई।

उसके बाद दिल्ली सल्तनत की बागडोर इनकी बेटी रजिया सुल्तान के पास आई। फिर इसके बाद बलबन आया और इस तरह अलग-अलग सुल्तान दिल्ली की राजगद्दी पर बैठे और प्रत्येक ने इस मीनार में अपने हिसाब से किसी ना किसी तरह का फेरबदल करवाया।

इस मीनार का आखरी बदलाव तुगलक वंश के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के द्वारा किया गया, जिसने मीनार का आखरी मंजिल मतलब सबसे ऊपर का पांचवा मंजिल बनवाया और इसे बाहर से एक खूबसूरत बनावट देकर इस कार्य को खत्म कर दिया।

फिरोजशाह तुगलक एक ताकतवर राजा नहीं थे और उनके किस्से बहुत अधिक प्रचलित नहीं हुए, जिस वजह से उनका नाम कुतुब मीनार की बनावट के दौरान नहीं लिया जाता। कुतुबमीनार को बनाने का श्रेय इसकी नींव रखने वाले कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है।

कुतुबमीनार को किसके लिए बनवाया गया था?

जैसा कि हमने आपको बताया कुतुबमीनार को सबसे पहले 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनाया जा रहा था। उस वक्त वह इस मीनार को अपने सूफी गुरु के लिए बनवा रहे थे, जिस वजह से कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अफगान के प्रसिद्ध सूफी के द्वारा बनवाया जा रहा था।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अलग-अलग तरह के सुल्तानों ने इसे बनवाया और हर किसी का इस मीनार को बनाने के पीछे मकसद अफगानिस्तान के जामा मीनार को अनुसरण करना था। कुछ जगहों पर अभी कहा जाता है कि कुतुबुद्दीन ऐबक अपने आप को सम्मान देने के लिए इस मीनार को बनवा रहा था, मगर उसकी मृत्यु हो गई।

इस काम को उसके गुलाम इल्तुतमिश  के द्वारा पूरा किया गया। मगर उसी वक्त ट्रांसऑक्सियाना से आए एक प्रसिद्ध सूफी को उनके सम्मान में यह मीनार समर्पित कर दिया गया।

चाहे जो भी कारण रहा हो 5 मंजिल वाले इस खूबसूरत मीनार को बनाने के पीछे ज्यादातर इतिहासकारों का मानना यही है कि इसे किसी सूफिया संत के सम्मान में बनाया जा रहा था। चाहे वह कुतुबुद्दीन ऐबक के गुरु रहे हो या इल्तुतमिश के दौर में आए हुए ट्रांसऑक्सियाना के सूफी।

कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है? (Qutub Minar ki Lambai Kitni Hai)

कुतुबमीनार कुल 5 मंजिली मीनार है, जिसे सीढ़ियों से जोड़ा गया है। इसकी कुल लंबाई 72.5 मीटर है। अगर फिट में बात करें तो 238 फीट है, जो आपको शहर का एक खूबसूरत नजारा दिखाएगा।

हालांकि कुतुब मीनार को घूमते वक्त आप उसके अंदर नहीं जा सकते। उसे आम लोगों के लिए प्रतिबंध कर दिया गया है। अब इस मीनार में कोई नहीं जा सकता। 1881 में आए भीषण भूकंप की वजह से मीनार के अंदर का हिस्सा काफी कमजोर हो गया है, जिस वजह से इस मीनार के अंदर प्रवेश करना वर्जित है।

कुतुब मीनार इतिहास की एक अप्रतिम रचना है, जिसे देखने के लिए विश्व भर से लोग हर साल बड़ी तादाद में आते हैं। इसे यूनेस्को किस संस्था के द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट की उपाधि दी गई है।

FAQ

कुतुब मीनार किसने बनाया था?

इस मीनार को सबसे पहले 1193 में अफगान शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनाया गया था। इल्तुतमिश ने इसे पूरा किया था और आखरी ढांचा इसे फिरोजशाह तुगलक के द्वारा दिया गया था।

कुतुब मीनार का निर्माण कब हुआ ?

कुतुबुद्धीन ऐबक के उत्‍तराधिकारी अल्तमश के द्वारा इसकी तीन मंजिलें बनाई गई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक द्वारा पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई गई थी।

कुतुब मीनार की चौड़ाई कितनी है?

कुतुब मीनार का व्यास 14.32 मीटर है, जो ऊपर जाकर शीर्ष पर 2.75 मीटर (9.02 फीट) हो जाता है।

कुतुब मीनार में कितनी सीढ़ियां हैं?

कुतुब मीनार में 379 सीढ़ियां है।

कुतुब मीनार कहां है?

कुतुब मीनार नई दिल्ली के महरौली क्षेत्र में में स्थित है।

निष्कर्ष

इस लेख में हमने आपको यह बताने का प्रयास किया कि कुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है? (Qutub Minar ki Lambai Kitni Hai), कुतुब मीनार किसके लिए बनाया गया? और इस खूबसूरत मीनार को बनाने के पीछे मकसद क्या रहा? दिल्ली में मौजूद इस खूबसूरत मीनार कि संरचना के बारे में जानने के बाद उम्मीद करते है, आपको इससे जुड़ी आवश्यक जानकारी मिली होगी।

अगर इस लेख में बताई गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप कुतुब मीनार की जानकारी इन हिंदी समझ पाएं है, तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें। साथ ही अपने सुझाव विचार या किसी भी प्रकार के प्रश्न को कमेंट में पूछना ना भूलें।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।