दुनिया के कई शानदार राजाओं मे से यह राजा इस बात के लिए जाना जाता है कि उसने सबसे खूंखार नायक सिकन्दर से लोहा लिया था। विश्व इतिहास के पन्नों मे कई राजाओं का नाम दबा हुआ है, जिसमें से एक नाम इस राजा का भी है, जो विश्व में सबसे शक्तिशाली व शानदार राजाओं में गिना जाता है। यह राजा पोरस के नाम से विख्यात है।
इस लेख में हम आपको इस महान राजा के बारे में बताने जा रहे हैं। पोरस की बायोग्राफी जानने के लिए आप इस लेख को अंत तक पढ़ें ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके।
पराक्रमी राजा पोरस का इतिहास और जीवन परिचय
राजा पोरस की सामान्य जानकारी
पूरा नाम | वीर पराक्रमी राजा पोरस |
पहचान | प्रचीन भारतीय इतिहास का एक शासक |
साम्राज्य | उत्तरी भारत का वह हिस्सा, जो वर्तमान में पाकिस्तान में है |
जन्म | पंजाब |
प्राचीन ग्रंथों में जिक्र | हां |
शासन किया | राजा के तौर पर |
पोरस कौन था?
भारत में अब तक बहुत से ऐसे राजा हुऐ है, जिन्होंने अपनी पराक्रम से काफी समय तक राज्य किया। ऐसे में ही भारत की इतिहास की घटनाओं में राजा पोरस का नाम शुमार है। राजा पोरस इतिहास के एक ऐसे पराक्रमी राजा थे, जिन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार झेलम नदी से लेकर चिनाब नदी तक किया हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान तक बहती है।
पोरस के जिस साम्राज्य को हम इतिहास में जानते है, वह वर्तमान में पाकिस्तान में आया हुआ है। यह राजा अपने युद्ध कौशल में काफी पारंगत था। यह एक महावीर योद्धा जरूर था लेकिन फिर भी कुछ इतिहासकार इन्हे एक सच्चा देश भक्त मानते थे। इसके बारे में कोई ठोस जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, परन्तु कुछ साक्ष्यों के आधार पर हम आपको पोरस का जीवन परिचय इस लेख में बता रहे है।
राजा पोरस ने कई बार भारत के लिए खुद को समर्पित किया है और यही कारण है कि महावीर राजा पोरस को भारत का सच्चा योद्धा और एक सच्चा देशभक्त माना जाता है। राजा पोरस ने अपने पराक्रम के बल के कारण पूरे पोरवा वंश का नाम दुनिया भर में उजागर किया।
भारत के महान राजा पोरस ने लगभग 340 ईसा पूर्व से लेकर 315 ईसा पूर्व तक शासन किया। भारत के इस महान राजा का नाम वैसे तो इतिहास में शुमार है ही परंतु इसके साथ-साथ हमारे ऋग्वेद में भी राजा पोरस का नाम शामिल है। इतना ही नहीं बहुत से ऐसे धार्मिक लोग हैं, जो राजा पोरस को ऋग्वेद से जुड़ा हुआ मानते हैं।
पोरस की जानकारी के स्त्रोत
पोरस जो इतिहास का एक बहादुर शासक माना जाता था, उसके बारे में इतिहास में कुछ ज्यादा जानकारी तो उपलब्ध नहीं है। पर जो भी जानकारी इंटरनेट की दुनिया और जितनी भी जानकारी इतिहास की किताबों और पोथियों में उपलब्ध है, उसके अनुसार पोरस को प्रभाव वंश से जोड़ा जा सकता है।
मुख्य रूप से पोरस के जानकारी का स्रोत इंटरनेट को माना जाता है। परंतु कुछ भारतीय इतिहासकार पोरस को पोरू के नाम से भी पुकारते है और उनको पोरू वंश से भी जोड़ते हैं। पोरस की जानकारी का वर्णन प्राचीन ग्रंथ मुद्राराक्षस में भी मिलता है।
सिकन्दर का भारत पर आक्रमण
हमने और आपने सिकंदर के भारत पर आक्रमण को इतिहास की किताबों को पढ़ा है और यह जाना है कि सिकन्दर ने भारत पर अरब के रास्ते से आक्रमण किया था। जिस समय सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था, उस समय पाकिस्तान का अस्तित्व नहीं था।
उस समय भारत वर्तमान पाकिस्तान की पश्चिम सीमा तक फैला हुआ था। सिकंदर ने आक्रमण किया और वह भारत को अपने अधीन करना चाहता था, परन्तु वह ऐसा कर नहीं सका। उसकी वजह यह है कि भारत मे इस समय काफी शक्तिशाली शासक राज किया करते थे।
सिकंदर कौन था?
वैसे तो सिकंदर भारत का रहने वाला नहीं था, परंतु फिर भी भारत के इतिहास में उसका नाम शामिल है। क्योंकि सिकंदर ने भारत में बहुत ज्यादा समय तक राज्य किया और उसने अपना नाम सिकंदर कभी न हारने के कारण रखा था। वैसे तो सिकंदर का अर्थ होता है रक्षक और योद्धा अतः सिकंदर इन दोनों ही कलाओं में महारत था।
सिकंदर ग्रीस देश का रहने वाला था, जिसे द ग्रेट सिकंदर के नाम से आज भी जाना जाता है। दुनियाभर के इतिहास में सिकंदर का नाम सर्वोपरि आता है और आप इतिहास पढ़ कर सिकंदर के महानता के विषय में जान सकते हैं।
सिकंदर ने बहुत ही कम आयु में अपने पिता का सिंहासन संभाला था। क्योंकि पिता जब सिकंदर छोटा था तब ही मृत्यु हो चुकी थी। यदि बात करें सिकंदर के जन्म की तो सिकंदर का जन्म गिरीश के पहला नामक शहर में हुआ था, जो लगभग 356 ईसा पूर्व में हुआ था।
सिकंदर ने जब से राज्य संभाला था तभी से उसने पूरे विश्व भर में अपने शासन को फैलाने का ऐलान कर दिया था और इसके लिए उसने कई सारे युद्ध लड़े और उन्हें जीता भी। ऐसा कहा जाता है कि सिकंदर ने अपने इस विश्व विजई होने के सपने को बहुत ही कम उम्र में पूरा कर दिया था। सिकंदर ने जितने भी युद्ध लड़े उसने उन सभी युद्धों को जीता।
यह भी पढ़े: चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास और मौर्य वंश की स्थापना
सिकन्दर और पोरस के मध्य युद्ध
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं सिकंदर बचपन से ही विश्व जीतना चाहता था और सिकंदर विश्व विजई बनाने के साथ-साथ भारत के महान राजा पोरस को भी हराना चाहता था और उन्हें अपने अधीन में करना चाहता था। सिकंदर चाहता था कि राजा पोरस हार जाएं और सिकंदर की अधीनता स्वीकार करें।
परंतु राजा पोरस ने ऐसा कदापि नहीं स्वीकारा और पोरस ने सिकन्दर के आगे झुकने से मना कर दिया। इसी कारण सिकन्दर और पोरस के मध्य एक भयंकर युद्ध हुआ। सिकन्दर व पोरस के मध्य का यह युद्ध बहुत ही ज्यादा घमासान रहा और इस युद्ध में दोनों ही राजाओं के सेनाओं को काफी क्षति हुई थी।
यह युद्ध झेलम नदी के किनारे 326 ई.पू. लड़ा गया था। इन दोनों के बीच जो युद्ध लड़ा गया था, उसे हाइड स्पेस का युद्ध भी कहा जाता है। हाइड स्पेस एक यूनानी शब्द है और झेलम नदी को प्राचीन समय में इसी यूनानी नाम हाइड स्पेस से जाना जाता था।
सिकंदर जब पोरस से युद्ध करने झेलम नदी के किनारे पर पहुंचा तो उसके पास इतनी बड़ी सेना थी कि वह खुद उन सैनिकों से ही घिरा हुआ था। सिकन्दर के पास इस युद्ध में 50 हजार पैदल सैनिक थे और पैदल सैनिकों की होने के साथ-साथ उसके पास 7 हजार घुड़सवार थे, जो पोरस से युद्ध करने को तैयार थे। वही दूसरी तरह पोरस की सेना में 20 हजार पैदल सैनिक, 4 हजार घुड़सवार, 4 हजार रथ और 130 हाथी के सैनिक थे।
युद्ध से पहले सिकन्दर के सामने एक समस्या थी कि वह इतनी विशाल झेलम नदी को कैसे पार करें? सिकंदर ने युद्ध शुरू होने से एक दिन पहले से ही यह निश्चित किया कि वह उस दिन रात में नदी के दूसरे किनारे जाने के लिए कोई आसान रास्ता ढूंढेगा और कुछ सैनिक लेकर नदी के उस पार पोरस से युद्ध लड़ने जायेगा।
राजा पोरस के पास सेना भले ही छोटी थी, परन्तु उसने अपने 130 हाथी सिकन्दर के सामने एक चट्टान की तरह खड़े कर दिये, जिससे सिकन्दर हक्का बक्का रह गया। सिकन्दर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या करना होगा। राजा पोरस सिकंदर को पूरी तरह से असमंजस में डाल दिया था कि वह उनसे युद्ध करें या नहीं। परंतु सिकंदर भी हार नहीं मानने वाला था और इसीलिए उसने राजा पोरस पर चढ़ाई करने का निश्चय किया।
इन सभी समस्याओं को चीरता हुआ सिकंदर झेलम नदी से पार हुआ और सिकंदर एवं राजा पोरस के बीच में हाइड्रेस्टिस का यह युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध में पोरस की सेना के हाथियों ने सिकन्दर की सेना को तितर बितर कर दिया। लगभग 8 घंटे लगातार लड़ने के बाद भी सिकन्दर पोरस से जीत नहीं पाया।
इस युद्ध में दोनों तरफ से ऐसा नरसंहार हुआ कि दोनों तरफ की सेना के काफी लड़ाके मारे गये। कई इतिहार ऐसा भी बताते है, जिस समय युद्ध हो रहा था, उस समय वहां पर बारिश हो रही थी, जिसने इस युद्ध को और भी भयंकर बना दिया।
इस युद्ध में सिकंदर ने जब अपनी सेना को तास के पत्तों की तरह बिखरते हुए देखा तो उसने पोरस के पास संधि का प्रस्ताव भेजा, जिसे पोरस ने तुरंत मान लिया। कुछ इतिहासकार ऐसा मानते है कि सिकन्दर के संधि प्रस्ताव को मानना पोरस की मजबूरी थी।
क्योंकि अगर वह युद्ध ज्यादा समय तक चलाता तो पोरस की हार तय थी। पोरस को इस बात का अभाव था कि सिकंदर की मदद करने के लिए और एक बड़ी सेना आने वाली है, जिस वजह से पोरस ने संधि के प्रस्ताव को मान लिया।
युद्ध का परिणाम क्या था?
इस युद्ध में क्या हुआ था, इस बात पर अभी तक इतिहासकार भी अपनी राय पूरी तरीके से नहीं रख पाये हैं। कुछ इतिहासकार मानते है कि राजा पोरस इस युद्ध में विजय श्री प्राप्त की थी। क्योंकि सिकन्दर ने उनसे संधि कर ली थी और संधि के अनुसार सिकंदर अब झेलम नदी से आगे नहीं बढ़ेगा। हालांकि यह केवल एक तथ्य है, जो इतिहास द्वारा बताये गये है।
शुद्ध व स्पष्ट इतिहास लिखने वाले प्लूटार्क का मानना है कि इस युद्ध में सिकंदर हार गया था। क्योंकि जिस तरह से पोरस की सेना ने हमला बोला था, उससे सिकन्दर भी हक्का बक्का रह गया था।
इस युद्ध की घटना के बाद कुछ इतिहासकार अब यह भी कहते है कि सिकन्दर पोरस से जीत गया था। इतिहासकार अपनी इस तथ्य के पीछे इस बात को बताते है कि अगर सिकन्दर हारा होता तो वह ब्यास नदी तक नहीं पहुचता, जो कि झेलम नदी से काफी आगे और पोरस के राज्य की सीमा में है।
इस युद्ध का परिणाम कुछ भी हुआ हो पर कुछ इतिहासकार इस राजा को एक महान राजा मानते है।
पोरस के सामने सिकंदर की जीत को लेकर संदेह
जब हाइडस्पेश युद्ध खत्म हुआ तो इसमें सिकंदर की जीत प्राप्त हुई। जीतने के बाद सिकंदर ने पोरस के राज्य पर कब्जा नहीं किया। इतिहास में लिखी इस बात पर आज भी विवाद है, क्योंकि इतिहास में सिकंदर के आचरण और चरित्र को बहुत ही निर्दनिय, अत्याचारी और अत्यंत कूटाल लड़ाकू के रूप में बताया गया है।
सिकंदर एक ऐसा शासक था, जो सत्ता प्राप्त करने के लिए अपने पिता और भाई तक का कत्ल कर दिया। ऐसे में विवाद होना तो निश्चित है कि आखिर जो शासक अपने भाई और पिता का नहीं हो सका, वह एक दुश्मन के प्रति दरियादिली कैसे दिखा सकता है और उसको हराने के बावजूद भी उसने उसके राज्य पर कब्जा नहीं किया यह सोचने की बात है।
हालांकि कुछ इतिहासकार कहते हैं कि कुछ ऐसे चापलूस इतिहासकार हुए, जो सच्चे तथ्यों पर लीपापोती कर के सिकंदर को एक अच्छा और सच्चा शासक दर्शाने की कोशिश किये हैं।
महान व शक्तिशाली नेता था पोरस
भारतीय इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से अपना नाम दर्ज करवाने वाले इस राजा को इतिहासकार एक महान व शक्तिशाली राजा मानते हैं। उनका मानना है कि पोरस एक ऐसा राजा था, जिसने कई सालों तक भारत पर होने वाले विदेशी आक्रमण से बचाया है।
कुछ इतिहासकार तो झेलम नदी पर हुए सिकन्दर और पोरस के युद्ध की घटना का भी वर्णन करते है कि वह शक्तिशाली राजा था, जिसने सिकंदर को भी रोक कर रखा था।
इतिहासकारों के अनुसार पोरस था स्वार्थी राजा
कुछ इतिहासकार पोरस को एक महान राजा मानते है। वहीँ कुछ इतिहासकार पोरस को स्वार्थी भी मानते है और इन्हीं सब में बहुत से इतिहासकार ऐसे हैं, जिन्होंने ऐसे इतिहासकारों का जमकर विरोध किया, जिन्होंने और उसको स्वार्थी कहा था।
जितने भी इतिहासकार पोरस को स्वार्थी मानते थे, उनका ऐसा कहना था कि वह भारत के अन्य गणराज्य को पोरस के राज्य के निकट थे। उन पर जब सिकंदर ने आक्रमण किया था तो उस समय पोरस ने सिकंदर की मदद की थी, जिसके पीछे उसका उसके राज्य विस्तार का स्वार्थ था।
सिकन्दर और उन गणराज्यों के बीच जब युद्ध हुआ था तब पोरस ने अपनी 20,000 की सेना भेजकर सिकंदर की सहायता की थी। इस घटना को इतिहासकार स्वार्थ की संज्ञा देते है और इसी का विरोध करते हुए इतिहासकारों ने यह कहा कि पोरस के मन में दूसरों की मदद करने की विशेषता थी।
इसी कारण से उसने राज्यों के कारण सिकंदर पर हमला किए जाने पर उसकी मदद की थी। हालांकि हर एक व्यक्ति के मन में कुछ ना कुछ स्वार्थ जरूर होता है। परंतु पोरस के देशभक्ति कार्यों को देखते हुए उसे स्वार्थी कहना गलत होगा।
पोरस का राज्य विस्तार
इस हिन्दू राजा पोरस का राज्य झेलम नदी से लेकर चिनाब नदी तक फैला हुआ था, जो स्थान वर्तमान में पाकिस्तान में बसा हुआ है। राजा पोरस का कार्यकाल 340 ई.पू से 315 ई.पू. तक माना जाता है।
सिकन्दर ने पोरस को हराकर वापस किया राज्य
कहा जाता है कि सिकन्दर और पोरस के बीच हुए युद्ध में जब सिकन्दर यह युद्ध जीता था तब सिकन्दर पोरस से मिलने आया तब सिकन्दर ने पोरस से पूछा ‘‘तुम्हारे साथ क्या किया जाए?’’ तो इस पर पोरस ने जवाब दिया ‘‘जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है’’ इस पर सिकन्दर काफी खुश हुआ और सिकंदर ने पोरस का राज्य उसे वापस लौटा दिया।
पोरस की मृत्यु कैसे हुई थी?
पोरस की मृत्यु के पीछे भी कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजा पर्वतक अर्थात पोरस की मृत्यु एक विषकन्या के कारण हुई थी। इस बात पर अभी तक संदेह है कि उसकी मृत्यु एक विषकन्या के कारण हुई थी।
इंटरनेट के स्त्रोतों की माने तो युदोमोस ने पोरस का कत्ल कर दिया था, यह घटना 321 ई. से 315 ई के बीच की मानी जाती है। हालांकि इतिहासकारों के पास इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलते है कि पोरस की मृत्यु कैसे हुई थी।
इसके विपरीत कुछ इतिहासकारों का कहना है कि राजा पोरस की मृत्यु आईडी स्पेस के युद्ध के समाप्त होने के बाद एक बीमारी के चपेट में आने के कारण हुई थी। अतः इस बीमारी को भी कुछ इतिहासकारों के द्वारा विषकन्या का श्राप ही माना गया।
राजा पोरस और सिकंदर पर बनी हुई फिल्म
यदि वास्तविकता देखी जाए तो टीवी पर आने वाली यह फिल्म पूरी तरह से पोरस के जीवनी पर आधारित नहीं थी। बल्कि यह फिल्म पोरस और सिकंदर के बीच हुई हाइड्रेस्टिस की लड़ाई थी। इस युद्ध पर यह फिल्म 1941 में बनी थी, जिसमें पृथ्वीराज कपूर ने सिकंदर का रोल अदा किया था और इस फिल्म का नाम भी सिकंदर ही रहा गया था।
वर्तमान समय में सोनी टीवी के द्वारा उसके चैनल पर 27 नवम्बर 2017 से 13 नवम्बर 2018 के बीच पोरस नाम से एक धारावाहिक प्रसारित किया गया, जिसमें राजा पोरस की वीरता की गाथाओं को दिखाया गया है।
FAQ
पोरस एक हिन्दू राजा था, जो उत्तरी भारत के कुछ भाग पर राज करता था।
कुछ इतिहासकार बताते है कि पोरस का राज्य विस्तार झेलम नदी से लेकर चिनाबा नदी तक था।
सिकन्दर व पोरस के मध्य युद्ध झेलम नदी के किनारे लड़ा गया था, जो कि 326 इ.पू लड़ा गया था। इन दोनों के बीच जो युद्ध लड़ा गया था, उसे Battle of Hydaspes भी कहा जाता है।
राजा पोरस महारानी लाची और महाराजा पोरस का पुत्र था, जिसका नामकरण खुद स्वयं चाणक्य ने किया था। कहा जाता है इसमें सिकंदर के आक्रमण में 12 लोगों को अकेले मौत के घाट उतार दिया था।
इस बात पर कुछ इतिहासकारों में अभी भी मतभेद है।
इंटरनेट के स्त्रोत की माने तो युदोमोस ने पोरस का कत्ल कर दिया था, यह घटना 321 ई. से 315 ई के बीच की मानी जाती है।
भारत इतिहासकार पोरस को पूरू भी कहते हैं और माना जाता है कि प्राचीन संस्कृत ग्रंथ में और मुद्राराक्षस में जिस प्रवर्तक राजा का वर्णन किया गया है, वह कोई और नहीं बल्कि पोरस ही था। इसका संबंध प्राचीन पूरूवास वंश से भी जोड़ा जाता है, जिसे इसके राज्य की भौगोलिक स्थिति के आधार पर जोड़ा जाता है।
इतिहास में सिकंदर और पोरस की लड़ाई में सिकंदर को विजेता बताया गया है। लेकिन आज के विद्वान मानते हैं कि यदि ऐसा सचमुच होता तो सिकंदर मगध तक पहुंच जाता जिससे भारत का इतिहास कुछ और होता लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। शायद इतिहास लिखने वाले यूनानियो ने सिकंदर की हार को इसका विजय बना दिया और पोरस को इस युद्ध में हार घोषित किया है।
झेलम नदी को।
निष्कर्ष
इस लेख में आपने जाना कि पोरस कौन था और किस तरह से उसने सिकन्दर के साथ युद्ध किया। इस लेख में आपको पोरस के जीवन की कुछ घटनाओं के बारे में बताया गया है। उम्मीद करते है आपको यह लेख पराक्रमी राजा पोरस का इतिहास और जीवन गाथा पसंद आया होगा।
यह भी पढ़े
गुप्त साम्राज्य का इतिहास और रोचक तथ्य
अहिल्याबाई होल्कर का जीवन परिचय
रुद्रमादेवी का भारतवर्ष में गौरवशाली इतिहास एवं उनका परिचय
छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास