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जिंदगी पर हिन्दी कविता

नमस्कार दोस्तों, हमने इस पोस्ट में हिन्दी में जीवन पर कविताएँ (Poem on Life in Hindi) शेयर की है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जिंदगी पर कविता (Zindagi Par Kavita) पसंद आयेंगी।

Poem on Life in Hindi

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जीवन पर हिन्दी कविताएँ | Poem on Life in Hindi

प्याला (Poem on Life in Hindi)

जीवन की सच्चाई पर कविता

मिट्टी का तन, मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।

कल काल-रात्रि के अंधकार
में थी मेरी सत्ता विलीन,
इस मूर्तिमान जग में महान
था मैं विलुप्त कल रूप-हीं,
कल मादकता थी भरी नींद
थी जड़ता से ले रही होड़,
किन सरस करों का परस आज
करता जाग्रत जीवन नवीन?
मिट्टी से मधु का पात्र बनूँ–
किस कुम्भकार का यह निश्चय?
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।1।।

भ्रम भूमि रही थी जन्म-काल,
था भ्रमित हो रहा आसमान,
उस कलावान का कुछ रहस्य
होता फिर कैसे भासमान.
जब खुली आँख तब हुआ ज्ञात,
थिर है सब मेरे आसपास;
समझा था सबको भ्रमित किन्तु
भ्रम स्वयं रहा था मैं अजान.
भ्रम से ही जो उत्पन्न हुआ,
क्या ज्ञान करेगा वह संचय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।2।।

जो रस लेकर आया भू पर
जीवन-आतप ले गया छिन,
खो गया पूर्व गुण,रंग,रूप
हो जग की ज्वाला के अधीन;
मैं चिल्लाया ‘क्यों ले मेरी
मृदुला करती मुझको कठोर?’
लपटें बोलीं,’चुप, बजा-ठोंक
लेगी तुझको जगती प्रवीण.’
यह,लो, मीणा बाज़ार जगा,
होता है मेरा क्रय-विक्रय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।3।।

मुझको न ले सके धन-कुबेर
दिखलाकर अपना ठाट-बाट,
मुझको न ले सके नृपति मोल
दे माल-खज़ाना, राज-पाट,
अमरों ने अमृत दिखलाया,
दिखलाया अपना अमर लोक,
ठुकराया मैंने दोनों को
रखकर अपना उन्नत ललाट,
बिक,मगर,गया मैं मोल बिना
जब आया मानव सरस ह्रदय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।4।।

बस एक बार पूछा जाता,
यदि अमृत से पड़ता पाला;
यदि पात्र हलाहल का बनता,
बस एक बार जाता ढाला;
चिर जीवन औ’ चिर मृत्यु जहाँ,
लघु जीवन की चिर प्यास कहाँ;
जो फिर-फिर होहों तक जाता
वह तो बस मदिरा का प्याला;
मेरा घर है अरमानो से
परिपूर्ण जगत् का मदिरालय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।5।।

मैं सखी सुराही का साथी,
सहचर मधुबाला का ललाम;
अपने मानस की मस्ती से
उफनाया करता आठयाम;
कल क्रूर काल के गलों में
जाना होगा–इस कारण ही
कुछ और बढा दी है मैंने
अपने जीवन की धूमधाम;
इन मेरी उलटी चालों पर
संसार खड़ा करता विस्मय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।6।।

मेरे पथ में आ-आ करके
तू पूछ रहा है बार-बार,
‘क्यों तू दुनिया के लोगों में
करता है मदिरा का प्रचार?’
मैं वाद-विवाद करूँ तुझसे
अवकाश कहाँ इतना मुझको,
‘आनंद करो’–यह व्यंग्य भरी
है किसी दग्ध-उर की पुकार;
कुछ आग बुझाने को पीते
ये भी,कर मत इन पर संशय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।7।।

मैं देख चुका जा मसजिद में
झुक-झुक मोमिन पढ़ते नमाज़,
पर अपनी इस मधुशाला में
पीता दीवानों का समाज;
यह पुण्य कृत्य,यह पाप क्रम,
कह भी दूँ,तो क्या सबूत;
कब कंचन मस्जिद पर बरसा,
कब मदिरालय पर गाज़ गिरी?
यह चिर अनादि से प्रश्न उठा
मैं आज करूँगा क्या निर्णय?
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।8।।

सुनकर आया हूँ मंदिर में
रटते हरिजन थे राम-राम,
पर अपनी इस मधुशाला में
जपते मतवाले जाम-जाम;
पंडित मदिरालय से रूठा,
मैं कैसे मंदिर से रूठूँ ,
मैं फर्क बाहरी क्या देखूं;
मुझको मस्ती से महज काम.
भय-भ्रान्ति भरे जग में दोनों
मन को बहलाने के अभिनय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।9।।

संसृति की नाटकशाला में
है पड़ा तुझे बनना ज्ञानी,
है पड़ा तुझे बनना प्याला,
होना मदिरा का अभिमानी;
संघर्ष यहाँ किसका किससे,
यह तो सब खेल-तमाशा है,
यह देख,यवनिका गिरती है,
समझा कुछ अपनी नादानी!
छिप जाएँगे हम दोनों ही
लेकर अपना-अपना आशय.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।10।।

पल में मृत पीने वाले के
कल से गिर भू पर आऊँगा,
जिस मिट्टी से था मैं निर्मित
उस मिट्टी में मिल जाऊँगा;
अधिकार नहीं जिन बातों पर,
उन बातों की चिंता करके
अब तक जग ने क्या पाया है,
मैं कर चर्चा क्या पाऊँगा?
मुझको अपना ही जन्म-निधन
‘है सृष्टि प्रथम,है अंतिम ली.
मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय।।11।।

हरिवंशराय बच्चन

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जीवन की ढलने लगी साँझ (Poem on Life in Hindi)

जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।

बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ।

सपनों में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।

-अटल बिहारी वाजपेयी

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जीवन की ही जय हो (Poem on Life in Hindi)

Latest Poem on Life in Hindi

मृषा मृत्यु का भय है
जीवन की ही जय है।

जीव की जड़ जमा रहा है
नित नव वैभव कमा रहा है
यह आत्मा अक्षय है
जीवन की ही जय है।

नया जन्म ही जग पाता है
मरण मूढ़-सा रह जाता है
एक बीज सौ उपजाता है
सृष्टा बड़ा सदय है
जीवन की ही जय है।

जीवन पर सौ बार मरूँ मैं
क्या इस धन को गाड़ धरूँ मैं
यदि न उचित उपयोग करूँ मैं
तो फिर महाप्रलय है
जीवन की ही जय है।

-मैथिलीशरण गुप्त

मैं जीवन में कुछ कर न सका (Poem on Life in Hindi)

मैं जीवन में कुछ न कर सका!

जग में अँधियारा छाया था,
मैं ज्‍वाला लेकर आया था
मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!

अपनी ही आग बुझा लेता,
तो जी को धैर्य बँधा देता,
मधु का सागर लहराता था, लघु प्‍याला भी मैं भर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!

बीता अवसर क्‍या आएगा,
मन जीवन भर पछताएगा,
मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!

-हरिवंशराय बच्चन

जीवन (Poem on Life in Hindi)

Poem On Life In Hindi Language

तुहिन के पुलिनों पर छबिमान,
किसी मधुदिन की लहर समान;
स्वप्न की प्रतिमा पर अनजान,
वेदना का ज्यों छाया-दान;
विश्व में यह भोला जीवन—
स्वप्न जागृति का मूक मिलन,
बांध अंचल में विस्मृतिधन,
कर रहा किसका अन्वेषण?
धूलि के कण में नभ सी चाह,
बिन्दु में दुख का जलधि अथाह,
एक स्पन्दन में स्वप्न अपार,
एक पल असफलता का भार;
सांस में अनुतापों का दाह,
कल्पना का अविराम प्रवाह;
यही तो है इसके लघु प्राण,
शाप वरदानों के सन्धान!
भरे उर में छबि का मधुमास,
दृगों में अश्रु अधर में हास,
ले रहा किसका पावसप्यार,
विपुल लघु प्राणों में अवतार?
नील नभ का असीम विस्तार,
अनल के धूमिल कण दो चार,
सलिल से निर्भर वीचि-विलास
मन्द मलयानिल से उच्छ्वास,
धरा से ले परमाणु उधार,
किया किसने मानव साकार?
दृगों में सोते हैं अज्ञात
निदाघों के दिन पावस-रात;
सुधा का मधु हाला का राग,
व्यथा के घन अतृप्ति की आग।
छिपे मानस में पवि नवनीत,
निमिष की गति निर्झर के गीत,
अश्रु की उर्म्मि हास का वात,
कुहू का तम माधव का प्रात।
हो गये क्या उर में वपुमान,
क्षुद्रता रज की नभ का मान,
स्वर्ग की छबि रौरव की छाँह,
शीत हिम की बाड़व का दाह?
और—यह विस्मय का संसार,
अखिल वैभव का राजकुमार,
धूलि में क्यों खिलकर नादान,
उसी में होता अन्तर्धान?
काल के प्याले में अभिनव,
ढाल जीवन का मधु आसव,
नाश के हिम अधरों से, मौन,
लगा देता है आकर कौन?
बिखर कर कन कन के लघुप्राण,
गुनगुनाते रहते यह तान,
“अमरता है जीवन का ह्रास,
मृत्यु जीवन का परम विकास”।
दूर है अपना लक्ष्य महान,
एक जीवन पग एक समान;
अलक्षित परिवर्तन की डोर,
खींचती हमें इष्ट की ओर।
छिपा कर उर में निकट प्रभात,
गहनतम होती पिछली रात;
सघन वारिद अम्बर से छूट,
सफल होते जल-कण में फूट।
स्निग्ध अपना जीवन कर क्षार,
दीप करता आलोक-प्रसार;
गला कर मृतपिण्डों में प्राण,
बीज करता असंख्य निर्माण।
सृष्टि का है यह अमिट विधान,
एक मिटने में सौ वरदान,
नष्ट कब अणु का हुआ प्रयास,
विफलता में है पूर्ति-विकास।

-महादेवी वर्मा

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जीवन दीप (Poem on Life in Hindi)

Poetry on Life in Hindi

किन उपकरणों का दीपक,
किसका जलता है तेल?
किसकि वर्त्ति, कौन करता
इसका ज्वाला से मेल?

शून्य काल के पुलिनों पर-
जाकर चुपके से मौन,
इसे बहा जाता लहरों में
वह रहस्यमय कौन?

कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
है अतीत तम घोर;
कौन बता देगा जाता यह
किस असीम की ओर?

पावस की निशि में जुगनू का-
ज्यों आलोक-प्रसार।
इस आभा में लगता तम का
और गहन विस्तार।

इन उत्ताल तरंगों पर सह-
झंझा के आघात,
जलना ही रहस्य है बुझना-
है नैसर्गिक बात!

-महादेवी वर्मा

कठिन जीवन पर कविता (Poem on Life in Hindi)

जिंदगी को आज हम
अपने मुताबिक करते हैं,
खुशनुमा है जिंदगी आज
ये हम साबित करते हैं।
जब दर्द ये दिल का बढ़ जाए
उस दर्द को अपनी दवा बना,
जो निकले चीख कभी फिर तो
उस चीख से अपना जोश बढ़ा,
चलता जाना अपने रस्ते
मंजिल की तरफ अब कदम बढ़ा,
आज इस नीरस मन को
फिर से उत्साहित करते हैं,
खुशनुमा है जिंदगी आज
ये साबित करते हैं।
कुछ कहते हैं मजबूर हैं हम
उस वक़्त से कुछ अभी दूर हैं हम,
लेकिन इतिहास ये कहता है
मजबूरी ही बनती ताकत,
जब लहू रगों में दौड़ता है
और हिम्मत की होती है आहट,
ऐसे ही गुणों को हम
खुद में समाहित करते हैं,
खुशनुमा है जिंदगी आज
ये साबित करते हैं।
इस दुनिया में सब इंसान नहीं
इंसान वो है जो खुश रह जीता है,
पर जिसको देखो वहीँ यहाँ पर
झूठे से आंसू रोता है,
और नहीं कोई हम ही
अपने हालातों के जिम्मेदार हैं,
तो आज अभी से खुद को हम
खुशियों पर आधारित करते हैं,
खुशनुमा है जिंदगी आज
ये साबित करते हैं।
है यही समय यही अवसर है
है कोई नहीं बस एकसर है,
चल आज दिखा दे दुनिया को
आने वाली तेरी सहर है,
न रोक सकेंगे अब हमको
ये राह में जो कांटे, पत्थर हैं,
आज दूर दिल से हम
अपने सुगबुगाहट करते हैं,
खुशनुमा है जिंदगी आज
ये साबित करते हैं।

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परिवर्तन नियम है जीवन का (Poem on Life in Hindi)

Hindi Kavita on Life

परिवर्तन नियम है जीवन का,
स्वीकार इसे करना होगा।
समय का चक्र चलता ही रहता,
संग हमको भी चलना होगा।

कंटक राह मिलेगी राही,
उनमें फूलों को चुनना होगा।
चट्टानों सी बाधायें मिलें तो,
बन पर्वत उनसे लड़ना होगा।

राह सरल हो या कठिन,
हमको दृढ़निश्चयी बनना होगा।
लक्ष्य न हासिल हो जाये तब तक,
अडिग लक्ष्य पर टिकना होगा।

परिवर्तन नियम है जीवन का,
स्वीकार इसे करना होगा।
माना परिवर्तन जरूरी है,
पर इसकी भी सीमाएं हैं।

परिवर्तित जीवन की,
अपनी भी कुछ मर्यादाएं है।
आहत न हो किसी की खुशियाँ,
इतना स्वयं को बदले हम।

जिससे अपनी संस्कृति और परम्परा के,
पहलू पर खरे उतरे हम।
ऐसी मानसिकता के ही साथ,
स्वयं को बदलना होगा।

परिवर्तन नियम है जीवन का,
स्वीकार इसे करना होगा।

-निधि अग्रवाल

SAD POEM ON LIFE IN HINDI

Latest Hindi Poem on Zindagi

क्यों चाहूँ मैं तुम्हे, तुम भले मेरी तकदीर सही,
क्यों सराहूं मैं तुम्हे, तुम चाहे मेरे करीब सही,
क्यों तेरे ख़याल मुझे रहने नहीं देते तन्हा,
मेरी लिखावट में घुल जाती है तेरी बेवफाई सही,
तू कोई अपना तो नही था, फिर भी तेरे लिए ये खलती है ये दूरियाँ भी कहीं
रिश्ता कुछ अपनों सा है,
रिश्ता कुछ सपनों सा है,
थोड़ा अजनबी सा है,
थोड़ा पहचाना सा है….
तुम्हारा इन्तजार करूँ??
या आगे का सफर तय करूँ??
हर रास्ते पर मोड मिलते हो कहीं ना कहीं
तो मुस्कुरा देगें हमसफर रेलगाड़ी के हो जैसे…..

संघर्ष पर हिंदी कविता (SHORT POEM ON LIFE IN HINDI)

जिंदगी के बहुमूल्य पल बन जाते हैं, लम्हे,
जिंदगी का गुजरा कल बन जाते हैं, लम्हे।
यादों के खजाने से निकल-निकल कर आते हैं,
वो लम्हे, लम्हा-लम्हा बेकरारी का लम्हा दे जाते हैं । ।
गीली मिट्टी की सौंधी खुशबू से महक जाते हैं लम्हे,
पत्तों पर ओस की बूंद से ढुलक जाते हैं, लम्हे।
क्यूंकर सावन की पहली बारिश से बरस जाते हैं,
आंखों में फिर धुंआ-धुंआ से छलक जाते हैं, लम्हे।
जब कभी वक्त की कसौटी पर खरे उतर जाते हैं,
वो लम्हे, यादगारी के तब भी लम्हे दे जाते हैं।।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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