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दादी पर कविता

Poem on Grandmother in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहाँ पर हमने दादी पर कविताएँ शेयर की है। उम्मीद करते हैं आपको यह हिंदी कविताएँ पसंद आएँगी। इन कविताओं को आगे शेयर जरूर करें।

Poem on Grandmother in Hindi

दादी पर हिन्दी कविताएँ | Poem on Grandmother in Hindi

दादी माँ चिन्ता छोड़ो

दादी माँ तुम हमेशा चिन्ता करती हो
अपने बेटे, बहुओं, पोते-नातियों की
चिट्ठियों की चिन्ता
बाहर जब कभी होता है
अँधेरा या हवा का शोर
या वह ऋतु आती है
जब अमरूद पकते हैं
और शब्द होता है
बीते हुए खामोश दिनों का

अपनी झुकी हुई झुर्रियों वाली
गरदन पर चादर लपेटे
तब तुम धीमी आग, गर्म रोशनी होती हो

दादी माँ, युधिष्ठिर के लिए दुःखी होना
तुम्हारे महाभारत का हिस्सा है
अब दुर्योधन की पीठ पर
प्रतिष्ठा का कम्पयुटर कारखाना है
गँधारी आँख पर बँधी पट्टी नहीं खोलती
आँख और हाथ के बीच दहशत भरा जंगल है
तुम्हारी आँख के पास दतर होता
तब यमराज तुम से हँस-हँस कर बातें करता
अश्वत्थामा दूध के लिए रो-रो कर मरता रहा
दूध का दुःख उन दिनों भी था
बाबुओं की जंघाएँ तगड़ी, गरदनें पुष्ट थीं
द्रौपदी की पीठ पर
सांसदों की हँसी, धर्म व्यापार था

दादी माँ, अब आग तपने
और भूभल में लाल हुए
शकरकंद खाने की चिन्ता छोड़ो
तुम्हारे नाती-पोते
बबलगम चिगलते
अँगरेजी मदरसों में पढ़ते
बड़े हो रहे हैं।

दादी माँ (दादी की कविता)

Dadi Poem in Hindi

मम्मी की फटकारों से
हमें बचाती दादी माँ।
कितने प्यारे वादे करती-
और निभाती दादी माँ।
पापा ने क्या कहा-सुना,
सब समझाती दादी-माँ!
चुन्नू-मुन्नू कहाँ गए,
हाँक लगाती दादी माँ।
ऐनक माथे पर फिर भी
शोर मचाती दादी माँ।
‘हाय राम! मैं भूल गई’-
हमें हँसाती दादी माँ।
गरमा-गरम जलेबी ला,
हमें खिलाती दादी माँ।
कभी शाम को अच्छी सी
कथा सुनाती दादी माँ,
खूब डाँट दे पापा को,
भौहें चढ़ाती दादी माँ।
हम भी गुमसुम हो जाएँ,
रोब जमाती दादी माँ!

-बाबूराम शर्मा ‘विभाकर’

दादा-पोती (दादी और पोती पर कविता)

दादा और पोती पर कविता

दादाजी की पोती जी से बड़े मजे की छनती है।
पोती लुढ़क –लुढ़क कर चलती
लोट-पोट हो जाती है।
दादाजी भी चलते डगमग
ऐनक जब खो जाती है।
इसीलिए शायद दोनों में कुछ ज्यादा ही बनती है।

दादाजी हो चले पोपले
दलिया, खिचड़ी खाते हैं
पोतीजी के दाँत दूध के
चीजे नरम चबाते हैं।
हलवा- पूरी खा कर दोनों की ही दावत मनती है।

अभी हाल पोती का मुंडन
धूम-धाम से किया गया।
दादाजी के सिर पर मुश्किल
से उगता है बाल नया ।
दादाजी हैं बड़े सयाने, पोती भी गुणवंती है।

-बालस्वरूप राही

Dadi Poem in Hindi
Image: Dadi Poem in Hindi

दादी (दादी पर कविता)

दादी के लिए कविता

जब भी याद आती हैं अम्मा
तो याद आते हैं दो गोरे हाथ
कोयले में सने हुए
दिखते हैं पैर जो फटकर
पत्थर हो चुके हैं
जिनमें उग चुके हैं
छोटे-छोटे पेड़

देखती हूँ सुन्दर चेहरा
जो नींद में ही हूँका
देता जाता है दादा की पूरे
दिन की कहानी पर
और मैं याद करते-करते
धीरे से लेट जाती हूँ
अम्मा की गोद में।

-प्रज्ञा रावत

दादी की रोड़ी (Peom on Dadi in Hindi)

रोज अलस्सुबह
बुआर कर कचरा
घर के एक कोने में
एकत्र करती माँ

ढालिया साफ कर
दादी डाल देती
बकरी की मिंगणियाँ
उसी ढेर में
किसीदिन टोकनी में भर
यह कचरा
सिर पर उठा
गाँव बाहर
रोड़ी में डाली आती माँ
उसी रोड़ी में जो
दादी के नाम से
जानी जाती थी
पूरे गाँव में
अपने खेतों में डालने
दरवाजे के किसान
मोल भाव कर
खरीदते रोड़ी
बैलगाड़ियों में भर ले जाते
इस तरह आड़े वख्त
रोड़ी कमाती
साल में दो-एक बार रुपये
हमारे लिए
हर शादी में सबसे पहले
उसे ही पूजते हम
वही थी हमारी रिद्धि-सिद्धि

एक दिन अनायास
सब कुछ लुट गया
नहीं रही रोड़ी
साफ हो गया मैदान
अब वहाँ पर
खड़ी है
तेरी समिति की इमारत!

दादी के दाँत (Dadi Par Kavita)

असली दाँत गिर गए कब के
नकली हैं मजबूत,
इनके बल पर मुस्काती है
क्या अच्छी करतूत।
बड़े बड़ों को आड़े लेती
सब छूते हैं पैर,
नाकों चने चबाने पड़ते
जो कि चाहते खैर।
उनका मुँह अब नहीं पोपला
सही सलामत आँत,
कभी नहीं खट्टे हो सकते
दादी जी के दाँत।

दादा-दादी चुप क्यों रहते

दादा-दादी चुप क्यों रहते?
कारण मैंने जान लिया है।

पापा जी दफ्तर जाते हैं
और लौटते शाम को।
थक जाते हैं इतना
झट से पड़ जाते आराम को।

मम्मी को विद्यालय से ही
समय कहाँ मिल पाता है?
बहुत पढ़ाना पड़ता उनको,
सर उनका चकराता है।

दादा-दादी से बातें हों
ढेरों कैसे? तुम्हीं बताओ।
वक्त ने उन पर बुरी तरह जब
अपना पंजा तान लिया है।

हम बच्चे पढ़-लिख कर आते,
होमवर्क में डट जाते।
फिर अपने साथी बच्चों संग
खेला करते, सुख पाते।

और समय हो, तो कविता की,
चित्रकथा की पुस्तक पढ़ते।
मौज-मजे में, खेल-तमाशे में
ही तो उलझे हैं रहते।

दादा-दादी का कब हमको,
ख्याल जरा भी है आता?
हम सबने तो जमकर उनकी
ममता का अपमान किया है।

लेकिन जो भी हुआ, सो हुआ
अब ऐसा न हो सोचें।
उनके मन के सूने उपवन
में हम खुशियों को बो दें।

दादा-दादी से हम जी भर,
बतियाएँ, हँस लें, खेलें।
दादा-दादी रहें न चुप-चुप
नहीं अकेलापन झेलें।
मैंने यह सब जब गाया तो
मेरे सारे साथी बोले –
‘हाँ, हम ऐसा करेंगे, हमने
अपने मन में ठान लिया है।

मेरी प्यारी दादी-माँ

Poem on Grandmother in Hindi

मेरी प्यारी दादी-माँ,
सब से न्यारी दादी-माँ।
बड़े प्यार से सुबह उठाए,
मुझको मेरी दादी-माँ।

नहला कर कपड़े पहनाए,
खूब सजाए दादी-माँ।
लेकर मेरा बैग स्कूल का,
संग-संग जाए दादी-माँ।

आप न खाए मुझे खिलाए,
ऐसी प्यारी दादी-माँ ।
ताज़ा जूस, गिलास दूध का,
हर रोज़ पिलाए दादी-माँ।

सुंदर कपड़े और खिलौने,
मुझे दिलाए दादी-माँ।
बात सुनाए, गीत सुनाए,
रूठूँ तो मनाए दादी-माँ।

यह करना है, वह नहीं करना,
मुझको समझाए दादी-माँ।
लोरी देकर पास सुलाए,
ये मेरी प्यारी दादी-माँ।

-श्याम सुन्दर अग्रवाल

दादा-दादी के लिए (दादा दादी पर कविता)

वो भी थे ही
किसी के माता-पिता
उनका घर सबका
घर था
आत्मा सबके लिए थी

उनके पास था ही नहीं
कुछ छिपाने के लिए
उन्होंने कभी बन्द
कमरे में नहीं
की कोई मन्त्रणा
उनकी मृत्यु भी थी
किसी शान्त उत्सव-सी

ठहरो! बुज़ुर्ग कहते हैं
कि ऐसे ही बोलों से
नज़र लगा करती है।

-प्रज्ञा रावत

poem on dadi maa in hindi
Image: poem on dadi maa in hindi

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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