Poem On Brother in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहां पर हमने भाई पर कविता शेयर की हैं। इन कविताओं में भाई बहिन के प्रेम का कुछ शब्दों में वर्णन किया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह हिंदी कविताएं पसंद आयेंगी। आपको यह छोटे भाई पर कविता और बड़े भाई के लिए कविता (Bhai Par Kavita) कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
भाई पर कविताएं | Poem On Brother in Hindi
भाई पर कविता हिंदी में (Brother Poem in Hindi) – 1
मेरे प्यारे भाई
हो तुम मुझसे छोटे
लेकिन रिश्ते यूँ निभाते हो
जैसे हो मेरे से बड़े
जीवन पथ पर चलत चलत
जब मेने ठोकर खाई
सर ऊँचा कर देखा
साथ तुम्हारा पाई।
जब तुमने मुझे देखा
मुख मलिन था मेरा
फिर तुम कभी न खुश रहते
तुम्हारी हर कोशिश मुझे खुश रखने की
लेकर आगे कदम बढ़ाया
सर उठा कर देखा तो
हाथ तुम्हारा आगे पाया।
आँखों में आसूं मेरे होते
मायूस तुम नजर आते
सांत्वना की बड़ी टोकरी ले
मेरे सामनेसदा तुम्हे ही पाया
सिर उठाकर देखा तो
पास तुम्हे ही पाया।।
कोई परेशानी न हो ऐसी
जिसका समाधान न तुमने पाया
मेरे से ज्यादा विश्वास तुमपर
सदा आधार उसे बनाया
सर उठाकर देखा तो
हाथ तुम्हारा आगे पाया।।
चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा
सब बच्चों से हमेशा गाया
बाल मन पढने में माहिर
क्या तुमने जादू छड़ी घुमाया
जो काम तेरी बहन नही कर पाती
मेरे भैया तुमने झट से कर दिखाया
सर ऊँचा कर देखा तो
सामने तुम्हे ही खड़ा पाया।
Bhai Par Poem – 2
भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।
कितना पावन दिन यह आया
जिसने भाई बहन को फिर से मिलाया
मनं मैं बहती स्नेह की गंगा
ख़ुशी के अश्रुँ को मैं कैसे छुपाऊं
आ भैया तुझे तिलक लगाऊ।
भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊ
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।
खुशकिस्मत है मुझ जैसी बहना
जिसे दिया है ईश्वर ने भाई सा गहना
तुझे टीका लगाऊ, मुहं मीठा करवाऊ,
तेरी लम्बी उम्र की शुभकामना कर
तुझ पे वारी मैं जाऊं
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।
भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।
आरती की मैं थाली सजाऊ
रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक लगाऊं
कभी न तुझ पे आए संकट
तेरे उज्ज्वल भविष्य के कामना गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊं।
भाई दूज का पावन पर्व मैं मनाऊं
सनेह भरी अभिव्यक्ति देकर
तेरी खुशहाली के मंगल गीत मैं गाऊ
आ भैया तुझे तिलक लगाऊ।।
भाई पर कविता – 3
कुमकुम अक्षत थाल सजाए
भाइयों पर अटूट प्रेम बरसाए
बहनों का आज मन हरषाए
भाइयों को प्रेम से तिलक लगाए।
बचपन के वो लडाई झगड़े
बीती यादों से मन सज जाएँ
प्रेम ही प्रेम रहें बस ह्रदय में
भाइयों से आज आशीष पाएँ
रक्षा का अनमोल वादा पाकर
बहनों की खाली झोली भर जाएँ
भाई दोज की शुभ बेला आई
फिर क्यों न मन हर्षित हो जाएँ।
भैया दूर रहो या पास कभी तुम
बहने खुशहाली के दीप जलाए
भाई बहिन का रिश्ता ही है खास
चलो धूमधाम से आज पर्व मनाए।
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