पटना गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित बिहार का सबसे बड़ा शहर है, साथ ही बिहार की राजधानी भी है। यहां पर घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियां मिलती है। पटना का विस्तार उत्तर दक्षिण की तुलना में पूर्व पश्चिम में अधिक घिरा और यह शहर तीनों और से गंगा, सोन नदी और पुनपुन नदी से घिरा हुआ है।
यहां पर गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु भी बनाया गया है, जो पटना से हाजीपुर को जोड़ता है। इस दुनिया का सबसे लंबा सड़क पुल भी कहा जाता है, जिसकी लंबाई 5575 मीटर बताई जाती है। यह शहर एक ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। यह संसार के अति प्राचीन शहरों में से एक है। सर्वप्रथम इस नगर का उल्लेख मेगास्थनीज द्वारा लिखी गई पुस्तक इंडिका में किया गया है।
उन्होंने भारत के भ्रमण के पश्चात इस पुस्तक को लिखा था। 2011 की जनगणना के अनुसार 16 लाख से भी ज्यादा जनसंख्या इस शहर की है। इस तरह पटना शहर भारत की 18 वीं सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थ स्थल, राजगीर, बोधगया, नालंदा, पावापुरी पटना जैसे ऐतिहासिक जगह पटना शहर के आसपास स्थित है।
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में होने के कारण इससे सीखों का पवित्र स्थल माना जाता है। यही कारण है कि हर वर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने के लिए आते हैं।
पटना के आसपास के खंडहर नगर पटना की ऐतिहासिकता और इसकी प्राचीन गरिमा को प्रदर्शित करते हैं। पटना न केवल ऐतिहासिक और प्रशासनिक रूप से ही महत्व रखता है बल्कि यह चिकित्सा, शिक्षा और वाणिज्य के लिए भी एक प्रमुख केंद्र है।
बात करें पटना के नाम की तो माना जाता है कि पटना का नाम एक हिंदू देवी पाटन देवी के नाम से प्रचलित हुआ है। ऐसा भी माना जाता है कि पटना में गुलाब जिसे पाटली का फूल भी कहा जाता था, काफी मात्रा में उपजाया जाता था, जिससे तरह-तरह के इत्र और दवा बनाया जाता था। इसीलिए इस शहर का नाम पाटली ग्राम हो गया।
कुछ लोककथाओं के अनुसार ऐसा भी मानना है कि राजा पत्रक को पटना का जनक कहा जाता है। उन्होंने ही अपनी रानी पाटली के लिए जादू से इस नगर का निर्माण किया था। इसी कारण इस नगर का नाम पाटली ग्राम पड़ा।
मौर्य काल की यूनानी इतिहासकार मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में इस शहर को पालिबोथरा के नाम से संबोधित किया है। वहीं चीनी यात्री फाहियान ने इस शहर को पालिनफू नाम से संबोधित किया है। कुछ इतिहासकार के अनुसार वर्तमान पटना का नाम का शेरशाह सूरी को जाता है।
माना जाता है शेरशाह ने इस नगर का नाम पेठना रखा था। लेकिन इनकी मृत्यु के पश्चात अंतिम हिंदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने इस शहर का नाम पटना कर दिया। इस तरह पटना न केवल एक नाम से प्रचलित है बल्कि अलग-अलग शदी में यह विभिन्न नामों से प्रचलित हुआ।
यह पाटलीग्राम, पाटलिपुत्र, पुष्पपुर, कुसुमपुर, अजीमाबाद और पटना के नाम से भी प्रचलित है। वैसे पुरातात्विक अनुसंधान के अनुसार पटना के इतिहास की बात करें तो पटना का इतिहास 490 ईशा पूर्व से माना जाता है। जब हर्यक वंश के महान शासक अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगीर से बदलकर पटना में स्थापित की थी, उस समय इस स्थान आम पाटलिपुत्र रखा गया था।
यह शहर 25 सौ वर्षों से भी अधिक पुराना शहर होने का गौरव हासिल कर चुका है। यहां पर बौद्ध धर्म के महान प्रवर्तक गौतम बुध्द अपने अंतिम दिनों में यहां से होकर गुजरे थे। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि पटना नगर का भविष्य उज्जवल होगा। हालांकि यहां बाढ और आग के कारण खतरा बना रहेगा।
आगे चलकर महानंद शासक के काल में इस शहर का बहुत विकास हुआ। बाद में आने वाले मौर्य साम्राज्य ने भी पाटलिपुत्र को भारत के उपमहाद्वीप के सत्ता का केंद्र बनाया। मौर्य काल के आरंभ में पाटलिपुत्र में अधिकांश राज महल लकड़ियों से बने थे। बाद में सम्राट अशोक ने उन्हें शिला की रचना में तब्दील किया।
पटना की भाषा, पटना का खानपान और रहन-सहन बिहार की संस्कृति को दर्शाता है। वैसे तो पटना मगही संस्कृति का केंद्र है, लेकिन इसके साथ ही यहां मैथिली, भोजपुरी और बंगाली संस्कृति भी देखने को मिलती हैं।
पटना में मीठे पकवान काफी ज्यादा प्रख्यात है, जिसमें खाजा, मावे का लड्डू, काला जामुन, मोतीचूर का लड्डू, केसरिया पेडा, परवल की मिठाई, ठेकुआ और चना मर्की जैसे कुछ नाम है।
निष्कर्ष
आज के लेख में आपने बिहार की राजधानी पटना के बारे में जाना, जो बिहार का सबसे बड़ा शहर है। इसके साथ ही यह संसार का सबसे पुराने शहरों में से एक है, जो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस लेख में आपने पटना के इतिहास के बारे में जाना।
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