Neem Karoli Baba Biography in Hindi: भारत युगो-युगो से संत महात्मा, महापुरुष, ज्ञानी, सन्यासी, धर्मी, शूरवीर योद्धा और पूजनीय गुरुओं की भूमि रहा है। यहां पर समय-समय पर हर जाति तथा वर्ग में अनेक सारे संत महात्मा तथा ज्ञानी व धर्मी पैदा हुए हैं, जिन्होंने हमेशा समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। उन्हीं की तरह हनुमान भक्त कहे जाने वाले नीम करोली बाबा भी एक महान संत हैं।
आज हम अपने इस महत्वपूर्ण बायोग्राफी के माध्यम से आपको नीम करौली बाबा का जीवन परिचय (Neem Karoli Baba Biography in Hindi) के विषय में विस्तार पूर्वक से जानकारी प्राप्त करने का प्रयत्न करेंगे।
नीम करौली बाबा का जीवन परिचय (Neem Karoli Baba Biography in Hindi)
नाम | नीम करोली बाबा |
असली नाम | लक्ष्मी नारायण शर्मा |
जन्म | सन 1900 |
जन्मस्थान | किरहीनं, अकबरपुर (उत्तर प्रदेश) |
पिता का नाम | दुर्गा प्रसाद शर्मा |
निधन | 11 सितंबर 1973 |
नीम करोली बाबा कौन थे?
नीम करोली बाबा बहुत बड़े हनुमान भक्त थे, जिन्होंने अपने जीवन में लगभग 100 से ज्यादा हनुमान मंदिर बनवाए थे। नीम करोली बाबा अत्यंत ज्ञानी और अंतर्यामी थे, जिन्हें किसी भी बात का घमंड नहीं था। वह सांसारिक जीवन छोड़कर सन्यासी बन गए तथा ज्ञान व उपदेश देने लग गए।
लोग नीम करोली बाबा को हनुमान अवतार भी बताते हैं। बता दें कि नीम करोली बाबा के एक आश्रम और एक दरबार है, जो वाराणसी व कैंची में स्थित है। यहां पर हमेशा भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। कहा जाता है कि यहां पर आने वाले किसी भी भक्तों को बाबा वापस खाली हाथ नहीं भेजते, किसी को निराशा हाथ नहीं लगती है।
नीम करोली बाबा का प्रारंभिक जीवन
नीम करोली बाबा का मुख्य नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर के किरहीनं में सन 1900 में हुआ था। नीम करोली बाबा के पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। अकबरपुर के एक छोटे से गांव किरहीनं में जहां उनका जन्म हुआ, वहीं पर उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्रदान की।
कहा जाता है कि बचपन में ही नीम करोली बाबा का विवाह करवा दिया गया था, जिसके बाद कुछ समय ही गृहस्थ जीवन में व्यस्त रहे। बाद में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। तब से वह लगभग 10 वर्ष तक घर से बाहर सन्यासी जीवन यापन कर रहे थे। इन 10 वर्षों के दौरान उन्होंने अनेक सारे योग, ज्ञान तथा सिद्धि की प्राप्ति की, जिससे वे लोगों का कल्याण कर रहे थे।
10 वर्ष बीत जाने के बाद जब वे अपने पिता से मिलने पहुंचे, तब उनके पिता ने उन्हें गृहस्थ जीवन यापन करने के लिए कहा। तब वे फिर से घर लौट गए और कुछ वर्षों तक अपने संस्कारित जीवन की पालना की। इस दौरान नीम करोली बाबा के दो बेटे और एक बेटी हुई थी।
यह भी पढ़े: विवादास्पद धर्मगुरु आचार्य रजनीश (ओशो) की जीवनी
सांस्कारिक जीवन त्याग एवं तपस्या
कई वर्षों तक संस्कारित जीवन यापन करने के बाद नीम करोली बाबा ने एक बार फिर सन 1958 को घर त्याग कर सन्यासी जीवन जीने हेतु निकल गए। उसके बाद फिर से कभी मुड़कर नहीं देखा। कहा जाता है कि नीम करोली महाराज ने बहुत ही कम आयु में ही ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
नीम करोली महाराज ने जब दूसरी बार घर छोड़ा तब वे भारत के अनेक जगह पर गए, जो धार्मिक स्थान थे तथा उन्होंने त्याग, तप व तपस्या की। इस दौरान वे दर-दर भटकते रहे तथा समाज के कल्याण हेतु लोगों की भलाई करते रहे, ज्ञान व उपदेश देते रहे।
नीम करोली के बाबा बनने की कहानी (नीम करोली बाबा की कहानी)
एक समय नीम करोली बाबा किसी तीर्थ स्थान जाने हेतु ट्रेन में बैठे। ट्रेन में कुछ समय बैठे रहने के बाद टिकट चेक करने हेतु टीटी आया और नीम करोली बाबा से टिकट मांगा। जिस पर बाबा ने कहा कि “मैं तो संत हूं – मेरे पास टिकट नहीं है”।
लेकिन टीटी ने कहा है कि “मैं कुछ नहीं जानता, आप ट्रेन में बैठे हैं, सफर कर रहे हैं, तो आप को टिकट देना ही पड़ेगा। नहीं तो मैं आपको रास्ते में उतार दुंगा” और वैसा ही हुआ। अगले स्टेशन पर नीम करोली बाबा को उतार दिया। परंतु जैसे ही ट्रेन स्टेशन से रवाना हुई तो वह चल नहीं पा रही थी। कहा जाता है कि नीम करोली बाबा उसी स्टेशन पर अपने चिमटे को गाड़ कर ध्यान लगा कर बैठ गए थे।
परंतु काफी समय होने के बाद भी जब से नहीं चल पाई, तो लोगों ने टीटी से कहा कि इन बाबा को फिर से ट्रेन में बैठा दो तभी ट्रेन चलेगी। कुछ समय बीत जाने के बाद थक हार कर टीटी ने फिर से बाबा को ट्रेन में बैठने का अनुरोध किया, जिस पर बाबा राजी हो गए और ट्रेन में बैठ गए।
बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चलनी शुरू हो गई। यह चमत्कार देख वहां पर सवार सभी ट्रेन यात्रियों ने बाबा को भगवान मान लिया और उनके चमत्कार के किस्से हर जगह फैलने लगे तभी से नीम करोली जी बाबा प्रसिद्ध हो गए।
नीम करोली बाबा का कैंची आश्रम – नैनीताल (उत्तराखण्ड)
नीम करोली बाबा ने अपने जीवन काल में अनेक सारे हनुमान मंदिर बनाए थे। परंतु वे हमेशा ज्यादातर उत्तराखंड के नैनीताल में बने कैंची आश्रम में ही रहते थे। यहां पर उनसे मिलने के लिए दूरदराज से लोग आते थे। इस आश्रम में बाबा काली कंबल ओढ़ कर बैठे रहते थे तथा लोगों की समस्या का निवारण करते थे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बाबा नीम करोली से मिलने के लिए अनेक सारी बड़ी-बड़ी हस्तियां तथा राजनेता आया करते थे। खासतौर पर नीम करोली बाबा के दर्शन हेतु अमेरिकी लोग आते थे, जिनमें कई बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल थी।
बाबा नीम करोली से आश्रम में जो हाईप्रोफाइल लोग भारत व दुसरे देशों से मिलने आते थे, उनमें जूलिया रॉबर्ट्स, मार्क जुकरबर्ग (जो कि फेसबुक के CEO हैं), आध्यात्मिक गुरु रामदास, स्टीव जॉब्स (जोकि एप्पल के सीईओ थे) इत्यादि अनेक सारे अमेरिकी तथा यूरोपीय लोग आते थे।
आखिरकार 11 सितंबर 1973 की रात को नीम करोली बाबा का स्वर्गवास हो गया था। उस रात उन्होंने अपनी देह त्याग कर संसार से विदा ले ली थी। परंतु उनके आश्रम तथा मंदिर आज भी ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं, जहां पर भंडारा भी लगा रहता है।
नीम करोली बाबा की समाधि
बाबा नीम करोली ने अपने जीवन काल में अनेक सारे चमत्कार तथा उपदेश दिये। उन्होंने कई सारे मंदिर बनाए, जिसमें से वृदावन और उत्तराखंड में बना आश्रम प्रमुख था। वे अपने आश्रम में बैठे देश-विदेश के तथा हाईप्रोफाइल लोगों को उपदेश दिया करते थे।
नीम करोली बाबा का 11 सितंबर 1973 की रात को निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी हस्तियों को भारत के अनेक जगहों पर विसर्जित किया गया। उसी आश्रम पर ही उनका समाधि स्थल बनाया गया, जहां पर वे हमेशा उपदेश दिया करते थे। आश्रम के वर्षगांठ पर हर वर्ष 15 जून को भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों लोग शामिल होते हैं।
FAQ
लक्ष्मी नारायण शर्मा
11 सितंबर 1973
1964
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने नीम करोली बाबा की जीवनी (neem karoli baba ka jivan parichay) में उनके जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक विस्तार से बताया है। उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखा हुआ यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा। इस लेख को आगे शेयर जरुर करें।
यह भी पढ़े
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जीवन परिचय
जगतगुरु आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय
पंडित धीरेंद्र कृष्ण महाराज का जीवन परिचय