Mujibur Rahman Biography in Hindi: आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको एक ऐसे व्यक्ति का जीवन परिचय बताने वाले हैं, जिन्हें बांग्लादेश में बहुत ही मान मर्यादा तथा प्रतिष्ठान प्राप्त है। जी हां, आपने बिल्कुल सही समझा आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति मुजीबुर्रहमान के बारे में।
मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश में सभी लोगों के लिए बहुत ही प्रतिष्ठित एवं माननीय व्यक्ति रहे हैं। श्रीमान शेख मुजीबुर्रहमान जी ने कभी भी अपने बांग्लादेश वासियों के लिए किसी भी प्रकार की गलत योजना इत्यादि का सहारा नहीं लिया, ऐसा माना जाता है कि बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति मुजीबुर्रहमान जी बहुत ही प्रतिष्ठित और संपूर्ण बांग्लादेश में सम्मान पूर्वक देखे जाने वाले एक बहुत ही प्रसिद्ध व्यक्ति थे।
तो आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, शेख मुजीबुर्रहमान जी के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में। यदि आप शेख मुजीबुर्रहमान जी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही लेख पढ़ रहे हैं। इस लेख के माध्यम से आपको मुजीबुर्रहमान जी के बारे में संपूर्ण जानकारी बड़ी ही आसानी से प्राप्त हो जाएगी क्योंकि इस लेख में हमने मुजीबुर्रहमान जी के बारे में संपूर्ण जानकारी (Mujibur Rahman Biography in Hindi) हेडिंग के माध्यम से समझाइ है।
शेख मुजीबुर्रहमान का जीवन परिचय – Mujibur Rahman Biography in Hindi
शेख मुजीबुर्रहमान की जीवनी एक नजर में
नाम | मुजीबुर्रहमान/ मुजिबुर रहमान |
जन्म | 17 मार्च 1920 |
मृत्यु की तिथि | 15 अगस्त 1975 |
शैक्षिक योग्यता | बैचलर ऑफ आर्ट |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | – |
ऊंचाई | – |
मुजीबुर्रहमान कौन थे?
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शेख मुजीबुर्रहमान जी बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति थे। इतना ही नहीं मुजीबुर्रहमान जी वर्ष 1920, 17 मार्च से वर्ष 1975, 15 अगस्त में स्थापित की गई पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश के संस्थापक थे। मुजीबुर्रहमान जी को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश के संस्थापक पिता के रूप में भी जाना जाता है। इतना ही नहीं सबसे महत्वपूर्ण बात हम आपको यह बता दे कि बांग्लादेश के इस प्रमुख राष्ट्रपति जी को बांग्ला बंधु के नाम से जाना जाता है।
अब आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शेख मुजीबुर्रहमान जी वर्ष 1971, 17 अप्रैल से लेकर के 1975, 15 अगस्त तक उन्होंने अपनी हत्या तक बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत थे। शेख मुजीबुर्रहमान जी को बांग्लादेश की क्रांति के लिएसर्वश्रेष्ठ योगदान था माना जाता है। मुजीबुर्रहमान जी को बांग्लादेश की स्वतंत्रता के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में भी जाना जाता है।
मुजीबुर्रहमान जी बांग्लादेश के बंगबंधु के रूप में लोगों के दिलों में आज भी राज करते हैं। उनकी इस प्रसिद्धि के पीछे उनका सबसे बड़ा योगदान था क्योंकि उन्होंने इस प्रसिद्धि को प्राप्त करने के लिए पूरे बांग्लादेश में बहुत ही अच्छे काम किए हैं। बांग्लादेश के लोगों का यह भी कहना है कि बांग्लादेश में अब कोई भी नेता ऐसा काम कभी नहीं करता है और ना कभी करेगा। इसी के कारण बांग्लादेश के वासियों में शेख मुजीबुर्रहमान जी के विषय में बहुत ही अच्छी भावना है, जिसे वह दूसरों के समक्ष बड़े ही आदर भाव से प्रस्तुत करते हैं।
मुजीबुर्रहमान जी का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
क्या आप जानते हैं मुजीबुर्रहमान जी का जन्म कब हुआ था? यदि नहीं तो हम आपको बता दे कि मुजीबुर्रहमान जी का जन्म 17 मार्च 1920 ईस्वी को हुआ था। मुजीबुर्रहमान जी का जन्म भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में गोश्त नामक गांव में हुआ था। मुजीबुर्रहमान जी के पिताजी का नाम मनसूर रहमान था। मुजीबुर्रहमान जी के पिता मनसूर रहमान जी एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखते थे। मुजीबुर्रहमान जी की माता जी का नाम जहान रहमान था।
मुजीबुर्रहमान जी ने प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने गोपालगंज के विद्यालय पब्लिक स्कूल में कक्षा तीन में प्रवेश लिया था, उन्होंने कक्षा 3 में प्रवेश वर्ष 1929 में लिया था। कक्षा तीन में प्रवेश लेने के 2 वर्ष बाद मदारीपुर इस्लामिया हाई स्कूल में कक्षा चार में पढ़ें। इनके बाद मुजीबुर्रहमान जी वर्ष 1942 में गोपालगंज के मिनिस्ट्री स्कूल से इंटरमीडिएट की डिग्री हासिल कर ली। मुजीबुर्रहमान जी ने वर्ष 1944 में इस्लामिया कॉलेज से कला और वर्ष 1947 में उसी कॉलेज से बैचलर ऑफ आर्ट की भी शिक्षा प्राप्त कर ली।
मुजीबुर्रहमान जी का प्रारंभिक जीवन
मुजीबुर्रहमान जी अपनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष 1940 में ऑल इंडिया मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल हो गए। मुजीबुर्रहमान जी इस स्टूडेंट फेडरेशन में शामिल होने के बाद वे राजनीतिक रूप से 32 सक्रिय हो गए। वर्ष 1983 में मुजीबुर्रहमान जी ने बंगाल मुस्लिम लीग को भी संचालित किया।
मुजीबुर्रहमान जी इस समय के दौरान पाकिस्तान के एक अलग मुस्लिम राज्य के लिग के कारण सक्रिय रूप से काम करना चाहा और उन्होंने यह काम बड़े ही सुचारू रूप से भी किया। मुजीबुर्रहमान जी ने इस अवधि के दौरान वर्ष 1946 में इस्लामिया कॉलेज छात्र संघ के महासचिव भी बन गए। इसके बाद मुजीबुर्रहमान जी सांप्रदायिक हिंसा के दौरान सुहरावर्दी के अंतर्गत काम करने वाले मुस्लिम नेताओं में से एक बन गए।
शेख मुजीबुर्रहमान द्वारा बांग्लादेश के नेतृत्व
वर्ष 1970 ईस्वी को नवंबर की 12 तारीख को पूर्वी पाकिस्तान में एक प्रमुख तटीय चक्रवात आया था, जिसके कारण लगभग हजारों लोग मारे गए थे और इस चक्रवात के कारण लगभग लाखों लोग अपने स्थान को छोड़कर विस्थापित हो गए थे। बांग्ला देशवासियों को बहुत ही हानि हुई, हानि का कारण केंद्र सरकार की कमजोर प्रतिक्रिया को माना जाता था।
पूर्वी पाकिस्तान की जनता ने एक दूसरे के साथ राय बनाकर के राजनीतिक दलों के अधिकारियों पर जान बूझकर लापरवाही का आरोप लगाया। इस असंतोष के कारण सिविल सेवा, पुलिस, पाकिस्तानी सशस्त्र बल और सैन्य बल इत्यादि में अनेकों प्रकार का विभाजन होने लगा। इसके कारण वर्ष 1970 में 7 दिसंबर की तारीख को हुए पाकिस्तानी आवाम चुनाव में मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में आवामी लीग ने प्रांतीय विधायिका में भारी बहुमत से उन्हें जीत प्रदान करवाई।
मुजीबुर्रहमान जी का पोलिटिकल कैरियर
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत देश के विभाजन के बाद मुजीबुर्रहमान जी ने नए भाग पाकिस्तान में रहने का विकल्प चुना। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान अपने वापसी पर उन्होंने कानून का अध्ययन करना अधिक उचित समझा। इसके लिए मुजीबुर्रहमान जी ने ढाका विश्वविद्यालय में दाखिला प्राप्त कर लिया। इसके बाद मुजीबुर्रहमान जी ने पूर्वी पाकिस्तान मुस्लिम छात्र लीग की स्थापना कर दिए।
वर्ष 1948 ईस्वी के मार्च 21 तारीख को मोहम्मद अली जिन्ना की घोषणा करने के बाद पूर्वी बंगाल के लोगों को उर्दू को राज्य की भाषा के रूप में अपनाना पड़ा। यही मोहम्मद अली जिन्ना का घोषणा पत्र था। मोहम्मद अली जिन्ना के ऐसा कहने पर पाकिस्तान की आबादी के मध्य विरोध होने लगा। इसके बाद मुजीबुर्रहमान जी ने तुरंत मुस्लिम लिखकर इस पूर्व नियोजित फैसले के खिलाफ आंदोलन करना प्रारंभ कर दिया।
मुजीबुर्रहमान जी को वर्ष 1948 में 11 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 1949 में 21 जनवरी को शेख मुजीबुर्रहमान को जेल से रिहाई प्राप्त हो गई। इसके बाद उन्होंने स्वयं को पुनः चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की मांग सेवा में शामिल करना उचित समझा और वह इसमें शामिल हो गए।
वर्ष 1949 में 23 जून को सुहरावर्दी और मौलाना भाषा में पूर्व पाकिस्तान के आवामी मुस्लिम लीग का गठन किया। मुस्लिम लीग का गठन करने के बाद शेख मुजीबुर्रहमान जी ने मुस्लिम लीग को छोड़ दिया और एक नई सभा को आयोजित किया और उसमें शामिल हो गए। मुजीबुर्रहमान जी को पार्टी पूर्वी पाकिस्तान का संयुक्त महासचिव बना दिया गया। इसके बाद वह खाद्य संकट के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिए।
वर्ष 1952 ईस्वी में 26 जनवरी को ख्वाजा निजामुद्दीन ने एक घोषणा कर दी कि उर्दू पाकिस्तान की एकमात्र राज्य भाषा होगी। निजामुद्दीन की इस घोषणा के बाद मुजीबुर्रहमान जी जेल में होने के बावजूद भी अपने प्रदर्शनों को जारी रखा और उन्हें रोकने की विशेष भूमिका निभाई।
मुजीबुर्रहमान जी की ऑपरेशन सर्चलाइट
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुजीबुर्रहमान जी ने 25 मार्च की शाम को खबर फैलाने लगे कि राष्ट्रपति यहां शाखा अपने दल सहित वापस पाकिस्तान लौट गए हैं। उनके ऐसा करने के बाद साल लगभग रात के 11:30 बजे ऐसा लगने लगा कि मानो संपूर्ण शहर में पाकिस्तानी सेना ने हमला कर दिया हो। मुजीबुर्रहमान जी के ऐसा कर देने के बाद ऑपरेशन सर्चलाइट की शुरुआत हो गई थी।
इसके बाद उसी रात के लगभग 1:00 बजे पाकिस्तानी सेना का एक दल 32 धनमंडी स्थित शेख मुजीब के घर आ पहुंची, जहां पर शेख मुजीबुर्रहमान उनका इंतजार कर रहे थे। पाकिस्तानी सैनिक गेट पर पहुंचते ही ताबड़तोड़ गोलियां चलाना शुरू कर दिया। उसके बाद मुजीबुर्रहमान जी अपनी सुरक्षा की देखरेख में एक स्थानीय सुरक्षा कर्मी को भी गोली लगी और गोली लगने के तुरंत बाद ही उसकी मौत हो गई।
मुजीबुर्रहमान जी का कथन
मुजीबुर्रहमान जी की बेटी के कहने पर सैयद बदरुल अहसन फ्रॉम रेबल टू फाउंडिंग फादर नामक पुस्तक में यह लिखा कि जैसे ही गोलियों की आवाज सुनाई दी, शेख मुजीबुर्रहमान जी ने वायरलेस संचार माध्यम के द्वारा एक संदेश भेजकर ऐसा जारी कर दिया कि बांग्लादेश कब आजाद हो चुका है। इसके लिए शेख मुजीबुर्रहमान जी ने एक कथन कहा जो कि निम्नलिखित है:
“मैं बांग्लादेश के लोगों का आवाहन करता हूं कि वह जहां भी है और जो भी उनके हाथ में हो, उसे पाकिस्तानी सेना का प्रतिरोध करें। आपकी लड़ाई तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक पाकिस्तानी सेना के एक-एक सैनिक को बांग्लादेश की धरती से निष्कासित ना कर दिया जाए।”
शेख मुजीबुर्रहमान जी की मृत्यु
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शेख मुजीबुर्रहमान जी की मृत्यु एक आकस्मिक या बीमारी के कारण नहीं हुई थी। शेख मुजीबुर्रहमान जी की मृत्यु एक हत्या थी। शेख मुजीबुर्रहमान जी ने सत्ता संभाली और युद्ध में बांग्लादेश के पुनर्निर्माण में लग गए, इसके पश्चात हर परिकथा का एक दुखद अंत होता है, ऐसा सभी जानते हैं। वर्ष 1975 आते-आते शेख मुजीबुर्रहमान जी की पकड़ ढीली होने लगी। शेख मुजीबुर्रहमान जी की हत्या 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के ढाका में हुई थी।
निष्कर्ष
आज के इस लेख “शेख मुजीबुर्रहमान का जीवन परिचय (Mujibur Rahman Biography in Hindi)” के माध्यम से हमने आपको शेख मुजीबुर्रहमान जी के जन्म से लेकर के उनकी शिक्षा के साथ-साथ उनकी मृत्यु को भी इस लेख के माध्यम से दर्शाया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख अवश्य ही पसंद आया होगा। हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अवश्य शेयर करें।
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