Morari Bapu Biography in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं, मोरारजी बापू के जीवन परिचय के बारे में। हम में से ज्यादातर लोग मोरारजी बापू जी के बारे में संपूर्ण जानकारी जानते होंगे तो वहीं कुछ लोग ऐसे होंगे जो मोरारजी बापू के बारे में कोई भी जानकारी नहीं जानते होंगे। तो ऐसे लोगों के लिए आज हम इस लेख को लेकर के आपके समक्ष प्रस्तुत हुए हैं।
आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको मोरारजी जी बापू जी के जीवन परिचय के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करवाएंगे। मोरारजी बापू रामचरितमानस के प्रसिद्ध प्रतिपादक हैं और इन्होंने ही 50 वर्षों तक रामकथा का पाठ भी किया है। लोगों का ऐसा कहना है कि मोरारजी जी बापू जी के बोलने की कला ही उनकी सबसे अधिक महत्वपूर्ण ताकत है, जिसके माध्यम से आज उन्होंने संपूर्ण दुनिया के सभी धर्मों को एक साथ जोड़ रखा हुआ है। मोरारजी बापू के इसी महत्वपूर्ण कला के कारण लोग बहुत दूर-दूर से इनके भजन कीर्तन इत्यादि सुनने के लिए आते हैं।
यहां पर हम उनका जन्म कब हुआ था, इन्होंने अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की और सबसे महत्वपूर्ण बात इनके माता-पिता का क्या नाम था इत्यादि के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही भी जानेंगे कि मोरारी बापू को किसी भी प्रकार की उपाधि प्राप्त है या नहीं। यदि आप मोरारजी बापू जी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अंत तक अवश्य पढ़े जिससे आपको मोरारजी बाबू के जीवन परिचय के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
मोरारी बापू का जीवन परिचय – Morari Bapu Biography in Hindi
मोरारजी बापू की जीवनी एक नज़र में
नाम | मोरारजी बापू |
जन्म और स्थान | 25 सितंबर 1946, तालागाजर्दा गांव, महुआ (गुजरात) |
माता-पिता | प्रभु दास हरियाणवी (पिता), सावित्री बहन हरियाणवी (माता) |
शैक्षिक योग्यता | रामचरितमानस का ज्ञान |
वैवाहिक स्थिति | – |
पत्नी का नाम | – |
पुत्र | – |
मोरारजी बापू कौन है?
मोरारजी बापू एक बहुत ही सुप्रसिद्ध कवि और ज्ञानी पंडित हैं। मोरारजी बापू वही है, जिन्होंने रामचरितमानस के प्रतिपादन में अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई थी और इन्हें रामचरितमानस के प्रसिद्ध प्रतिपादक के नाम से जाना जाता है। मोरारजी बापू की सर्वश्रेष्ठ ताकत उनकी बोलने की कला है जो कि उन्हें संपूर्ण विश्व में अनेकों प्रकार के धर्मों को जोड़ने के लिए बाध्य करती है। मोरारजी बापू अपनी इसी कला के चलते संपूर्ण देश में अनेकों लोग उनके भजन कीर्तन को सुनने के लिए दुनिया के हर कोने से आते हैं।
मोरारजी बापू ने अपने संपूर्ण जीवन के लगभग 50 वर्ष तक राम कथा का पाठ किया है। हम आपकी जानकारी के लिए आपको बता दे कि मोरारजी बापूजी का असली नाम मोरारीदास प्रभुदास हरियाणी है। मोरारजी बापू को लोग बड़े ही प्यार से केवल बापू कहकर ही बुलाते है। मोरारजी बापू संपूर्ण भारतवर्ष के अनेक माने जाने सत्संग करने वाले लोगों में से सुप्रसिद्ध माने जाते हैं।
मोरारजी बापू की शिक्षा
लोगों का ऐसा कहना है कि मोरारी बापू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही घर से प्राप्त की थी। ऐसा कहा जाता है कि मोरारजी बापू के प्रथम गुरु उनके ही दादाजी थे। मोरारजी बापू जब विद्यालय से अपने घर वापस आते थे, तब उनके दादाजी उन्हें प्रतिदिन रामचरितमानस का ज्ञान प्राप्त करवाते थे और मोरारजी बापू उस ज्ञान को बड़े ही आदर भाव से संग्रहित करते थे।
इसी के दौरान मोरारजी बापू रामचरितमानस के दम पर ही आज के समय में संपूर्ण विश्व में विख्यात है। मोरारजी बापू को रामचरितमानस का विख्यात ज्ञाता कहा जाता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि मुरारी बापू के स्तर तक पहुंचने के पीछे उनके दादाजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा होगा।
मोरारजी बापू का जन्म और जीवन से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी
मोरारजी बापू का जन्म वर्ष 1946 ईस्वी को 25 सितंबर के दिन हुआ था। यदि हम दूसरे शब्दों में हम कहे तो मोरारजी बापू का जन्म अश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन हुआ था। मोरारजी बापू जी का जन्म गुजरात में स्थित महुआ गांव के तालागाजर्दा नामक गांव में हुआ था। मोरारजी बापूजी के पिता का नाम प्रभु दास हरियाणवी था और उनकी माता का नाम सावित्री बहन हरियाणवी था। मोरारजी बापू वैष्णव बाबा साधु निंबार्का संप्रदाय से संबंध रखते हैं।
लोगों का ऐसा कहना है कि मोरारजी बापू के परदादा ऋषिकेश के कैलाश आश्रम के प्रमुख थे। ऐसा कहा जाता है कि मुरारजी बाबू के परदादा जी को भगवत गीता और वेदों का प्रमुख ज्ञान था और उनके दादाजी प्रभु श्री राम के बहुत ही परम भक्त हैं। मोरारजी बापू जी वर्ष 1960 में तालागाजर्दा में सर्वप्रथम राम कथा सुनाई थी। जिस समय मोरारजी बापू ने अपने गांव में राम कथा सुनाई थी, उस समय वह केवल 14 वर्ष के ही थे।
इसके बाद वर्ष 1976 में बापूजी ने पहली बार पर देश की यात्रा की थी। उन्होंने परदेश में ही नैरोबी में अपनी कथा को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया था। बापूजी अब के समय में लगभग 800 से भी अधिक कथा को पठित कर चुके हैं और उन्होंने लगभग इतने ही कथाओं को लोगों के समक्ष प्रस्तुत भी किया है। मोरारजी बापू ने ना केवल नैरोबी बल्कि न्यूयार्क, लंदन, दुबई, तिब्बत, ब्राजील, भूटान इत्यादि जैसे देशों में अपनी कथाओं को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति हैं। मोरारजी बापू ने लगभग 9 दिनों तक अपनी कथाओं को इन देशों में लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। 9 दिनों तक चलने वाले इस कथा में मरारजी बापू ने सुबह के 3 घंटे अपने कहा को सुनाया है।
बापू जी एक ऐसे उच्च आचरण वाले व्यक्ति हैं, जिन्होंने लगभग सभी प्रकार के शांति सम्मेलन इत्यादि में अपना योगदान दिया और बहुत सारे शांति सम्मेलन को भी आयोजित किया है। अपने इसी सम्मेलन के कारण वे दुनिया भर के अनेकों प्रकार के धर्मों के संतो को एक साथ लाने का प्रयास भी करते हैं। हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जब वर्ष 2009 में बापू ने महुआ गांव में विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया था तो इस सम्मेलन का उद्घाटन दलाई लामा के द्वारा किया गया था।
एक बार वर्ष 2012 में वाल्मीकि रामायण पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया हुआ था, उसमें डॉक्टर सत्यव्रता शास्त्री, डॉ राधा वल्लभ त्रिपाठी, डॉ राजेंद्र नानावटी और ऐसे ही विभिन्न प्रकार के रामायण के विद्वान लोग सम्मिलित थे, जिसमें मोरारजी बापू भी शामिल थे।
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मोरारजी बापू जी का उदय कैसे हुआ है
अपने दादा जी को गुरु मानने वाले मोरारजी बापू किसी भी व्यक्ति को अपना शिष्य नहीं मानते हैं और ना ही किसी व्यक्ति को अपना शिष्य बनाते हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उन्होंने बार-बार कहा है कि उनका कोई शिष्य नहीं है। लोगों का ऐसा कहना है कि मोरारजी बापू ने अपने ही दादा से रामचरितमानस का ज्ञान प्राप्त किया था और उन्होंने अपने दादा के ही माध्यम से रामचरितमानस की अनेकों चौपाइयों को याद भी किया था।
महज 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने संपूर्ण रामचरितमानस की अनेकों चौपाई दोहे इत्यादि को याद कर लिया था और ऐसा भी कहा जाता है कि मुरार जी बापू ने लगभग 5 वर्ष की उम्र से ही रामचरितमानस को सीखना शुरू कर दिया था। इन्होंने पहले अपनी चौपाइयों को बहुत ही कम लोगों को सुनाना शुरू किया था, उसके बाद इन्होंने अपने चौपाइयों को बड़े स्तर पर सुनाना शुरू कर दिया।
ऐसा कहा जाता है कि मोरारजी बापू ने लगभग 1 दशकों तक महुआ तहसील और भावनगर जिले में ही अपनी कथा को लोगों को सुनाएं थे और आज के समय में उनके नाम लगभग 800 रामकथा शामिल है अर्थात उन्होंने अब के समय में लगभग 800 से भी अधिक रामकथा लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। वर्ष 70 के दशकों में मोरारजी बापू गुजरात और संपूर्ण गुजरात वासियों के लोकप्रिय बन गए।
संपूर्ण गुजरात के लोकप्रिय बनने के बाद मुरारी बापू ने वर्ष 1982 में मोरारजी बापू ने अपनी पहली रामकथा विदेश में की। अपनी कथा को विदेश में सुनाने के लिए उन्होंने ब्रिटेन को चुना। इसके संबंध में वरिष्ठ पत्रकार रमेश ओझा ने कहा है कि “मोरारजी बापू अच्छे वक्ता और कथाकार हैं और उनकी हाजिर जवाबी वाली शैली में उनकी लोकप्रियता को परवान चढ़ा दिया है।”
मोरारजी बापू सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते हैं और वे सभी धर्मों को बड़ी ही अच्छी तरीके से समझते हैं। सभी धर्मों को सर्वसम समझने वाले मोरारजी बापू ने राम जन्मभूमि आंदोलन में भी अपनी सक्रियता निभाए हैं और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों का भी साथ दिया है। मोरारजी बापू के कारण ही लगभग वर्ष 1989 तक राम मंदिर की लड़ाई में तो जोर से पकड़ लिया और उसके बाद इसे रोकना बहुत मुश्किल हो गया।
रमेश ओझा ने पुनः कहा है कि “जब देश में सांप्रदायिक मानसिकता उभार पर गिरी बापू जी ने राम मंदिर के लिए ले जाने वाले शीला का पूजन किया था। मुरारी बापू को विवादों से बचने और निकल जाने की कला बहुत ही अच्छी तरीके से आती है और इसके अलावा पत्रकारों और लेखकों से अच्छे रिश्ते रखने से भी उनको लोकप्रिय बनाया है।”
राम मंदिर पर मोरारजी बापू का विचार
मोरारी बापू की राम कथा सुनाने वाले खुद को राम के भक्त कहने वाले अयोध्या में राम मंदिर बनवाने की अनेक बार अपने मत को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि राम जन्मभूमि अयोध्या ही है और वहां पर उनका मंदिर बनना चाहिए। एक समय ऐसा था जब उदारता दिखाने वाले मोरारजी बापू राम मंदिर बनवाने के लिए उकसाने वाले बयान दिया करते थे।
मोरारजी बापू ने रामकथा से लेकर के राम मंदिर तक की बातों को समाज में वर्ष 1992 में राम की पादुका की पूजा करने के बाद कहा था कि “हमने राम रथ यात्रा का आयोजन किया, हमने मंदिर के शिलान्यास भी कर दी, हमने पादुका का पूजन भी कर दिया, इस तरह से तीन सत्य पूर्ण हो गए लेकिन सरकार इसको सकारात्मक तरीके से नहीं सोच रही है।”
इसके अतिरिक्त मोरारजी बापू जी का यह कहना है कि “यह सच्चाई के साथ क्रूर मजाक है और जब सच्चाई को हंसी में उड़ाने की बात होती है तब चौथे सत्य का उपयोग करना जरूरी हो जाता है और यह सत्य ताकत अब देश के युवाओं के लिए बलिदान करने का समय आ चुका है। शहादत को स्वीकार करो, जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक लड़ते रहो समय की मांग है कि हिंदुओं को एक होना चाहिए और क्या अति आवश्यक है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख “मोरारी बापू का जीवन परिचय (Morari Bapu Biography in Hindi)” को पढ़ने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि मोरारजी बापू बहुत ही प्रसिद्ध और रामचरितमानस के प्रमुख ज्ञाता रहे हैं। आज के इस लेख में हमने आपको मोरारजी बापू बापू जी के जीवन संबंध के विषय में संपूर्ण जानकारी के बारे में बताया। मोरारजी बापू की शिक्षा और उनके जन्म से लेकर के उनके कुछ आंदोलनों के बारे में भी हमने इस जानकारी में आपको बताया है।
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