Mera Priya Khilona Essay in Hindi: जब व्यक्ति बच्चा होता है, तब उसे खिलौने से बहुत ज्यादा प्रेम होता है। उसी प्रकार से मुझे भी अपने खिलौनों से बहुत ज्यादा प्रेम है। मैं अपने खिलौनों के साथ हर समय खेलती रहती है। आज का हमारा आर्टिकल मेरा प्रिय खिलौना पर निबंध के बारे में इस आर्टिकल के जरिए मैं अपने प्रिय खिलौने के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाने वाली हूं।
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मेरा प्रिय खिलौना पर निबंध | Mera Priya Khilona Essay in Hindi
मेरा प्रिय खिलौना पर निबंध (250 शब्द)
मेरे पास बहुत सारे खिलौने हैं, जो मेरे माता-पिता, दादा-दादी, रिश्तेदारों और दोस्तों ने मुझे उपहार में दिए हैं। प्रत्येक अवसर के लिए, मुझे कई खिलौने उपहार में दिए जाते थे। जिनमें से कुछ मैं अभी खेल सकती थी और कुछ जिन्हें मैं बाद में खेल सकती थी। जिन्हें मेरी माँ सुरक्षित रूप से दूर रखती हैं।
टेडी बियर मुझे मेरे दादा-दादी ने दिया था और मुझे यह बहुत पसंद है। यह बहुत बड़ा नहीं है और बहुत छोटा नहीं है। यह गुलाबी रंग का होता है और बहुत ही कोमल और प्यारा होता है। मैं हमेशा अपने टेडी से खेलती हूं और जब मैं रात को सोने जाती हूं तो अपने टेडी को गले लगाकर सो जाती हूं। मेरा टेडी मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। मैं अपने टेडी से बात करता हूं, उसे नहलाती हूं, उसके साथ खेलती हूं, उसके साथ खाती हूं, उसके साथ टीवी देखती हूं और अंत में उसके साथ सोती भी हूं।
ये दोनों मेरे पसंदीदा खिलौने हैं। इनके साथ-साथ मेरे पास कई अन्य खिलौने हैं जैसे मेरे बिल्डिंग ब्लॉक्स, चुंबकीय अक्षर और संख्याएं, कई गुड़िया, कार, किताबें और बहुत कुछ। ये सभी आकर्षक खिलौने हैं और मुझे ये पसंद हैं। मैं बीच-बीच में उनके साथ खेलती हूं और अपने टेडी के लिए बहुत सारी रचनात्मक चीजें बनाने में मजा आता है। मुझे खिलौनों से प्यार है और मुझे अपने जन्मदिन के लिए खिलौने मिलते हैं और मैं इस साल अपने जन्मदिन की प्रतीक्षा कर रही हूं, मेरे लिए आश्चर्य की प्रतीक्षा कर रही है।
मेरा प्रिय खिलौना पर निबंध (800 शब्द )
प्रस्तावना
बचपन और खिलौने-बचपन में हर किसी को खिलाने प्रसन्न होते हैं। हर बच्चा बहुत सारे खिलौने चाहता हैं। बच्चों की दुनिया ही खिलौनों में बसी होती हैं। वह दिन भर उनके साथ खेलते हैं। लड़कियों को गुड़िया ही पसंद होती है और लड़कों को रिमोट गेम इत्यादि उनको देखकर बच्चे बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं। उन्हें हर अवसर पर तोहफे में ज्यादातर खिलौने पाना बहुत अच्छा लगता हैं।
विभिन्न प्रकार के खिलौने
प्लास्टिक ,इलेक्ट्रॉनिक समय के साथ इनमें भी बदलाव आ रहा है। फिर भी खिलौनो का चाव समय के साथ कभी कम नहीं हुआ। क्योंकि इनके बिना बच्चों का बचपन अधूरा हैं। मेरा नाम सिया हैं। मेरी उम्र 9 वर्ष है मुझे खिलौने बहुत ज्यादा पसंद हैं। मेरे पास कई तरह के खिलौने बहुत सारे गुड्डे -गुड़िया बहुत सारे गेम्स भी हैं। रसोईघर के खिलौने, चिकित्सक का सामान, बहुत सारे घोडे गाड़िया है पर फिर भी इतने सारे खिलौनो में से मेरी गुडिया मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं।
मेरा सबसे प्यारा खिलौना
मेरा पसंदीदा खिलौना मेरी गुड़िया हैं, जो मुझे मेरे पिताजी ने इस जन्मदिवस पर मुझे भेट की थी। गुड़िया को लेने के लिए में पिताजी से जिद करती थी। पर मुझे पता नहीं था मेरे पिताजी मुझे वही मेरे जन्मदिन पर तौहफे में देगे।
मुझे मेरे जन्मदिवस पर कई प्रकार के तौहफे मिले। खेल खिलौने मिले जैसे कार ,हवाई जहाज ,घोडागाडी ,साईकिल परंतु गुड़िया मुझे अत्यंत प्रिय हैं । मैंने उसका नाम परी रखा हैं। वह सफेद रंग की हैं ,नीली -नीली आंखें ,उसके काले रंग की फ्रॉक हैं ,काले रंग के जूते हैं ,काले रंग की बटुआ है ,उसके भूरे रंग के लंबे बाल हैं मुझे स्थिर लंबे घने बाल बहुत ज्यादा पसंद हैं ।
मेरी गुड़िया देखने में बिल्कुल विदेशी लगती हैं। मैं इसके रोजाना अलग-अलग प्रकार की चोटियां बनाती हूं। वह सेल से चलती हैं। इसकी मुस्कान बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं। मैं जब भी उसे खड़ी करती हूं उसकी आंखें खुल जाती है और जब भी सुलाती हूं, तो उसकी आंखें बंद हो जाती हैं।
पिताजी का मेरे खिलौनों के साथ व्यवहार
पिताजी मेरी गुड़िया के लिए घर और मेकअप का सामान और ढेर सारे कपड़े लाए हैं। मैं गुड़िया को रोज अलग -अलग कपड़े पहनाती हूं और उसका रोज मैकअप भी करती हू। मैं उसको हमेशा अपने साथ लेकर जाती हू। मेरे पास और भी कई खिलौना है। परंतु मुझे यह छोटी सी प्यारी सी गुड़िया बहुत ज्यादा पसंद हैं। मेरी गुड़िया मुझे बहुत ही ज्यादा प्रिय हैं। वह गाती और नाचती भी हैं। जब भी मुझे खाली समय मिलता है। मैं उसके साथ खेलती हूं। रविवार के दिन मेरी सभी सहेलिया में मेरे घर आती हैं। वह अपने खिलौने साथ लाती है और हम सब मिलकर साथ में खेलते हैं। हम सब के पास बहुत सारे अच्छे अच्छे खिलौने हैं।
मेरे प्रिय खिलौने के बारे में कविता
गुड़िया मेरी रानी हैं ।
लगती बड़ी सयानी हैं ।
गोरे गोरे गाल हैं।
भूरे भूरे बाल हैं।
कपड़े उसके काले काले
आंखें उसकी नीली -नीली
प्यारी उसकी चाल हैं ।
मीठी उसके बोली हैं।
मेरी गुड़िया रानी बड़ी ही भोली हैं।
घर में मेरी मां मुझे कहती हैं तुम दिन भर एक गुड़िया के साथ ही खेलती हैं। तेरे पास इतने सारे खिलौने है फिर भी जब देखो तो इसे गुड़िया के साथ खेलती रहती हैं। मैं उनकी बात को अनसुना कर देती हूं और उन्हें भी पता है यह गुड़िया मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। इसलिए मैं उसके साथ सबसे ज्यादा समय बिताती हूं। मैं उसे हर जगह अपने साथ ले जाती हूं। मेरे कई बार उसे अपने स्कूल बैग में स्कूल ले जाती हूं। मैं मेरी गुड़िया के साथ बहुत ही ज्यादा खुश हूं।
निष्कर्ष
हर इंसान के जीवन में एक प्यारा खिलौना जरूर होता है। जब कोई भी व्यक्ति बचपन का जीवन गुजार रहा होता है। तब उसके लाइफ में कोई न कोई एक प्यारा खिलौना जरूर होता है। जिसके साथ वह अपनी पूरी बचपन की जिंदगी बिताता है। मेरे लाइफ में मेरा सबसे प्यारा खिलौना मेरी गुड़िया थी मैं हमेशा उसी के साथ खेलती रहती थी और उसी के साथ अपना जीवन व्यतीत करती थी। जब भी स्कूल का होमवर्क पूरा हो जाता था मैं अपनी गुड़िया के साथ खेलना पसंद करते थी।
अंतिम शब्द
आज का हमारा आर्टिकल जिसमें हमने मेरा प्रिय खिलौना पर निबंध (Mera Priya Khilona Essay in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से जुड़ा कोई सवाल है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है। हम आपके सवाल का जवाब कमेंट के माध्यम से जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।
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