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मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर निबंध

Mazhab Nahi Sikhata Aapas Mein Bair Rakhna Essay in Hindi: हम यहां पर मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर निबंध | Mazhab Nahi Sikhata Aapas Mein Bair Rakhna Essay in Hindi

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना निबंध ( 250 शब्द)

हमारे उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर मोहम्मद इकबाल के द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियां ऐसी थी, जिनको अनेकों बार दोहराया गया “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना हिंदी है हम वतन के हिंदुस्तान हमारा सारे जहाँ से अच्छा” इन पंक्तियां बहुत कम शब्दों में कुछ ऐसी सच्चाई है कि हमारे भारत में सभी लोग एकजुट हो कर रहे।

सभी को अपने अपने धर्म को लेकर किसी में भी बैर भावना नही रखनी चाहिए क्योंकि हमें अपने अपने धर्मों से यह सीख मिलती है की हमें आपस में प्यार प्रेम के साथ रहना चाहिए । जिससे हर कट्टरपंथी धर्म के जो लोग हैं वह भी इन पंक्तियों को देखकर कुछ सीख ले क्योंकि हमारे किसी भी धर्म आपस में बैर भाव करना देश के प्रति द्वेष भावना ना रखना आदि सब नहीं सिखाता है।

आजकल धर्म के नाम पर किस तरह से लोग एक- दूसरे को भड़काने में लगे हुए हैं । अपने – अपने धर्म का गलत तरीके से प्रचार करने में लगे हुए हैं और मजहब के नाम पर समाज में बहुत दंगे फैलाए जा रहे हैं।धर्म के नाम पर आपस में लोग एक दूसरे से बैर बांधे बैठे हैं । कभी कभी तो ऐसा लगता है कि जैसे इकबाल की ये पंक्तियां मात्र पढ़ने के लिए तथा खाली कल्पना के रूप में ही ये  पंक्तिया रही।

किसी भी धर्म में यह नहीं लिखा कि इंसानों को परस्पर द्वेष भावना रखनी चाहिए बल्कि सभी धर्म एक ही संदेश देते हैं कि आपस में भाईचारे की भावना से सही मेल मिलाप से लोगों को एक साथ एकजुट होकर रहना चाहिए। मजहब के नाम पर लड़ना बहुत मूर्खता का काम है आजकल लोग मजहब की आड़ में अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए विभिन्न ढंग से लोगों को लड़ने और समाज में लोगों को भड़काने के बहुत प्रयास करते रहते है।

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

 हमारे भारतवर्ष में सभी अलग-अलग धर्म अलग-अलग संप्रदाय के लोग रहते हैं। हमारा संपूर्ण भारत एक कुटुंब की तरह है। हमारे प्रसिद्ध शायर इकबाल की लिखी गई पंक्तियां “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना” ऐसा लगता है कि अब इन पंक्तियों का कोई महत्व नहीं है क्योंकि आज हमारे देश में बहुत से ऐसे कट्टरपंथी धर्म के लोग हैं, जो लोग अपने अपने धर्म के नाम पर दंगे भड़काने के काम कर रहे हैं । इन सब की वजह से सभी संप्रदायों के लोग आपस में एक दूसरे से लड़ झगड़ रहे हैं, इसका प्रमुख कारण है कि वह सभी अपने अपने धर्म का एक तरह से प्रचार कर रहे हैं अपने अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने में लगे हुए हैं।

कोई भी धर्म यह शिक्षा नहीं देता की हम अपने अपने धर्म के नाम पर आपस में एक दूसरे से लड़े। धर्म का वास्तविक अर्थ ‘सत्य’ होता है।

सभी लोगों को आपस में प्यार, प्रेम, मित्रता-पूर्वक, दया और करुणा के साथ रहना चाहिए। हिंदू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई, पंजाबी ,पारसी आदि सभी धर्म यही शिक्षा देते हैं की सभी परत पर एकजुट होकर रहे यही मानवता का धर्म है।

भारत में सभी धर्मों का एक ही संदेश

हमारे भारत को विभिन्न धर्मों की भूमि कहा गया है। यहां पर सभी धर्मों के लोग अपने अपने धर्म के नाम पर आपस में लोग लड़ रहे हैं।वह यह नहीं सोचते कि सभी धर्म एक सत्य पर आधारित है। सत्य क्या है? सत्य एक मानवता है अर्थात मनुष्य का मनुष्य के प्रति करुणा, प्रेम दया ,मैत्रीपूर्ण व्यवहार ही सत्यता है ओर सभी धर्म भी यह शिक्षा देते हैं। सभी को अहिंसा परमो धर्म की भावना के साथ रहना चाहिए।

धर्म के नाम पर आपसी मतभेद के परिणाम

आज सभी लोगों को अपने – अपने धर्म के नाम पर लड़ता देखकर ऐसा लग रहा है कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का जो सपना था वह साकार नहीं हो पा रहा है क्योंकि सभी लोगों में अपने धर्म के नाम पर शत्रुता और युद्ध का रूप ले लिया है। लोगों के मन में हिंसा की आग जल रही है, जिससे न जाने कितने घर और बस्तियां जलकर राख हो गई है। कितनी मां की गोद सूनी हो गई है, कितनी ही औरतों का सिंदूर उजड़ गया है और बहुत से बच्चे अनाथ भी हो गए हैं, क्योंकि हमारे देश मे अब धर्म के नाम पर खून की होली जो खेली जाने लगी है।

हमारे सभी धर्मों का एक ही संदेश “आपसी भाईचारा”

आज हमारे लिए बहुत दुख की बात है कि लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे से लड़ झगड़ रहे हैं।लोग क्यों नहीं समझ रहे कि अपने अपने धर्म दूसरे धर्मों से अलग धर्म नहीं है, जबकि सभी धर्म हमें यह शिक्षा देते हैं कि सभी को प्यार प्रेम और भाईचारे के साथ में रहे।आज इस दुनिया में धार्मिक कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

 अगर लोग अपने धर्म की कट्टरता से लोगों में अशांति और द्वेष भावना पैदा करेंगे तो इससे कोई भी सुखी नहीं रह पाएगा। आज हमें सर्वधर्म समभाव से एक दूसरे को बदलने की जरूरत है क्योंकि सभी धर्मों को हम एक नजरिए से देखेंगे तभी तो मनुष्य मनुष्य के बीच की सभी दूरियां खत्म हो जाएंगी और इस धरती पर हम सभी सुख और शांति रहते है क्योंकि सभी धर्म हमें ईश्वर, सत्य और मानवता की ओर लेकर जाते हैं और भाईचारे का संदेश भी देते हैं।

धर्म के नाम पर कुछ राजनीतिक विवाद

आज हमारी कैसी विडंबना होती जा रही है कि हमें धर्म के नाम पर लोगों ने बांट दिया है देश में धर्म के नाम पर बहुत विवाद और दंगे हुए , जिनमे से कुछ प्रमुख विवाद रहे अयोध्या में राम जन्मभूमि । बाबरी मस्जिद को राम जन्म भूमि के पास होने से कितने तनाव के हालात पैदा हुए और अंत में मस्जिद को तोड़कर उस जगह पर राम मंदिर के निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ।

जिस समय हमारे देश के विभाजन की मांग हो रही थी, उस समय ब्रिटिश शासकों को मोहरा बनाया गया था।

क्योंकि अंग्रेजों ने भारतीयों  में फूट डालो राज करो कि नीति की अपनाकर भारतीयों में फुट डाली जिससे हमारे यहाँ कुछ हिसंक लोग भड़क गए थे। जबकि कुछ लोग इस विभाजन से सहमत नहीं थे। उन्होंने हमारे यहां धर्म को एक राजनीतिक रूप दे दिया कुछ व्यक्ति धर्म के नाम पर इस विभाजन से बिल्कुल भी सहमत नहीं थे। हमारे देश में कई राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए समाज में धर्म के नाम पर लोगों को भड़का देते हैं इससे बहुत भयानक स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

सभी धर्मों में ईश्वर एक है

किसी भी धर्म में द्वेष और हिंसा की भावना को उचित नहीं माना गया है प्यार प्रेम को सभी धर्मों में स्वीकार किया गया है। धर्म तो सभी प्राणियों में परमात्मा के दर्शन करवाता है जो धार्मिक व्यक्ति होता है वह सभी प्राणियों में ईश्वर का निवास देखता है। इसीलिए सभी लोगों को आपसे प्यार प्रेम और भाईचारे के साथ रहना चाहिए। महाकवि तुलसीदास जी ने कहां है कि –

सिया राम मैं सब जग जानी करो प्रणाम जोर जुग पानी

अर्थात संसार में सभी प्राणियों में मैं उस परमात्मा के दर्शन करता हूं और संपूर्ण सृष्टि को मैं हाथ जोड़कर नमन करता हूं।

निष्कर्ष

अगर हम धर्म को ऊपर से देखें तो वह कितना कलहकारक सा लगता है और सभी धर्म अंदर से उतने ही शांतिदायक लगते हैं। सही शब्दों में कहा जाए तो सभी धर्मों का हमें सम्मान करना चाहिए और अपने विश्वास व मान्यताओं पर एकदम खरा उतरना चाहिए । धर्म हमें यह भी सिखाता है कि हमें सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। किसी भी धर्म के लोग से नफरत नहीं करनी चाहिए क्योंकि सर्वधर्म समन्वय सर्वधर्म समभाव ही हर धर्म का मुख्य सीख भाई चारे की भावना है । बाकी सब दुनिया आडंबर की है।

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना पर निबंध (Mazhab Nahi Sikhata Aapas Mein Bair Rakhna Essay in Hind ) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है। तो वह हमें कमेंट में पूछ सकता है।

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