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महात्मा गांधी की बकरी का क्या नाम था?

महात्मा गांधी को तो आप सभी जानते ही होंगे। प्राथमिक विद्यालय से महात्मा गांधी के किस्से और उनकी स्वतंत्रता की लड़ाई की बातें पढ़ाई जाती है। महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता कहा जाता है। गांधी जी का पूरा नाम “मोहनदास करमचंद गांधी” है, उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई है।

भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने वालों की सूची में महात्मा गांधी का नाम प्रमुख स्थान पर है। गांधी जी ने आजादी की लड़ाई के लिए कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया, लेकिन बिना हिंसा के ही आंदोलन किए थे।

महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े अन्य तरह के किस्से और कहानियां प्रचलित हैं। आज की युवा पीढ़ी महात्मा गांधी के बारे में प्रत्येक छोटी बड़ी बातें और किस्से व कहानियां जानना चाहते हैं, जिनमें एक किस्सा महात्मा गांधी का उनके पालतू बकरी से भी जुड़ा हुआ है।

Mahatma Gandhi Ki Paltu Bakri Ka Naam Kya Tha

क्या आपको महात्मा गांधी की पालतू बकरी के बारे में जानकारी पता है या उनके पालतू बकरी का नाम पता है? अगर नहीं तो इस आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें। इसमें हम आपको महात्मा गांधी के पालतू बकरी का नाम और उससे जुड़ी जानकारी प्रदान करेंगे।

Gandhiji Ki Bakri Ka Naam Kya Tha

महात्मा गांधी की पालतू बकरी का नाम “निर्मला” था। महात्मा गांधी अपने प्रिय पालतू बकरी को निर्मला नाम से पुकारते थे। लगभग प्रत्येक जगह वे अपने इस पालतू बकरी को साथ लेकर जाते थे। महात्मा गांधी इसी बकरी का दूध पिया करते थे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले महात्मा गांधी मांसाहारी थे, मांस का सेवन करते थे। लेकिन बाद में वे अहिंसक बन गए और जानवरों का मांस खाना बंद कर दिया। तभी उन्होंने दूध पीना भी बंद कर दिया था, लेकिन जब वे बीमार पड़े तो डॉक्टरों की सलाह के बाद बकरी का दूध पीना शुरू किया था।

महात्मा गांधी किस बकरी का दूध पीते थे?

महात्मा गांधी अपने पालतू बकरी का दूध पीते थे, लेकिन उससे पहले उन्होंने दूध पीना छोड़ दिया था। क्योंकि उससे पहले वे मांस खाते थे और दूध भी पीते थे। परंतु बदलते समय के साथ उन्होंने खुद को बदलाव और अहिंसक बन गए। जिसके बाद उन्होंने जानवरों पर हिंसा करना छोड़ दिया और यहां तक कि दूध पीना भी छोड़ दिया था।

उनका कहना था कि दूध भी जानवरों का मांस खाने के बराबर है। लेकिन जब वे बीमार पड़े तब डॉक्टरों ने उन्हें दूध पीने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने अपने पालतू बकरी निर्मला का दूध पीना शुरु कर दिया था।

महात्मा गांधी की पालतू बकरी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें

  • महात्मा गांधी अपनी पालतू बकरी को हमेशा अपने साथ रखते थे ताकि उन्हें हर जगह पर ताजा दूध मिल सके।
  • 1931 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन गांधीजी निर्मला को साथ लेकर गये थे।
  • यह भी माना जाता है कि महात्मा गाँधी की बकरी को बादाम और काजू खाने को दिए जाते थे लेकिन इसमें कितनी सत्यता है इसकी जानकारी नहीं है।
  • गाँधी जी के पास दो बकरियां थी, जिसमें एक का रंग काला था और एक का रंग सफ़ेद था।
  • गाँधी जी ने निर्मला को अपने साथ लगभग 7 वर्षों तक रखा।
  • सरोजिनी नायडू ने गांधीजी की बकरियों को लेकर कहा था कि यह देश के लिए महंगा पड़ रहा है।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय और उनके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि महात्मा गांधी की पालतू बकरी का नाम क्या था?, महात्मा गांधी किस बकरी का दूध पीते थे?, महात्मा गांधी ने दूध पीना क्यों छोड़ दिया था और फिर से दूध पीना क्या शुरू किया? इस बारे में भी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में बताई है।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूरी होगी साबित हुई होगी। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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