Kisan ki Atmakatha Essay in Hindi: हमारे देश में किसान को भगवान का दर्जा दिया गया है। क्योंकि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है, जहां किसान हमारी दो वक्त की रोटी के लिए काफी मेहनत करते है। हमारा देश भारत जो कृषि पर आधारित देश माना जाता है। क्योंकि यहां की अधिकतर जनसंख्या यानी कि 60% लोग खेती बाड़ी पर निर्भर है।
गांव में रहकर खेती-बाड़ी का काम करते हैं और उसी काम से यहां के किसानों का घर चलता है। किसान जो अपने घर को चलाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। हर मौसम में उनको काम करना पड़ता है। कड़ी मेहनत के बाद जो अनाज तैयार होता है, उसे बेचकर किसान अपने घर को चलाते हैं।
आज हम इस आर्टिकल में आपके साथ एक किसान की आत्मकथा हिंदी निबंध (kisan ki atmakatha in hindi) शेयर करने जा रहे है। यह निबंध परीक्षा में सभी कक्षाओं के लिए मददगार साबित होगा।
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किसान की आत्मकथा पर निबंध | Kisan ki Atmakatha Essay in Hindi
किसान की आत्मकथा हिंदी निबंध 250 शब्दों में (Kisan ki Atmakatha Hindi Nibandh)
मैं एक किसान हूँ, मुझे गर्व है कि मेरा जन्म भारत में हुआ है, जहां किसानों को काफी सन्मान दिया जाता है। मुझे लोग अन्नपूर्णा भी कहते है क्योंकि मैं लोगों को जीवन जीने के लिए अन्न प्रदान करता हूँ। मेरा जन्म एक किसान के गरीब घर में हुआ है। बचपन से ही मैं अपने बैल, हल और मिट्टी के साथ खेल कर बड़ा हुआ हूँ। मेरा जीवन सरल नहीं है। मैं 12 महीने काम करता हूँ ना धूप देखता हूँ और ना ठंड और बरसात।
मेरे पिताजी बहुत गरीब थे, इसलिए मैं कभी शिक्षा ना ले सका। लेकिन बचपन से खेतों में काम करके मैं काफी कुछ सीख गया हूँ। कुदरती आपदाओं की वजह से मेरे जीवन में काफी मुश्किलें आ जाती है। लोगों को दो वक्त की रोटी देने वाला मैं किसान कभी-कभी एक वक्त की रोटी के लिए तरस जाता हूँ।
तकनिकी में बढ़ोतरी होने के कारण आज खेती करना काफी सरल हो गया है। साथ साथ किसानों के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं भी बनाई गई है, जिसके चलते आज किसान का जीवन थोड़ा सरल हो गया है। हमारा व्यवसाय ऐसा है, जिसमें कभी बेईमानी नहीं की जाती। मैं पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपने काम के प्रति समर्पित हूँ। इतनी मेहनत करने के बाद भी मेरे जीवन यापन के लिए मुझे काफी संघर्ष करना पड़ता है।
जीवन में इतनी कठिनाइयों के बावजूद भी मैं काफी खुश हूं। क्योंकि भगवान ने मुझे जन्म इस धरती पर रहने वाले प्राणियों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के लिए चुना है।
किसान की आत्मकथा पर निबंध 500 शब्दों में (Kisan ki Atmakatha Nibandh)
प्रस्तावना
मैं किसान हूं, मुझे कड़ी मेहनत करना अच्छा लगता है। मुझे गर्व है कि मैं भारत जैसे महान देश में जन्म लेकर खेती का काम कर रहा हूं। मेरी जिंदगी पूरी परिश्रम और कठिनाइयों से भरी है। लेकिन फिर भी मैं दिन-रात कड़ी मेहनत करता हूं। मेरा जीवन आर्थिक तंगी से उलझा हुआ है।
लेकिन फिर भी मैं हर मौसम में हार नहीं मान कर खेती का काम करता रहता हूं। मैं अनाज उगा कर देश के सभी लोगों को भुखमरी से बताता हूं और उनकी भूख मिटाता हूं। लेकिन फिर भी लोग मुझे गरीब और कर्जदार ही समझते हैं। मैं अन्नदाता के तौर पर दिन-रात 12 महीने काम करता हूं।
मेरा जीवन
मैं एक गरीब परिवार में पैदा हुआ। इसलिए मैं शिक्षा हासिल नहीं कर सका और आज कृषि का काम कर रहा हूं, खेती का काम करना भी मुझे अच्छा लगता है। लेकिन यहां मुझे बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है। हर मौसम में मुझे चाहे धूप हो और चाहे ठंड मुझे खेती का काम करना ही पड़ता है।
हालांकि आज के समय में मेरे जीवन में टेक्नॉलजी की वजह से काफी सुविधाएं आई है और हमारा जीवन स्तर काफी ऊंचा हुआ है। लेकिन पुराने जमाने में हमें बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी। बैल और हल के जरिए हमें भूमि को जोड़ना पड़ता था। लेकिन आज बैल की जगह ट्रैक्टर ने ले ली है और जिससे हमारी जिंदगी काफी सरल हुई है।
लेकिन फिर भी हम को हर मौसम में खेती के काम से फुर्सत नहीं मिलती है और हम अपने सच्चे मित्र भी हमारी भूमि और फसल को ही मानते हैं और इनसे ही हमें प्यार है।
हमारा पहनावा कोई खास नहीं है। हम बहुत ही सादा जीवन जीते हैं। पैरों में फटे जूते, कुर्ता और धोती पहनकर हम अपना जीवन निकाल लेते हैं। हमारे पास पैसा नहीं होता है। फिर भी हम जैसे-तैसे ही कपड़ों में अपना जीवन निकाल लेते हैं।
मेरे जीवन की खुशी
मेरा जीवन संघर्ष से भरा रहता है। लेकिन फिर भी मैं छोटी-छोटी खुशियों मैं ही अपनी खुशी मानकर जीवन निकाल देता हूं और मेहनत करता रहता हूं। कड़ी मेहनत के बाद खेत में जब लहराती हुई फसल देखता हूं तो मेरे जीवन को बड़ा सुकून मिलता है और मुझे अच्छा महसूस होता है।
मेरी दिनचर्या
मैं रोज सुबह उठता हूं और खेत की ओर निकल जाता हूं। वहीं पर परिवार वाले मेरे लिए खाना और पानी लाते हैं। मैं खेत में बैठकर ही खाना खा लेता हूं। खाना खाने के बाद मैं पुनः अपने काम में मगन हो जाता हूं और रात को घर आकर खाना खाकर जल्दी ही सो जाता हूं।
सरकार द्वारा हमारे लिए किए गए प्रयास
पिछले कुछ सालों से सरकार को हमारी परेशानियां समझ आ रही है और सरकार हमें हर तरफ से सहायता देने का प्रयास कर रही है। सरकार के द्वारा दिन प्रतिदिन कृषि का ज्ञान हमारे साथ साझा किया जाता है, जिससे हमें कई समस्याएं दूर हो रही है।
सरकार हमें आज के समय में आर्थिक सहायता देकर भी हमारे जीवन में एक उत्साह और जीवन जीने की चाह को बढ़ा रही है। सरकार हमारे कर्ज को माफ करके भी हमारे ऊपर बड़ा एहसान कर रही है। आज के समय में सरकार के द्वारा हमारे जीवन को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
उपसंहार
परिश्रम का दूसरा नाम किसान ही है। किसान अपने जीवन में परिश्रम करके ही दो वक्त का खाना खाता है। किसान को हमारे देश की आत्मा कहां जाता है। क्योंकि किसान ही देश के सभी लोगों को भोजन उपलब्ध करवाता है।
किसान की आत्मकथा पर निबंध (850 शब्द)
प्रस्तावना
मैं अपने देश का साधारण सा किसान हूँ, जो खेती करके अपना जीवन निर्वाह चलाता है। मुझे ख़ुशी है कि मैं अपने देश के नागरिकों के लिए अन्न का उत्पादन करता हूँ। लेकिन दुःख इस बात का है की मुझे सब लोग गरीब और कर्ज़दार समझते है लेकिन कोई अन्नपूर्णा नही समझता। खेती करना महेनत का काम है, जिसे मैं बड़ी ईमानदारी के साथ करता हूँ।
भारत के एक छोटे से गाँव में मेरा घर है। मेरे पिताजी और मेरे दादाजी दोनों किसान थे। मुझे विरासत में एक साधरण सा और कच्चा घर, थोड़ी जमीन, दो बैल और खेती का अनुभव मिला है। कष्टों से भरपूर जीवन होने के बावजूद भी में आत्मसन्मान के साथ जीता हूँ। कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता।
मेरी दिनचर्या
मेरी दिनचर्या दूसरे लोगों की तरह सरल नही होती। मेरा पूरा परिवार सुबह सूरज निकलने से पहले उठ जाता है। मेरा एक छोटा सा खेत है। दोपहर तक मैं खेत का सारा काम निपटा लेता हूँ जैसे की फसल बुआई, सिंचाई, कटाई। दोपहर के समय एक छायादार पेड़ के नीचे अपना भोजन करता हूँ और फिर थोड़ा आराम करता हूँ।
शाम को थका हारा घर लौटता हूँ। रात को खाना खाके जल्दी सो जाता हूँ। हमारा भोजन भी सादा होता है ज्यातादर रोटियां और सब्जियां। मुझे कोई छुट्टी नहीं मिलती। सभी प्रकार के मौसम में मुझे काम करना पड़ता है। मेरे साथ साथ मेरा परिवार भी खेतों में मेरी मदद करता है। खेत ही हमारा सर्वस्य होता है और अनाज के दाने मेरी मेहनत के मोती हैं।
मेरा पहनावा
मेरे पहनावा में आपको सादगी नजर आएगी। उस में कुछ तड़क-भड़क नहीं है। सादा सा कुर्ता और धोती और पावों में एक टूटे फूटे जूते। हमारे पास बहुत कम कपड़े होते है। लेकिन आज कल मेरे रहनसहन में भी छोटे छोटे बदलाव आ रहे है।
मेरे मित्र
मुझे अपने खेतों में काम करने से ज्यादा फुर्शत नहीं मिलती इसलिए मेरे बहुत कम मित्र होते है। लेकिन मेरा सच्चा मित्र मेरा हल और बैल है, जो पूरे दिन मेरे साथ रहते है और कभी भी धोखा नहीं देते। मेरे पास दो बैल है।
बैल को नहलाना और खाना खिलाना मुझे काफी अच्छा लगता है। अब तो मेरे बैल की जगह ट्रेक्टर ने ले ली है लेकिन फिर भी में अपने बैल को इतना ही प्यार करता हूँ।
मेरा जीवन
मेरा पूरा जीवन प्रकृति पर निर्भर करता है। अगर बारिश अच्छी हो तो फसल अच्छी होती है लेकिन जब कुदरती आपदाएं आती है तब सारी फसल ख़राब हो जाती है। हमारी पूरी महेनत पर पानी फिर जाता है और मेरे पुरे परिवार की हालत ख़राब हो जाती है। मेरी छोटी सी छोटी खुशियों को भी पूरा करने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ती है। लहलहाती फसलें को देखकर मुझे काफी सुकून मिलता है। ऐसा लगता है मानो कोई त्यौहार हो।
लेकिन आज मेरे जीवन में काफी बदलाव नजर आ रहे है। मैं पूरा दिन मेहनत करता हूँ और अपने बच्चों को स्कूल भेजता हूँ ताकि उनका भविष्य सुनहरा बना सके। कुछ वर्षो में सरकार के द्वारा कुछ ऐसे काम हुए है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है। अब हमें सरकार की तरफ से भी काफी सहाय मिलती है।
सरकार अब हमारे खेतों के लिए बिजली और पानी देती है। हमें कृषि आधारित शिक्षा देती है। कृषि में भी अब टेक्नोलॉजी बढ़ने के कारण कम मेहनत में हम लोग ज्यादा काम कर सकते है, जिससे हमारा जीवनस्तर ऊंचा गया है।
जीवन स्तर बदलने के बावजूद भी बढ़ती महंगाई के कारण आज भी मेरे परिवार को रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है। बीज की कीमतें दिन पर दिन बढ़ रही है, जिसके कारण अच्छी गुणवत्ता के खाद्य और बीज खरीदने में हमारे पसीने छूट जाते हैं।
समाज में किसान का स्थान
गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री ने हमें देश की आत्मा का मान दिया था। लेकिन समाज में आज भी हमारी गिनती गरीब में की जाती थी। व्यापारी लोग हम से अनाज कम दामों में लेकर उसे बाजार में ज्यादा दामों में बेचते है और ढेर सारा मुनाफा कमाते है। लेकिन इस मामले में अभी तक सरकार दवारा कोई कदम नहीं उठाया गया है। हमारी जिंदगी सिर्फ कर्ज में डूबी हुई होती है।
आज भी लोग हमें अनपढ़ और गंवार समझते है। आज भी समाज में हमारी स्थिति गुलामों की तरह है। हर साल क़र्ज़ में डूबे कई हमारे किशन भाई आत्महत्या करते है लेकिन समाज पर इन सभी घटनाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
निष्कर्ष
दिन रात काम करके लोगों का पेट भरने के बावजूद भी मुझे छोटी छोटी बातों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। बढ़ती टेक्नोलॉजी और एजुकेशन से आज खेती करने की पद्धति में काफी बदलाव आये है। सरकार द्वारा भी हमें काफी मदद मिल रही है।
लोगों की नज़रों में हमारा स्थान ऊँचा हो गया है लेकिन फिर भी आज बहुत बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं। इन सब के बावजूद भी मैं मेरी ज़िंदगी से काफी खुश हूँ। मैं खुद ईश्वर का सेवक मानता हूँ क्योंकि ईश्वर ने धरती पर मुझे अन्नदाता बनाकर भेजा है, जो मेरे लिए एक गर्व की बात है।
अंतिम शब्द
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