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केतकी का फूल कैसा होता है?, सम्पूर्ण जानकारी

फुल तो आपने देश और दुनिया भर में अनेक तरह के देखे ही होंगे, जिसमें विशेष रुप से लाल, पीले या फिर गुलाबी रंग के फूल होते हैं। क‌ई बार तो हमें नीले रंग और सुनहरे रंग के फूल देखने को मिल जाते हैं।

देश और दुनिया में अनेक तरह के फूल पाए जाते हैं, जिनमें छोटे-बड़े एवं अलग-अलग आकृति के फुल होते हैं। विशेष रूप से गुलाब के फूल काफी ज्यादा प्रचलित हैं, लेकिन क्या आपने कभी केतकी के फूल के बारे में सुना है? आइए जानते हैं।

केतकी के फूल कैसे होते हैं?

केतकी के फूल अत्यंत सुगंधित, अत्यंत कोमल एवं अत्यंत खूबसूरत होते हैं। केतकी के फूल हाथ लगाने पर अत्यंत मुलायम लगते हैं। खुशबूदार एवं सफेद तथा पीले रंग का मिश्रण केतकी के फूल को काफी लाजबाव बनाता है। केतकी के फूल चपटे एवं नुकीले होते हैं। केतकी के पौधे पर छोटे-छोटे कांटे भी होते हैं।

अत्यंत खुशबू वाले इन फूलों को केवड़ा भी कहते हैं। इसी की एक और प्रजाति होती है, जिस पर विशेष रूप से पीले रंग के फूल लगते हैं, उसे स्वर्ण केतकी कहते हैं। इस फूल पर छोटी-छोटी पांच पत्तियों होती है।

जिस तरह से गुलाब का फूल अपनी बनावट और अपनी पहचान से जाना जाता है। ठीक उसी तरह केतकी का फूल भी अपनी खुशबूदार महक, कोमलता एवं अपनी बनावट के लिए जाना जाता है। केतकी के फूल की दो प्रजातियां होती हैं।

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

एक प्रजाति में विशेष रूप से सफेद फूल होते हैं, जिसके अंदर थोड़े से पीले कलर के धब्बे दिखाई देते हैं। दूसरी प्रजाति वाले फूल पीले कलर के होते हैं, जबकि उसमें थोड़े से सफेद दाग है दिखाई देते हैं। दोनों ही प्रजाति के यह फूल काफी खूबसूरत और सुहावने लगते हैं।

पौधे पर केतकी के पुष्प कब लगते हैं?

केतकी के पुष्प केतकी के पौधे पर बरसात के मौसम में लगते हैं। बरसात शुरू होते ही केतकी के पुष्प खिलने शुरू हो जाते हैं। केतकी के फूल लगते ही आसपास के क्षेत्र में इस की महक फैल जाती है। इसकी खुशबू अत्यंत सुहावनी होती हैं।

इसकी खुशबू से ही पता चल जाता है कि यहां पर आसपास में केतकी का पौधा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस केतकी के पुष्प से ही अत्यंत महंगे-महंगे इत्र बनाए जाते हैं।

केतकी का फूल कहां पाया जाता हैं?

केतकी का पुष्प भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के मोहम्मदी नगर में पाया जाता है। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के मोहम्मदी नगर में मेहंदी बाग में विशेष रुप से केतकी के पुष्प पाए जाते हैं। यहां पर के तरीके पौधों के बाग लगाए हुए हैं।

बारिश के मौसम में यहां पर केतकी के पुष्प खेलते ही आसपास के पूरे क्षेत्र में केतकी के पुष्प की महक फैल जाती है। यह एक अत्यंत दुर्लभ पुष्प है। काफी समय से वैज्ञानिक भी इस पर तरह-तरह की रिसर्च कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इतनी खूबसूरत और महकदार पुष्प होने के बाद भी इस पुष्प पर भंवरे नहीं बैठते।

केतकी के फूलो इस्तेमाल कहां पर किया जाता है?

केतकी के फूल अत्यंत खुशबूदार होते हैं। इसकी महक दूर तक फैल जाती है। लोग इसकी महक के दीवाने हो जाते हैं। इसीलिए केतकी के फूलों का इस्तेमाल प्रत्येक खुशबूदार वस्तु या चीज बनाने के लिए किया जाता है।

विशेष रुप से महंगे इत्र बनाने के लिए केतकी के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। केतकी के फूलों का इस्तेमाल खुशबूदार पानी में किया जाता है। इसके अलावा अनेक तरह के खुशबूदार चीजों में भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।

केतकी के फूलों के नाम अलग-अलग भाषा में

अंग्रेजी में केतकी के फूल को “स्क्रू पाइन” या “अम्ब्रेला ट्री” कहा जाता है। केतकी के फूलों को वानस्पतिक नाम के दौरान “पैंडनस ओडोरैटिसिमस” नाम से जाना जाता है। हिंदी में केतकी के पुष्प को “पुष्पिका” कहते हैं। केतकी एक संस्कृत भाषा का शब्द है। आमतौर पर स्थानीय भाषा में केतकी के फूलों को “केउरा” कहा जाता है।

केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ता?

केतकी का फूल भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है। इसके पीछे का कारण “शिव पुराण” में बताया गया है। बता दें कि एक बार भगवान विष्णु और सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा में इस बात का झगड़ा हो गया कि उन दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है? भगवान ब्रह्मा ने कहा कि वह सर्वश्रेष्ठ है, जबकि भगवान विष्णु ने कहा कि वही सर्वश्रेष्ठ है।

विवाद को बढ़ता हुआ देख सभी देवी-देवता इकट्ठा हो गए और उन्हें भगवान शिव के पास जाने के लिए कहा। भगवान से उन्हें इस समस्या का समाधान करने के लिए एक शिवलिंग की स्थापना की और दोनों को ही इस शिवलिंग का आरंभ एवं शिवलिंग का अंत ढूंढने के लिए कहा।

भगवान महादेव ने कहा कि एक इस शिवलिंग का अंतर ढूंढो, जबकि दूसरा इसका आरंभ ढूंढे, जो भी इस कार्य को करने में सबसे पहले सफल हुआ, वही सर्वश्रेष्ठ होगा। ऐसा कहते ही भगवान विष्णु शिवलिंग का अंत ढूंढने के लिए शिवलिंग के ऊपर गए, जबकि भगवान ब्रह्मा शिवलिंग का आरंभ ढूंढने के लिए शिवलिंग के नीचे गए।

शिवलिंग के नीचे उन्होंने केतकी के फूल को देखा। केतकी के फूल ने कहा कि “मेरे साथ चलो और भगवान शिव को कहना कि मैंने शिवलिंग का प्रारंभ ढूंढ लिया है”, भगवान ब्रह्मा ने केतकी के साथ मिलकर भगवान शिव से झूठ कहा कि ‘उन्होंने शिवलिंग का प्रारंभ ढूंढ लिया है’, यह बात झूठ इसलिए है, क्योंकि यह भगवान शिव के द्वारा निर्मित शिवलिंग का “ना तो कोई अंत है और ना ही कोई आरंभ”

इस तरह से भगवान ब्रह्मा द्वारा भगवान शिव को झूठ बोलने के आधार पर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने नाराज होकर भगवान ब्रह्मा को श्राप दे दिया कि आज के बाद धरती पर आप की पूजा नहीं की जाएगी।

भगवान शिव ने केतकी को भी श्राप दे दिया कि अब वह भगवान शिव का पसंदीदा फूल नहीं है और ना ही उन्हें कभी केतकी के पुष्प अर्पित किए जाएंगे। उस दिन के बाद से भगवान शिव को केतकी के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते हैं और भगवान ब्रह्मा की पृथ्वी पर पूजा नहीं की जाती है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको अत्यंत खुशबूदार और महकदार पुष्प “केतकी” के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताई है। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूर ही उपयोगी साबित हुई होगी और आपको केतकी के पौधों के बारे में विशेष एवं कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जरूर प्राप्त हुई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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