Kalpana Chawla Biography In Hindi: कल्पना चावला का नाम सुनते ही हमें गर्व महसूस होता है। क्योंकि कल्पना चावला भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थी, जिन्होंने दो बार अंतरिक्ष में भ्रमण किया था।
भारत की महिलाएं कल्पना चावला को अपना आदर्श मानती है। कल्पना चावला भारत के पहले पायलट जे.आर.डी. टाटा से प्रभावित होकर ही अंतरिक्ष में उड़ने का सपना देखा और उन्होंने अपने उस सपने को साकार भी किया। इन्होंने अपने सपनों के साथ-साथ भारत का मान सम्मान भी बढ़ाया।
कल्पना चावला ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के तहत मिलने वाली जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, जिसके लिए उन्हें भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अंतरिक्ष में भेजा गया, जिसके बाद भारत में इनको अंतरिक्ष परी नाम से जाना जाने लगा।
इस लेख में कल्पना चावला का जीवन परिचय के बारे में जानेंगे। इस जीवन परिचय में कल्पना चावला का जन्म, परिवार, शिक्षा, विवाह, करियर, अन्तरिक्ष यात्रा, मृत्यु आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कल्पना चावला का जीवन परिचय (Kalpana Chawla Biography In Hindi)
नाम | कल्पना चावला |
जन्म और जन्मस्थान | 17 मार्च 1962, करनाल, हरियाणा |
पेशा | टेक्नोलॉजिस्ट और इंजिनियर |
पिता का नाम | बनारसी लाल चावला |
माता का नाम | संज्योथी चावला |
पति का नाम | जीन पिएरे हैरिसन |
प्रारंभिक शिक्षा | करनाल, हरियाणा |
उच्च शिक्षा | इंजीनियरिंग कॉलेज, पंजाब |
कैरियर शिक्षा | टैक्सास, अमेरिका |
राष्ट्रीयता | भारतीय-अमेरिकी |
पुरस्कार एवं सम्मान | नासा अन्तरिक्ष उडान पदक, कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर, नासा विशिष्ट सेवा पदक |
मृत्यु मृत्यु कारण | 1 फरवरी 2003, स्पेस शटल टूटना |
कल्पना चावला का जन्म और परिवार
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला तथा माता का नाम संज्योथी चावला था।
इनका एक भाई और दो बहनें हैं। इनके भाई का नाम संजय चावला है तथा उनकी दो बहनों के नाम दीपा चावला व सुनीता चावला है।
कल्पना चावला बचपन से ही अंतरिक्ष में उड़ने के बारे में सोचती थी। उन्हें बचपन से ही अंतरिक्ष अत्यंत प्यारा लगता था।
कल्पना चावला की शिक्षा और करियर
कल्पना चावला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करनाल से ही की। जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने पंजाब के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया।
यहां पर उन्होंने बीएससी तथा एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई सन 1982 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से पूर्ण की। इसके बाद मास्टर डिग्री हैतू अमेरिका स्थित टेक्सास चली गई।
अमेरिका में इन्होंने टैक्सास यूनिवर्सिटी से एमएससी की डिग्री एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के तहत सन 1984 में पूर्ण की। इसके बाद कोलोराडो यूनिवर्सिटी से सन 1981 में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।
कल्पना चावला अपने शुरुआती जीवन से ही अंतरिक्ष में उड़ना चाहती थी। इसीलिए उन्होंने प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद पंजाब स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री एयरोनॉटिकल के तहत पूर्ण की।
उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे अमेरिका चली गई, जहां पर उन्होंने अपने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर से 2 दिसम्बर 1983 को शादी कर ली।
कल्पना चावला ने जीन पियरे हैरिसन से शादी करने के बाद अमेरिका की नागरिकता हासिल कर ली। अब वह भारत के साथ साथ अमेरिका की भी नागरिक बन चुकी थी।
कल्पना चावला का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ। इस वजह से उन्हें जीवन में सफलता हासिल करने के दौरान कठिनाइयों और परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।
इनका परिवार पढ़ा लिखा था। इसलिए उन्हें पढ़ने के लिए और स्वतंत्र तरीके से अपना जीवन जीने के लिए कोई रोक-टोक देखने को नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं पर एयर स्पेस के तहत काम किया।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिए काम किया और अपने दूसरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान हुए विमान हादसे में मौत हो गई।
कल्पना चावला का शुरुआती करियर
चावला ने अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूर्ण कर ली और उसके बाद सन 1981 में अंतरिक्ष से संबंधित कार्य में जुड़ गई। इसी दौरान सबसे पहले उन्होंने नासा के अंतर्गत आने वाले एम्स रिसर्च सेंटर में पावर लिफ्ट कंप्यूटेशनल फ्लुएड डायनॉमिक्स में काम करना आरंभ किया।
शुरुआती तौर पर उनको एयरक्राफ्ट के अंतर्गत केवल हवा का प्रभाव देखना यही काम दिया गया था। इसके बाद सन 1993 में इन्होंने कैलिफोर्निया में स्थित ओवरसेटमेथड्स इंक में रिसर्च वैज्ञानिक के तौर पर काम करना शुरू किया।
यहां पर कल्पना चावला द्वारा किए गए कार्य काफी पसंद किए गए थे, जिसके बाद उनका अनुभव बढ़ने लगा। शुरुआती तौर पर बेहतरीन कार्य करने की वजह से इनका चयन नासा में सन 1994 हो गया था।
नासा के अंतर्गत कल्पना चावला ने सन 1995 में एस्ट्रोनॉट के 15वें ग्रुप को ज्वाइन किया, जो जॉनसन स्पेस सेंटर में कार्य करता था। यहां पर इनका मूल्यांकन किया गया। उसके बाद उसे रोबोट पर आधारित कंप्यूटर ब्रांच के एस्ट्रोनॉट ऑफिस में टेक्निकल समस्या का कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।
यहां पर कल्पना चावला ने अपने अनुभव के साथ बेहतरीन कार्य किया। यहां पर रोबोटिक सिचुएशन अवरेनेस डिस्प्ले और टेस्टिंग स्पेस शटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर इन 2 तरीकों के शटल पर कल्पना चावला ने कार्य किया था।
इसके साथ ही कल्पना चावला एविओनिकस इंटीग्रेशन लेबोरेटरी में सॉफ्टवेयर के नियंत्रण का कार्य भी करती थी। आखिरकार वर्ष 1996 को कल्पना चावला को उनके बेहतरीन कार्यों के लिए नासा ने अपने अगले मिशन के लिए नियुक्त किया।
नासा ने अपने आगामी मिशन STS-87 पर सन 1996 को कल्पना चावला को प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर तथा मिशन विशेषज्ञ के तौर पर नियुक्त किया गया।
उसके बाद कल्पना चावला को नासा ने स्टेशन फ्लाइट के लिए ग्रुप रिप्रेजेंटेटिव के पद पर नियुक्त किया। इसके अंतर्गत उन्होंने सन 1998 में एस्ट्रोनॉट ऑफिस क्रू सिस्टम एंड हैबिटेबिलिटी सेक्शन में काम किया था।
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कल्पना चावला की उड़ान और मौत
कल्पना चावला ने दो बार अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी। पहली बार कल्पना चावला ने वर्ष 1997 में STS-87 मिशन के तहत अंतरिक्ष में गई थी।
तब उन्होंने कहा था कि “विमान में रात को जब मैं लाइट बंद कर देती हूं, तब मुझे ऐसा लगता है कि हम पृथ्वी से आए ही नहीं हैं, हम यहां सौरमंडल से ही आए हैं, इस तरह का नजारा काफी मनमोहक लगता है”।
इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में वजन रहित वातावरण के अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों की जांच करना और सूर्य के बाहर वायुमंडलीय ऑब्जर्वेशन की स्थिति का था। इस मिशन को 36 घंटे एवं 34 मिनट में पृथ्वी के 252 चक्कर लगाकर पूर्ण किया गया।
कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा वर्ष 2003 में STS-107 मिशन के तहत हुई। इस यात्रा को 30 दिन 14 घंटा और 56 मिनट के तहत पूरा करना था। यह अवधि 16 जनवरी से लेकर 1 फरवरी तक की थी।
इस मिशन के तहत दो शिफ्ट में 24 घंटे कार्य किया जाता था। इस मिशन के जरिए वैज्ञानिकों ने 80 प्रयोग को सफल कर दिया था, लेकिन 1 फरवरी 2003 को अचानक से उनका अंतरिक्ष यान दुर्घटना का शिकार हो गया, जिससे विमान में मौजूद सभी क्रु मेंबर्स की मौत हो गई।
कल्पना चावला की अंतरिक्ष यात्रा दुर्घटना
16 जनवरी को उड़ान भर चुका अंतरिक्ष यान मिशन STS-107 के तहत 1 फरवरी 2003 को सुबह पृथ्वी पर लौट रहा था। कल्पना चावला स्पेस शटल में मौजूद थी। वह सटल कैनेडी स्पेस सेंटर पर लैंड करने वाला था।
इस दौरान स्टेशन पर लैंड करने के लिए वे अपने विमान को स्टेशन के लिए लांच कर रहे थे, तभी उनके शटल का इंसुलेशन टूट गया। शटल के अंदर गर्म हवा को रोकने के लिए इंसुलेशन लगाया गया था, जो लांच के समय टूट गया।
इस कारण उनका शटल वातावरण में पहुंच गया और विंग के अंदर गर्म हवा आने लगी। इससे उनका क्राफ्ट हिलने लगा और मात्र 1 मिनट के अंदर अंदर ही विमान के सभी ग्रुप सदस्य इस दुर्घटना के चपेट में आ गए। धरती पर लैंड करने से केवल 16 मिनट पहले ही यह हादसा हो गया।
इस हादसे के समय उस विमान में कल्पना चावला के अलावा 7 लोग क्रु मेंबर के रूप में सवार थे, उन सभी की इस विमान दुर्घटना में मौत हो गई।
इस हादसे के बाद जांच भी की गई, जिससे यह पता लगा सके कि इस हादसे का सही कारण क्या है। ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचा जा सके।
इस अंतरिक्ष यान हादसे के बाद यह दो जांच की गई:
- “कोलम्बिया एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन बोर्ड” (2003)
- “रीमेम्बेरिंग दी कोलम्बिया शटल क्रू” (2005)
कल्पना चावला को मिले सम्मान
अंतरिक्ष यान दुर्घटना में कल्पना चावला की मौत होने के बाद उन्हें मरणोपरांत काफी सम्मान और पुरस्कार दिए गए। कल्पना चावला को मरणोपरांत कांग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर पुरस्कार दिया गया।
नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक, नासा विशिष्ट सेवा पदक। यह दो सम्मान अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा द्वारा दिया गया, जहां पर कल्पना चावला कार्य करती थी।
भारत सरकार ने मरणोपरांत कल्पना चावला को सम्मान देने के लिए 12 सितंबर 2002 को लांच हुए भारतीय मौसम सैटेलाइट MetSat-1 का नाम कल्पना चावला के नाम पर रखा।
इसके अलावा कर्नाटक सरकार महिला वैज्ञानिकों को देने वाले अवार्ड का नाम भी कल्पना चावला अवार्ड रखा। अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी नासा ने कल्पना चावला की याद में उन्हें सुपरकंप्यूटर भेंट किया।
अमेरिका के जिस टैक्सास यूनिवर्सिटी में कल्पना चावला पढ़ती थी, उस यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2010 में कल्पना चावला के नाम का एक मेमोरियल बनवाया।
उस मेमोरियल के लिए शुभारंभ के समय वहां पर लगी हुई लाइट और डिस्प्ले पर कल्पना चावला के जीवन की जानकारी उनके फोटो और हादसे की कुछ तस्वीरें दिखाई गई। कल्पना चावला वर्तमान समय में भारत की सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
FAQ
कल्पना चावला भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थी, जिन्होंने दो बार अंतरिक्ष में भ्रमण किया था। कल्पना चावला अंतरिक्ष यात्री के तौर पर जानी जाती है।
पहली बार कल्पना चावला ने वर्ष 1997 में STS-87 मिशन के तहत अंतरिक्ष में गई थी और दूसरी अंतरिक्ष यात्रा वर्ष 2003 में STS-107 मिशन के तहत हुई। इस यात्रा को 30 दिन 14 घंटा और 56 मिनट के तहत पूरा करना था। यह अवधि 16 जनवरी से लेकर 1 फरवरी तक की थी।
निष्कर्ष
कल्पना चावला का नाम लेते ही हमें गर्व महसूस होता है कि किस तरह से भारत के हरियाणा जैसे राज्य में जन्मी एक लड़की अपने दम पर अंतरिक्ष में पहुंची और भारत का नाम रोशन किया।
यहां पर कल्पना चावला बायोग्राफी (Kalpana Chawla Biography In Hindi) विस्तार से बताने के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें।
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