हमारे प्राचीन भारतीय इतिहास में कई ऐसे कवि हुए हैं, जिन्होंने अपने शब्दों से कई रचनाएं की है। आज इस लेख में हम जिस कवि के बारे में बात करने जा रहे हैं, उन्होंनें अपनी दूरदर्शी सोच और कल्याणकारी विचारों को अपनी रचनाओं में उतारकर साहित्य जगत में अपना अमूल्य योगदान दिया है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं महान कवि कालिदास के बारे में। वे एक कवि और नाटककार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के प्रखंड विद्वान भी थे। कालिदास ने भारत के प्राचीन दर्शन और पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएँ लिखी।
वे अपनी अलंकारयुक्त सुन्दर और सरल भाषा के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं, उनको शेक्सपियर ऑफ़ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है।
महाकवि कालिदास का जीवन परिचय (जन्म, मृत्यु, विवाह, रचनाएं, तथ्य, फिल्म)
महाकवि कालिदास की सामान्य जानकारी
पूरा नाम | महाकवि कालिदास |
जन्म और स्थान | 150 ई.पू से 450 ई.पू (मतभेद) |
माता-पिता का नाम | – |
पत्नी का नाम | राजकुमारी विद्योत्तमा |
पेशा | कवि, नाटककार और संस्कृत भाषा के प्रखंड विद्वान |
प्रमुख रचनाएँ | ऋतूसंहारम, कुमारसंभव, रघुवंश, मालविका-अग्निमित्र, अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोवर्शीय, उर्वशी इत्यादि। |
निधन | – |
महाकवि कालिदास कौन थे?
भारत के प्राचीन इतिहास में साहित्य की शान बढ़ाने वाले महाकवि कालिदास के जन्मस्थान को लेकर इतिहासकारों में भी काफी मतभेद है। कालिदास भारत में अब तक हुए सभी कवियों में अद्वितीय माने जाते हैं। कालिदास ने कई उपमाएं की है, जो बेमिसाल है और उनके ऋतु वर्णन तो एकदम अद्वितीय है।
संगीत को अगर कालिदास का ही एक अंग माना जाए तो कम नहीं होगा। उनका साहित्य रस भी बेमिसाल है, उनके साहित्य की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। साहित्य के क्षेत्र में कालिदास ने ऐसी कई रचनाएं की है, जिसे पढ़कर हर कोई भावुक हो जाए।
उनके साहित्यिक रचनाओं और साहित्य प्रेम के साथ उनके आदर्श और आदर्शवादी परम्परा भी दिखाई देती है। कालिदास शब्द का अर्थ होता है काली माँ का प्रशंसक।
कालिदास का आरम्भिक जीवन
महाकवि कालिदास का जन्म कहाँ हुआ और उनकी मृत्यु कहां पर हुई इसके बारे में विद्वानों और इतिहासकारों में अभी भी मतभेद है। इसके विषय के सन्दर्भ में विद्वानों का अलग-अलग मत है।
इनका जन्म का समय कुछ इतिहासकार 150 ई.पू से 450 ई.पू के मध्य मानते है, पर कुछ रिसर्च बताते हैं कि कालिदास का जन्म गुप्त काल में हुआ था।
महाकवि कालिदास की महत्वपूर्ण रचनाएं
कवि कालिदास की रचनाओं के ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ उनका एक साहित्यिक महत्व भी है, जो उनको खास बनाती है। वैसे इनकी साहित्यिक रचनाओं की सूची काफी लम्बी है, पर कवि कालिदास आज जिन रचनाओं के कारण जाने जाते हैं, वे 7 रचनाएं इस प्रकार से है:
- महाकाव्य – रघुवंश, कुमारसंभव।
- खंडकाव्य- मेघदूत, ऋतुसंहार।
- तीन नाटक प्रसिद्ध हैं
- अभिज्ञान शाकुंतलम्
- मालविकाग्निमित्र
- विक्रमोर्वशीय।
यही वे रचनाएं हैं, जिसकी वजह से वे एक महान कवि कहलाते हैं। इनकी कविताओं में भाषा व प्रेम का संग्रह देखने को मिलता है और उसे अभिव्यक्ति और प्रकृति चित्रण के बारे में भी पढ़ने को मिलता है।
कालिदास के विवाह की घटना
महान कवि कालिदास और दार्शनिक कालिदास की शादी विद्योत्तमा से हुई थी। उनकी शादी के पीछे भी यह एक संयोग माना जाता है। कवि कालिदास की शादी की घटना पर भी कुछ विद्वान ऐसा मानते हैं कि विद्योत्तमा ने एक प्रण लिया था कि अगर उन्हें कोई शास्त्रार्थ में हरा देगा तो विद्यात्मा उसी से शादी करेगी।
पर हुआ ऐसा कि विद्योत्तमा ने सभी विद्वानों को हरा दिया था, जिससे सभी विद्वान दुखी हो गये और वे इस बात का बदला लेना चाहते थे। इसी बदले के लिए सभी विद्वानों ने मिलकर कालिदास का विद्योत्तमा से शास्त्रार्थ करवाया और इसमें कालिदास जीत गए और उनकी शादी विद्योत्तमा से हो गई।
शास्त्रार्थ के परिक्षण के लिए विद्योत्मा मौन शब्दावली में अत्यंत गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसका कालिदास मौन सकेतों से जवाब देते थे। ऐसे में विद्योत्मा को ऐसा लगता कि कालिदास उनके गूढ़ प्रश्नों के जवाब दे रहे हैं जैसे कि विद्योत्मा ने प्रश्न के रूप में मौन संकेत करते हुए हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि राजकुमारी उनको थप्पड़ मारने की धमकी दे रही है।
इसके जवाब में कालिदास ने घूंसा दिखा दिया। ऐसे में विद्योत्मा को लगा कि वे कह रहे है, पंचों इन्द्रियां भले ही अलग-अलग हो लेकिन सभी मन के द्वारा ही संचालित होती है।
इस प्रकार के मौन जवाबों से विद्योत्मा कालिदास से प्रभावित हो गयी और कालिदास को पति के रूप में स्वीकार कर लिया।
पत्नी द्वारा अपमानित होना
कालिदास और विद्योत्तमा की शादी के बाद उनकी पत्नी को पता चला कि वह मंदबुद्धि है तो उनकी पत्नी को काफी दुख हुआ और उनकी पत्नी ने कालिदास को घर से यह कहकर निकाल दिया कि पहले एक अच्छे कवि बनो फिर ही वापस आना। उसके बाद क्या था, पत्नी से अपमानित होने के बाद कालिदास ने विद्या प्राप्त करने का संकल्प लिया और यह भी प्रण लिया कि वे अब एक सच्चे पंडित बनके ही वापस आयेंगे। यह संकल्प लेने के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया।
इसके बाद कवि कालिदास ने माँ काली का आर्शीवाद लिया और उसके बाद वे एक अच्छे कवि और पक्के साहित्यिक बन गये। कवि बनने के बाद वे जब वे घर आये तो आते ही उन्होंने अपनी पत्नी को आवाज दी, आवाज सुनते की उनकी पत्नी को यह आभास हो गया था कि दरवाजे पर कोई विद्वान व्यक्ति ही आया होगा।
इस प्रकार पत्नी से अपमानित होने के वे महान कवि बन गये, आज उनकी गणना दुनिया के श्रेष्ठ कवियों में की जाती हैं।
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कवि कालिदास की कविताओं का संक्षिप्त विवरण
महाकवि कालिदास ने अपने जीवन में कई रचनाएं की है। इन कविताओं के बारे में संक्षिप्त रूप में आपको आगे बताया जा रहा है, कवि कालिदास की रचनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
अभिज्ञान शाकुन्तलम् (नाटक)
कवि कालिदास की रचनाओं में यह नाटक काफी प्रसिद्ध है। इस नाटक को महाभारत के आधार पर लिखा गया है। यह नाटक महाभारत के आदिपर्व के शकुन्तला की व्याख्या व उनके घटनाक्रम पर आधारित है।
इस नाटक में राजा दुष्यंत और शकुन्तला की प्रेम कथा के बारे में बताया गया है, जो इस नाटक का मुख्य भाग है। महाकवि कालिदास का नाटक लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हो गया था और यही कारण है कि इस नाटक का एक जर्मन अनुवाद भी किया गया।
विक्रमोर्वशीयम् (नाटक)
अगर आप महाकवि कालीदास के हास्यप्रद और रोमांचक नाटक को पढ़ना चाहते है तो आप इस नाटक को पढ़ सकते हैं। इस नाटक में कालिदास जी ने पूरूरवा और एक अप्सरा उर्वशी के दोनों के मध्य प्रेम संबंधों का वर्णन किया है। इस नाटक में यह बताया गया है कि स्वर्ग में वास करने वाले एक पुरूरवा को वहां की राजकुमारी यानी अप्सरा से प्यार हो जाता है।
इसी के साथ इन्द्र की सभी में जब उर्वशी नृत्य करती है तो पुरूरवा के प्रति अपने प्यार का श्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाती है और उस परूरवा को श्राप देकर उसे धरती पर भेज देते है। पर उस श्राप के टूटने की एक बात यह थी कि अगर अप्सरा का प्रेमी यानी पुरूरवा उसके होने वाली संतान का मुह देख ले तो वह वापस सवर्ग में लौट सकता है। कालिदास जी का यह नाटक भी लोगो के प्रति काफी लोकप्रिय होता जा रहा है।
मेघदूत (खंडकाव्य)
महाकवि कालिदास का यह नाटक भी लोगों के बीच काफी प्रसिद्व प्राप्त कर रहा है। कालिदास ने अपने इस नाटक ने एक पति की अपनी पत्नी के प्रति वेदना के बारे में बताया गया है। इस नाटक में यक्ष नाम के एक सेवक की भी कहानी का वर्णन है। इस नाटक में भी एक प्रकार से प्रेम कथा का ही वर्णन किया गया है।
इस नाटक के अनुसार यक्ष नाम के एक सेवक को उसके गांव से बाहर निकाल दिया जाता है और उसको गांव से बाहर निकालने के बाद उसको उसकी पत्नी की बहुत याद आती है, जिसके बाद व सेवक मेघदूत से प्रार्थना करता है कि वह उसको उसके पत्नी से मिलने के लिए जाने दिया जाए। इस नाटक को भी लोगों के बीच काफी पसंद किया जाता है।
मालविकाग्रिमित्रम् (नाटक)
कवि कालिदास की नाटकों में हम इस नाटक को काफी पसंद करते हैं। यह नाटक अग्रमित्र की एक प्रेम कहानी पर आधारित है। इस नाटक में कवि कालिदास एक राजा और एक नौकर की बेटी मालविका की प्रेम कहानी के बारे में बताते हैं। इस नाटक के अनुसार राजा अग्रिमित्र घर से निकल जाते हैं और वे मालविका की तस्वीर से इतना प्यार करने लग जाते हैं कि वे उस मलविका को पाने की चाहत में कठिन से कठिन रास्ते आसानी से पार कर देते हैं।
इस नाटक के अनुसार इस प्रेम कहानी में काफी उतार चढ़ाव दिखाई देते है, पर आखिरी राजा अग्रिमित्र और नौकर की बेटी मालविका दोनों का मिलन हो जाता है। इस नाटक की वजह से लोगों में काफी प्रेमभावना उत्पत्र हुई है और यह नाटक लोगों को काफी पसंद भी आया है।
रघुवंश (महाकाव्य)
कवि कालिदास द्वारा यह एक और नाटक जिसके बारे में लोग पढ़ने के लिए काफी उत्साहित है। इस नाटक में कवि कालिदास ने भगवान राम व उनके वंश के बारे में बताया गया है। इस नाटक में रघुवंश के बारे में पूरी जानकारी का वर्णन मिलता है। इस नाटक के अनुसार दिलीप को रघुकुल का प्रथम राजा माना जाता है।
इस नाटक में कवि कालिदास ने रघुवंश की पूरी व्याख्या की है। साथ ही रघुवंश के राजा, रघु के पुत्र अज और अज के पुत्र दशरथ के बारे में भी बताया गया है। राजा दशरथ के भगवान राम समेत 4 पुत्र थे, जिनके बारे में भी बताया गया है। इस नाटक में इस पूरे वंश व इस वंश से जुड़ी घटनाओं का वर्णन देखने को मिलता है। यह नाटक भी लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
कुमारसंभवम् (महाकाव्य)
महाकवि कालिदास अपने इस नाटक में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कथा के बारे में बताया है। इस नाटक के जरिये शिव और पार्वती की बारे में वर्णन करते हुए कवि कालिदास कहते है और माता पार्वती की सौन्दर्य का वर्णन करते हुए बताते है कि संसार में जितने भी मनमोहन उपासक हो सकते हैं, उन सब को एकत्रित कर के पार्वती को बनाया था।
इस नाटक में कवि कालिदास ने यह भी लिखा है कि संसार का सारा सौन्दर्य माता पार्वती में समाहित है। इस नाटक में शिव और पार्वती के प्यार का भावपूर्ण वर्णन किया गया है। इस नाटक में पार्वती और शिव के पुत्र कार्तिकेय के जन्म के बारे में भी बताया गया है।
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महाकवि कालिदास की अन्य रचनाएं
महाकवि कालिदास के बारे में जो ऊपर रचनाओं के बारे में बताया गया है। इसके अलावा कवि कालिदास की कुछ अन्य रचनाएं भी है, जिसके बारे में आगे बताया गया है:
- श्यामा दंडकम्
- ज्योतिर्विद्याभरणम्
- श्रृंगार रसाशतम्
- सेतुकाव्यम्
- श्रुतबोधम्
- श्रृंगार तिलकम्
- कर्पूरमंजरी
- पुष्पबाण विलासम्
महाकवि कालिदास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- महाकवि कालिदास ने अपने सभी कृत्यों में सरल और मधुर भाषा का उपयोग किया है और उनकी सारी रचनाएं अलंकार युक्त होती है।
- कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में श्रृंगार रस का काफी उपयोग किया है।
- महाकवि ने अपने द्वारा रची गई रचनाओं में ऋतुओं का भी वर्णन बखूबी किया है।
- कालिदास ने जो भी रचनाएं की है, उन रचनाओं में प्रेम रस का बेखुबी वर्णन किया गया है।
- कहते हैं कालिदास का नाम कालिदास इसलिए पड़ा क्योंकि वह मां काली के परम उपासक थे और इनके नाम में भी काली की सेवा करने का अर्थ उत्पन्न होता है।
- महाकवि कालिदास किसके समकालीन हुए थे, इस पर हमेशा ही विद्वानों के बीच मतभेद होते ही रहता है। फिर भी बहुत से लोगों का मानना है कि कालिदास सम्राट विक्रमादित्य या फिर गुप्त काल के राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय समकालीन थे।
- कालिदास के समकालीन के साथ ही इनके जन्म स्थान को भी लेकर विद्वानों के बीच काफी मतभेद देखा जाता है। कुछ विद्वान कालिदास को बंगाल का बताते हैं तो कुछ उज्जैन का बताते हैं। कुछ विद्वान तो कालिदास को उड़ीसा का भी बताते हैं। हालांकि उनके मत का प्रमाण नहीं है। लेकिन यह प्रमाणित रुप से कहा जाता है कि कालिदास जरूर ब्राह्मण वंश के थे और उनका लालन-पालन एक ग्वाले के परिवार में हुआ था।
- माना जाता है कालिदास अपने प्रारंभिक जीवन में काफी ज्यादा मुर्ख इंसान माने जाते थे। यह अनपढ़ भी थे। इन्हें किसी चीज का ज्ञान नहीं था। यहां तक कि इतने मूर्ख थे कि 1 दिन कुछ लोगों ने एक पेड़ की उस डाली को काटते देखा, जिस डाली पर यह बैठे हुए थे। बहुत सारी कथाएं और किवदंतियां इनके ऊपर लिखी गई है, जिनमें कालिदास की चरित्र और उनकी शारीरिक सुंदरताओं का भी वर्णन किया गया है।
- कालिदास के सम्मान में 1980 में कालिदास पुरस्कार घोषित किया गया। यह पुरस्कार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष घोषित किया जाता है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जिनका शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच कला, शास्त्रीय संगीत और कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट भूमिका रहती है।
- कालिदास ने अपने जीवन काल में कुल 40 रचनाएं लिखी थी, जिनमें से 7 रचनाएं सुप्रसिद्ध हुई थी। उन्हीं सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक मेघदूत भी है, जिसमें कालिदास ने एक पति और पत्नी के प्रेम का वर्णन किया है। यह एक खंडकाव्य है।
- कालिदास का विवाह मालव राज्य की अत्यंत बुद्धिमान और रूपवती राजकुमारी विद्योत्तमा से हुई थी। कहते हैं अपनी इसी पत्नी के अपमान पर कालिदास एक मूर्ख व्यक्ति से एक महान साहित्यकार बनते हैं।
महाकवि कालिदास के जीवन पर फिल्म
महाकवि कालिदास के जीवन पर आधारित एक फिल्म साल 1960 में बन चुकी है। इस मूवी को ‘‘महाकवि कालिदासु’’ नाम दिया गया है। यह मूवी हालांकि काफी पुरानी है, पर इस में कवि कालिदास के जीवन के बारे में पूरी जानकारी को दर्शाया गया है।
FAQ
महाकवि कालिदास का जन्म पहली से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच में माना जाता है।
गुप्त राजवंश
माना जाता है कालिदास का विवाह धोखे से हुआ था। दरअसल उनका विवाह जिस राजकुमारी से हुआ था, वह अत्यंत बुद्धिमान और रूपवती महिला थी। जिन्हें ऐसे युवक से विवाह करना था, जो उसे शास्त्रार्थ में हरा दे। दूर-दूर से कई विद्वान आए लेकिन वे सभी इस राजकुमारी के सामने हार गए। तब उन्होंने राजकुमारी से बदला लेने के लिए कालिदास जो उस समय मुर्ख इंसान थे, उससे भ्रम वश उन्हें विद्वान बनाकर उनसे विवाह करा दिया गया। हालांकि बाद में राजकुमारी को इस बात की सच्चाई पता चल गयी थी।
कवि कालिदास ने कुछ किताबों की रचना की है, जिनमे से यह कुछ है ‘ऋतूसंहारम, कुमारसंभव, रघुवंश, मालविका-अग्निमित्र, अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोवर्शीय, उर्वशी इत्यादि।
महाकवि कालिदास विक्रमाद्वितीय के दरबारी थे।
महाकवि कालिदास की पत्नी का नाम विद्योत्तमा था।
कवि कालिदास की रचनाओं में प्रेमभाव का वर्णन ज्यादा मिलता है।
अभिज्ञान शकुंतलम को कालिदास की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रचना मानी जाती हैं।
विलियम शेक्सपियर इंग्लैंड के एक ऐसे कवि थे, जो अधिकतर प्रेम रस से भरी कविताएं लिखते थे और कालिदास की भी ज्यादातर रचनाओं में प्रेम रस देखने को मिलता है। यही कारण है कि इन्हें विलियम शेक्सपियर कहते हैं। लेकिन उपनाम के प्रति विरोधाभास की स्थिति हमेशा ही बनी रहती है क्योंकि विलियम शेक्सपियर का समय काल 15 से 16 शताब्दी का था। वहीँ कालिदास का समय काल चौथी से पांचवी शताब्दी का माना जाता है।
मालविकाग्निमित्रम् मैं कालिदास ने राजा अग्निमित्र की कहानी का वर्णन किया है। इसके साथ ही उन्होंने इसमें राजा अग्निमित्र जन्म एक नौकर की बेटी के बीच का प्रेम संबंध भी बताया है।
कालिदास के जन्म की तरह ही इनकी मृत्यु को लेकर भी विद्वानों में मतभेद है। इनकी मृत्यु कैसे हुई यह अभी भी अज्ञात है। कुछ लोगों का मानना है एक शिलालेख के अनुसार भी कहा जाता है कि कालिदास की मृत्यु उज्जैन में कार्तिक शुक्ला एकादशी रविवार के दिन 95 वर्ष की आयु महाराजा विक्रमादित्य के आश्रम में हुई थी।
कालिदास के जन्म स्थान और उनके समकाल को लेकर हमेशा ही विद्वानों में मतभेद रहता है। क्योंकि अलग-अलग विद्वान इनके समकालीन को अलग-अलग राजाओं के समय काल के अनुसार बताते हैं। कुछ विद्वान का मानना है कि कालिदास राजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे।
कालिदास ने अपने जीवन काल में कुल 40 रचनाएं की, जिसमें से विद्वान रघुवंश को इनकी अंतिम रचना मानी जाती हैं।
निष्कर्ष
हमने इस लेख में महाकवि कालिदास का जीवन परिचय हिंदी में, कालिदास का जन्म और मृत्यु, उनकी प्रमुख रचनाएँ, उनके जीवन से जुड़े कुछ तथ्य आदि बताएं है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट में जरूर बताएं।
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