जीवन क्या है? (Jivan Kya Hai) और इसका उद्देश्य क्या है? इसका जवाब सबका अलग-अलग हो सकता है। हर इंसान के देखने का नजरिया अलग होता है। इसीलिए हर व्यक्ति के लिए जीवन का अर्थ और उसका उद्देश्य अलग-अलग है।
आज के समय में हर इंसान के जीवन का उद्देश्य मात्र पैसा है। उनके हिसाब से जीवन का अर्थ केवल सुख से जीवन जीना है। लेकिन जो व्यक्ति जीवन के सही अर्थ को और उसके उद्देश्य को समझ लेगा, असल में वही व्यक्ति दुनिया में सबसे धनवान और सुखी होगा।
जीवन एक स्वयं की यात्रा है, जिसमें आपको राह में कई लोग मिल जाएंगे। लेकिन आपके इस यात्रा में अंत तक कोई साथ नहीं देने वाला। इस यात्रा को आप को अकेले ही तय करना है। जो इंसान जीवन के सही अर्थ और उद्देश्य को समझ लेगा, उसके लिए यह यात्रा बहुत आसान होगा।
लेकिन जिसे जीवन का सही अर्थ और उद्देश्य नहीं पता, उसके लिए यह जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। जीवन का रहस्य, जीवन का उद्देश्य हर इंसान को समझने की जरूरत है।
इसीलिए आज के इस लेख में हम इसी विषय को लेकर आए हैं, जो दर्जनों किताबों और कई विद्वानों के द्वारा परिभाषित जीवन के अर्थ को हम आपके सामने रखेंगे। इसीलिए पहले आप इस लेख को पूरा पढ़ें उसके बाद ही आप अपने निष्कर्ष निकाले और अपनी राय रखें।
जीवन क्या है और जीवन का उद्देश्य क्या है? | Jivan Kya Hai
जीवन का अर्थ क्या है?
यदि हम बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन के अर्थ के बारे में तो यह जीवन असंख्य सूक्ष्म कोशिकाओं से बना है। हमारा शरीर मात्र पांच तत्व आकाश, जल, पृथ्वी, वायु और अग्नि से बना हुआ है। इन पांचों तत्व के बिना जीवन संभव नहीं। जीवन एक शक्ति है, जिसे ऊर्जा कहते है वही जीवन है। जब शरीर में ऊर्जा खत्म हो जाती है तो शरीर निर्जीव हो जाता है, वह प्राणहीन हो जाता है।
संसार में अनेक प्रकार के लोग हैं और सभी लोगों के अनुसार जीवन का अर्थ अलग-अलग है और हर व्यक्ति अपने अर्थ के अनुसार जीवन को जीता हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार जीवन का सही अर्थ परमात्मा से मिलन है और परमात्मा के मिलन से जीवन सार्थक हो जाता है। लेकिन, परमात्मा से मिलन तभी हो सकता है जब हम अपना पूरा जीवन परमात्मा को समर्पित कर दें, उनके चिंतन में ही अपनी जीवन बिता दें।
लेकिन क्या हर व्यक्ति के लिए जीवन का अर्थ यही है? नहीं। इस दुनिया में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्हें परमात्मा पर कोई विश्वास नहीं। परमात्मा के अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हैं कि क्या ईश्वर अस्तित्व रखते हैं? लेकिन विद्वानों का कहना है कि हम इंसान मात्र नमक के पुतले की तरह है।
यदि नमक का पुतला समुद्र की गहराई मापने निकल पड़े तो क्या वह कभी वापस आ सकता है, वह हमेशा के लिए समुद्र में समा जाएगा है। ठीक उसी प्रकार हम इंसान भी एक समुद्र के पुतले की तरह है और भगवान समुद्र की तरह है। हम इंसान भगवान के अंदर ही समाहित हैं। हम उन्हें देख नहीं सकते लेकिन महसूस कर सकते हैं। इस तरह जो परमात्मा के अस्तित्व को महसूस कर लेता है, उसका जीवन सार्थक हो जाता है।
लेकिन आज के संसार में किसी भी व्यक्ति के पास इतना समय नहीं कि वह परमात्मा के चिंतन में समय दे। आज हर व्यक्ति सफलता के हौड़ में भाग रहा है। उन व्यक्ति के लिए जीवन का अर्थ संघर्ष करना है। जिंदगी भर वे संघर्ष ही करते रह जाते हैं और अंत में फिर इस दुनिया से विदा हो जाते हैं।
आज का हर व्यक्ति एक दूसरे को पछाड़ने में लगा हुआ है, उसके पास ना खुद के लिए समय है ना ही अपनों के लिए समय है। ऐसे में हर कहने के लिए वे अपनी जिंदगी तो जी रहे हैं लेकिन उनके जिंदगी में सुकून नहीं, वह शांति नहीं।
आज लोग शांत और सुकून भरा जिंदगी ढूंढते हैं। लेकिन उन्हें कहीं सुकून नहीं मिलता। क्योंकि व्यक्ति भूल चुका है कि जीवन का अर्थ केवल खाना पीना नहीं है जीवन का अर्थ जग में जगना और जगाना है।
जीवन का क्या उद्देश्य है?
आज हर व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य सफलता पाना है, खूब पैसा कमाना हैं ताकि अपनी जिंदगी को सुखी से जी सके। लेकिन धन-दौलत पाने के बावजूद भी व्यक्ति सुकून और शांति का जिंदगी नहीं जी पाता। क्योंकि व्यक्ति कितना ही सफलता क्यों ना पा ले, कितना ही धन-दोलत हासिल कर ले लेकिन जब तक संतुष्ट नहीं है तब तक सुखी भी नहीं हो सकता। आज हर मानव की प्रकृति खुद कमाओ खूद खाओ है। लेकिन असल जिंदगी का उद्देश्य तो खुद कमाओ भूखे को खिलाओ होना चाहिए।
आज व्यक्ति जिस तरीके से दौलत के पीछे पड़ के रिश्तो की कद्र करना भूल गया, वह यह नहीं जानता कि दुख के समय में केवल अपने ही साथ देने वाले हैं। हम सब इंसान तो हैं लेकिन सब व्यक्ति में मानवता नहीं होता। तभी तो आज इंसान दौलत के लालच में अपने अपनों को भूल जाता है।
लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि दौलत से रोटी मिल सकती है लेकिन भूख नहीं, दौलत से आपको बिस्तर मिल सकता है लेकिन नींद नहीं, दौलत से आप किताब खरीद सकते हैं, लेकिन ज्ञान नहीं मिल सकता, दौलत से आप मंदिर बना सकते हैं लेकिन भगवान नहीं मिल सकता।
आज के इंसान को समय का कद्र नहीं, बड़ों के सम्मान का कद्र नहीं, लेकिन पैसे का कद्र ज्यादा है। समय के बर्बाद होने पर दुख नहीं होता, अपनों के दूर जाने पर दुख नहीं होता। लेकिन पैसे बर्बाद होने पर उन्हें दुख होता है।
भले ही हर जीवों में मानव श्रेष्ठ हो लेकिन मानव जीवन तभी श्रेष्ठ है जब आपका जीवन दूसरों के भले के लिए समर्पित हो। इंसान को नमक की तरह होना चाहिए, जो खाने में रहता है तो दिखाई नहीं देता और अगर न हो तो उसकी कमी महसूस होता और आपकी कमी तभी महसूस होगी जब आप किसी और के जीवन में महत्वपूर्ण बन जाएंगे।
यह तभी होगा जब आप किसी और के काम आएंगे, जब जरूरतों की मदद करेंगे। आज के व्यक्ति को जिंदगी का सही उद्देश्य समझना जरूरी है। समझना होगा कि जीवन का उद्देश्य परमात्मा को जानना है, जो व्यक्ति परमात्मा को जान लेगा, वह जीवन के उद्देश्य को समझ लेगा।
शायद परमात्मा को पाना इतना आसान नहीं, इसमें बहुत सी बाधाएं आएगी लेकिन लगातार कोशिश करने पर सफलता मिल जाएगी, क्योंकि धीरे-धीरे बहती हुई एक धारा भी पत्थर में छेद कर देती है, इसीलिए निरंतर प्रयास होना चाहिए।यदि किसी मक़सद के लिए खड़े हो तो पेड़ की तरह खड़े रहो और गिरना है तो बीज की तरह गिरो ताकि दोबारा उग सको, उस मक़सद को पूरा करने के लिए।
मनुष्य जीवन अनमोल है, इसलिए जीवन को सही मार्ग में लगा कर परमात्मा को जानना ही हमारा ध्येय हिना चाहिए। यह मुस्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं। इसमें आप गिरोगे लेकिन उठना भी सीखना होगा। क्योंकि मंजिल इतनी आसानी से नहीं मिलती। राह में कई पत्थर से टकराना होगा लेकिन रुकना नहीं है।
यदि जीवन का लाभ उठाना है तो जीवन के सही उद्देश्य को जानना जरूरी है। यदि छोटी बुरी परिस्थितियों से मनुष्य हार मानने लगे तब तो वह कभी महान नहीं बन सकता। असल में देखा जाय तो परिस्थितियां ही मनुष्य को महान बना देती है। लेकिन परिस्थितियों का लाभ उठाना भी आना चाहिए। जो इसका लाभ उठा लेता है वही व्यक्ति महान बन पाता है।
जीवन का उद्देश्य केवल सुख पाना ही नहीं होना चाहिए। हालांकि दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो सुख से इंकार कर दे फिर चाहे वह कोई साधारण व्यक्ति हो या फिर धर्मात्मा और पुजारी। हां लेकिन सबके लिए सुख के मायने जरूर अलग हो सकते हैं, उसे प्राप्त करने का साधन अलग हो सकता है।
इसी सुख को पाना लोगों के जीवन उद्देश्य होता है। लेकिन यह सुख क्या है? विद्वानों की माने तो यह सुख का आशय संतुष्टी से है। व्यक्ति जिस कार्य में संतुष्ट है उसके लिए वही सुख है। इस प्रकार लोगों के लिए जीवन का उद्देश्य सुख पाना है लेकिन जीवन का असल उद्देश्य परमात्मा को पाना है।
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