Jama Masjid Kahan Hai: दिल्ली भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते स्थान में से एक है। इस शहर को गुलाम वंश के शासक से लेकर मुगल सम्राट तक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।
दिल्ली पर्यटन की दृष्टि से काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। क्योंकि यहां पर कुतुब मीनार, इंडिया गेट, हुमायूं का मकबरा, पुराना किला जैसे कई ऐतिहासिक जगह है। उन्ही में से एक जामा मस्जिद है।
दिल्ली में मौजूद जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद के प्रांगण में एक साथ 25,000 से भी ज्यादा लोग बैठे जा सकते हैं।
इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितना भव्य होगा। जामा मस्जिद दिल्ली के पुराने शहर के इलाके में वजीराबाद रोड पर स्थित है। मुसलमानों के लिए यह एक धार्मिक स्थल है।
इस लेख में हम जामा मस्जिद का इतिहास, इसकी वास्तुकला, इससे जुड़े रोचक तथ्य, जामा मस्जिद कहां है (Jama Masjid Kahan Hai) आदि के बारे में जानेंगे।
जामा मस्जिद के बारे में
कितनी पुरानी है? | 368 साल |
निर्माण किसने किया था? | मुगल शासक शाहजहां ने |
निर्माण कब करवाया था? | 1656 ईस्वी में |
निर्माण किससे किया गया है? | लाल बलुवा पत्थर और सफेद संगमरमर से |
Jama Masjid Kahan Hai | वजीराबाद रोड, दिल्ली |
जामा मस्जिद का निर्माण
जामा मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां के द्वारा 1650 सन में शुरू किया गया था। तकरीबन 6 साल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ। 1656 ईस्वी में जामा मस्जिद पूरी तरीके से बन कर तैयार हो गया।
यह मस्जिद दिल्ली के लाल किले से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है, जो अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जामा मस्जिद को बनाने में तकरीबन 1 मिलियन रूपए उस समय खर्च हुए थे।
इसके निर्माण कार्य में 5000 से भी ज्यादा मजदूरों ने काम किया था। 1948 में हैदराबाद के निजामी उस्मान अली खान ने इस मस्जिद के कुछ पुराने हिस्सों की मरम्मत के लिए 3 लाख का दान दिया था।
जामा मस्जिद की वास्तुकला
- jama masjid delhi विशाल गुंबद और सुंदर शैली के लिए प्रसिद्ध है।
- मस्जिद का निर्माण संगमरमर और लाल पत्थर से किया गया है। मस्जिद 65 मीटर लंबी और 35 मीटर चौड़ी है, उसके चारों ओर चार छोटी-छोटी मीनारें हैं।
- मस्जिद का प्रांगण 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
- मस्जिद में प्रवेश उत्तर और दक्षिण द्वारों से होता है। पूर्वी द्वारा केवल शुक्रवार को ही खोला जाता है। कहते हैं कि मुगल सम्राट पूर्वी द्वार से ही इस मस्जिद में प्रवेश किया करते थे।
- मस्जिद का प्रार्थना ग्रह बहुत ही सुंदर है, जिसमें 11 मेहराब है और बीच वाला मेहराब अन्य मेहराब के तुलना में कुछ बड़ा है।
- जामा मस्जिद के ऊपर बने सफेद और काले संगमरमर से सजाया गया गुंबद निजामुद्दीन दरगाह से मिलता जुलता है।
- मस्जिद की दो विशालकाय मीनार लगभग 40 मीटर ऊंची है। यह दिल्ली के सर्वोच्च बिंदु में से एक है, जहां से आप दिल्ली का संपूर्ण अद्भुत नजारा देखने का लुत्फ उठा सकते हैं।
जामा मस्जिद का असली नाम
jama masjid delhi का नाम अरबी भाषा के शब्द से रखा गया है। इसका अंग्रेजी अर्थ फ्राइडे मोस्क्यू होता है। इस्लाम धर्म में शुक्रवार या जुम्मे की नमाज बेहद खास महत्व रखता है।
इस मस्जिद का वास्तविक नाम मस्जिद-ए-जहां नुमा है, जिसका अर्थ दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद होता है। इस मस्जिद का यह नाम इसके विशाल आकार और भव्यता के कारण रखा गया था। इसे जामा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
मुसलमान के लिए जामा मस्जिद है खास
जामा मस्जिद भारतीय मुसलमान के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान में से एक है। इसके साथ ही यह पर्यटन की दृष्टि से भी काफी ज्यादा महत्व रखता है। क्योंकि भारत में आने वाले दुनिया भर के सैलानियों में खासकर कर मुसलमान दिल्ली की जामा मस्जिद को देखने के लिए आते हैं।
यह मस्जिद अपने इतिहास और वास्तुकला के कारण दुनिया भर के मुसलमान को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इबादत के नजरिए से यह हर एक मुसलमान के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है। इस मस्जिद में हर दिन सुबह से लेकर शाम तक पांच बार नमाज पढ़ी जाती है।
निष्कर्ष
जामा मस्जिद मुगल शासको के द्वारा बनाए गए प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
हमें उम्मीद है कि जामा मस्जिद का इतिहास, इसकी वास्तुकला, इससे जुड़े रोचक तथ्य, Jama Masjid Kahan Hai आदि से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपको मिल गई होगी।
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