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गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है?

Goldfish ka Scientific Naam Kya hai: गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है? इस तरह के प्रश्न अनेक बार विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं में पूछे जाते है। इसीलिए आपको पता होना चाहिए कि गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है? इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी के साथ गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम बताएंगे।

Goldfish ka Scientific Naam Kya hai
Image: Goldfish ka Scientific Naam Kya hai

लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि गोल्डफिश को हिंदी भाषा में “सुनहरी मछली” कहते हैं। यह दिखने में गोल्ड की तरह सुनहरी लगती है। इसीलिए अंग्रेजी में इसे गोल्डफिश तो हिंदी में इसे सुनहरी मछली कहते हैं।

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है? | Goldfish ka Scientific Naam Kya hai

गोल्डफिश सामान्य जानकारी

नामगोल्डफिश
हिंदी नाम सुनहरी मझली
साइंटिफिक नामcarassius auratus
निवास स्थानमीठा पानी जिसका तापमान 18 डिग्री से 26 डिग्री हो
स्रोतचीन
वजन100 ग्राम से 3 किलो
आकर20 सेंटीमीटर से 30 सेंटीमीटर 

गोल्डफिश क्या है?

गोल्ड फिश मछली का साइंटिफिक नाम carassius auratus है। इस मछली को हिंदी में सुनहरी मछली कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति आज से 17 साल पहले चीन में हुई थी। यह मछली मीठी पानी में पाई जाती है। वर्तमान समय में गोल्डफिश अमेरिका, चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों में पाई जाती है।

इस मछली का वजन अधिकतम 3 किलो और कम से कम 100 ग्राम तक होता है। गोल्डफिश अपने सुनहरे रंग की वजह से आकर्षण का केंद्र होती है। यह मछली इतनी सुंदर होती है कि लोग इसे अपने घर में सजाने के लिए इस्तेमाल करते है। यह मछली लगभग हर तरह के एक्वेरियम में मिल जाएगी। इस मछली की जीवन अवधि नदी में 40 साल और एक वेरियम में 7 से 8 साल होती है।

गोल्ड फिश इतनी लोकप्रिय क्यों है?

प्रत्येक जीव अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है। किसी जीव की विशेषता उसकी खूबी होती है, किसी की आवाज, किसी की बनावट, किसी की सुंदरता, किसी के भागने की शक्ति, किसी के उड़ने की शक्ति, किसी के दौड़ने की शक्ति, किसी की चतुराई, इस तरह से गोल्ड फिश मछली की लोकप्रियता उसकी सुंदरता से है क्योंकि गोल्ड फिश मछली सोने की तरह चमकती है।

उसका कलर सोने की तरह दिखता है, जो दिखने में काफी सुनहरी लगती है। इसीलिए हिंदी में इसे सुनहरी मछली कहते हैं। जबकि अंग्रेजी में इसे गोल्ड की तरह चमकने के कारण गोल्डफिश कहते हैं।

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है?

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम carassius auratus है। यह मछली आपको आमतौर पर किसी भी आ क्वेरियम में मिल जाएगी। यह मछली मीठा पानी में रहती है, जिसका तापमान 18 डिग्री से 26 डिग्री तक होता है। हर साल अप्रैल से मई के महीने में यह मछली अंडे देती है। इसके अंडे पानी में मौजूद जलीय वनस्पति के साथ चिपक जाते हैं और 48 से 72 घंटे के अंदर फूट जाते हैं, जिसमें से छोटी-छोटी मछलियां बाहर निकलती है।

गोल्ड फेशियल आज से कुछ दशक पहले ही खोजी गई थी, उससे पहले इस मछली के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। जब चीन में पहली बार इस मछली को पाया गया तो लोगों को यह बहुत ही आकर्षक लगी। धीरे-धीरे इसका व्यापार शुरू हुआ और यह विश्व के अलग-अलग होने में पहुंच गई।

गोल्ड फिश का साइंटिफिक वर्गीकरण

साइंटिफिक नामCarassius Auratus
साइंटिफिक नाम हिंदी मेंकैरासियस औराटस
गोल्ड फिश हिंदी नामसुनहरी मछली
प्रजातिकैरासियस
मूल स्रोतचीन
वजन3 किलो
लंबाई45 सेंटीमीटर
भोजनशैवाल, लार्वा, कीट
नवसृजनअप्रैल-मई
आकार20 Cm
PH रेंज6.5 से 8.5
विशेषतास्वर्ण जैसी सुंदरता
लोकप्रियताएशिया

गोल्ड फिश मछली का इतिहास

इंटरनेट पर मौजूद कई जानकारी के मुताबिक गोल्ड फिश मछली सबसे पहले चीन में ही पाई जाती थी और आज के समय में इसे लगभग हर जगह और हर देश में आसानी से देखा और खरीदा जा सकता है।

लगभग गोल्ड फिश मछली को चीन में 17 से 20 वर्षों पहले पाया गया था और इसकी सुंदरता को देखते हुए इसे गोल्ड फिश मछली का नाम दिया गया और यह मछली सब को अपनी तरफ आकर्षित करती है।

गोल्ड फिश कितने प्रकार की होती है?

गोल्डफिश अलग-अलग प्रकार की होती है। सबसे पहले सुनहरे रंग की गोल्डफिश को देखा गया था मगर उनकी मात्रा बहुत ही कम थी। आमतौर पर आज हमारे पास लाल और नारंगी रंग की गोल्डफिश अधिक मात्रा में है। इसके अलावा गोल्डफिश हरा, सिल्वर और भी अलग-अलग रंग में पाई जाती है।

आमतौर पर गोल्डफिश 20 सेंटीमीटर से 30 सेंटीमीटर लंबी होती है। अगर हम इस के भजन की बात करें तो 3 किलो से 100 ग्राम तक कि गोल्डफिश हमें देखने को मिलती है।

बड़े आकार की गोल्डफिश को विश्व के कुछ क्षेत्र में भोजन के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। मगर विश्व के ज्यादातर हिस्सों में गोल्डफिश को केवल एक्वेरियम में सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गोल्डफिश बहुत ही खूबसूरत होती है और अलग-अलग रंग रूप आकार की होती है।

मगर सभी तरह की गोल्डफिश आपको तालाब, झरने, छोटी नदी, जैसे मीठे पानी के स्रोत में मिलती है। हमने नीचे कुछ महत्वपूर्ण है गोल्डफिश के प्रकारों की सूची प्रस्तुत की है, नीचे दिए गए ना गोल्डफिश के प्रचलित प्रकार के नाम है:

  • आम सुनहरी मछली
  • काले मूर
  • बब्ल आई
  • धूमकेतु (कोमेट)
  • ओरानडा
  • पर्लस्केल
  • वेलटेल
  • रयुकिन
  • पोमपोम
  • शुबनकिन
  • घुमावदार गिल सुनहरी मछली
  • रैनचु 
  • अंडा मछली
  • लायनचु
  • शुकिन

वर्तमान समय में हमारे पास इसके अलावा और भी अलग-अलग तरह के गोल्डफिश है। मगर मुख्य रूप से इन्हें प्रचलित गोल्डफिश के रूप में देखा जाता है।

गोल्डफिश आकार में कैसी होती है?

गोल्डफिश एक साधारण मछली की तरह होती है। आप आमतौर पर जिस मछली को खाते है, बिल्कुल गोल्डफिश वैसे ही दिखती है बस उसका रंग सुनहरा लाल या नारंगी होता है। अगर हम गोल्डफिश के भजन और उसके लंबाई की बात करें तो गोल्डफिश कोई बहुत बड़ी मछली नहीं होती है।

गोल्डफिश का आम तौर पर 20 सेंटीमीटर से 30 सेंटीमीटर का आकार होता है। मगर विश्व के कुछ क्षेत्र में गोल्डफिश को एक फीट लंबा भी देखा गया है। अगर हम गोल्डफिश के भजन की बात करें तो आमतौर पर गोल्ड फिर से 100 ग्राम से 200 ग्राम की होती है। मगर विश्व के कुछ हिस्सों में 3 किलो की गोल्डफिश को भी देखा गया है।

आमतौर पर गोल्डफिश एक ठंडे पानी में रहने वाली छोटी सी मछली है। इसे मुख्य रूप से एक एक्वारियम में सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। विश्व के कुछ क्षेत्र में गोल्डफिश को खाया भी जाता है।

गोल्डफिश कैसी परिस्थिति में रहती है?

गोल्ड फिश मछली को रहने के लिए बहुत ही साधारण परिस्थिति चाहिए। यही कारण है कि गोल्डफिश विश्व के लगभग सभी एक्वेरियम में आपको मिल जाती है। गोल्ड फेशियल एक छोटी सी मछली होती है, जो मीठे पानी के स्रोत में पाई जाती है। आमतौर पर गोल्डफिश को तलब, झरने या छोटी नदी में पाई जाती है।

इस तरह के अनुकूल परिस्थिति मिलने पर गोल्डफिश पानी के बड़े स्रोत में लगभग 40 वर्ष तक जीवित रह सकती है। मगर एक्वेरियम के छोटे से पानी में गोल्डफिश 7 से 8 साल तक जीवित रहती है। ऐसा माना जाता है कि गोल्डफिश अपने रूख पर नियंत्रण नहीं कर पाती है।

इस वजह से उसे उतना ही खाना देना चाहिए, जितना वह आसानी से पचा सके। एक एक्वेरियम में गोल्डफिश को उतना ही खाना देना चाहिए, जितना वह 3 घंटे में खत्म कर सके और इस तरह से केवल दिन में दो बार खाना देना चाहिए। ज्यादा खाना देने से गोल्डफिश की आंतों में समस्या हो जाती है, जिस वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है।

गोल्डफिश अपने भोजन में क्या खाती है?

नदी में रहने वाली गोल्डफिश आमतौर पर छोटे कीड़े मकोड़े, छोटे-छोटे पेड़ पौधे, शैवाल या जमीन पर लगी हुई काई, और क्रसटेशियन जैसे जलीय वनस्पति को खाती है। अगर किसी एक्वेरियम में आप गोल्डफिश को रखते है तो साधारण तौर पर मछली को मिलने वाले दाने उसे खिलाया जा सकते है।

याद रखें इस मछली को छोटे कीड़े मकोड़े, सवाल या छोटे छोटे पेड़ पौधे खिला सकते हैं मगर 24 घंटे में केवल दो बार ही खाना देना चाहिए वह भी इतना ही जिसे वह 3 घंटे से 4 घंटे में खत्म कर सके। 

गोल्ड फिश कितनी बुद्धिमान होती है?

गोल्डफिश की बुद्धिमत्ता को लेकर अलग-अलग तरह के प्रयोग किए गए हैं और उसमें बहुत ही रोचक निष्कर्ष निकल कर आए है। एक प्रयोग से पता चलता है कि गोल्डफिश एक ऐसी मछली है, जो अलग-अलग आकार रंग और आवाज के बीच फर्क समझ सकती है। एक और प्रयोग नहीं यह भी साबित किया है कि गोल्डफिश है की याददाश्त 3 महीने की होती है।

प्रकृति में उन्हें जिस रंग से भोजन मिलता है और उनके भोजन के आसपास जिस तरह की आवाजे आती है, वह उसे आवाज को याद रखती हैं और उसके अनुसार प्रतिक्रिया भी दिखाती है। अगर आप रोजाना एक ही समय पर गोल्डफिश को भोजन देते हैं तो उसी समय पर उनकी एक खास प्रतिक्रिया को देख सकते हैं।

मछलियों को 3 महीने तक सिखाई हुई चीजें याद रहती है। अगर रोजाना प्रैक्टिस करवाते रहें तो वह सिखाई हुई चीज को कभी नहीं भूलती। मुख्य रूप से मछलियां रंग आवाज और आकृति के ऊपर अपनी प्रतिक्रिया दिखाती है। अगर सही निर्देशन के साथ उन्हें रोजाना एक ही तरह की चीज सिखाई जाए तो वह सीख सकते हैं।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि बहुत सारी मशीनों ने अलग-अलग तरह के करतब दिखाए है, जिसमें गोल्डफिश में शामिल है। आम तौर पर लीम्बो, स्लैलम, फेच और सोकर जैसी कर्तव्यों को मछलियों ने सीखा है, इस पर अपनी बेहतरीन प्रतिक्रिया भी दिखाई है।

गोल्डफिश से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

गोल्डफिश एक बहुत ही प्रचलित मछली है, जिसकी प्रतिक्रिया उसे और बेहतर बना देती है। अगर आप गोल्ड फिश के बारे में रोचक तथ्य जानना चाहते है तो नीचे दिए गए निर्देशों का ध्यान पूर्वक पालन करें:

  • गोल्डफिश आंखें खोल कर सोती है।
  • गोल्डफिश बड़े इलाके में 35 से 40 साल तक जीवित रहती है।
  • आज तक दुनिया की सबसे बड़ी गोल्डफिश 1.5 फुट लंबी और 3 किलो वजन की मिली थी।
  • गोल्डफिश बिना खाए 21 दिन तक जीवित रह सकती है।
  • गोल्डफिश अधिक खाना खा कर मर जाती है।
  • गोल्डफिश अपने होंठ से स्वाद का पता लगाती है।
  • बाकी मछलियों की तुलना में गोल्डफिश की याददाश्त बहुत ही तेज होती है, वह लगभग 3 महीने तक याद रख सकती है।
  • गोल्डफिश की कोई पलक नहीं होती है, उसकी आंखें हमेशा खुली रहती है।
  • गोल्डफिश को अधिक भूख लगने पर वह अपने ही बच्चों को खा जाती है।
  • गोल्डफिश सबसे पहले चीन में मिली थी और आज भी गोल्डफिश की सबसे अधिक मात्रा चीन में पाई जाती है।

FAQ

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है?

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम carassius auratus है।

गोल्ड फिश कहां पाई जाती है?

गोल्डफिश मीठे पानी के स्रोत में पाई जाती है। मुख्य रूप से गोल्डफिश चीन और उत्तरी अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है।

गोल्डफिश को किसने खोजा था?

गोल्डफिश को सबसे पहले चीन के कुछ स्थानीय मछुआरों ने आज से 17 साल पहले खोजा था।

गोल्डफिश कितने साल तक जीवित रहती है?

मुख्य रूप से बड़े पानी के स्रोत में गोल्डफिश 35 से 40 साल तक जीवित रहती है और एक एक्वेरियम में 7 से 8 साल तक जीवित रहती है।

गोल्डफिश कितनी बड़ी हो सकती है?

एक गोल्डफिश आमतौर पर 20 सेंटीमीटर से 30 सेंटीमीटर लंबी होती है। मगर सबसे बड़ी गोल्डफिश 1 फुट की पाई गई थी।

निष्कर्ष

गोल्डफिश को गोल्डन मछली भी कहा जाता है। इसके अलावा हिंदी में गोल्डफिश को सुनहरी मछली कहते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम बता चुके हैं। गोल्ड फिश मछली काफी ज्यादा लोकप्रिय है क्योंकि इसकी सुंदरता प्रचलित है।

सोने की तरह दिखने की वजह से इस मछली को हिंदी में सुनहरी मछली कहते हैं। जबकि अंग्रेजी में गोल्डफिश कहा जाता है। इस मछली का वर्गीकरण तथा इसके बारे में जानकारी हम आपको बता चुके हैं। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूर ही उपयोगी साबित होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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