Essay on Women Safety in Hindi: हम यहां पर महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध | Essay on Women Safety in Hindi
महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध (250 शब्द)
सदियों से महिलाओं की सुरक्षा समाज के लिए एक चिंतित विषय रहा है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं का विशिष्ट स्थान है। नारी को देवी लक्ष्मी के समान पूजा जाता है। लेकिन महिलाएं न तो बाहर सुरक्षित हैं और न ही घर में। यह अब एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
रात में महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलने से पहले दो बार सोचती हैं। यह हमारे देश की दुखद वास्तविकता है, महिलाएं निरंतर भय में रहती है। महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराध में बलात्कार, ऑनर किलिंग, बाल शोषण, दहेज हत्या, एसिड अटैक, कन्या भ्रूण हत्या, तस्करी, बाल विवाह और बहुत कुछ शामिल हैं।आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर 20 मिनट में एक महिला के साथ रेप होता है। दूसरे देशों से आने वाली महिला भी भारत घूमने आने के लिए सोचने पर मजबूर हो जाती है।
भारत के संविधान में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए गए हैं। अब देश में महिलाओं को काफी सन्मान मिलता है लेकिन पर्दे के पीछे देखें तो उनका शोषण किया जा रहा है। लोग महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे है।
महिलाओं को आत्मरक्षा करना सिखाना चाहिए। महिला पीड़िता को तुरंत न्याय मिले इसके लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जानी चाहिए। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के संबंध में कानूनों को और सख्त बनाया जाना चाहिए ताकि महिलाओं को हिंसा से बचाया जा सके। पुरुषों को कम उम्र से ही महिलाओं का सम्मान करना और उनके साथ समान व्यवहार करना सिखाया जाना चाहिए।
महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
महिला सुरक्षा एक सामाजिक मुद्दा है। महिलाएं देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं, जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पीड़ित हैं। यह देश के विकास और प्रगति में बाधक बनता जा रहा है। कड़े कानून बनने के बाद भी महिला अपराध में कमी के बजाय आए दिन तेजी से उछाल आ रहा है। हमारे देश में महिलाओं को डर के साए में जीना पड़ रहा है।
समाज में महिलाओं की सुरक्षा लगातार गिरती जा रही है। महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को लक्ष्मी माता का दर्जा दिया गया है। लेकिन यह सब सिर्फ किताबों की बातें है । परदे के पीछे की असलियत यह है की देश की महिला ना तो घर में सुरक्षित है न बहार। 21वीं सदी में भारत में ऐसी घटनाओं का होना ही हमारी संस्कृति को शर्मसार करता है।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध केवल किसी की हत्या करने के बारे में नहीं है बल्कि यह कुछ ऐसा है जो मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है। एक महिला को विभिन्न प्रकार की यातनाओं का सामना करना पड़ता है। उनमें से कुछ शारीरिक हैं जबकि उनमें से कुछ मानसिक हैं जैसे यौन शोषण, कार्यस्थल पर या कहीं भी उत्पीड़न, बलात्कार, लिंग पूर्वाग्रह आदि।
भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की सूची काफी लंबी है। तेजाब फेंकना, जबरन वेश्यावृत्ति, यौन हिंसा, दहेज हत्या, अपहरण, ऑनर किलिंग, बलात्कार, भ्रूण हत्या, मानसिक उत्पीड़न जैसे अपराध की वजह से आज किसी भी महिला अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती है। सड़कों, सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक परिवहन, आदि जैसे क्षेत्र महिला शिकारियों के क्षेत्र रहे हैं।
घरेलू हिंसा भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में शामिल है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा भी काफी बढ़ गई है। जिसकी वजह से उन्हें मानसिक रोगों का सामना करना पड़ रहा है। दहेज के लिए जलाना, ससुराल पक्ष की तरफ से किसी सामान्य बात को लेकर पिटाई जैसी घटनाएं रोज की बात हो गई हैं।
आज कल अपराध का एक नया पहलू नजर आया है वो है लव जिहाद, जिसमें महिलाओं को प्यार के चककर में फँसाकर उन के साथ शादी करके उन्हें विदेशों में बेचा जा रहा है।
महिला सुरक्षा के कानून
भारत के संविधान और कानून में महिलाओं की सुरक्षा का काफी ध्यान रखा गया है, जिसके चलते महिलाओं के पक्ष में कई कानून बनाए गए है। भारत में महिला सुरक्षा से जुड़े कानूनों की सूची बहुत लंबी है। इसमें बाल विवाह अधिनियम 1929, विशेष विवाह अधिनियम 1954, हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856, भारतीय दंड संहिता 1860, मातृत्व लाभ अधिनियम 1861, विदेशी विवाह अधिनियम 1969, भारतीय तलाक अधिनियम 1969, ईसाई विवाह अधिनियम 1872, विवाहित महिलाएं शामिल हैं। संपत्ति अधिनियम 1874, मुस्लिम महिला संरक्षण अधिनियम 1986, राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990, कार्यस्थल पर उम का यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 आदि। इसके अलावा 7 मई 2015 को लोकसभा और 22 दिसंबर 2015 को राज्यसभा ने भी किशोर न्याय विधेयक में संशोधन किया। इसके तहत अगर 16 से 18 साल का किशोर किसी अपराध में लिप्त पाया जाता है तो कड़ी सजा का भी प्रावधान है।
महिलाओं की सुरक्षा के उपाय
महिलाओं की सुरक्षा में सबसे महत्वपूर्ण चीज है आत्मरक्षा। आत्मरक्षा के बारे में प्रत्येक महिला को जागरूक होना चाहिए और अपनी सुरक्षा के लिए उचित आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। किक टू ग्रोइन, ब्लॉकिंग आदि के बारे में महिलाओं को बचपन से ही सीखना चाहिए। महिलाओं को खुद को सचेत रहना होगा।
उन्हें कभी भी किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ किसी अज्ञात स्थान पर अकेले नहीं जाना चाहिए और अगर ऐसा करने पर संकट की घड़ी लगे तो वहां से तुरंत भागने की कोशिश करनी चाहिए।
उनके पास सभी आपातकालीन नंबर होने चाहिए और यदि संभव हो तो व्हाट्सएप भी करें ताकि वे तुरंत अपने परिवार के सदस्यों और पुलिस को बता सकें। महिलाओं को अगर किसी काम से बाहर जाना पड़े तो अपने परिवार से संपर्क जरूर बनाये रखने चाहिए।
सोशल मीडिया पर या किसी अन्य माध्यम से किसी भी तरह के अनजान व्यक्ति से बातचीत करते समय सावधानी रखें और अपनी कोई निजी जानकारी को कभी भी शेयर न करें।
निष्कर्ष
आम तौर पर भगवान के द्वारा ज्यादातर महिलाओं को छठी इंद्रिय का उपहार दिया जाता है, जिसका उपयोग उन्हें किसी समस्या में होने पर अवश्य करना चाहिए। महिलाओं को अपनी शारीरिक शक्ति को समझना और महसूस करना चाहिए और उसी के अनुसार उपयोग करना चाहिए। उन्हें कभी भी पुरुषों की तुलना में खुद को कमजोर महसूस नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उनका मनोबल ऊँचा होगा।
एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है ‘समाज को बदलने के लिए बदलाव बनें’। हम दुनिया को नहीं बदल सकते हैं लेकिन हम खुद को बदल सकते हैं । महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीछे लैंगिक भेदभाव प्रमुख कारण है। हम एक अच्छे नागरिक बनें और इस तरह के गलत विचारों और गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
अंतिम शब्द
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