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शरद पूर्णिमा पर निबंध

Essay on Sharad Purnima in Hindi: आज के इस लेख में हम आप सभी लोगों को एक ऐसी पूर्णिमा के बारे में बताएंगे जो कि सभी पूर्णिमा से अलग है। जी हां हम बात कर रहे हैं शरद पूर्णिमा की। आज के इस लेख में हम शरद पूर्णिमा पर निबंध को जानेंगे और यदि आप शरद पूर्णिमा पर निबंध पढ़ना चाहते हैं तो हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें। चलिए शुरू करते हैं।

Essay on Sharad Purnima in Hindi
Image: Essay on Sharad Purnima in Hindi

हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में शरद पूर्णिमा पर निबंध ( Essay on Sharad Purnima in Hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

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शरद पूर्णिमा पर निबंध | Essay on Sharad Purnima in Hindi

शरद पूर्णिमा पर निबंध (250 शब्द)

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष अश्विन मास में आने वाले पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार आज के ही दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने महारास रचा था। इसीलिए शरद पूर्णिमा को राष्ट्र पुर्णिमा के नाम से भी भारत में जाना जाता है।

शरद पूर्णिमा को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि पूरे एक वर्ष भर में आज के ही दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ परिपूर्ण हो जाता है इसलिए आज के दिन को लोग काफी उत्साह के साथ मनाते हैं। कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण ही शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं कोजागिरी पूर्णिमा को भारत के कई स्थानों पर कौमुदी पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से जाना जाता है।

शरद पूर्णिमा को लेकर भारत के कई स्थानों पर ऐसा माना जाता है कि इसी दिन रात के समय चंद्रमा से अमृत की बरसात होती है। जिसके कारण से उत्तर भारत में रात्रि में खीर बनाकर लोग छत पर खुला छोड़ देते हैं। जिससे कि चंद्रमा की अमृत भरी किरण उस पर पड़े और रात भर खुला छोड़ने के पश्चात वह सुबह उसे प्रसाद के रूप में लोगों को बांट देते हैं।

इस व्रत को लोग अपने सभी कामनाओं को पूर्ण करने के लिए रखते हैं। इस दिन रात्रि को लोग माता लक्ष्मी की पूजा बड़े ही प्रेम भाव से करते हैं। इस पूजा को लेकर उत्तर भारत के लोग बहुत अधिक उत्साहित रहते हैं और वह पूजा को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

आज के ही दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है लक्ष्मी पूजन करने से सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है और इस पूजन को करने से हमारा दिन और आने वाला समय पूरी तरह से सुधर जाता है। माता को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन लोग बड़े ही भक्ति भाव से माता का भजन एवं उनका पूजा करते हैं।

शरद पूर्णिमा पर निबंध (500 शब्द)

प्रस्तावना

आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। अलग-अलग स्थानों पर शरद पूर्णिमा को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कई स्थानों पर शरद पूर्णिमा को उजागर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, तो कई स्थानों पर रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। तो कहीं पर लोग इसे कौमुदी व्रत के नाम से भी जानते हैं। इस पूर्णिमा पर लोग अपने मन में इच्छाएं रखकर सुख समृद्धि की भंडार माता लक्ष्मी की पूजा एवं भजन करते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन लोग अपने मन की इच्छा को पूरा करने के लिए माता लक्ष्मी के सामने अपने विचार रखते हैं और उनका पूजन एवं भजन करते हैं। ऐसा माना जाता है, कि इस पूर्णिमा के दिन रात में चंद्रमा की कोमल किरणों से अमृत की बरसात होती है।

इस दिन रात्रि को लोग खीर को बनाकर छत पर या कहीं ऐसे खुले स्थान पर रख देते हैं एवं मध्य रात्रि में उस खीर के चारों ओर बैठकर परिवार जन भजन कीर्तन करते हैं। एवं सुबह वह खीर प्रसाद के तौर पर लोगों में बांट देते हैं।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा का बहुत ही बड़ा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन माता लक्ष्मी की जगराता की जाती है और माता लक्ष्मी की पूजन करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और आपको विशेष रूप से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।

माता की पूजा सच्चे मन से करने से माता आपको आपके पूजा अर्चना का फल अवश्य देती हैं, जिसके कारण से लोग अपने मन में आस्था एवं इच्छा लेकर शरद पूर्णिमा का व्रत करते हैं, ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं

शरद पूर्णिमा की प्रचलित कथा

ऐसा माना जाता है कि एक साहूकार की 2 बेटियां थी। बड़ी बेटी रीति-रिवाजों का बड़े ही अच्छे से पालन करती थी लेकिन छोटी बेटी रीति-रिवाजों का पालन करने में आनाकानी करती थी। दोनों बेटियों की शादी हो जाती है।

दोनों बहनें शरद पूर्णिमा का व्रत करती थी लेकिन बड़ी बहन मन से करते थे वहीं पर छोटी बहन के सभी धार्मिक कार्य आधे अधूरे रहते थे। इसी कारण से जब कुछ समय पश्चात छोटी बहन संतान हुआ तो कुछ ही दिन में उसकी मृत्यु हो गई, जिससे वह बहुत दुखी थी।

अपने दुखों का निवारण करने के लिए वह एक महात्मा के पास गई और महात्मा से ऐसा होने का कारण पूछा। तो महात्मा ने उससे कहा कि तुम शरद पूर्णिमा का व्रत प्रेम भाव एवं पूरी श्रद्धा के साथ करो। महात्मा की बात मानकर उसने ऐसा किया। परंतु इस बार भी उसका संतान जीवित नहीं बचा। जिससे और भी दुखी हुई और अपने मरे हुए बच्चे को एक चौकी पर लिटा दिया। जब बड़ी बहन छोटी वाली बहन के घर आई और अनजाने में उसी चौकी पर बैठ गई जिस पर मरा हुआ बच्चा लेटा था।

बड़ी बहन के स्पर्श मात्र से ही बच्चा रोने लगा। बड़ी बहन एकदम चौक गई और उसने छोटी बहन से कहा कि अरे तूने मुझे यह कहां बिठा दिया। यहां तो तेरा लाल लेटा हुआ है, अभी तो यह मर जाता। छोटी बहन ने उसे बताया कि इसने तो अपने प्राण पहले ही त्याग दिए थे। परंतु आप के स्पर्श मात्र से ही वापस से जीवित हो गए। जिसके बाद से पूरा गांव शरद पूर्णिमा का व्रत करने लगा।

अंतिम शब्द

शरद पूनम हिन्दुओं का त्यौहार है। इस दिन चन्द्रमा की खूबसूरती चरमसीमा पर होती है। ऐसा कहा जाता है की चन्द्रमा का सीधा प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है। पुरे भारत में यह त्यौहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। यह एक धार्मिक, आध्यात्मिक और साथ में स्वास्थवर्धक त्यौहार है।

निष्कर्ष

हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख शरद पूर्णिमा पर निबंध ( Essay on Sharad Purnima in Hindi) अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि आपको हमारे द्वारा लिखा गया या लेख वाकई में पसंद आया हो, तो कृपया इसे शेयर करना बिल्कुल भी ना भूले और यदि इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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