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कुतुब मीनार पर निबंध

Essay on Qutub Minar in Hindi: नमस्कार दोस्तों! आज हम आप सभी लोगों को अपने समर्थकों निबंध के माध्यम से बताने वाले हैं, भारत के 1 ऐतिहासिक इमारत कुतुब मीनार के बारे में। कुतुबमीनार भारत के अनेकों ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। कुतुबमीनार भारत के अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के मध्य एक अकेला ऐसा स्मारक है, जो कि लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रमुख केंद्र है। आज हम सभी लोग अपने इस महत्वपूर्ण निबंध के माध्यम से जानेंगे कुतुब मीनार के विषय में और निबंध आप सभी लोगों के लिए परीक्षा के दृष्टिकोण से भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है, तो चलिए शुरू करते हैं।

Image: Essay on Qutub Minar in Hindi

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कुतुब मीनार पर निबंध | Essay on Qutub Minar in Hindi

कुतुब मीनार पर निबंध (250 शब्द)

कुतुबमीनार भारत का एक ऐतिहासिक इमारत है। क़ुतुब मीनार की स्थापना 13वीं शताब्दी में लाल बलुआ पत्थर से हुआ था। क़ुतुब मीनार भारत के अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के मध्य अपनी एक प्रमुख भूमिका को बताता है और प्रतिवर्ष करोड़ों लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। क़ुतुब मीनार भारत के राजधानी में ही अर्थात दिल्ली में स्थित है। क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी एवं प्रसिद्ध टावर में से एक है। कुतुब मीनार को यूनेस्को के द्वारा विश्व का धरोहर स्थल स्थापित कर दिया गया है और इसका निर्माण मुगल वस्तु कला के उत्कृष्ट एक उदाहरण देते हैं।

क़ुतुब मीनार बहुत ही ज्यादा ऊंची इमारत है, अतः कुतुबमीनार का एक अन्य नाम सबसे ऊंची गुंबद वाली मीनार भी जाना जाता है। कुतुब मीनार का निर्माण इंदौर इस्लामिक वास्तुकला के अंतर्गत किया गया है, इसमें ज्यादातर लाल रंग के बलुआ पत्थर का ही उपयोग किया है, जिसके कारण यह मीनार लाल रंग का दिखाई देता है। प्राचीन समय के बादशाहों का यह एक नियम बन गया था, कि वह किसी भी जीत के बाद एक इमारत तो अवश्य ही बनवाते थे, अतः ऐसे में ही 12वीं 13वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारी उनके द्वारा राजपूतों को हराकर जीत हासिल की, अतः इसी का जश्न मनाने के लिए कुतुब मीनार का निर्माण करवाया। क़ुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा करवाया गया था, इसीलिए बनवाए गए इस मीनार का नाम कुतुबमीनार रखा गया।

कुतुब मीनार पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

कुतुबमीनार भारत का एक ऐतिहासिक इमारत है। क़ुतुब मीनार की स्थापना 13वीं शताब्दी में लाल बलुआ पत्थर से हुआ था। क़ुतुब मीनार बहुत ही ज्यादा ऊंची इमारत है, अतः कुतुबमीनार का एक अन्य नाम सबसे ऊंची गुंबद वाली मीनार भी जाना जाता है। प्राचीन समय के बादशाहों का यह एक नियम बन गया था, कि वह किसी भी जीत के बाद एक इमारत तो अवश्य ही बनवाते थे, अतः ऐसे में ही 12वीं 13वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारी उनके द्वारा राजपूतों को हराकर जीत हासिल की, अतः इसी का जश्न मनाने के लिए कुतुब मीनार का निर्माण करवाया। क़ुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा करवाया गया था, इसीलिए बनवाए गए इस मीनार का नाम कुतुबमीनार रखा गया।

कुतुब मीनार का इतिहास

जैसा कि हमने आपको बताया कुतुब मीनार का निर्माण मुगल सम्राट कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा किया गया था, परंतु यह कुतुबमीनार का पूर्ण रूप से निर्माण करवाने में असफल रहे और उनकी मृत्यु हो गई, अतः बाद में इनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार के निर्माण कार्य को पूरा किया। कुतुब मीनार का निर्माण लगभग 1200 ईस्वी तक पूरा हो गया। कुतुब मीनार का निर्माण मुगल स्थापत्य कला के सबसे महान कृतियों में सबसे सराहनीय माना जाता है, कुतुब मीनार बहुत ही सुंदर नक्काशी के साथ 5 मंजिला इमारत है। कुतुबमीनार बहुत ही ज्यादा आकर्षक इमारत है, अतः दुनिया भर से इसे देखने के लिए हर साल काफी भारी मात्रा में भीड़ हो जाती है।

इतना ही नहीं बाद में कुतुब मीनार के ऊपर ही दो मंजिलों का पुनर्निर्माण भी करवाया गया। हालांकि यह दोनों मंजिलें पहले भी बनवाई जा चुकी थी परंतु भूकंप के कारण बहुत ही ज्यादा हानि हुई और बाद में इसे फिरोज शाह के द्वारा फिर से बनवाया गया। इसके बाद इसका एक और पुनर्निर्माण कार्य हुआ जो कि 1505 ईसवी में सिकंदर लोदी के द्वारा किया गया था। एक बार फिर से कुतुबमीनार का कुछ भाग नष्ट हो गया था, बाद में इसे मेजर स्मिथ के द्वारा 1794 ईस्वी में कुतुब मीनार के नष्ट हुए भागों की मरम्मत करवाई गई।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, कुतुब मीनार का निर्माण लाल बलुआ पत्थर के द्वारा किया गया था, परंतु हम आपको यह भी बता देना चाहते हैं, कि जैसे-जैसे बाद में इसकी मरम्मत की जा रही थी, वैसे वैसे इसमें अन्य चीजों का भी प्रयोग होता रहा। अतः वर्तमान समय में इसकी बनावट लाल बलुआ पत्थर के साथ-साथ सफेद संगमरमर के द्वारा भी हुआ है। आप सभी लोगों को क़ुतुब मीनार के निर्माण कार्य में लगे लाल बलुआ पत्थर के साथ साथ सफेद संगमरमर भी देखने को मिल जाएगा। अतः कुतुब मीनार के निचले तीन मंजिलों की मरम्मत नहीं हुई है, अर्थात यह तीनों मंजिल लाल बलुआ पत्थर के बने हुए हैं, परंतु आपको चौथी और पांचवी मंजिल में लाल बलुआ पत्थर के साथ-साथ सफेद संगमरमर भी देखने को मिल जाएगा।

कुतुब मीनार के आधार में एक मस्जिद बनाया गया है, कुतुब मीनार के आधार पर बनाए गए इस मस्जिद का नाम कुवत उल इस्लाम है। अतः इसी मस्जिद को भारत में निर्मित की गई सबसे पहली मस्जिद भी कहा जाता है। कुतुब मीनार के परिसर में लगभग 7 मीटर ऊंचा ब्राह्मी शिलालेख और लौह स्तंभ है। आप सभी पर्यटकों को कुतुब मीनार के दीवारों पर कुरान ‘जोकि मुस्लिम समाज का बहुत ही पवित्र एवं पौराणिक शास्त्र है’ की बहुत सी आयतें देखने को मिल जाएंगे। कुतुब मीनार की दीवारों पर लिखी गई यह सभी आयतें देवनागरी और अरेबिक भाषा में स्वयं के इतिहास को बता दी हैं।

कुतुब मीनार का निर्माण और संरचना

जैसा कि हमने आपको बताया कुतुब मीनार का निर्माण 12वीं 13वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारी यों के द्वारा राजपूतों को हराकर जीत हासिल करने के बाद मनाए जाने वाले एक जश्न के उपलक्ष में बनाया गया था। अतः कुतुबमीनार बनवाने का श्रेय मुगल वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मीनार को अपने शासनकाल में पूरा नहीं करवा पाए, परंतु उन्होंने इसकी नीव अवश्य रखी, अतः बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार को पूरा करवाया अतः इसका नाम कुतुबमीनार रखा।

कुतुबमीनार को बनवाने के लिए लाल पत्थरों का उपयोग किया गया है, कुतुबमीनार बनवाने में लगे लाल पत्थरों पर कुरान की आयतें तथा मोहम्मद गौरी और कुतुबुद्दीन ऐबक की प्रशंसा का चित्रण मिलता है। कुतुब मीनार के निचले आधार का व्यास लगभग 14.3 मीटर है और इसके सिस्का व्यास मात्र 2.7 मीटर। क़ुतुब मीनार के निर्माण के समय ही इसमें लगभग 379 सीढ़ियां बनाई गई थी। कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा 1193 ईस्वी में शुरू किया गया था। बाद में को तो दिन ऐबक की मृत्यु हो गई और कुतुब मीनार का निर्माण अधूरा रह गया, अतः इसके बाद इनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया।

कुतुबमीनार को बनवाने के समय में इसमें लगभग 5 मंजिले बनवाई गई, अतः इसकी पांचवी और आखिरी मंजिल को वर्ष 1368 ईस्वी में तुगलक वंश के शासक फिरोजशाह तुगलक के द्वारा बनवाया गया। कुतुब मीनार के परिषद के आस पास बहुत से पुरानी संरचनाओं से युक्त खंडार मौजूद है, इन सभी के कारण कुतुब मीनार और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाता है, अतः लोगों को खोल के अपनी तरफ आकर्षित करता है।

पर्यटकों के आकर्षण का कारक

क़ुतुब मीनार दुनिया भर के बहुत से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है और दुनिया के प्रत्येक कोने से प्रतिवर्ष लोगों की काफी भीड़ उमड़ पड़ती है। कुतुब मीनार के आसपास कुछ और भी स्मारक हैं, परंतु उनमें से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्मारक कुतुबमीनार को ही माना जाता है। कुतुब मीनार के परिसर में भारत में बनी सबसे पहली मस्जिद है, अतः दूर-दूर से लोग इस मस्जिद में आते हैं, क्योंकि यह मस्जिद बहुत ही ज्यादा पुरानी है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि इस मंदिर के परिसर में एक लाख शीला है, अतः प्राचीन समय से ही ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति लौह स्तंभ के सामने खड़े होकर अपने हाथों से लौह स्तंभ के चक्कर लगाता है, तो उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती।

निष्कर्ष

आज इस लेख को पढ़ने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, कि कुतुबमीनार भारत के काही एक ऐतिहासिक स्तंभ है और कुतुब मीनार दुनिया के सबसे ऊंचे एवं प्रसिद्ध स्मारकों में से एक कहा जाता है। कुतुब मीनार की ऊंचाई लगभग 73 मीटर है। इतना ही नहीं हमने यह भी जाना की कुतुब मीनार का निर्माण 12 वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा शुरू किया गया था और इल्तुतमिश के द्वारा पूरा किया गया।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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