Essay on My Favourite Teacher in Hindi : मेरे प्रिय अध्यापक के बारे में बात करते हैं तो हमे हमारे स्कूल के शिक्षक की याद आ जाती है। हमारे शिक्षक हमे रोज कुछ नई बाते सीखते हैं। वो हमे वो बाते सीखते जो हमारे जीवन में काफी मायने रखती हैं। आज भी वे बाते हमे जीवन की डोर को चलाने के लिए काम में आती हैं।
हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध (Essay on my favourite in Hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।
मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध | Essay on my favourite teacher in Hindi
मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध (250 शब्द)
हम जब भी प्रिय अध्यापक की बात करते हैं तो हमे स्कूल के दिनों की याद आने लग जाती हैं। हमारे स्कूल के दिनों में कई ऐसे शिक्षक थे जो हमे ज्ञान भरी बाते बताते थे और हमे भविष्य के लिए तैयार करने में अहम योगदान निभाते। ऐसे ही एक मेरे प्रिय अध्यापक हैं जो हमे पढाई कराने के साथ – साथ हमे वो बाते भी सीखते थे जो हमारे लिए आज काफी मायने रखती है।
मेरे प्रिय अध्यापक का नाम श्री सुरेश चन्द्र शर्मा था जो हमे स्कूल में हिंदी विषय पढ़ते थे। वो हमे विषय के आलावा बाहरी ज्ञान भी देते। मेरे प्रिय अध्यापक अपने अच्छे व्यवहार के लिए जाने जाते थे। मेरे प्रिय अध्यापक किसी परिचय में मोहताज नही हैं। आज भी हम जब भी कही मिलते हैं तो वो ही डांट देते और कुछ अनसुने किस्से को याद करते।
मेरे प्रिय अध्यापक हमारे ही गाँव में रहते हैं और गाँव में भी लोग उनकी काफी इज्जत करते हैं। वो सुबह जल्दी उठ कर योगा करते हैं और लोगो को भी प्रेरित करते हैं। हालाँकि अब वो अपनी इस पदवी से रिटायर्ड हो चुके हैं और अपने परिवार के साथ अपना समय बिताते हैं। उनके एक बेटा और एक बेटी हैं। बेटा व्यवसायी हैं बेटी अपने ससुराल हैं। मेरे प्रिय अध्यापक हमे हिंदी विषय पढ़ाते हैं। वो दिमाग से काफी शांत और मन से भी काफी अच्छे हैं। मेरे प्रिय अध्यापक के बारे में कितना भी कहा जाए कम ही होगा क्योंकि वो महानता की मूर्ति हैं।
मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
स्कूल के माहोल की बात करे तो हमारे स्कूल में काफी कुछ जानने और सीखने लायक हैं। इस स्कूल में कई शिक्षक भी शामिल हैं जो हमे काफी कुछ सीखते हैं और हमे ज्ञान देते हैं । उन सभी शिक्षको की सूची में मेरे प्रिय अध्यापक भी शामिल हैं। मेरे प्रिय अध्यापक के बारे में काफी कुछ हैं जो हम आज भी स्कूल के बाद याद करते हैं। मेरे प्रिय अध्यापक काफी शांत और सरल स्वाभाव के हैं। मेरे प्रिय शिक्षक के बारे में केवल एक निबंध के माध्यम से बताना नाइंसाफी होगी, क्योंकि वो काफी महान हैं की केवल एक किताब का पन्ना उनकी बातो को नहीं बता सकता।
हिंदी भाषा के ज्ञाता
मेरे प्रिय अध्यापक की हम बात कर रहे हैं वो हिंदी भाषा में काफी प्रशिद्ध है। हिंदी उनका मुख्य विषय हैं। यह उनका मुख्य विषय हैं और वो इसी विषय को हमे स्कूल में पढाया करते थे। हिंदी विषय में मुख्य रूप से वो हमे व्याकरण पढाया करते थे। उनकी एक बात काफी अच्छी थी की वो पढ़ाने से ज्यादा हमे उस चीज के बारे में समझाने की कोशिश ज्यादा करते थे जो हमारे लिए काफी जरुरी होती थी। स्कूल के समय में मेरी भी हिंदी काफी कमजोर थी पर इन अध्यापक की वजह से ही मेरी हिंदी में काफी सुधार हुआ और यही कारण हैं की में आज हिंदी विषय में अच्छे से लिख सकता हूँ।
मेरे प्रिय अध्यापक शांत स्वाभाव के धनि
मेरे प्रिय अध्यापक के स्वाभाव के बारे में जाने तो मेरे प्रिय अध्यापक काफी शांत रहते हैं और यह शांत स्वाभाव के धनि हैं। मेरे प्रिय अध्यापक काफी सरल स्वाभाव में अध्यापक है। मेरे प्रिय अध्यापक के बारे में यह बात कहना सही होगी की वो पूरी स्कूल में एकमात्र ऐसे शिक्षक थे जिनकी बात बच्चो के माता पिता भी जानते थे। मेरे प्रिय अध्यापक को हम काफी सम्मान देते हैं। मेरे प्रिय अध्यापक के स्वाभाव के लिए किसी की ग्वाही की जरुरत नही हैं। मेरे प्रिय अध्यापक को पूरा स्टाफ काफी इज्जत देता हैं।
दुसरे अध्यापक भी मानते हैं लोहा
मेरे प्रिय अध्यापक के लिए केवल हम ही नही कहते की वो काफी सरल स्वाभाव हैं बल्कि मेरी पूरी स्कूल के एनी शिक्षकगण भी यही कहते हैं। अन्य शिक्षक भी इस बात को मानते हैं की वो काफी सरल और सही स्वाभाव के हैं। मेरे प्रिय विद्यालय के अन्य शिक्षको को बिह यह भी पता हैं की लडको के काफी प्यार करते हैं। अन्य शिक्षको की भांति वो भी शान्ति और न्यायप्रिय अध्यापक हैं। अन्य शिक्षको को इस बात की भी जानकारी हैं की वो किसी भी बच्चे के साथ अमेरे प्रिय न्याय नही होने देते यही कारण है की अन्य शिक्षक भी मेरे प्रिय अध्यापक की इज्जत करते हैं। मेरे प्रिय अध्यापक को स्कूल का अन्य स्टाफ भी काफी इज्जत देता हैं क्योंकि वो दुसरो की तरह इतने गुस्सेल नही हैं बल्कि शांत स्वाभाव के हैं।
विद्यालय के उप-प्रधानाध्यापक थे
मेरे प्रिय अध्यापक को हम हमारे स्कूल के उप-प्रधानायापक के रूप में भी जानते थे। मेरे प्रिय अध्यापक को हमारे स्कूल के प्रधानाध्यापक भी महान मानते हैं। स्कूल के स्टाफ ओर मेरे गाँव के अन्य शिक्षक और गांववासी भी मेरे प्रिय अध्यापक की इज्जत करते हैं। हमारे ही गाँव में रहते हैं।
योग करना उनकी पहली जिद
मेरे प्रिय अध्यापक के बारे में यह बात लोगो को काफी अच्छी लगी हैं की वो रोज सुबह उठ कर सबसे पहले योगा करते हैं, अब कुछ लोग यह उनकी जिद मानते हैं क्योंकि योग वो हर मौसम में करते हैं फिर चाहे सर्दी हो या गर्मी, बरसात हो या भयंकर सर्दी, वो हर मौसम में योग करना पसंद करते हैं। मेरे प्रिय अध्यापक से योग की सीख लेकर अन्य शिक्षक और बुजुर्ग लोग भी अब रोज सुबह योग करते हैं।
हो चुके सेवानिवृत
मेरे प्रिय अध्यापक की सेवा अब समाप्त हो गई हैं। उनकी सेवानिवृति पिछले साल 2020 में ही हुई थी। उनके इस मौके पर लोगो ने और स्कूल के अन्य शिक्षको ने उनका सम्मान किया और उनके फूलो का हार पहना कर सम्मान दिया। मेरे प्रिय अध्यापक की सेवा को पुरे 35 साल हो गये थे और इन पुरे 35 सालो में उन्होंने काफी उत्कृष्ट सेवा दी हैं।
निष्कर्ष
मेरे प्रिय अध्यापक ने अपने जीवन में काफी उत्कृष्ट कार्य किये हैं। मैं उनकी काफी इज्जत आज भी करता हूँ। मेरे प्रिय अध्यापक की एक खूबी काफी अच्छी थी की वो काफी सरल स्वाभाव के थे और हर बच्चे से साथ पूरा न्याय करते। यह वजह हैं की वो परे प्रिय अध्यापक हैं।
अंतिम शब्द
हमने यहां पर “मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध (Essay on my favourite teacher in Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Read Also