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महाराजा अग्रसेन जयंती पर निबंध

Essay on Maharaja Agrasen Jayanti in Hindi:आज हम महाराजा अग्रसेन जयंती पर निबंध लिखने जा रहे हैं। इस निबंध के माध्यम से आज हम आपको महाराजा अग्रसेन के जीवन के बारे में बताएंगे। वह कितने बड़े समाज सुधारक थे, तथा उन्होंने लोगों के लिए क्या-क्या किया, उनको अपने जीवन में किस प्रकार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन सब बातों के बारे में आज हम आपको इस निबंध के माध्यम से जानकारी देने जा रहे हैं।

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महाराजा अग्रसेन जयंती पर निबंध | Essay on Maharaja Agrasen Jayanti in Hindi

महाराजा अग्रसेन जयंती पर निबंध (250 शब्द)

वह क्षत्रिय समाज के राजा बल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे। लोगों के द्वारा पशु पक्षियों की देवताओं को बलि दी जाती थी, वह इनको पसंद नहीं आती थी। क्षत्रिय धर्म में पशु पक्षियों की बलि देना बहुत आम बात है, इसी की वजह से उन्होंने अपने क्षत्रिय धर्म को छोड़कर वैश्य धर्म को अपना लिया था। उसके बाद इनको वैश्य धर्म का जनक भी कहा जाता है। महाराजा अग्रसेन के जन्मदिन को अग्रसेन दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इसको अग्रसेन जयंती भी कहा जाता है। जयंती में अग्रवाल समाज के लोग महाराजा अग्रसेन की बहुत बड़ी-बड़ी झांकियां निकालते हैं, शोभा यात्राएं निकलती है, और महाराजा अग्रसेन की पूजा पाठ आरती पूरे देश भर में की जाती है।

महाराजा अग्रसेन ने हमेशा अग्रवाल और आगरा हारी समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व किया उत्तर भारत में जो व्यापारी वर्ग के लोग हैं उनको आगरोहा का कहा जाता है। ये लोग मंदिरों में जानवरों को मारने से भी इनकार करते हैं इसीलिए वह आगरोहा के नाम से जाने जाते हैं,इसी वजह से महाराजा अग्रसेन ने उनका प्रतिनिधित्व किया और इस वंश की परंपरा को आगे बढ़ा कर यह अग्रवाल समुदाय के जनक बन गए।

उनका जन्म आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था इस वजह से इस दिन को अग्रसेन जयंती के रूप में मनाते हैं यह अग्रसेन जयंती नवरात्रि के पहले दिन होती है। अग्रवाल समुदाय के लोग इस दिन को बहुत अच्छे तरीके से मनाते हैं। महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा को रखकर बहुत भव्य झांकियां निकाली जाती है और महाराजा अग्रसेन का पूजन पाठ यज्ञ आदि भी किया जाता है। महाराजा अग्रसेन क्षत्रिय धर्म में इनका जन्म होने के कारण इनको अपने धर्म से नफरत हो गई थी।  क्षत्रिय धर्म में बहुत हिंसक प्रवृत्तिया होती हैं।इसी वजह से इन्होंने क्षत्रिय धर्म छोड़कर वैश्य धर्म को अपना लिया था।

महाराजा अग्रसेन जयंती पर निबंध (1200 शब्द)

प्रस्तावना

उन्होंने अपने जीवन में बहुत से ऐसे कार्य किए जिनके लिए उनको जाना जाता है। इनका जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिता क्षत्रिय समाज के राजा थे। इनके समाज में जब पशु पक्षियों की बलि यज्ञ देवताओं को चढ़ाने के लिए दी जाती थी, तो इनको बहुत नफरत हो गई इसकी वजह से महाराज अग्रसेन ने अपने धर्म का त्याग कर दिया और वैश्य धर्म को अपना लिया और वैश्य धर्म के संस्थापक के रूप में इनको जाना गया।

महाराजा अग्रसेन का जन्म

उनका जन्म द्वापर युग के आखिरी चरण में अश्विन प्रतिपदा नवरात्रि के पहले दिन हुआ था। महाराजा अग्रसेन सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल में पैदा हुए थे। महाराजा अग्रसेन बल्लभगढ़ के राजा बल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे। राजा अग्रसेन की माता का नाम भगवती का जब महाराजा अग्रसेन का जन्म हुआ था। इनके पिता बल्लभ सेन को महर्षि गर्ग ऋषि ने इनकी ओर देखकर यह भविष्यवाणी की थी कि “यह भविष्य में एक बहुत बड़ा राजा बनेगा तथा इसका नाम सालों तक अमर रहेगा और इसके द्वारा एक नई शासन व्यवस्था का भी उदय होगा।”

महाराजा अग्रसेन के दो विवाह

उनका विवाह नागराज की कन्या माधवी के साथ हुआ था। माधवी इतनी सुंदर थी कि उसकी सुंदरता पर राजा इंद्र भी मोहित हो गया था। माधुरी के पिता ने उसकी शादी के लिए स्वयंवर रचाया, जिसमें इंद्र भी आया था। माधवी ने अपने वर्क के रूप में महाराजा अग्रसेन को चुना इसको देखकर राजा इंद्र को बहुत बुरा लगा और अपमान सा महसूस हुआ और उन्होंने महाराजा अग्रसेन के नगर में अकाल की स्थिति पैदा कर दी। इस स्थिति को देखकर अग्रसेन ने इंद्र पर आक्रमण कर दिया और इंद्र की पूरी सेना को महाराजा अग्रसेन ने परास्त कर दिया और वह जीत गए इसके बाद में देवताओं के साथ नारद मुनि ने मिलकर इंद्र और अग्रसेन के बीच के दुश्मनी को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।

क्षत्रिय धर्म में एक या एक से अधिक विवाह करना कोई बड़ी बात नहीं है। इसके बाद महाराजा अग्रसेन ने एक और विवाह किया। दोनों विवाह दो अलग-अलग धर्मों की लड़कियों के साथ में महाराजा अग्रसेन ने किए थे। दूसरी रानी सुन्दरावती से विवाह अपने राज्य को बचाने के लिए किया था।

‘अग्रोहा धाम’ की स्थापना

एक बार महाराजा अग्रसेन अपनी ही रानी माधवी के साथ में भारत भ्रमण के लिए निकले थे। उन्होंने रास्ते में देखा कि एक शावक के बच्चे और भेड़ के बच्चे एक साथ मिलकर खेल रहे हैं। इसको उन्होंने दैवीय शुभ संकेत माना और वहीं पर एक नए राज्य स्थापित करने की योजना बनाई। और एक नया राज्य ‘अग्रोहा’ स्थापित कर दिया। आज यह राज्य हरियाणा के हिसार के पास में स्थित है। इस अग्रोहा धाम में महाराजा अग्रसेन और मां लक्ष्मी का बहुत बड़ा मंदिर है। महाराजा अग्रसेन को भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा से मां लक्ष्मी के दर्शन प्राप्त हुए थे।

महाराजा अग्रसेन के मरणोपरांत उनके राष्ट्रीय सम्मान

महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन में हमेशा अपने विचारों और कर्तव्यनिष्ठा के बल पर हमारे समाज को एक नई दिशा की तरफ लेकर गए हैं महाराजा अग्रसेन के कारण ही हमारे समाज में व्यापार के महत्व को भी व्यापारी वर्ग के लोगों ने समझा और इसी की वजह से भारत सरकार ने 24 सितंबर 1976 को महाराजा अग्रसेन के सम्मान के रूप में 25 पैसे के डाक टिकट पर महाराजा अग्रसेन की फोटो को छपवाया। इसके बाद में 1995 में एक जहाज का नाम अग्रसेन रखा गया। महाराजा अग्रसेन के नाम पर हमारी सरकार ने बहुत सी जगह पर अस्पताल, स्कूल, कॉलेज उनके नाम पर ही बनवाए गए हैं। सबसे प्रसिद्ध दिल्ली में अग्रसेन की बावड़ी है जिसमें महाराजा अग्रसेन से जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारी और उनके तथ्य उसमें आपको देखने को मिलेंगे।

अग्रवाल समाज की उत्पत्ति

उनका जन्म तो क्षत्रिय परिवार में हुआ था लेकिन इन्होंने देश धर्म को अपना लिया था। महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे उन सभी पुत्रों को 18 यज्ञों का संकल्प दिलाया गया। इस संकल्प को 18 ऋषियों के द्वारा पूरा गया गया। इन 18 ऋषियों के आधार पर ही अग्रवाल समाज के 18 गोत्र की उत्पत्ति हुई और अग्रवाल समाज का निर्माण हुआ।

महाराजा अग्रसेन की अनमोल शिक्षाएं

महाराजा अग्रसेन के द्वारा दी गई सभी लोगों के लिए अनमोल शिक्षाएं निम्न प्रकार से हैं –

  • मनुष्य को अपना जीवन इस तरह से बनाना चाहिए कि उसको अपनी मौत से पहले ही धरती पर स्वर्ग लगे ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि मौत के बाद ही स्वर्ग प्राप्त होगा।
  • महाराजा अग्रसेन किसी भी पक्षी को तीर का निशाना बनाने की बजाय उस को उड़ते हुए देखना पसंद करते थे।
  • पशु पक्षियों से प्रेम करके उन्होंने पशुओं की बलि को रोककर नए समाज का निर्माण किया।

एक ईंट एक रुपया का सिद्धांत क्या है

महाराजा अग्रसेन अपने राज्य में भेष बदलकर अपने राज्य की जनता का हाल-चाल जरूर देते थे। एक बार जब अकाल की स्थिति पड़ गई थी। उनके राज्य में तब उनको एक घटना ने इतना प्रभावित किया कि उसके बाद उन्होंने अपने संपूर्ण राज्य में सभी लोगों से कहां की एक ईट और एक रुपया देकर हम अपने राज्य में जो भी नए परिवार में लोग आते हैं, उनको खाने को तथा उनको व्यापार के लिए भी बढ़ावा दे सकते हैं। उनका यह सिद्धांत आज भी चल रहा है उनके इस सिद्धांत के द्वारा आज उनको एक बहुत बड़े समाजवाद के रूप में भी देखा जाता है। इसके अलावा महाराजा अग्रसेन को युगपुरुष, समाजवाद के प्रवर्तक,उनका करुणामय स्वभाव इन सभी कामों के लिए उनको युगो युगो तक याद किया जाएगा।

अपने अंतिम समय में महाराजा अग्रसेन

अग्रवाल समाज और अग्रोहा धाम का निर्माण कर महाराजा अग्रसेन में 100 सालों तक अपना राज्य किया। इसके बाद महाराजा अग्रसेन अपना सभी कार्यभार अपने बड़े पुत्र को सौंप कर वन में चले गए थे।

निष्कर्ष

महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन काल में बहुत अच्छे काम किये। अपने शासनकाल में सबसे ज्यादा पशु पक्षियों से प्रेम किया। इसके अलावा सभी हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाई अर्थात पशु बलि को बंद करके वैश्य धर्म को स्वीकार कर लिया। उनके सिद्धांतों और उनकी जीवन में दी गई सीखो के आधार पर आज भी सभी लोग चल रहे हैं।

अंतिम शब्द

उम्मीद है आपको महाराजा अग्रसेन जयंती पर निबंध ( Essay on Maharaja Agrasen Jayanti in Hindi) बहुत पसंद आया होगा अगर आपको पसंद आया तो इसको लाइक करके इसके बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते हैं।

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