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मधुमक्खी पर निबंध

Essay on Honey Bee in Hindi: बचपन में आपके माता पिता ने आपको शहद खाने के लिए खूब प्रेरित किया होगा। दरअसल यह शहद हम लोगों को मधुमक्खी से मिलता है। हम यहां पर मधुमक्खी पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में मधुमक्खी के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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मधुमक्खी पर निबंध | Essay on Honey Bee in Hindi

मधुमक्खी पर निबंध (200 शब्द)

यह एक छोटा सा कीट या जीव है। जिसका औसतन भार तीन ग्राम तक होता है। जो पेड़ों, घरो व जंगलो में छत्ते बनाकर निवास करती है और इनका छाता मोम से बनता है। उस छत्ते में शहद होता है, जो द्रवित अवस्था में पाया जाता है। जो अत्यधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है और वह हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। 

इनके एक छत्ते में चालीस हज़ार से अधिक मधुमक्खियां पायी जाती है। जिसमें एक मधुमक्खियों की रानी होती है, जिसके कारण सारी मधुमक्खियां इकट्ठा रहती हैं। ये फूलों ,फलो व पत्तों से रस और पराग एकत्र करती है। जिसका उपयोग शहद बनाने के लिए करती है। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा माना जाता है की मधुमक्खियां अपने जीवन काल में कभी भी नहीं सोती। यह नृत्य के माध्यम से अपने व दूसरे परिवार की पहचान कर लेती है।

इन पर किसी भी प्रकार का संकट आने पर जोर जोर से आवाज़ (भिनभिन की) करने लगती है तथा अपने परिवार को अगाह कर देती हैं। खतरा महसूस करते ही यह सब अपना छत्ता छोड़कर दूसरी जगह जाकर नए छत्ते का निर्माण कर लेती है। एक अकेली मधुमक्खी रानी (मादा) के बचाव के लिए कई सौ मधुमक्खी नर व उनके नौकर लगे रहते है।

मधुमक्खी पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

मधुमक्खी कीटो की श्रेणी में आती है। यह बहुत छोटा सा कीट है। जो कई हज़ारो की संख्या में झुण्ड बनाकर रहती है। यह बहुत ही मेहनती होती है। यह फलो से रस लेकर अपने छत्ते में शहद नामक पदार्थ का निर्माण करती है। मधुमक्खी के एक झुण्ड को कॉलोनी या मौनवंश कहा जाता है। तथा एक कॉलोनी ( मौनवंश ) में तीन प्रकार की मधुमक्खी पायी जाती है -रानी, नर तथा उनके नौकर ।

इन तीनों का अपना अलग अलग कार्य होता है। एक कॉलोनी में एक ही मादा मधुमक्खी होती है तथा उनमें कई सौ नर (मधुमक्खी) । मादा (मधुमक्खी) अंडे देने का कार्य करती है। ये आकार में अन्य मधुमक्खियों से बड़ी तथा बेहद चमकीली दिखाई पड़ती है। जिसे इनकी कॉलोनी में आसानी से पहचाना जा सकता है। इनका औसत जीवन काल 45 दिन का होता है।

मधुमक्खी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

आपको यह जानकर हैरानी होगी की मधुमक्खी की पांच आँखे होती है, जिस में दो बड़ी आँख होती है तथा तीन माथे पर छोटी आँख होती है। हमारे धरती पर केवल मधुमक्खी ही ऐसा कीट है, जिसके द्वारा बनाया गया भोजन इन्सान खा सकता है। इनके छत्ते में केवल मादा (मधुमक्खी) ही शहद बना सकती है बाकी नर का काम केवल सेक्स करना होता है। सेक्स करने के बाद नर मक्खी मर जाता है।

यह एक सेकेण्ड में दो सौ बार अपने पंख फड़फड़ा और 24 किमी /घंटा की रफ़्तार से उड़ सकती है। इन्हे अलग किस्म की सूंघने की शक्ति होती है, जिससे यह होने वाली खतरों से अगाह हो जाती है। एक किलो शहद बनाने के लिए कई लाखो फूलों से इन्हे रस इकठ्ठा करना पड़ता है। इनके द्वारा बनाया गया शहद कई सालो तक ख़राब नहीं होता। इनके दो पेट होते है एक में खाना  तथा दूसरे में शहद स्टोर करती है।

मधुमक्खी का महत्त्व

महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन का मानना था की मधुमक्खी अगर इस धरती से चली जाए तो इन्सान अगले पांच सालो तक ही जिन्दा रह पाएगा। क्यूंकि यह जहाँ रहती है, वहां का वातावरण बहुत शुद्ध रखती है। ये हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखने में योगदान देती है। शहद बनाने के लिए सरकार ने मधुमक्खी पालन को बहुत बढ़ावा दे रही है क्यूंकि कम लगत में लोगो को इसमें अधिक लाभ मिलता है।

भारत में शहद का बड़े पैमाने पर सेल होता है और यह ज्यादा समय तक ख़राब नहीं होता। शहद से कई प्रकार की औषधि जैसे गठिया ,कैंसर आदि रोगो के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है । इसे खाने कई प्रकार के रोग खून की कमी ,ट्यूमर आदि रोगो को ख़त्म करने में सहायता प्रदान करती है।

मधुमक्खी का वर्गीकरण/प्रकार 

ये आर्थोपोडा संघ का कीट है। इसकी विश्वभर में पांच प्रकार की प्रजातियां पायी जाती है जिसमें से 4 प्रकार की प्रजाति तो केवल भारत में पायी जाती है। जो कुछ इस प्रकार है -भुनगा, भंवर, छोटी मधुमक्खी, खैरा या भारतीय मौन तथा यूरोपियन मधुमक्खी।

जैसा की नाम से आपको पता चल गया होगा यूरोपियन मक्खी को छोड़कर शेष भारत में पायी जाती है। भुनगा या इसे डम्भर कहा जाता है। ये बाकी प्रजातियों से आकार में काफी छोटी होती है तथा आयुर्वेदिक दृषिकोण से इनसे बनायीं शहद अत्यंत लाभदायी होता है।

भंवर या इसे सारंग कहते है, जो बाकी भारतीय मधुमक्खी से आकार में बड़ी होती है। ये भारत के दक्षिणी हिस्से में पायी जाती है। छोटी मधुमक्खी अपना छत्ता बहुत ऊपर नहीं लगाती तथा इनसे एक बार में एक छत्ते से  250 ग्राम ही शहद प्रदान हो सकती है। भारतीय मधु ये एक बार में कई छोटे छोटे छत्ते लगाने के लिए जानी जाती हैं। ये भारत के पश्चिमी भाग में पायी जाती हैं।

यूरोपियन मधु जैसा की नाम से पता चल रहा होगा की ये यूरोप महादीप ,अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में जाने वाली मधुमक्खियां हैं।   

पर्यावरण में इनकी भूमिका

आज के कुछ दशक पहले ये जगह जगह पर छत्ते बनाकर रहा करती थी लेकिन अब पर्यावरण प्रदूषण के कारण इनकी संख्या में कमी देखी जा रही है। सरकार ने मधुमक्खी पालन (एपिकल्चर) को बढ़वा दे रही है। इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मधुमक्खी हमारे पर्यावरण  के लिए बहुत लाभदायी होती है। इनके पालन को “एपिकल्चर” कहा जाता है। हमारे जीडीपी में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इनसे प्राप्त शहद का प्रयोग लोगो की भलाई के लिए किया जा रहा है। 

निष्कर्ष

मधुमक्खी हमारे पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण कीट है तथा इसका प्रयोग कई प्रकार के रोगो के उपचार हेतु किया जाता है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से इनकी संख्या में दिनों दिन कमी देखी जा रही है। लोग इनके आस पास रहने लायक वातावरण खराब देते है , जिससे इनके छत्ते में कमी दिख रही है। लोगों को जागरूक करना चाहिए की ये हमारे इकोलॉजी का मत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे देश में मधुमक्खी पालन से लोगों रोजगार मिलता है तथा इसके पालन के लिए सरकार लोगों को प्रोत्साहन कर रही है।

अंतिम शब्द

वैसे मधुमक्खी के बारे में तो सबको जानकारी होगी लेकिन आज के इस आर्टिकल में हमने आपको मधुमक्खी पर निबंध (Essay on Honey Bee in Hindi) से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तार से प्रदान करवाई है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि आपको आज का यह लेख अवश्य पसंद आया होगा। अगर आपको इस लेख से संबंधित कुछ भी सवाल पूछना है तो हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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Ripal
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