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गंगा नदी पर निबंध

Essay on Ganga River in Hindi: हम यहां पर गंगा नदी पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में गंगा नदी के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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गंगा नदी पर निबंध | Essay on Ganga River in Hindi

गंगा नदी पर निबंध (250 शब्द)

हिन्दू धर्म के अनुसार गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। इसका प्रमाण हमारे वेदो एवं पुराणों में मिलता है। हमारे धर्मग्रंथो में इसके पवित्रता का वर्णन किया गया है। इसकी कुल लम्बाई 2525 किलोमीटर है तथा अधिकतम गहराई 31 मीटर है। यह भारत की सबसे लम्बी नदी है। प्राचीन काल से इस नदी से लोगों की आस्था जुड़ी है।

हिमालय से निकलकर यह नदी सबसे पहले उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में प्रवेश करती है। हरिद्वार में बारह साल पर कुम्भ का मेला लगता है, जिसमें अनगिनत लोग इसमें स्नान करते हैं। लोगों का मानना है की इस नदी में नहाने से उनके सारे पाप धुल जाते है तथा हमेशा यंहा पर भजन कीर्तन होता रहता है। इस नदी में साल के बारह महीने निरन्तर पानी का प्रवाह बना रहता है। गंगा नदी हिमालय से निकलकर भारत के कई राज्यों तथा बांग्लादेश से होकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

पश्चिम बंगाल में यह बहुत बड़ा डेल्टा बनाती है। जिसका नाम सुंदरवन डेल्टा है, जो भारत का सबसे बड़ा डेल्टा है। यह लगभग 8,38,200 वर्ग किमी में फैला हुआ है। गंगा नदी में मछली, मगरमच्छ तथा सर्पों की कई प्रजातियां पायी जाती है, जिसमें बहुत ही दुर्लभ मीठे पानी वाली डॉल्फिन पायी जाती है। वैज्ञानिको का मानना है, की इस नदी में बैक्रियोफेज नामक विषाणु पाए जाते है जो अन्य खतरनाक वायरस एवं जीवो को जिन्दा नहीं रहने देते।

इसलिए माना जाता है की इस नदी का पानी ख़राब नहीं होता है। तथा सरकार ने कई प्रकार का अभियान चलाया है ताकि यह प्रदूषित न हो। इस नदी पर अनेक प्रकार की परियोजना बनाई गयी है जो जन जन की जरूरतों जैसे सिंचाई, बिजली के माध्यम से पूरा करती है।

गंगा नदी पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

गंगा नदी को पवित्रता की निशानी माना जाता है। साल में लाखो लोग इस नदी पर स्नान, पूजा पाठ तथा भजन कीर्तन करते है। गंगा को भागीरथी, मन्दाकिनी व देवनदी उपनामो से जाना जाता है। तथा भागीरथी नाम राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा। राजा भगीरथ (इक्ष्वाकुवंशीय सम्राट् दिलीप के पुत्र) ने अपने साठ हजार पुत्रो का उद्धार करने के लिए भगवान् शंकर से लेकर आये थे।    

गंगा नदी के बारे में

इसका उद्गम स्थल उत्तराखंड गढ़वाल क्षेत्र से गंगोत्री गिलेशियर से एक नदी निकलती है जिसका नाम भागीरथी तथा दूसरी तरफ से उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में संतोपथ गिलेशियर से अलकनंदा नाम से एक नदी निकलती है और यह दोनों आकर आपस में उत्तराखंड के हरिद्वार में मिल जाती है, जिसे देवप्रयाग बोला जाता है। वहां से इसका नाम गंगा पड़ता है। प्रयाग पांच प्रकार के होते हैं:

विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग

विष्णुप्रयाग- धौली गंगा तथा अलकनंदा के संगम को विष्णुप्रयाग कहते है।

नंदप्रयाग – नंदाकिनी तथा अलकनंदा नदी के संगम को नंदप्रयाग कहते है।

कर्णप्रयाग – अलकनंदा तथा पिंडार नदी के संगम को कर्णप्रयाग कहते है।

रुद्रप्रयाग – मन्दाकिनी तथा अलकनंदा के संगम को रूद्रप्रयाग कहते है।

देवप्रयाग -अलकनंदा तथा भागीरथी के संगम को देवप्रयाग कहते है। इस संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा नदी के नाम से जाना है। गंगा नदी की कई सहायक नदियाँ है। इसके दाहिने तरफ से मिलने वाली सहायक नदी सोमनदी, यमुना व महा नंदा तथा बांये से कोसी, गंडक, करनाली, महाकाली, गोमती व हुगली  है। अंत में यह एक बड़े बेसिन का निर्माण करती है तत्पश्चात बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। 

गंगा नदी के किनारे बसे शहर

किसी भी प्राणी को जीवन जीने के लिए मुख्य आधार पानी है। इसलिए प्राचीन काल में लोगों का निवास स्थान नदी के किनारे हुआ करता था और आज भी नदी के किनारे कई सारे नगर बसे हुए हैं। गंगा नदी भारत के पांच राज्यों से होकर गुजरती है उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड व पश्चिम बंगाल। सरकार के अनुसार 97 नगर की पहचान की गयी है जो इसके किनारे बसे हैं। उत्तराखंड में बसे मुख्य शहर जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, तपोवन, श्री नगर, उत्तरकाशी, जोशीमठ, उत्तारप्रयाग, गौचर, कीर्तिनगर व बद्रीनाथ।

उत्तर प्रदेश में – कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, मिर्जापुर, फर्रुखाबाद, मुगलसराय, बलिया, बिजनौर, कन्नौज, गंगाघाट, राम नगर, चुनार, हस्तिनापुर, व बिठूर।

बिहार में – पटना, भागलपुर, मुंगेर, छपरा, दानापुर, हाजीपुर, बक्सर, जमालपुर, बेगूसराय, मोकामा, सुल्तानगंज, बख्तियारपुर, बड़हिया प्रखण्ड, सोनपुर, कहलगांव व बरौनी।

झारखंड में – साहेबगंज व राजमहल।

पश्चिम बंगाल में – बैद्याबती, बंसबेरिया, बारानगर, बरहामपुर, भद्रेश्वर, भतपारा, बज बज, चकदाह, चांपदनी, धूलिया, गरुलिया, हल्दिया, हालीसहर, हुगली चिनसराह, हावड़ा एमसी, जंगीपुर, जियागंज-अजीमगंज, कल्याणी, कमरहती, कांचरापाड़ा, कोलकाता एमसी, कृष्णनगर, मुर्शिदाबाद, नैहाटी, उत्तरी बैरकपुर, पानीहती, रिसरा, शांतिपुर, श्रीरामपुर, टीटागढ़ व उत्‍तरपाराकोतरूंग यह बसे प्रमुख नगर है। 

गंगा नदी का महत्व

हिन्दू धर्म में गंगा को माँ की तरह से पूजा जाता है तथा इसके जल को उपचारक गुणों के लिए जाना जाता है। इसके आस पास  की जमीने अत्याधिक उपजाऊ है, जो कई प्रकार की फसलों को उगाने में मददगार साबित होते है। किसान इसके पानी को कृषि हेतु उपयुक्त मात्रा में प्रयोग करते है। इससे उत्पन्न बिजली लोग प्रयोग करते हैं।  

भारत में नदी को लेकर चिंता

जैसे-जैसे हम विकास की और अग्रसर हो रहे है। हमारे देश में कई प्रकार की फैक्ट्री, कार्यालय व नया नया निर्माण हो रहा है जिसका कचरा नदियों में जाता है, जिससे नदियाँ दिनों दिन दूषित होती जा रही है। उत्तराखंड से निकलने के बाद उत्तर प्रदेश में आने पर इलाहाबाद व कानपुर में अत्याधिक कूड़ा इस नदी में देखा जाता है। सरकार को इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए।

निष्कर्ष

यह नदी हमारे लिए एक सांस्कृति धरोहर के रूप में है। यह हर एक नदीयों से भिन्न है। इसमें प्रदुषण को रोकने के सरकार ने निरंतर प्रयास किये है। इसकी सफाई के लिए सरकार ने नमामि गंगे प्रोग्राम लांच किया है। जिसमे गंगा के किनारे बसे 49 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के आदेश दिए।

इसके कई प्रकार के आर्थिक महत्व है। भारत और बांग्लादेश में इसके तटीय क्षेत्रो में कई प्रकार की फसल का उत्पादन किया जाता है जैसे दाल, गन्ना, आलू व तिलहन और मतस्यपालन भी करते है।

यह भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है। इस नदी मछली की 375 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है। जिसमे उत्तर प्रदेश और बिहार में 111 से अधिक मछली के प्रकार पाए गए। फरक्खा बाँध का निर्माण किया गया है। जिससे मछली बीजोत्पादन में और भी सहायता मिले। तथा लोगो को सिंचाई लिए पानी व बिजली मिले।

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने  गंगा नदी पर निबंध ( Essay on Ganga River in Hindiके बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है। तो वह हमें कमेंट में पूछ सकता है।

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Ripal
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