Essay on Climate Change in Hindi: नमस्कार दोस्तों, जलवायु परिवर्तन आज के समय में विश्व की एक बहुत ही बड़ी विकट समस्या के रूप में उत्पन्न होती जा रही है।
यहां पर जलवायु परिवर्तन पर निबंध पर निबन्ध शेयर कर रहे है, जो सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।
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जलवायु परिवर्तन पर निबंध | Essay on Climate Change in Hindi
जलवायु परिवर्तन पर निबंध (250 शब्दों में)
पृथ्वी पर जल वायु की परिस्थितियों में हो रहे बदलाव कोई जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जलवायु परिवर्तन पिछले कुछ सालों से बहुत ही गंभीर समस्या के रूप में उत्पन्न होता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कई कारण होते हैं, जो बहुत से तरीकों से पृथ्वी में चल रहे जीवन को प्रभावित करते है।
ऐसा विभिन्न प्रकार के बाहरी और आंतरिक कारणों से होता है, जिसमें कई सारी चीजें आती है जैसे पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन होना, ज्वालामुखी में विस्फोट होना, मौसम में परिवर्तन होना ऐसे बहुत से कारण है, जिससे जलवायु परिवर्तन होता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण ही जल प्रणाली पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और वर्षा अनियंत्रित होती जा रही है। यह सारी परिस्थितियां हमारे पर्यावरण में हो रहे असंतुलन को बढ़ावा दे रही है, जिससे वातावरण बहुत बुरी तरीके से प्रभावित हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन को नियंत्रण करने और धरती पर स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए मनुष्य के द्वारा हो रही अनियंत्रित गतिविधियों को रोकने की बहुत ही आवश्यकता है, जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे ग्रह के उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव की जलवायु पर पड़ रहा है। अगर यह परिवर्तन ऐसे ही होते रहें तो दक्षिण तथा उत्तरी ध्रुव में जीवन जल्दी समाप्त हो जाएगा।
जलवायु परिवर्तन के कारण विभिन्न प्रकार की परिस्थितियां जन्म लेती जा रही है। बदल रहे मौसमों के कारण वर्षा के स्वरूप में भी बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है, जिससे कई जगहों पर बाढ़ और सूखा जैसी बहुत बहुत सी विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मनुष्य को अपनी गतिविधियों पर नियंत्रण करना होगा, जिससे कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सके।
जलवायु परिवर्तन पर निबंध (800 शब्दों में)
प्रस्तावना
पृथ्वी पर जलवायु की परिस्थितियों में हो रहे बदलाव को ही जलवायु परिवर्तन कहते हैं। मौसम में बहुत से बदलाव होते रहते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन तभी घटित होता है जब यह बदलाव पिछले कुछ दशको से लेकर सदियों तक कायम रहे।
यह विभिन्न प्रकार के बाहरी और आंतरिक कारणों से होता है, जिसमें पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन होना, ज्वालामुखी में विस्फोट होना, मौसम में परिवर्तन होना, प्लेट टेक्टोनिक सौर विकिरण जैसे आंतरिक और बाहरी कारण शामिल है।
जलवायु परिवर्तन कारण
जलवायु परिवर्तन के दो कारण हैं:
- प्राकृतिक कारणों से
- मानवीय कारणों से
प्राकृतिक कारण ग्लेशियर का खिसकना, ज्वालामुखी का फटना और मानवीय कारण ग्रीन हाउस प्रभाव, जिसको हम लोग ग्लोबल वार्मिंग भी बोलते हैं।
जब से मशीनों का उपयोग अधिकतम मात्रा में किया जाने लगा है, मशीनों को चलाने के लिए जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है जैसे कोयला और तेल, जीवाश्म, ईंधन, कोयला और तेल जलाने से बहुत सारी कार्बन डाइ ऑक्साइड निकलती है, जिससे मिथेन, ओजोन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसे उत्पन्न होती है, जिसे ग्लोबल वॉर्मिंग कहते हैं।
मनुष्य ही जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत बड़ा जिम्मेदार है। मनुष्य के द्वारा विभिन्न यंत्रों के उपयोग से जैसे वीडियो गेम को खेलने से, लाइट चलाने से, माइक्रोवेव चलाने से, टीवी देखने से, वाशिंग मशीन चलाने से, ए.सी. चलाने से इन सारी चीजों का इस्तेमाल करने से ग्लोबल वार्मिंग में प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण वातावरण में एक अलग प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती जा रही है, जिससे वातावरण में गर्मी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है।
बाहर से दबाव डालने वाले यंत्र
ज्वालामुखी विस्फोट: ज्वालामुखी विस्फोट जो पृथ्वी के स्ट्रेटोस्फीयर में 100,000 टन से अधिक So2 उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण पृथ्वी की जलवायु प्रभावित होती है। यह जो विस्फोट होते हैं, वह पृथ्वी के वायुमंडल को ठंडा करने के लिए होते हैं। लेकिन इनसे जो गैस निकलती है, सुबह पृथ्वी की सौर विकिरण ऊर्जा में बाधा उत्पन्न करती है।
सौर ऊर्जा का उत्पादन: पृथ्वी को सूर्य से जो ऊर्जा प्राप्त होती है, वह ऊर्जा वापिस जलवायु में ही उत्सर्जित होती है। जो पृथ्वी पर होने वाली जलवायु और तापमान के नियंत्रण को कंट्रोल करती है।
प्लेट टेक्टोनिक्स: प्लेटो की गति कई लाख वर्षों में जमीन और महासागरों को संगठित करके एक नई स्थलाकृति तैयार करती है, जिससे जलवायु प्रभावित होता है।
पृथ्वी की कक्षा में बदलाव: पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन होने से सूर्य के प्रकाश में बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिससे सूर्य से पृथ्वी पर पहुंचने वाला प्रकाश प्रभावित होता है।
आंतरिक बलों के तंत्र का प्रभाव
जीवन: जीवन कार्बन उत्सर्जन में और पानी के चक्कर में बदलाव आने से जीवन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसका सीधा असर जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी कि वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
वनों पर प्रभाव: पेड़ पौधे पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाने के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। क्योंकि वह कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करके हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वातावरण के प्रभाव के कारण पेड़ों की कई प्रजातियां विलुप्त जा रही है, जो हमारे लिए बहुत ही बड़ा संकट बनता जा रहा है।
ध्रुवी क्षेत्रों पर प्रभाव: जो हमारे उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव होते हैं, वह जलवायु को नियंत्रण करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। बदलते जलवायु नियंत्रण के कारण इन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। अगर यह जलवायु परिवर्तन ऐसा ही रहा तो आगे आने वाले समय में जीवन पूरी तरीके से विलुप्त हो जाएगा।
जल पर पड़ रहा प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण जल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वर्षा की स्थिति में भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे पृथ्वी पर बहुत जगहों पर सूखा और बाढ़ के जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। बहुत से लोगों को एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कहीं पे बहुत से लोगों के घर डूब रहे हैं तो कहीं पर पानी पीने के लिए लाले पड़े हैं। तापमान लगातार हो रही वृद्धि के कारण ग्लेशियर के पिघलने से होने वाली आपदा का संकट बना हुआ है जो कि एक विकट समस्या के रूप में उत्पन्न हो रही है।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पिछले कुछ समय के अनुसार पाया गया है कि मनुष्य ने ही अपनी गतिविधियों के कारण जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दिया है जोकि बहुत बुरा संकेत है। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए मनुष्य को अपनी गतिविधियों को सुधारने की आवश्यकता है, जिससे आगे होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
अंतिम शब्द
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